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Saturday 18 February 2012

मुंबई पर भगवा वर्चस्व जारी!बाल ठाकरे का करिश्मा बरकरार !



मुंबई पर भगवा वर्चस्व जारी!बाल ठाकरे का करिश्मा बरकरार !

महायुति को दलित वोटों  का फायदा।

मुंबई से एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास


मुंबई पर भगवा वर्चस्व जारी!महायुति को दलित वोटों  का फायदा। कांग्रेस के मंसूबों पर मुंबई महानगरपालिका [मनपा] चुनाव नतीजों ने पानी फेर दिया। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी [राकांपा] से गठबंधन के बावजूद वह मनपा में 17 साल से चली आ रही शिवसेना-भाजपा की सत्ता हिलाने में नाकाम रही। पुणे नगर निगम में राकांपा सबसे आगे रही। आश्चर्यजनक रूप से राज ठाकरे की मनसे यहां 21 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर पहुंच गई। नाशिक में शिवसेना-भाजपा गठबंधन को झटका देते हुए मनसे सबसे ज्यादा सीटें जीतने में कामयाब रही।

महाराष्ट्र में 10 महानगर पालिकाओं में पांच में शिवसेना और बीजेपी गठबंधन आगे है। जबकि कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन ४ महानगर पालिकाओं में ही आगे रहा।  

बाल ठाकरे का करिश्मा बरकरार है। शिवशक्ति भीम शक्ति महायुति का नारा भी कामयाब हो गया। इससे रामदास अठावले की स्थिति मजबूत होती नजर आ रही है। तस्वीरें बता रही हैं कि बीएमसी के चुनावों में लगातार 17 साल से बाल ठाकरे का जादू बरकार है।शिवसेना-बीजेपी गठबंधन अपनी सीटें बचाने में कामयाब रहा। राज ठाकरे किंग या किंगमेकर भले न बन पाएं हों लेकिन उन्होंने ताकत बढ़ाई है और उसकी कीमत कांग्रेस को चुकानी पड़ी है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण के व्यंग्य बाणों का सामना करते हुए शिवसेना ने आज एक बार फिर जता दिया कि मुंबई में उसी की 'सरकार' चलती है। पिछले 16 साल से बीएमसी की कमान संभाल रहे शिवसेना-भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) गठबंधन ने रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) के साथ एक बार फिर सबसे ज्यादा सीटों पर कब्जा कर लिया।

बीएमसी चुनाव में बीजेपी-शिवसेना सबसे बड़े गठबंधन के रूप में उभरी है। जबकि सत्ता विरोधी लहर का दावा करने वाला कांग्रेस और एनसीपी गठबंधन कोई कमाल नहीं कर पाया।कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन को मुम्बई और ठाणे में तो हार का मुंह देखना पड़ा है, लेकिन पुणे में उसका दबदबा बना हुआ है। पुणे में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को काफी बढ़त हासिल हुई है और यह सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। पुणे में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने मैदान मारते हुए कुल 152 सीटों में से 49 सीटें मिली हैं, जबकि कांग्रेस ने यहां 28 सीटें जीती हैं।मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण को जमीनी राजनीति की अच्छी समझ नहीं है। यह आरोप कांग्रेस से भीतर उनके विरोधी और बाहर विपक्ष अक्सर लगाता रहा है। मुंबई मनपा चुनाव में कांग्रेस-राकांपा गठबंधन को अच्छी सफलता न मिलने के पीछे बाल ठाकरे के बारे में दिया गया उनका एक बचकाना बयान जि मेदार मना जा रहा है! महाराष्ट्र के लोग विशेषकर मुंबई के मराठीभाषी आज भी ठाकरे को 'भगवान' मानते हैं, परंतु मुंबई मनपा में कांग्रेस-राकांपा गठबंधन की सत्ता आयेगी इस अतिउत्साह में उन्होंने ऐन मतदान से पहले बयान दिया था कि १६ फरवरी को वोटिंग के बाद बाल ठाकरे का राजनीतिक अस्तित्व मुंबई व महाराष्ट्र में खत्म हो जायेगा।माना जा रहा है कि मराठी भाषियों को ठाकरे के बारे में दिया गया मुख्यमंत्री को कतई रास नहीं है। और ठाकरे के प्रति अपनी आस्था व्यक्त करने के लिए उन्होंने महागठबंधन के पक्ष में मतदान किया। वैसे इस चुनाव में शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे द्वारा मराठीभाषियों से हर हाल में चुनाव जीताने की भावनात्मक की गई अपील भी रंग लाई है।




