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Wednesday 3 October 2012

Custodial death of an UTP - non compliance of procedure

Particulars of the victim: - Mr. Ketabul Seikh (deceased), son of Late Rustam Ali, aged about – 24 years, by faith-Muslim, by occupation- car driver, residence at village – Natatala, Post Office – Paharpur, Police Station-Lalgola, District-Murshidabad, West Bengal, India.

Particulars of the perpetrators: - (1) Mr. Debasish Sarkar, Mr. Debabrata Sarkar, Mr. Kajal Babu, Mr. Rontu Babu (Constable), Subhasis Ghosh and the other involved police personnel of Lalgola Police Station; (2) The Superintendent of Labagh Sub-Divisional Correctional Home, Lalbagh; (3) The Superintendent of Berhampore Central Correctional Home, Murshidabad and (4) The Superintendent of Alipore Central Correctional Home, Kolkata. 

Date & time of incident: - On 09.08.2012 and subsequent thereafter.

Case Details:-

It is revealed during the fact finding that the victim belonged from a poor family. He was a part time truck driver. On 09.08.2012 he was arrested by the police personnel of Lalgola Police Station from Lalgola Bus Stand with other three men who were also come there for finding a suitable job for them. Thereafter all of them were taken to police station. Reportedly he was tortured in the police custody as well as by the police personnel led by Mr. Debasish Sarkar (Officer-in-Charge). He was implicated Lalgola Police Station Case No. 407/2012 dated 09/08/2012 under sections 397/411/413/ 414 of Indian Penal Code. On the same date the victim’s family members came to the police station but they were also threatened by the police personal. The police personnel physically tortured the victim in front of his family members and moreover the torture continued upon him whole night on that day.

On 10.8.2012 he was sent to Additional Chief Judicial Magistrate, Lalbagh Court with the other accused persons. His application for bail was rejected and he was sent to judicial custody at Lalbag Sub – Divisional Correctional Home fixing 18.8.2012 for his further production before the court.  In the mean time the victim’s wife went to the said Correctional Home but she was informed that the victim was shifted to Beharampur Central Correctional Home. When the victim’s wife went to Beharampur Correctional Home with the help of her relatives she was informed that there was no such person in the victim’s name detained there. The victim’s wife was allowed to search the victim inside the said correctional home but she could not found her husband there. On 18.08.2012 the victim was not produced before the court.

On 19.08.2012 the victim’s family received information that he died at National Medical College & Hospital, Kolkata. On 20.8.2012 the family members of the victim went to the said hospital and received the body of the victim. The disposal certificate of the victim disclosed that the victim was detained at Alipore Central Correctional Home, Kolkata before his admission to the hospital. Beniapukur Police Station registered one unnatural death case vide Beniapukur Police Station Inquest no. 547/2012 dated 20.8.2012. The post mortem examination of the victim was held at the Police Morgue at N.R.S Medical College & Hospital, Kolkata. Though the victim died when he was still under judicial custody at Alipore Central Correctional Home, Alipore, Kolkata but no enquiry by any judicial magistrate was held on the custodial death of the victim in compliance of provisions of Section 176(1-A) of the Criminal Procedure Code. Our fact finding revealed that Mr. Amiya Kumar Lahiri, Assistant Commissioner of Police, ACP-1 of Kolkata Police was entrusted with inquest, which was against the law. The victim’s family did not get the post mortem examination report of the victim till date. On 31.8.2012 the victim’s family lodged written complaint before the Superintendent of Police, Murshidabad for enquiry into the custodial death of the victim but till date there has been no action.   

--
Kirity Roy
Secretary
Banglar Manabadhikar Suraksha Mancha
(MASUM)
&
National Convenor (PACTI)
Programme Against Custodial Torture & Impunity
40A, Barabagan Lane (4th Floor)
Balaji Place
Shibtala
Srirampur
Hooghly
PIN- 712203
Tele-Fax - +91-33-26220843
Phone- +91-33-26220844 / 0845
e. mail : kirityroy@gmail.com
Web: www.masum.org.in
 

ममता बनर्जी ने जंतर मंतर रैली से तीसरे मोर्चे की पहल कर तो दी है, लेकिन इससे सुधारों पर अंकुश लगने के आसार कम !





ममता बनर्जी ने जंतर मंतर रैली से तीसरे मोर्चे की पहल कर तो दी है, लेकिन इससे सुधारों पर अंकुश लगने के आसार कम !

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

ममता बनर्जी ने जंतर मंतर रैली से तीसरे मोर्चे की पहल कर तो दी है, लेकिन इससे सुधारों पर अंकुश लगने के आसार कम है। क्योंकि ममता के तीसरे मोर्चे में वामपंथियों के लिए कोई जगह नहीं है। संघ परिवार भी ममता की राजनीतिक गतिविधयों के मद्देनजर सरकार विरोधी तेवर में संयम बरत रहा है। कांग्रेस और संघ परिवार दोनों के लिए ममता बनर्जी की पहल खतरे की घंटी है। दोनों आर्थिक सुधारों के प्रति प्रतिबद्ध हैं।​​ इसके अलावा समाजवादी नेता शरद यादव के बंगाल की शेरनी के हक में खड़ा हने के बावजूद समाजवादी खेमा अभी इस कवायद से ​​अलग है। जबकि आर्थिक मुद्दों में अंबेडकरवादियों की कोई दिलचस्पी नहीं है और ममता के तीसरे मोर्चे में उनके लिए बी कोई जगह बननी ​​मुश्किल है। ममता के अनास्था प्रस्ताव लाने की धमकी पर संघ परिवार की कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं है। शरद यादव तो पहले ही मनमोहन को आश्वस्त कर चुके हैं कि कोई अनास्था प्रस्ताव नहीं आयेगा, आराम से रहे।जंतर मंतर रैली से कोई भारी बदलाव की संभावना नजर नहीं ​​आ रही। द्रमुक नेता करुमानिधि के इस बयान के बावजूद कि एफडीआई के खिलाफ प्रस्ताव का वे समर्थन करेंगे। पर इसके साथ ही साफ कर दिया हि केंद्र सरकार को उनका समर्थन जारी रहेगा। वे ममता की राह पकड़कर अलग हो भी गये तो जयललिता समर्थन के लिए तैयार हैं जो केंद्र​ ​ के खिलाफ अपनी तोपें निलंबित किये हुए हैं। जाहिर है कि आनंद शर्मा और चिदंबरम जैसे सुधार सिपाहसालार काफी आक्रामक हैं।राजनीतिक मामलों के जानकार सोमवार 1 अक्टूबर की ममता की रैली को तृणमूल के शक्ति प्रदर्शन के रूप में भी देख रहे है।मनमोहन सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद ममता का सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ यह पहली रैली है। केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ़ जंतर मंतर पर अपने भाषण में उन्होंने कहा कि सरकार के हाल के फैसले छोटे-बड़े दुकानदारों और किसानों से लेकर आम आदमी के खिलाफ़ हैं।

जवाबी कार्रवाई के तहत प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी 28 अक्तूबर को रामलीला मैदान में एक रैली को संबोधित करेंगे। यह रैली एफडीआई और संप्रग सरकार के सुधार के अन्य उपायों के फायदे बताने के अभियान का हिस्सा होगी।दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने यहां लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि केन्द्र द्वारा किए गए सुधार के उपायों के फायदों के बारे में लोगों को बताने के लिए आने वाले दिनों में कई रैलियां आयोजित की जाएंगी।वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने इस मौके पर भाजपा पर एफडीआई के मुद्दे पर जनता को गुमराह करने का प्रयास करने का आरोप लगाया।  सरकार ने रिटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश [एफडीआइ] को मंजूरी तो दे दी, लेकिन इसके राजनीतिक विरोध को दबाने के लिए वह उद्योग जगत को ही हथियार बना रही है। सरकार की तरफ से इंडिया इंक को कहा गया है कि रिटेल में एफडीआइ के विरोध को शांत करने की जिम्मेदारी उनकी भी है। यही वजह है कि रिटेल क्षेत्र की प्रमुख घरेलू कंपनियों के साथ उद्योग चैंबर भी देश भर में सरकार के इस फैसले के समर्थन में अभियान चलाने जा रहे हैं।

