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Sunday 12 February 2012

वर्णसंकर (शूद्र- अतिशूद्र) जातियों का उद्भव


वर्णसंकर (शूद्र- अतिशूद्र) जातियों का उद्भव



 Forward Pressनज़रिया

वर्णसंकर (शूद्र- अतिशूद्र) जातियों का उद्भव

11 FEBRUARY 2012 
यह सामग्री फारवर्ड प्रेस के संपादक प्रमोद रंजन के पिछले लेख की पूरक है। दरअसल, वह लेख फारवर्ड प्रेस के फरवरी अंक में प्रकाशित कवर स्‍टोरी का ‘फर्स्‍ट ड्राफ्ट’ था, जिसे हमने सीधे लेखक से हासिल किया था। पत्रिका में यह लेख जरा परिमार्जित करके छापा गया है। मेरे विचार में फर्स्‍ट ड्राफ्ट के कच्‍चेपन की सोंधी खुशबू इस लेख में मौजूद है और इसमें लेखक का मत अधिक मुखर होकर सामने आया है। निम्‍नांकित पूरक सामग्री भी उसी लेख का हिस्‍सा है, जिसे मूल लेख के साथ बॉक्‍स आइटम के रूप में रखा गया है। फारवर्ड प्रेस मंगवाने के लिए इसके सकुर्लेशन विभाग के फोन नंबर 07827427311 पर संपर्क कर सकते हैं : मॉडरेटर
हिंदू धर्मग्रंथों में वर्णित वर्णसंकर (शूद्र- अतिशूद्र) जातियों का उद्भव
भारतीय संसद : 19 और 20 दिसंबर, 2012
ये दोनों तारीखें पिछड़ा वर्ग की राजनीति के इतिहास में काले अक्षरों में दर्ज की जाएंगी।
रूस की एक जिला स्तरीय अदालत में गीता को अतिवादी साहित्य घोषित कर प्रतिबंधित करने की मांग की गयी थी। 19 और 20 दिसंबर को भारतीय संसद में इस पर हंगामा हुआ। इस दौरान हुई बहस में सामाजिक न्याय का हवाला देने वाले राजनीतिक दलों बीजू जनता दल, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, बहुजन समाज पार्टी और जनता दल यूनाइटेड में गीता की महत्त्ता का बखान करने की होड़ लगी रही। भाजपा और कांग्रेस समेत इन पार्टियों के नेता गीता को राष्ट्रीय धर्मग्रंथ घोषित कर डालने के पक्ष में दिखे।
वास्तव में, ऐसा करके पिछड़े नेताओं ने ब्रह्मणवादी शक्तियों द्वारा बुने गये चक्रव्यूह के दूसरे चरण को सफल कर दिया है। इनकी कोशिश होगी कि वे इस व्यूह में इतने गहरे धंसते जाएं, जहां से उनका निकलना असंभव हो जाए।
आइए देखें संसद में किसने क्या कहा…
19 दिसंबर, 2012
हुक्मदेव नारायण यादव (भाजपा) : गंगा मैया, गीता माता और गाय माता, ये तीन माता हैं। कृष्ण गीता वाले तब हुए, जब उनके साथ गाय थी। केवल गीता ही नहीं, गीता के साथ गाय बचे, गंगा बचे, धरती माता बचे, तब भारत का कल्याण होगा।
मुरली मनोहर जोशी (भाजपा) : गीता एक सार्वभौम ग्रंथ है, जो मानव प्रेम के लिए है।
मुलायम सिंह यादव (सपा) : सरकार ने गीता एवं इसके महत्व एवं इसके प्रभाव को गंभीरता से नहीं लिया है। इस बात को सभी दल मानेंगे… संसदीय कार्यमंत्री जी से मेरा अनुरोध है कि गीता के प्रचार-प्रसार के बारे में सरकार कोई ऐसा कदम उठाये, जिससे गीता की पढ़ाई प्राइमरी स्कूल से विश्वविद्यालय तक में मुमकिन हो सके।
लालू प्रसाद (राजद) : गीता भगवान कृष्ण से संबंधित है। देवताओं के महान देवता भोले बाबा ने कृष्ण जी को ऊंचा स्थान दिया और कृष्ण जी ने भी शंकर बाबा को ऊंचा स्थान दिया। गीता का अपमान करना, भगवान कृष्ण का अपमान करना है। यह बर्दाश्त करने की बात नहीं है। अपमान का बदला हम लेंगे।
शरद यादव (जदयू) : यहां सभी साथियों ने (गीता पर) जो कुछ कहा है, मैं उससे अपने आपको संबद्ध मानता हूं। मैं उसे दोहराने की जरूरत नहीं महसूस करता। सरकार को इस पर कारगर पहल कर इस सवाल को हल करना चाहिए।
पवन कुमार बंसल (कांग्रेस, संसदीय कार्य मंत्री) : भागवत गीता की अहमियत के प्रति माननीय सदस्यों ने यहां जो विचार प्रकट किये हैं, उनकी हम कद्र करते हैं। किसी के मन में कोई मतभेद नहीं है, सबके विचार एक हैं। कल माननीय (विदेश मंत्री) एसएम कृष्ण जी पूरी बात की तफ्तीश करके यहां अपना वक्तव्य देंगे।
20 दिसंबर, 2012
सुषमा स्वराज (भाजपा, नेता विपक्ष) : मैं आज के दिन इस प्रसंग (रूस में गीता पर प्रतिबंध का मामला) का लाभ उठाते हुए यह भी मांग करती हूं कि श्रीमद् भागवत गीता को राष्ट्रीय पुस्तक घोषित किया जाए।
एसएम कृष्णा (कांग्रेस, विदेश मंत्री) : I rise to make a statement on a court hearing in a Russian city on the Bhagavad Gita that was raised in this august House yesterday by hon. Members Shri Bhartruhari Mahtab, Shri Mulayam Singh Yadav, Shri Sharad Yadav, Shri Lalu Prasad, and Shri Hukumdev Narayan Yadav…A number of other Hon. Members also conveyed their deep sense of anguish over this issue. At the outset, allow me to mention that I fully share the sentiments expressed by the Hon Members of the House on this issue…Hon. Members would agree that the Bhagavad-Gita is not simply a religious text; it is one of the defining treatises of Indian thought and describes the very soul of our great civilization. The Gita is far above any cheap propaganda or attacks by the ignorant or the misdirected.

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