बीएमसी चुनाव के बाद मुंबई में अब सीधे 2014 में महाराष्ट्र विधानसभा और लोकसभा के लिए वोट पड़ेंगे इसीलिए बीएमसी चुनाव को 2014 के चुनावों का सेमीफाइनल माना जा रहा था। पिछले 17 साल से कांग्रेस बीएमसी चुनाव हारती आ रही है, लेकिन 1999 के लेकर अब तक महाराष्ट्र विधानसभा के सारे चुनाव जीत रही है।


लोग मान रहे थे कि त्रिशंकु बीएमसी में मनसे ही तय करेगी कि सत्ता किसे मिलेगी। लेकिन भगवा दबदबे के आगे ये अनुमान बेमानी साबित हो गए हैं। उत्तर भारत में जड़ों वाली समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी यहां कोई छाप छोडऩे में नाकाम रहीं।

शिवसेना के कार्यकारी अध्यक्ष उद्घव ठाकरे ने कहा, 'बीएमसी हमारे ही पास रहेगी। मुंबई के मतदाताओं को इसके लिए धन्यवाद। चिंता की बात नहीं है क्योंकि हमारे पास जरूरी समर्थन मौजूद है।'

महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों में मुंबई, ठाणे और नागपुर में शिवसेना-भाजपा गठबंधन को मिली जीत का श्रेय भाजपा ने सेना प्रमुख बाल ठाकरे के 'करिश्माई नेतृत्व को दिया है। उसने कहा कि इस करिश्माई नेतृत्व ने इस गठजोड़ से सत्ता छीनने की कांग्रेस-एनसीपी की कोशिशों को धूल चटा दी है।

पार्टी प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर ने यहां कहा, 'हम शिवसेना-भाजपा-आरपीआई गठबंधन के पक्ष में चली हवा का स्वागत करते हैं। हम मुंबई, नागपुर और ठाणे के स्थानीय निकायों में अपनी सत्ता बनाए रखने में सफल हुए हैं। यह बालासाहब ठाकरे के करिश्माई नेतृत्व के चलते संभव हुआ है।' उन्होंने कहा कि इन नतीजों से भाजपा-शिवसेना गठबंधन और मजबूत हुआ है।

चुनाव से पहले भाजपा के कुछ नेताओं का तर्क था कि शिवसेना का असर कम हो रहा है और राज ठाकरे के नेतृत्व वाली एमएनएस उभर रही है, इसलिए उससे गठबंधन करना चाहिए। लेकिन पार्टी नेतृत्व ने शिवसेना के साथ ही रहने का निर्णय किया।