शेयर बाजार की तेजी से जाहिर है कि सरकार और  सुधारों के भविष्य को लेकर उद्योग जगत और बाजार में कोई शंका नहीं है। देश के शेयर बाजारों में सोमवार को तेजी का रुख रहा। प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 61.17 अंकों की तेजी के साथ 18823.91 पर और निफ्टी 15.50 अंकों की तेजी के साथ 5718.80 पर बंद हुआ।जीएएआर टलने की उम्मीद और सरकार के सुधारों की ओर सकारात्मक रवैए से बाजार में भरोसा जागा। बंबई स्टॉक एक्सचेंज [बीएसई] का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स सुबह 21.90 अंकों की तेजी के साथ 18784.64 पर खुला और 61.17 अंकों या 0.33 फीसदी तेजी के साथ 18823.91 पर बंद हुआ। दिन के कारोबार में सेंसेक्स ने 18838.54 के ऊपरी और 18745.28 के निचले स्तर को छुआ।विदेशी बाजारों में मजबूती के बीच तेज आर्थिक सुधारों की उम्मीद लगाए निवेशकों को रुपये का भी दम मिल गया।अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 52.40 पर बंद हुआ है। शुक्रवार को रुपया 52.85 के स्तर पर पहुंचा था।कमजोर शुरुआत के बाद रुपये ने अच्छी रिकवरी दिखाई। जीएएआर टलने की उम्मीद से एफआईआई निवेश बढ़ा, जिसकी वजह से रुपये में मजबूती लौटी। साथ ही, इंश्योरेंस सेक्टर में सुधार को लेकर घोषणाओं से विदेशी निवेशकों का भरोसा बढ़ा।बाजार में अभी और मजबूती आनी बाकी है। बाजार में तेजी का रुझान देखा जाएगा। दीवाली तक बाजार में तेजी का दौर जारी रहने की पूरी उम्मीद है। फिलहाल बाजार में लंबी अवधि के लिए निवेश का सही मौका है।

विदेशी निवेशकों को डराने वाले टैक्स नियम जनरल एंटी अवॉइडेंस रूल्स [गार] पर अमल संबंधी दिशानिर्देशों के बारे में सरकार 10 दिन में फैसला लेगी और जरूरत पड़ने पर नियमों में संशोधन किया जा सकता है।ये दिशानिर्देश पार्थसारथी शोम की अध्यक्षता में गठित समिति की सिफारिशों के आधार पर ही तय होंगे। समिति ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट वित्त मंत्री पी चिदंबरम को सौंप दी। जीवन बीमा क्षेत्र में निवेशकों की रुचि पैदा करने के लिए सरकार ने कर सुधारों का एक बड़ा पैकेज तैयार किया है। इसके लिए सरकार जीवन बीमा पॉलिसियों को कई तरह की कर रियायतें देने की तैयारी में है। चिदंबरम ने रिपोर्ट पर टिप्पणी करने से इंकार करते हुए कहा कि अभी सरकार इस पर विचार करेगी। उसके बाद सभी पक्षों की राय लेने के लिए इसे सार्वजनिक किया जाएगा। इसलिए दिशानिर्देशों को अंतिम रूप देने में समय लगेगा। वित्त मंत्री ने कहा कि इसे अंतिम रूप देने तक मंत्रालय को तीन चरणों से गुजरना होगा। पहले चरण में रिपोर्ट के अध्ययन में 10 दिन का समय लेगा। इसके बाद दूसरे दौर में वित्त मंत्रालय की राय को कानून मंत्रालय की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा जिसमें और दस दिन का समय लग सकता है। इसके बाद ही ये दिशानिर्देश अमल के लिए तैयार होंगे।शुरुआती दो चरण के बाद यदि जरूरत हुई तो इन दिशानिर्देशों के मुताबिक आयकर अधिनियम को भी संशोधित करना होगा। वित्त मंत्री ने कहा कि यदि आयकर अधिनियम में संशोधन की आवश्यकता हुई तो समय और ज्यादा लग सकता है। तब इन दिशानिर्देशों को पहले कैबिनेट की मंजूरी दिलानी होगी। इसके बाद संसद आयकर अधिनियम में संशोधन को मंजूरी देगी।शोम समिति ने पिछले सप्ताह सौंपी अपनी मसौदा रिपोर्ट में गार को तीन साल तक यानी 2016 तक टालने की सिफारिश की थी। इस रिपोर्ट को सभी पक्षों की राय जानने के लिए वेबसाइट पर डाला गया था। उसके बाद ही समिति ने अपनी अंतिम रिपोर्ट वित्त मंत्री को सौंपी है। चिदंबरम ने कहा कि अनिवासी भारतीयों द्वारा परिसंपत्तियां अप्रत्यक्ष रूप से हस्तांतरित करने को लेकर शोम समिति की एक अन्य रिपोर्ट को जल्दी ही मंत्रालय की वेबसाइट पर डाला जाएगा। जैसे ही वित्त मंत्रालय इस रिपोर्ट की सिफारिशों का अध्ययन कर लेगा इसे वेबसाइट पर डाल दिया जाएगा।

जानकारी के मुताबिक नया वित्तीय नियामक ढांचा बनाने की तैयारी चल रही है। इसी सिलसिले में फाइनेंशियल सेक्टर लेजिस्लेटिव रिफॉर्म्स कमीशन ने रूपरेखा बनाई है।सूत्रों के मुताबिक नए वित्तीय नियामक ढांचे के तहत 7 अलग-अलग एजेंसी बनाई जाएंगी। आरबीआई को कंज्यूमर और माइक्रो-प्रूडेंशियल रेगुलेशन की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।बैंकिंग और पेमेंट के अलावा सभी वित्तीय कानून लागू करने के लिए एक ही रेगुलेटर बनाया जाएगा। ये वित्तीय रेगुलेटर सेबी, एफएमसी, आईआरडीए और पीएफआरडीए की जगह लेगा और सभी वित्तीय संस्थानों के लिए कानून लागू करेगा।माना जा रहा है कि वित्तीय रेगुलेटर के खिलाफ अर्जी की सुनवाई फाइनेंशियल सेक्टर एपैलेट ट्राइब्यूनल करेगा। वहीं, फाइनेंशियल रिड्रेसल एजेंसी कंज्यूमर की शिकायतें सुनेगी।फाइनेंशियल सेक्टर लेजिस्लेटिव रिफॉर्म्स कमीशन को मार्च 2011 में स्थापित किया गया था। कमीशन को मार्च 2013 तक अपनी अंतिम सिफारिशें पेश करनी हैं। कमीशन के अध्यक्ष जस्टिस बी एन श्रीकृष्णा हैं।

ममता ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर एक विशाल जनसभा आयोजित की और केंद्र सरकार द्वारा खुदरा क्षेत्र में एफडीआई और डीजल मूल्य बढ़ोत्तरी को लेकर सरकार के खिलाफ जमकर हमला बोला।ममता ने कहा कि संसद के अगले सत्र में वह सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकती हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए वह समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से बात करेंगी।सरकार ने देश को बेच दिया है। अब यह सरकार नहीं चलेगी।सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए ममता ने कहा कि केंद्र सरकार सीबीआई का इस्तेमाल करती है। उन्होंने कहा, 'महंगाई से देश का आम आदमी दुखी है। जब कोई सरकार के फैसलों के खिलाफ आवाज उठाता है तो सरकार उसे सीबीआई की धौंस दिखाती है।कांग्रेस को इतना गुस्‍सा क्‍यों आता है? सरकार ने देश को बेच दिया है। अब यह सरकार नहीं चलेगी। देश को बेचना आर्थिक सुधार नहीं है। सबको साथ लेकर चलना कामयाबी है।'

ममता ने कहा यह लड़ाई यहीं समाप्त नहीं होगी वह आगे भी सरकार के द्वारा लिए इस तरह के निर्णयों का विरोध करती रहेंगी।उन्होंने कहा एफडीआई, डीजल मूल्य बढ़ोत्तरी और एलपीजी गैस की सीमित डिलीवरी के विरोध में उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस 7 नवंबर को हरियाणा, 17 नवंबर को लखनऊ और 19,20 नवंबर को दिल्ली में 48 घंटे का धरना देगी।

जंतर-मंतर पर ममता के धरना-प्रदर्शन की सबसे बड़ी चौंकाने वाली बात थी जेडीयू अध्यक्ष शरद यादव का मंच साझा करना।
शरद यादव की मौजूदगी के बाद राजनीतिक हल्कों में तीसरे मोर्चे की चर्चा तेज हो गयी है।जेडीयू अध्यक्ष शरद यादव के मंच साझा करने से उत्साहित ममता ने कहा कि यदि सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव साथ दें तो वह संसद में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए तैयार हैं।ममता के मुलायम के प्रति इस बयान के बाद माना जा रहा है कि आगामी लोकसभा चुनाव के लिए तीसरे मोर्चे के लिए रूपरेखा तैयार हो रही है।

ममता बनर्जी ने पिछले दिनों यूपीए सरकार की कथित जनविरोधी नीतियों का हवाला देते हुए समर्थन वापस ले लिया था और तृणमूल कांग्रेस के सारे मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया था।इतना ही नहीं उन्होंने उन लोगों को भी बधाई दी जिन्होंने सरकार से इस्तीफा दिया।


दिल्ली के जंतर मंतर पर सरकार के फैसलों के विरोध में आयोजित रैली को संबोधित करते हुए ममता ने कहा कि वह जनता से बात करने के लिए दिल्ली आई हैं। हिंदी में भाषण देते हुए उन्होंने कहा कि वह आम आदमी के साथ हैं और हमेशा रहेंगी।


सरकार के एफडीआई के फैसले का विरोध करते हुए ममता ने कहा कि इस फैसले से छोटी दुकानें बंद हो जाएंगी।


आगे के प्लान की घोषणा करते हुए ममता ने कहा 19 और 20 नवंबर को दिल्ली में धरना देंगे। उन्होंने यह भी कहा कि दो नवंबर को वह हरियाणा जाएंगी।

उद्योग चैंबर एसोचैम रिटेल क्षेत्र में विदेशी कंपनियों के आने से किसानों और ग्राहकों को होने वाले फायदे गिनाने के लिए देश में सौ बैठकों का सिलसिला शुरू करने जा रहा है। एसोचैम की तैयारी कितनी बड़ी है, यह इस तथ्य से समझा जा सकता है कि इस अभियान को आगे बढ़ाने के लिए उसने अपने दस पूर्व अध्यक्षों को मिलाकर एक समिति गठित की है। इसमें देश के एक से बढ़कर एक दिग्गज उद्योगपति हैं। इस अभियान को वाणिज्य व उद्योग मंत्री आनंद शर्मा का आशीर्वाद प्राप्त है।

बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति के फैसले का विरोध कर रहे प्रमुख विपक्षी दल भाजपा पर हमला बोलते हुए वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने सोमवार को कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने इस क्षेत्र में 100 प्रतिशत एफडीआई के बारे में नोट तैयार किया था।

शर्मा ने रविवार को यहां कांग्रेस समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि भाजपा इस मुद्दे पर देश को 'गुमराह' करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि संप्रग सरकार ने यह निर्णय पूर्ण विश्वास और स्पष्टता के साथ लिया है और इस पर फिर से विचार का सवाल नहीं उठता। भाजपा जब सत्ता में थी तो उसने एक कैबिनेट नोट तैयार किया था।

उन्होंने कहा, मैं लगातार कह चुका हूं कि संसद चलनी चाहिए। तो मैं वह कैबिनेट नोट पेश कर सकता था जिसमें खुदरा क्षेत्र में 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति की बात कही गई थी।

इस मुद्दे पर विपक्षी दलों के हमलों का जवाब देने के लिए कांग्रेस ने 28 अक्तूबर को रामलीला मैदान में एक बड़ी रैली का आयोजन किया है। इस रैली को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के अलावा अन्य वरिष्ठ नेता संबोधित करेंगे।

शर्मा ने कहा कि सरकार ने बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई की अनुमति का फैसला आर्थिक आधार पर जमीनी वास्तविकता को देखते हुए लिया है। इस मुद्दे का भाजपा का विरोध उसके 'खोखलेपन' को दर्शाता है।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने कहा, हमने यह नीति जमीनी वास्तविकता तथा देश में आर्थिक एवं सामाजिक असमानता को देखते हुए तैयार की है।

उन्होंने कहा कि देश के लोगों ने इस नीति को मंजूर किया है और यह किसी अन्य देश के प्रभाव में लाई नहीं गई है। शर्मा दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के निवास पर इस मुद्दे पर पार्टी कार्यकर्ताओं को जागरूक करने के मुद्दे पर बुलाई गई बैठक को संबोधित कर रहे थे।

सूत्रों के मुताबिक, सरकार ने जिस दिन खुदरा व्यापार में एफडीआइ को अनुमति दी थी उसी दिन शाम को प्रमुख उद्योग चैंबरों के साथ शर्मा की बैठक हुई थी। इसमें शर्मा ने कहा था कि अगर इस फैसले को लेकर देश में कोई भ्रांति है तो उसे दूर करने की जिम्मेदारी उद्योग जगत की भी है। उद्योग जगत इस फैसले के समर्थन में काफी लंबे समय से लॉबींग कर रहा था। बहरहाल, एसोचैम के अध्यक्ष राजकुमार धूत का कहना है कि लोगों को यह बताना जरूरी है कि विदेशी निवेश आने से न सिर्फ देश में अनाज व फलों की बर्बादी खत्म होगी, बल्कि रेफ्रीजरेटेड ट्रक, स्टोर व अन्य ढांचागत सुविधाओं में सुधार होने से काफी रोजगार भी बढ़ेगा। हो सकता है कि थोड़े समय के लिए बिचौलियों के रोजगार के अवसर कम हों, लेकिन देर-सवेर आपूर्ति श्रृंखला में उनके लिए भी रोजगार के अन्य अवसर खुलेंगे।

एसोचैम के अलावा देश की बड़ी रिटेल कंपनियां भी अपनी तरफ से जागरण अभियान शुरू करने जा रही हैं। इसमें अमेरिकी रिटेल कंपनी वॉल-मार्ट भी सहयोगी होगी। इन कंपनियों की योजना पहले देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से मिलने की है। इसके अलावा वे किसानों के प्रतिनिधियों और किसान समितियों से भी मिलेंगे। वॉल-मार्ट के प्रमुख राज जैन ने 'दैनिक जागरण' को बताया कि भारत में रिटेल कंपनियों का विरोध सिर्फ भ्रांतियों व कही-सुनी बातों पर आधारित है। इसे दूर करने के लिए सीधी बातचीत के अलावा और कोई दूसरा बेहतर विकल्प नहीं है।

जीवन बीमा पॉलिसी धारकों को आने वाले दिनों में कुछ और कर रियायतें मिल सकती हैं। वित्त मंत्रालय जीवन बीमा उद्योग को प्रोत्साहन देने के लिये कई तरह की रियायतें देने पर विचार कर रहा है।

वित्त मंत्री पी़ चिदंबरम ने राजस्व विभाग से जीवन बीमा की पहली किस्त को सेवाकर से छूट देने और पेंशन योजनाओं के लिये आयकर में अलग से रियायती सीमा  तय करने की संभावनायें तलाशने को कहा है।

चिदंबरम ने आज कहा कि उन्होंने केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड और केन्द्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड से जीवन बीमा कंपनियों के कर ढांचे में बदलाव पर दस दिन के भीतर रिपोर्ट देने को कहा है।