बीएमसी चुनाव में सबसे करारा झटका कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के गठबंधन को मिला है, जो भगवा ब्रिगेड को पछाडऩे का सपना पाल बैठा था। लेकिन कांग्रेस को महज 54 और राकांपा को केवल 13 सीटें मिल सकी हैं। उनसे बेहतर स्थिति तो राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) की रही, जिसने पिछली बार के 7 के बजाय 27 सीटें हासिल कर ली हैं। बीएमसी चुनाव में कांग्रेस एनसीपी के साथ मिलकर लड़ी लेकिन गठबंधन के बाद भी शिवसेना-बीजेपी के आगे उसे घुटने टेकने पड़े।हालांकि, जिला परिषद के चुनाव में कांग्रेस-एनसीपी को 27 में से 20 जिला परिषद में जीत मिलती दिख रही है। लेकिन बड़ा सवाल मुंबई को लेकर है कि क्या मुंबई के नतीजे कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी हैं? मुंबई देश की आर्थिक राजधानी कही जाती है और मनपा का बजट कई छोटे राज्यों से ज्यादा है। मनपा पर कब्जे के लिए कांग्रेस ने पहली बार राज्य की सत्ता में अपनी साझीदार राकांपा से गठबंधन कर चुनाव लड़ा। लेकिन, नतीजे उल्टे निकले। कांग्रेस ने जितनी सीटें राकांपा को दीं, उससे ज्यादा कांग्रेस के बागी खड़े हो गए। नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस अब तक की सबसे खराब स्थिति में पहुंच गई। 2007 में कांग्रेस ने 56 सीटें जीती थीं। इस बार उसे 51 सीटें ही मिलीं। सांसद प्रिया दत्त और गुरुदास कामत जैसे वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी दिल्ली तक पहुंची, लेकिन मुख्यमंत्री के दबाव में उनकी नहीं सुनी गई।

पिछले 17 साल में कांग्रेस ने कभी भी बीएमसी चुनाव में बाजी नहीं मारी.तब भी नहीं जब शरद पवार कांग्रेस में थे। तब भी नहीं जब शरद पवार कांग्रेस से अलग होकर लड़े थे।तब भी नहीं जब शरद पवार के साथ मिलकर कांग्रेस बीएमसी चुनाव जीतने निकली थी। कांग्रेस पवार का सहारा लेकर मुंबई पर राज करना चाहती थी इसलिए पवार की हर शर्त मानी लेकिन फायदे की बजाय नुकसान ही हुआ।कांग्रेस सचिव संजय निरुपम का कहना है कि वैसे तो हार के कई कारण हैं, लेकिन कांग्रेस ने एनसीपी को जो पांच सीटें दी वह भी हार गए।

कांग्रेस को हुए नुकसान का बड़ा कारण राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना [मनसे] पर उसका अतिविश्वास भी रहा। 2009 के लोकसभा और उसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में मनसे ने शिवसेना-भाजपा के मत जमकर काटे थे। जिसका कांग्रेस को भरपूर लाभ हुआ था। कांग्रेस इस बार भी मनसे को शिवसेना के वोटकटवा की भूमिका में देख रही थी। शिवसेना-भाजपा को मनसे ने कुछ हद तक नुकसान पहुंचाया भी, लेकिन मनसे इस बार करीब 15 सीटें कांग्रेस से भी छीन ले गई।

भले ही बीएमसी चुनाव के नतीजों के एलान के बाद एमएनएस के कार्यकर्ता जश्न मना रहे हों लेकिन ये जश्न फीका रह गया.आर्थिक राजधानी का किंग बनने का राज ठाकरे का सपना धरा का धरा रह गया. बीएमसी चुनाव में राज ठाकरे न तो किंग बन पाए , न ही किंगमेकर।हालांकि राज ठाकरे बीएमसी के नतीजों से इतने मायूस नहीं हैं और इसे संतोषजनक बता रहे हैं।

अपनी पार्टी के मिलेजुले प्रदर्शन और कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन को समर्थन देने की अटकलों पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए राज ठाकरे ने कहा, 'यह हमेशा जरूरी नहीं है कि किसी और पार्टी के साथ जुड़ा जाए। मैं तो चाहूंगा कि हम अकेले रहें।'

मुंबई में भले राज ठाकरे न किंग बन सके, न किंग मेकर लेकिन उन्होंने शिवसेना को उसके गढ़ में घुसकर पटखनी दे दी है। शिवसेना के सबसे ज्यादा प्रभाव वाले दादर इलाके की सभी 7 सीटों पर राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस ने कब्जा जमा लिया है।