देश में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) को लागू करने में भाजपा के विरोध के कारण हो रही देर से परेशान केंद्र सरकार ने सोमवार को कहा कि इस मसले पर आम सहमति बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं।
  
केंद्रीय संसदीय कार्य और कषि राज्य मंत्री हरीश रावत ने भाषा से बातचीत में कहा, भाजपा जीएसटी का विरोध कर उसके लागू होने में अनावश्यक रूप से रोड़े अटका रही है, लेकिन हम सभी भाजपा-शासित प्रदेशों से बातचीत कर इस मसले पर उनका समर्थन हासिल कर आम राय बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
  
उन्होंने हालांकि साफ किया कि यदि प्रयासों के बावजूद जीएसटी को लागू करने पर आम सहमति नहीं बन पाती है तो संप्रग सरकार उन राज्यों के साथ अलग से समक्षौता कर जीएसटी लागू कर सकती है जो इस प्रणाली को अपनाने को राजी हैं।  
 
रावत ने कहा कि हमारा मानना है कि भाजपा-शासित प्रदेशों के विरोध के कारण ऐसे राज्यों को क्यों नुकसान उठाना पड़े जो जीएसटी लागू करने के पक्ष में हैं।

वन और पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन का कहना है कि इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में देरी की वजह पर्यावरण मंत्रालय नहीं है। प्रोजेक्ट में देरी के लिए कंपनियां ही जिम्मेदार हैं। आर्थिक सुधारों की दौड़ में पर्यावरण मंत्रालय की तरफ से कोई रुकावट नहीं डाली जा रही है। ये बात गलत है कि पर्यावरण मंजूरी में देरी की वजह से कई इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट अटके हुए हैं।

जयंती नटराजन के मुताबिक कई बार इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के लिए कंपनियों के कागजात पूरे नहीं होते हैं और राज्य सरकारें जरूरी कानूनी प्रक्रिया पूरी नहीं करती हैं जिसके चलते प्रोजेक्ट को मंजूरी देने में देरी होती है। इस देरी की वजह पर्यावरण मंत्रालय नहीं होता है। पर्यावरण मंत्रालय की सबसे बड़ी प्राथमिकता पर्यावरण को संरक्षण देना है और इसके लिए कोई समझौता नहीं किया जा सकता है।

जयंती नटराजन के मुताबिक हाइवे प्रोजेक्ट में जमीन अधिग्रहण के लिए ग्राम सभा की सहमति होना जरूरी है। इसके अभाव में हाइवे प्रोजेक्ट को मंजूरी नहीं दी जा सकती है।

जयंती नटराजन का कहना है कि जैसे ही गोवा सरकार की तरफ से सभी जरूरी जस्तावेज मिल जाएंगे उस के तुरंत बाद गोवा में खनन को मंजूरी दे दी जाएगी। इसके लिए गोवा सरकार की तरफ से कानूनी दस्तावेज मिलने का इंतजार है।

एचसीसी के लवासा प्रोजेक्ट के लिए महाराष्ट्र सरकार से रिपोर्ट आने वाली है। इसके बाद सभी पहलुओं की समीक्षा और जांच करने के बाद ही लवासा प्रोजेक्ट को मंजूरी दी जा सकती है।

भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने सोमवार को दस्तावेजों के हवाले से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर आरोप लगाया कि जब वह 2002 में राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष थे, तो उन्होंने बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का यह कहते हुए विरोध किया था कि इससे रोजगार के अवसर खत्म होंगे।

आडवाणी ने अपने ब्लॉग पर ताजा पोस्ट में कहा है कि सिंह ने 21 दिसंबर 2002 को फेडरेशन आफ महाराष्ट्र ट्रेडर्स को पत्र लिखकर कहा था कि बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई का मुद्दा राज्यसभा में दो दिन पहले उठा है।

उन्होंने कहा था कि वित्त मंत्री (तत्कालीन) ने आश्वासन दिया है कि सरकार का खुदरा कारोबार में एफडीआई आमंत्रित करने का कोई प्रस्ताव नहीं है।

भाजपा ने सिंह और कांग्रेस दोनों पर आरोप लगाया कि उन्होंने 2002 में बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई का कडा विरोध किया था लेकिन आज वे अमेरिकी दबाव में अपनी बात से पलट गए हैं और एफडीआई का फैसला किया।

आडवाणी ने मनमोहन सिंह पर अपने आरोप को दोहराते हुए एक अन्य पत्र का हवाला दिया। यह पत्र फडरेशन आफ एसोसिएशन्स आफ महाराष्ट्र की विदेश व्यापार समिति के अध्यक्ष सी.टी. सांघवी ने लिखा था।




एफडीआई में ममता के​ ​ जिहाद के बीच सोनिया गांधी के विदेश दौरे को मुख्य मुद्दा बनाकर भाजपाई कौन सा खेल कर रहे हैं?

एफडीआई में ममता के​ ​ जिहाद के बीच सोनिया गांधी के विदेश दौरे को मुख्य मुद्दा बनाकर भाजपाई कौन सा खेल कर रहे हैं?

माना कि यूपीए अध्यक्ष कोई संवैधानिक पद नहीं है, लेकिन इसी के लिए सोनिया के विदेश दौरे को मुख्य मुद्दा बनानेवाली भाजपा सरकारी शाहखर्च पर अब तक क्यों चुप रही और अब जब पूरा राष्ट्र पिछले बीस सालों में पहली बार खुले बाजार के खिलाफ लामबंद है, तब आर्थिक सुधारों के बजाय​ ​ सोनिया गांधी को मुद्दा बनाकर उसकी कौन सी राजनीति चल रही है?अपनी क्रिकेट टीम जरूर हार गयी, लेकिन राजनेता कोई दांव हारने के लिए नहीं खेलते। इनकी टी २० में तो हर पक्ष की जीत तय होती है और कोई खेल से बाहर नहीं होता।खेल जारी रहता है संसद में और संसद से बाहर भी।

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

कोलगेट की किसी को याद है? स्पेक्ट्रम घोटाले की? और दूसरे घोटालों की​?गौर कीजिए, कैसी टी२० चल रही है और कैसी मैच फिक्सिंग है! भारत ने रोमांचक मैच तो जीता लेकिन खिलाड़ियों के चेहरे मुरझाए हुए थे। यह दृश्य आर प्रेमदासा स्टेडियम में देखने को मिला जहां पर भारतीय टीम आईसीसी विश्व ट्वेंटी-20 के सुपर आठ के आखिरी मैच में दक्षिण अफ्रीका पर एक रन की करीबी जीत के बावजूद नेट रन में पाकिस्तान से पिछड़ने के कारण टूर्नामेंट से बाहर हो गई। भारत के लिए पाकिस्तान के नेट रन रेट से आगे निकलने के लिए इस मैच में 31 रन के अंतर से जीत दर्ज करनी जरूरी थी।अपनी क्रिकेट टीम जरूर हार गयी, लेकिन राजनेता कोई दांव हारने के लिए नहीं खेलते। इनकी टी २० में तो हर पक्ष की जीत तय होती है और कोई खेल से बाहर नहीं होता।खेल जारी रहता है संसद में और संसद से बाहर भी।


​सलमान रश्दी के मामले में जब गिर गयी थी, अमेरिकी सरकार, तब पामेला बोर्डेस का मामला उछाला गया था। ममता बनर्जी ने तो साफ साफ ​​कहा है कि कोलगेट को रफा दफा करने के लिए जनविरोधी फैसले करके फोकस बदलने का मास्टर प्लान बना है। पर एफडीआई में ममता के​ ​ जिहाद के बीच सोनिया गांधी के विदेश दौरे को मुख्य मुद्दा बनाकर भाजपाई कौन सा खेल कर रहे हैं?बच्चा भी यह जानता है, सरकार की तरफ से शाहखर्ची और फिजूल के अन्य खर्चों पर लगाम लागने की बात कहना महज दिखावा भर है। अन्यथा ऐसी शाहखर्ची के नमूने बार-बार सामने नहीं आते, जैसा कि सरकार, उसमें शामिल आला मंत्रिगण और अन्य वरिष्ठ जन प्रतिनिधि गुलछर्रे उड़ा कर रहे हैं। एक साल में मंत्रियों के विदेश दौरों पर 678 करोड़ रुपए फूंकना, यूपीए-2 सरकार की तीसरी सालगिरह के जश्न पर मेहमानों को 7721 रुपए की कीमत की एक थाली का परोसा जाना, कुछ राज्यों में सीएम कार्यालय के एक महीने का चाय-पानी और नाश्ते का खर्च आम आदमी के महीनेभर के पूरे खर्च से 100 गुना ज्यादा होना, वगैरह-वगैरह। माना कि यूपीए अध्यक्ष कोई संवैधानिक पद नहीं है, लेकिन इसी के लिए सोनिया के विदेश दौरे को मुख्य मुद्दा बनानेवाली भाजपा सरकारी शाहखर्च पर अब तक क्यों चुप रही और अब जब पूरा राष्ट्र पिछले बीस सालों में पहली बार खुले बाजार के खिलाफ लामबंद है, तब आर्थिक सुधारों के बजाय​ ​ सोनिया गांधी को मुद्दा बनाकर उसकी कौन सी राजनीति चल रही है?  गुजरात में विधानसभा चुनाव के प्रचार अभियान पर निकले मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की विदेश यात्राओं पर होने वाले फिजूलखर्ची पर निशाना साधा है। मोदी ने कहा कि एक तरफ तो यूपीए सरकार सादगी और मितव्ययता की बात करती है और दूसरी तरफ सोनिया गांधी की विदेश यात्राओं में जनता की गाढ़ी कमाई के 1880 करोड़ रुपये फूंक दिए जाते हैं। कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी के विदेश दौरों हुए खर्च को लेकर नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कांग्रेस को करारा जवाब दिया है। मोदी ने कहा कि मैंने अखबारों में खबर पढ़ी कि सोनिया गांधी के बीते कुछ सालों में विदेश दौरों पर 1880 करोड़ रुपये खर्च हुए। अब प्रधानमंत्री इस मसले पर देश को जवाब दें।नरेंद्र मोदी ने आज एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि सोनिया के विदेश दौरे पर हुए खर्च को लेकर जुलाई में अखबार में खबर छपी थी। कई अखबारों ने सोनिया गांधी के बारे में खबर छापी थी। उन्‍होंने सवाल किया कि यदि खबर गलत थी कांग्रेस और सरकार ने अब तक कानूनी नोटिस क्‍यों नहीं दिया। सोनिया के दौरों पर सरकारी खजाने से हुए खर्च को लेकर मनमोहन सिंह को जवाब देना चाहिए। मोदी ने यह भी पूछा कि क्‍या खर्च का ब्‍यौरा मांगना गलत और गुनाह है। मैं किसी की धमकी से नहीं डरता हूं। सरकार अब तक इस मसले पर चुप क्‍यों है। 2004-12 तक के दौरों की जानकारी सार्वजनिक होना चाहिए।शाम होते-होते उन्हें कहना पड़ा, 'मैंने तो सिर्फ अखबार में छपी खबर ही जनता तक पहुंचाई। यदि वह गलत है तो मैं माफी मांगने को तैयार हूं।'

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के विदेशी दौरों पर हुए खर्च के बारे में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के आरोपों के कारण उन पर हमला बोलते हुए कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा है कि आरएसएस ने दुष्प्रचार की नाजी परंपरा में उन्हें अच्छी तरह प्रशिक्षित किया है।मालूम हो कि अमेरिकी मीडिया और कारपोरेट इंडिया की नजर में नरेंद्र मोदी से बेहतर कोई प्रधानमंत्रित्व का दावेदार नहीं हैं।गुजरात में उनके कारनामे विश्वविख्यात हैं। मनेसर में तालाबंदी के दौरान वे जापान जाकर गुजरात में मारुति कारखाना लगाने का सौदा पक्की कर आये। सिंगुर आंदोलन का फायदा उठाकर सानंद विश्वविद्यालय की जमीन पर नैनो निकाली। आदिवासियों को जमीन से बेदखल करके सांधला सेज की सौगात दी। आर्थिक सुधारों ​
​के मामले में, विदेशी पूंजी की दौड़ में वे अवव्ल हैं।सोनिया पर चर्चा शुरू कराकर क्या सरकारी फिजूलखर्ची पर अंकुश लगाना ही उनका मकसद है? यह नाटक कुछ ऐसा ही है, जैसे कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने महिलाओं पर दिए अपने बयान पर माफी मांगी है। उन्होंने कहा कि उनके बयान से किसी की भावना को ठेस पहुंची है तो वो माफ करें। श्रीप्रकाश जायसवाल ने अपने जन्म दिन पर आयोजित कवि सम्मेलन में क्रिकेट मैच में जीत पर जश्न की तुलना महिलाओं से की थी। जिसके बाद कांग्रेस पार्टी ने उनसे सफाई मांगी थी और महिला संगठन ने जायसवाल के इस बयान पर हंगामा शुरु कर दिया था।मोदी और जायसवाल दोनों मसालेदार सनसनी खबरों से कोलगेट और एफडीआई पर मीडिया कवरेज का स्पेस और प्रायरिटी बदलने का जुगाड़ लगा रहे हैं।

सोनिया गांधी के विदेश यात्रा पर किए गए खर्च से संबंधित सवाल पर भाजपा ने कहा है कि इस मामले में सही जानकारी उपलब्ध कराने की बजाय कांग्रेस इस पूरे मामले पर भ्रम फैला रही है। भाजपा ने कहा है कि सोनिया गांधी के स्वास्थ्य संबंधी मामलों का हवाला देकर कांग्रेस इस मामले से अपना पल्ला नहीं झाड़ सकती है।भाजपा प्रवक्ता निर्मला सीतारमण ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से उठाए गए इस मुद्दे पर कांग्रेस की ओर से दिए जा रहे बयानों की भ‌र्त्सना की है। उन्होंने कहा कि सोनिया गाधी की यात्रा के बारे जानकारी देने से कांग्रेस क्यों पल्ला झाड़ रही है। उन्होंने कहा कि इस बारे में कांग्रेस से सीधा सीधा सवाल पूछा गया था जिसका जवाब जनता सीधा सीधा जानना चाहती है।

भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि अगर यह राशि 1880 करोड़ नहीं है तो कितनी है और अगर यह आम जनता का पैसा नहीं है तो कांग्रेस इसका जवाब ना कह कर दे सकती है। निर्मला सीतारमण ने कहा इस मुद्दे पर कांग्रेस बजाय सीधा जबाव देने के जनता को गुमराह करने का प्रयास कर रही है।

उधर, इस मामले पर कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे को इसलिए उछाला है ताकि वह गुजरात के वास्तविक समस्या से जनता का ध्यान हटा सके।

प्रधानमंत्री कार्यालय ने भले ही सोनिया गांधी के विदेश दौरों के समय खर्च धन का विवरण देने से इन्कार किया हो, लेकिन उक्त जानकारी पाने की कोशिश कर रहे आरटीआइ कार्यकर्ता रमेश वर्मा को इसका ब्योरा मिल चुका है कि कांग्रेस अध्यक्ष की विदेश यात्राओं के दौरान भारतीय दूतावासों ने कितना पैसा खर्च किया? आइटीआइ के जरिये मिली जानकारी के अनुसार, सोनिया के सात विदेशी दौरों के समय उनकी खातिरदारी पर संबंधित देशों में भारतीय दूतावासों-उच्चायुक्तों ने करीब 80 लाख रुपये होटल, गाड़ी, टेलीफोन एवं अन्य मद में खर्च किए।