महाराष्ट्र में 10 नगर निगमों और 27 जिलापरिषदों के लिए वोटों की गिनती जारी है। अभी तक केमिले नतीजों में कांग्रेस - एनसीपी गठबंधन को भारीनुकसान होता दिख रहा है। 10 में से 8 महानगरपालिकामें बीजेपी - शिवसेना आगे है , जबकि कांग्रेस - एनसीपीगठबंधन सिर्फ दो में आगे चल रहा है। मुंबई में सभी 227 सीटों के नतीजे आ गए हैं। यहां बीजेपी-शिवसेना-आरपीआई गठबंधन को 106 सीटें मिली हैं। यानी लगभग तय है कि निर्दलीयों के सहयोग से गठबंधन बीएमसी सत्ता पर काबिज हो जाएगा। ठाणे में भी बीजेपी- शिवसेना गठबंधन कांग्रेस - एनसीपी से आगे है ,हालांकि वहां भी वह बहुमत के आंकड़े से थोड़ा पीछे रह गया है। पुणे महानगरपालिका में कांग्रेस - एनसीपीगठबंधन फिर काबिज होता दिख रहा है। पिंपरी-चिंचवड़में 68 सीटें जीतकर एनसीपी अकेले बहुमत में आ गई है।

मुंबई पर शिवसेना की सत्ता कायम रहेगी। बीएमसी चुनावों में शिवसेना-बीजेपी गठबंधन ने जहां कांग्रेस और एनसीपी को फिर पटखनी दे दी है, वहीं मुंबई का किंग बनने का ख्वाब देख रहे राज ठाकरे किंग मेकर भी नहीं बन पाए हैं। विधानसभा चुनावों का सेमीफाइनल माने जाने वाले बीएमसी चुनावों में जीत से शिवसेना के हौसले बुलंद हैं। गठबंधन 106 सीटें जीत चुका है जबकि बहुमत के लिए उसे महज 8 सीटें और चाहिए।शिवसेना-बीजेपी गठबंधन में इस बार रामदास अठावले की पार्टी आरपीआई भी शामिल है। माना जा रहा है कि अठावले के साथ आने से दलित वोटों का गठबंधन को फायदा मिला है हालांकि पिछली दफा के मुकाबले गठजोड़ को कम सीटें हाथ लगी हैं।

ठाणे नगर निगम की भी सभी 130 सीटों के नतीजे आचुके हैं। शरद पवार की एनसीपी ने शिवसेना को अच्छा -खासा नुकसान पहुंचाया है , इसके बावजूद भगवा गठबंधन बहुमत के काफी करीब पहुंच गया है। शिवसेना- बीजेपी गठबंधन को 61, कांग्रेस - एनसीपी को 52, एमएनएस को 7 और अन्य को 10 सीटें मिली हैं।पार्टियों की स्थिति देखें तो शिवसेना को 52, बीजेपी को 8, आरपीआई को एक , एनसीपी को 34 औरकांग्रेस को 18 सीटें मिली हैं।

10 नगर निगम के चुनाव कल हुए थे , जबकि 27 जिला परिषदों और 309 पंचायत समितियों में 7 फरवरीको वोट डाले गए थे। मुंबई और ठाणे के अलावा अन्य 8 नगर निगम के परिणाम.....
सीट कांग्रेस एनसीपी शिवसेना बीजेपी आरपीआई एमएनएस अन्य
उल्हासनगर 78 2 5 10 4 1 1 7
पुणे 152 17 38 8 17 2 21 -
पिंपरी-चिंचवड़ 128 16 73 14 3 1 4 6
नासिक 122 6 5 6 5 8 1
सोलापुर 102 7 8 5 8 - - 2
नागपुर 145 7 1 2 18 1 3
अमरावती 87 2 2 3 - - - 1
अकोला 73 18 5 8 18 - 1 23