रमेश वर्मा को यह जानकारी इसलिए मिल पाई, क्योंकि विदेश मंत्रालय ने उनके आवेदन को भारतीय दूतावासों को अग्रसारित कर दिया। इनमें से कुछ ने उन्हें सीधे यह जानकारी प्रेषित कर दी कि उन्होंने सोनिया पर कितना खर्च किया।

दूतावास खर्च की गई राशि

1. जोहानिसबर्ग 14,06,650

2.लंदन [3 अक्टूबर, 2007] - 2,82,913

3.लंदन [15 से 20 मार्च, 2011] 35,91,740

4. ब्रसेल्स [9 से 12 नवंबर, 2006]-8,573

5. म्यूनिख [8 से 10 जून, 2007] - 39,284

6. शंघाई [29 अक्टूबर, 2007] - 14,14,573

7. बीजिंग [7 से 9 अगस्त, 2008]- 12,57,793

अब खबर है कि विदेश मंत्री एसएम कृष्णा और उनकी अमेरिकी समकक्ष हिलेरी क्लिंटन के बीच हुई द्विपक्षीय मुलाकात के दौरान अमेरिकी वीजा शुल्क में बढ़ोतरी को लेकर भारत की चिंता, पाकिस्तान के साथ रिश्तों को सुधारने के लिए उठाए गए कदमों और विस्कोन्सिन के गुरुद्वारों में हुई गोलीबारी पर चर्चा की गई। अमेरिका के वीजा संबंधी इस कदम का भारत की कुछ बड़ी कंपनियों मसलन टीसीएस, इन्फोसिस, विप्रो और महिंद्रा सत्यम पर असर पड़ सकता है। भारत इस मुद्दे पर विश्व व्यापार संगठन में अमेरिका के साथ विचार-विमर्श कर सकता है।

जाहिर है कि कांग्रेस के समर्थन में भाजपा मुलायम, मायावती या जयललिता की तरह तो नहीं कर सकती। पर आर्थिक सुधार का अश्वमेध बेलगाम चलता रहे, इसे सुनिश्चित करने में वह कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। अविश्वास परस्ताव या संसद के विशेष सत्र के बारे में कोई दबी जुबान से चर्चा भी ​​नहीं कर रहा है। राजग अध्यक्ष शरद यादव की पैंतरेबाजी तो सबसे दिलचस्प है। उनके मुख्यामंत्री बिहार के सुशासनबाबू कांग्रेस के सात प्रेम की ​​पींगों में निष्णात है तो उन्होंने पहले कह दिया कि अविश्वास प्रस्ताव नहीं लायेगें, फिर बंगाल की शेरनी की जंतर मंतर रैली में शामिल होकर​​ तीसरे मोर्चे की हवा बनायी और अब राजग के प्रमुख घटक जनता दल यूनाइटेड ने मंगलवार को ममता बनर्जी के क्षेत्रीय (फेडरल) फ्रंट के विचारों को कोई खास तवज्जो नहीं दिया। पार्टी ने यह भी कहा कि अगर केन्द्र की संप्रग सरकार गिर रही होगी तो हम इसे धक्का जरूर मारेंगे।
पार्टी अध्यक्ष शरद यादव ने आज  संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि बगैर धूरी के कोई गठबंधन नहीं चल सकता। गठबंधन के लिए कोई घूरी चाहिए। चक्की तभी चलती है जब कोई धूरी रहती है । जब जनता दल बड़ी पार्टी हुआ करती थी तो थर्ड फ्रंट बनता था। उन्होंने कहा कि अभी राजग की धूरी है भाजपा उसी तरह कांग्रेस संप्रग की और माकपा वाममोर्चे की धूरी है। ममता बनर्जी की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की योजना और केन्द्र सरकार की स्थिरता के बारे में पूछे जाने पर यादव ने कहा कि राजग अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाएगी लेकिन अगर कोई यह प्रस्ताव लाता है तो हम उसे तौलेंगे और निर्णय करेंगे। सरकार को गिराना राजग का मकसद नहीं है लेकिन अगर यह गिर रही होगी तो धक्का मारेंगे।

दूसरी ओर अन्ना ब्रिगेड में आपसी के घमासान के बीच प्रसिद्ध योग गुरू बाबा रामदेव ने कहा कि नये राजनैतिक दल के लिये चार महीने का इंतजार करें।बाबा रामदेव ने मंगलवार को गांधी जयंती के अवसर पर अपने आंदोलन को नये सिरे से शुरू करने के अवसर पर संवाददाताओं से बातचीत करते हुये कहा कि वह भ्रष्टाचार और कालेधन के खिलाफ अपने पुराने रूख पर कायम हैं । बाबा से जब यह पूछा गया कि क्या वह नयी पार्टी बनायेंगे तो उन्होने साफतौर पर कहा '' कम से कम तीन या चार महीने का इंतजार करें । आपको मालूम हो जायेगा ।' उन्होने नयी पार्टी के गठन से इन्कार नहीं किया ।अन्ना हजारे टीम के पूर्व सदस्य अरविंद केजरीवाल के बारे में पूछे जाने पर बाबा ने कहा, 'उन्हें पार्टी बनाने दो। उनका घोषणा पत्र आने दो फिर पता चलेगा । पार्टी तो एक मिनट में कोई भी बना सकता है लेकिन सवाल यह है कि पार्टी बनाकर आप कितने लोगों को अपने में जोड़ सकते हैं।'उन्होने कहा कि देश में भ्रष्टाचार और कालेधन के मुद्दे पर जो लोग उनसे सहमत नहीं हैं, उनको हम हरायेंगे । जो हमारे मुद्दे पर सहमत होंगे, ऐसे तीन सौ चार सौ लोगों को संसद में पहुंचायेंगे । पत्रकार वार्ता के बाद बाबा हरिद्वार से करीब 35 किलोमीटर 'लिब्ब्रहेडी गांव' से अपना आंदोलन शुरू करने के लिये रवाना हो गये ।

अन्ना हजारे के विरोध के बावजूद अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को समर्थकों के जोरदार उत्साह के बीच अपनी पार्टी का एलान कर दिया। उन्होंने दावा किया कि यह पार्टी कई मायने में मौजूदा राजनीतिक दलों से अलग होगी। उनकी पार्टी ऐसी व्यवस्था लाएगी, जिसमें कोई भी सत्ता में आए, देश को लूट नहीं पाएगा। अन्ना के सवाल का जवाब देते हुए केजरीवाल ने यह भी कह दिया कि ईमानदारी से चुनाव लड़ने के लिए जनता पैसे की कमी नहीं होने देगी।


कांग्रेस ने मंगलवार को दावा किया कि बिहार में जदयू और भाजपा के बीच गठबंधन के ज्यादा दिन चलने की संभावना नहीं है और साथ ही संकेत दिया कि वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ तालमेल के खिलाफ नहीं है बशर्ते कि नीतीश कुमार के संबंध भाजपा से टूट जाते हैं।पार्टी प्रवक्ता मनीष तिवारी ने संवाददाताओं कहा कि कुछ समय से जदयू जो कुछ भी कर रही है उससे यह स्पष्ट होता जा रहा है कि उसे बोझा ढोना है। हम नहीं समझते कि बोझा और बोझा ढोने के लिए मजबूरी के बीच सबकुछ ठीक-ठाक है ।

इस बीच सरकार ने स्पष्ट किया है कि बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति के फैसले को वह कतई वापस नहीं लेगी। इस फैसले का विपक्ष के अलावा संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के कुछ सहयोगी विरोध कर रहे हैं। इसके बावजूद सरकार ने कहा है कि वह इसे वापस नहीं लेगी, क्योंकि यह फैसला किसानों तथा उपभोक्ताओं के हित में है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने मंगलवार को नई दिल्ली में किसानों के एक समूह का संबोधित करते हुए कहा कि बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई से किसानों को उनकी उपज का अच्छा मूल्य तो प्राप्त होगा ही, साथ ही इससे रोजगार के लाखों अवसरों का सृजन होगा।कांग्रेस मुख्यालय में किसानों को संबोधित करते हुए शर्मा ने कहा, यह अंतिम निर्णय है। इसे वापस नहीं लिया जाएगा। हम किसी चीज का भय नहीं है। यह फैसला किसानों तथा उपभोक्ताओं के हित में लिया गया।

गौरतलब है कि ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस ने बहु ब्रांड खुदरा व्यापार के क्षेत्र में एफडीआई और महंगाई के मुद्दे को लेकर राजधानी में कल एक विरोध रैली का आयोजन किया था। इस रैली में ममता ने सरकार पर जमकर निशाना साधा और संकेत दिए कि उनकी पार्टी संसद के अगले सत्र में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकती है। उन्होंने विभिन्न राजनीतिक दलों से उसका समर्थन करने की अपील की। ममता की इस रैली में शरद यादव भी मौजूद थे।

संयुक्त राष्ट्र महासभा से इतर कल हिलेरी के साथ 45 मिनटों की बातचीत के बाद कृष्णा ने कहा कि यह सकारात्मक और रचनात्मक मुलाकात रही। इसमें कई क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि वीजा शुल्क में बढ़ोतरी को लेकर हिलेरी को चिंता से अवगत कराया गया, लेकिन अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव निकट है और ऐसे में इस मुद्दे पर वाशिंगटन से तत्काल आश्वासन और कार्रवाई की उम्मीद नहीं की जा सकती। कृष्णा ने कहा कि अमेरिका में चुनाव होने वाले हैं। अमेरिकी पक्ष से इस मुद्दे पर किसी तरह के आश्वासन की अपेक्षा करना ज्यादा उम्मीद लगाना होगा। अमेरिका ने वीजा शुल्क में बढ़ोतरी कर दी थी ताकि मैक्सिको के साथ सीमा को सुरक्षित रखने में खर्च में वृद्धि की जा सके। इस साल कृष्णा की हिलेरी के साथ यह तीसरी मुलाकात थी। दोनों ने इसी साल अप्रैल में नयी दिल्ली तथा जून में वाशिंगटन में मुलाकात की थी। अमेरिकी विदेश विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हिलेरी ने भारत और पाकिस्तान की ओर से परस्पर रिश्तों में सुधार के लिए उठाए गए हालिया कदमों का स्वागत किया। अधिकारी ने कहा कि हिलेरी और कृष्णा ने इसी साल अगस्त में विस्कोन्सिन स्थित गुरुद्वारे में गोलीबारी पर दुख व्यक्त किया। इस घटना में सिख समुदाय के छह लोगों की मौत हो गई थी।

उद्योग मंडल एसोचैम के एक अध्ययन के अनुसार विदेशी निवेशकों के लौटने तथा वैश्विक बाजार में नकदी बढ़ने से बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स निकट भविष्य में 20,000 अंक तक जा सकता है। अध्ययन में कहा गया है कि लिवाली के लिहाज से आईटी तथा एफएमसीजी प्रमुख शेयर हो सकते हैं। वहीं, ब्याज दर के प्रति संवेदनशील रीयल एस्टेट, वाहन तथा उपभोक्ता टिकाउ सामान बनाने वाली कंपनियों के शेयरों में तेजी आने में थोड़ा समय लगेगा।

हालांकि बुनियादी ढांचा क्षेत्र के शेयरों को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। बिजली, सड़क, बंदरगाह तथा हवाई अड्डा क्षेत्र में नीतिगत मुद्दों के हल होने तक इसमें तेजी की संभावना कम है।

एसोचैम ने कहा कि सरकार ने 12वीं पंचवर्षीय योजना (2012-17) के दौरान बुनियादी ढांचा क्षेत्र में 1,000 अरब डॉलर के निवेश का लक्ष्य रखा है लेकिन इसके लिए गति देने की जरूरत है।

विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने घरेलू शेयर बाजारों में 19,000 करोड़ रुपए से अधिक निवेश किया है। पिछले सात महीने में किसी एक माह में यह सर्वाधिक वृद्धि है।

पिछले कारोबारी सत्र में सेंसेक्स 18,823.91 के स्तर पर बंद हुआ था।

अध्ययन के अनुसार सरकार ने सुधारों की दिशा में जो कदम उठाया है और अमेरिका तथा यूरोप में केंद्रीय बैंकों द्वारा नकदी बढ़ाने के लिए किए गए उपायों से पूंजी प्रवाह बढ़ा है जिसका असर शेयर बाजार की तेजी पर पड़ा है।

अन्ना की जगह महात्मा गांधी और लालबहादुर शास्त्री के पोस्टर लगे मंच से केजरीवाल ने कहा, 'सभी दलों ने मिलकर जन लोकपाल आंदोलन को बार-बार धोखा दिया। हमें चुनौती दी गई कि खुद चुनाव लड़कर बनवा लो। आज हम इस मंच से एलान करते हैं कि हम चुनावी राजनीति में कूद रहे हैं। जनता राजनीति में कूद रही है।' इस मौके पर योगेंद्र यादव ने भी कहा कि राजनीति आज का युगधर्म है, इससे अलग नहीं रहा जा सकता।

केजरीवाल ने पार्टी के दृष्टि पत्र, एजेंडा और उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया का मसौदा पेश किया। पार्टी के नाम और संविधान का एलान 26 नवंबर को किया जाएगा। वर्ष 1949 को इसी दिन देश का संविधान बनकर तैयार हुआ था। अन्ना का नाम लिए बिना केजरीवाल ने कहा, 'बार-बार सवाल पूछा जा रहा है कि पैसा कहां से आएगा? लेकिन, ईमानदारी से चुनाव लड़ने के लिए पैसे की जरूरत नहीं होती। मौजूदा नेताओं ने ऐसा माहौल बना दिया है कि राजनीति सिर्फ गुंडों का काम बनकर रह गई है। हमें साबित करना है कि यह देशभक्तों का काम है।'


कैसे अलग होगी पार्टी

1. एक परिवार से एक सदस्य के ही चुनाव लड़ने का नियम

2. पार्टी का कोई भी सांसद, विधायक लाल बत्ती का नहीं करेगा इस्तेमाल

3. सुरक्षा और सरकारी बंगला नहीं लेंगे सांसद, विधायक

4. हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज करेंगे पार्टी पदाधिकारियों पर आरोप की जांच

5. एक रुपये से ऊपर के सभी चंदे का हिसाब वेबसाइट पर डाला जाएगा

बिजली दरें कम करवा कर ही मानेंगे: केजरीवाल

अपनी नई पार्टी के एलान के साथ ही अरविंद केजरीवाल ने यह भी साफ कर दिया है कि उनका पहला ध्यान दिल्ली विधानसभा ही होगा। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी दिल्ली में निजी कंपनियों को फायदा देने के लिए बढ़ाई गई बिजली और पानी की दरों को घटवा कर ही दम लेगी।

केजरीवाल ने पार्टी के एलान के साथ ही दिल्ली के लिए अपने कार्यक्रम का भी ब्योरा दिया। उन्होंने कहा कि सात अक्टूबर को 62 विधासभा क्षेत्रों में पार्टी कार्यकर्ता बिजली बिलों को जलाएंगे। इसके अलावा लोगों को अपील की जाएगी कि वे अपने बिल का भुगतान नहीं करें। इसके बाद आठ अक्टूबर को दिल्ली विद्युत नियामक इस पर सुनवाई करने वाला है। उस दिन इसके दफ्तर के सामने प्रदर्शन किया जाएगा। फिर भी अगर बिजली की दर नहीं घटाई गई तो चार नवंबर को मुख्यमंत्री के घर का घेराव होगा। केजरीवाल ने यहां तक कहा कि 'अगर सरकार ने आपकी बिजली काटी तो मैं आकर कनेक्शन लगाऊंगा। सरकार चाहे तो मुझे जेल भेज दे।' इसी तरह उन्होंने मुख्यमंत्री शीला दीक्षित पर हमला करते हुए कहा कि वे बताएं कि वे दिल्ली की जनता की मुख्यमंत्री हैं या फिर प्राइवेट कंपनियों की।


Monday 1 October 2012

यूपीए और राजग संसदीय नौटंकी के बाद अमेरिकी हितों के लिए मजबूती से एकजुट!