देश की सबसे धनी महानगरपालिका बीएमसी पर शिवसेना 16 साल से काबिज थी और एक बार फिर सत्ता की तरफ उसने कदम बढ़ा दिए हैं। पार्टी नेता संजय राउत कहते हैं कि शिवसेना ने कर के दिखाया है इसलिए जनता ने उसमें फिर से विश्वास दिखाया है।शिवसेना ने शुक्रवार कहा कि बीएमसी चुनाव के नतीजे कांग्रेस-एनसीपी के चेहरे पर तमाचा हैं। शिवसेना सांसद और प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि मुंबईकर ने कांग्रेस-एनसीपी के चेहरे पर तमाचा जड़ दिया है। राउत ने कहा कि महानगर की जनता शिव सेना प्रमुख बाल ठाकरे की बेइज्जती कभी बर्दाश्त नहीं करेगी। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि शिव सेना प्रमुख मुंबई चुनाव के बाद अप्रासंगिक हो जाएंगे। चव्हाण के इस बयान का जिक्र करते हुए राउत ने कहा कि चव्हाण को भी उनका जवाब मिल गया। राज ठाकरे के नेतृत्व वाले एमएनएस के बारे में राउत ने कहा, एमएनएस फैक्टर जैसी कोई बात नहीं थी।

ऐसी उम्मीद लगाई जा रही थी कि एमएनएस शिवसेना के वोट बैंक में बड़ी सेंध लगाने जा रहा है। राउत ने कहा कि रामदास अठावले के नेतृत्व वाले रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के धड़े ने गठबंधन के प्रदर्शन में योगदान दिया।

पिछली बार बीएमसी में शिवसेना के 84 और बीजेपी के 28 पार्षद थे। इसे एंटी इंकमबेंसी का असर माना जा रहा है। हालांकि शिवसेना ने इससे निपटने के लिए इस बार अपने महिला संगठन के कार्यकर्ताओं को सबसे ज्यादा टिकट दिए। नए चेहरों को चुनाव में उतारा गया। दूसरा बीते सालों में शिवसेना की शाखाओं ने भी आम मुंबईकरों की काफी मदद की है। इन शाखाओं में शिकायत दर्ज कराने पर समस्या सुलझाने की कोशिश की जाती है। इस तरह का काडर कांग्रेस-एनसीपी के पास नहीं है। दोपहर सामना के संपादक प्रेम शुक्ला कहते हैं कि जो लोग शिवसेना के खात्मे का सपना देख रहे थे, उनका सपना चकनाचूर हो गया है।

शिवसेना-बीजेपी गठबंधन की वापसी को मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण और केंद्रीय मंत्री और एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। सवाल ये है कि क्या मुंबईकरों के फैसले पर अन्ना का असर दिखा है? क्या भ्रष्टाचार और महंगाई के मुद्दों ने भी स्थानीय निकाय के चुनाव पर असर डाला है? कांग्रेस और एनसीपी इस पड़ताल में जुट गई हैं।

मुंबई का किंग बनने का ख्वाब देख रहे राज ठाकरे का सपना भी चकनाचूर हो गया है। वो किंग मेकर की भूमिका में भी नजर नहीं आ रहे हैं। सत्ता की चाभी फिलहाल राज के हाथ नहीं है। 2014 में महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और विधानसभा चुनावों के सेमीफाइनल के तौर पर देखे जा रहे बीएमसी चुनावों में सत्ता की दहलीज पर पहुंचे शिवसेना-बीजेपी गठबंधन के हौसले बुलंद हैं।

महाराष्ट्र नगर निगम चुनाव में कांग्रेस-राकांपा गठबंधन की करारी हार के लिए कांग्रेस नेता नारायण राणे ने अपनी ही पार्टी के नेताओं को जिम्मेदार ठहराया। राणे ने कहा कि चुनाव प्रचार का प्रबंधन और उनका उपयोग ठीक से न किए जाने से पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है।
एक समाचार चैनल के साथ बातचीत में राणे ने कहा, "नगर पालिका चुनाव में पार्टी का बुरा प्रबंधन हार का बड़ा कारण बना है। चुनाव प्रचार के दौरान मेरा इस्तेमाल नहीं किया गया और न ही पार्टी ने ठीक ढंग से प्रचार किया। हम शिव सेना या भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के चलते नहीं हारे बल्कि अपनी गलतियों से हारे हैं।"

सीटें कांगेस + शिवसेना + एमएनएस अन्य
मुंबई 227/227 66 106 28 27



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Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/


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