यूपीए और राजग संसदीय नौटंकी के बाद अमेरिकी हितों के लिए मजबूती से एकजुट!

सरकार नहीं गिरेगी, इससे ​​आश्वस्त डा. मनमोहन सिंह, उनकी सरकार और कारपोरेट अर्थशास्त्री नरसंहार के एजंडे को अमल में लाने में कोई कसर नहीं छोड़ने वाले। भारतीय जनता के खिलाफ एकाधिकारवादी सर्वात्मक आक्रमण में इतनी तेजी कभी नहीं देखी गयी।
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
पाकिस्तान के अधिकारियों ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भगत सिंह की क्रांतिकारी भावना और इस उपमहाद्वीप में ब्रितानी शासकों के खिलाफ उनकी भूमिका को स्वीकार करते हुए पूर्वी शहर लाहौर में एक चौराहे का नाम भगत सिंह के नाम पर रखा है। अधिकारियों ने बताया कि शदमान चौक को अब भगत सिंह चौक के नाम से जाना जाएगा। उल्लेखनीय है कि मार्च 1931 में लाहौर जेल में भगत सिंह को फांसी दे दी गई थी। यह वही स्थान है जहां बाद में चौराहा बनाया गया।लेकिन शहादेआजम भगत सिंह अब हमारे नायक नहीं है। होते तो विदेशी कंपनियों की गुलामी में जीने के लिए हम इतने बेताब नहीं होते।जिस साम्राज्यवाद के खिलाफ जल जंगल जमीन के हक हकूक के लिए भगत सिंह और दूसरे स्वतंत्रता सेनानियों ने शहादतें दी है, खुले ​​बाजार बने देश को उसी वैस्विक साम्राज्यवाद के हवाले कर दिया है सत्तावर्ग ने और हमारे रगों में खून नहीं खौलता।

अश्वमेध यज्ञ थमने के आसार नहीं है। ममता दिल्ली से विदेशी पूंजी के खिलाफ जंग लड़ने के लिए दिल्ली में है तो वामपंथी उनपर तीखा प्रहार करने में लगे हैं। जबकि यूपीए और राजग संसदीय नौटंकी के बाद अमेरिकी हितों के लिए मजबूती से एक जुट हैं। सरकार नहीं गिरेगी, इससे ​​आश्वस्त डा. मनमोहन सिंह, उनकी सरकार और कारपोरेट अर्थशास्त्री नरसंहार के एजंडे को अमल में लाने में कोई कसर नहीं छोड़ने वाले। भारतीय जनता के खिलाफ एकाधिकारवादी सर्वात्मक आक्रमण में इतनी तेजी कभी नहीं देखी गयी।शायद यह पहला मौका है जब केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ किसी राज्य के मुख्यमंत्री का राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन होगा।सोशल मीडिया जैसे ट्विटर, फेसबुक और बंगाल में सार्वजनिक सभाओं के माध्यम से उन्होंने अपनी नाराजगी जताते हुए पहले ही कह दिया है कि  'आर्थिक सुधार के नाम पर केंद्र सरकारलोगों को लूट रही है।' उसके बाद बनर्जी अपना विरोध प्रदर्शन संप्रग के द्वार पर लाने जा रही हैं। टेलीविजन पर जारी उनके बयान को कोलकाता में बड़े पर्दों पर दिखाए जाने की संभावना है। तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी केंद्र सरकार के आर्थिक सुधारों- खुदरा क्षेत्र में एफडीआई, सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलिंडरों की संख्या सीमा तय किए जाने और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी के खिलाफ 1 अक्टूबर को प्रदर्शन करेंगी।  इसके उलट जनता दल यू के राष्ट्रीय अध्यक्ष व राजग संयोजक शरद यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह अभी आराम से रहें। हम संसद में संप्रग के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाएंगे, लेकिन यह तय है कि अगले चुनाव में मनमोहन हवा हो जाएंगे। जनता हमेशा के लिए उन्हें सबक सिखा देगी।'राजनीति में नैतिकता के महत्व पर जोर देते हुए यादव ने कहा, 'जब हवाला कांड में मेरा नाम घसीटा गया तो मैंने कोर्ट का फैसला आने से पहले इस्तीफा दे दिया। बाद में अदालत से क्लीन-चिट मिली। इस बीच मैं प्रधानमंत्री बन सकते थे, लेकिन देवगौड़ा बने।' शरद यादव ने रविवार को पटना में एफडीआइ से लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अधिकार यात्रा जैसे विषयों पर अपनी बातें रखीं। कहा कि वह दिल्ली में ममता बनर्जी की रैली में शामिल होंगे। केंद्र सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ जनता को जागरूक करने देश में हर जगह जाएंगे। मनमोहन ने इंदिरा गांधी को भी पीछे छोड़ दिया है। इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगाई थी तो इसे वापस भी ले लिया था। मनमोहन ने तो एफडीआइ के जरिए 25 करोड़ लोगों के पेट पर ताला लगाने का काम किया है। 2जी स्पेक्ट्रम पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा कि पॉलिसी का मतलब यह नहीं कि लूट की छूट हो। कोयले की भी लूट हुई है। आवंटित कोल-ब्लॉक का 10 प्रतिशत नवीन जिंदल के पास है, जो कांग्रेस सांसद हैं। उनकी कंपनी का टर्न-ओवर 58,000 करोड़ हो गया है, जो सरकारी कंपनी 'सेल' के 38,000 करोड़ के टर्न-ओवर से बहुत अधिक है। अभी एक पखवाड़े पहले ही संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के सबसे बड़े सहयोगी दल तृणमूल कांग्रेस ने समर्थन वापस ले लिया था।बनर्जी शनिवार से ही दिल्ली में हैं। उनके साथ 19 सांसद मिलकर एक बड़े विरोध प्रदर्शन की तैयारी में जुटे हैं। दिलचस्प है कि यहीं पर वाम दलों के साथ समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव और तेलगूदेशम पार्टी के प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने भी 20 सितंबर के राष्ट्रव्यापी बंद के दौरान विरोध प्रदर्शन किया था और गिरफ्तारी दी थी।

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी  की लाइन अमेरिकापरस्त और इजराइल समर्थक है। मनमोहन सिंह ने जो कारपोरेट आर्थिक क्रांति कर दी, उसकी नींव तो वाजपेयी की विदेश नीति से मजबूत हुई। वाजपेयी भले ही अस्वस्थता के कारण अब सियासत में सक्रिय न हों, लेकिन भाजपा उन्हीं की राजनीतिक लाइन पर चलती रहेगी। आगामी चुनाव के लिए कमर कस चुकी पार्टी की सूरजकुंड बैठक से तो यही संकेत मिला है। वाजपेयी की लाइन पर चलते हुए भाजपा ने एनडीए प्लस की योजना पर अमल करने के लिए सूरजकुंड बैठक में विवादित मुद्दों से दूरी बना ली।अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण का संकल्प हो या कश्मीर में धारा 370 हटाने का मामला, सूरजकुंड में इन विवादित मुद्दों को लेकर एक शब्द भी सुनाई नहीं दिया। भाजपा का सबसे ज्यादा जोर केंद्र की यूपीए सरकार को कोसने पर रहा। इसी के साथ एनडीए शासन में अटल सरकार की उपलब्धियों का भी बखान होता रहा।लेकिन यह मामला गरजने तक सीमित है, बरसने की कोई योजना नहीं है।


एअर इंडिया को बेचने की पूरी तैयारी हो गयी है। नीति तैयार है, अमल में लाने की देरी है। इसके बाद स्टेट बैंक आफ इंडिया और जीवन बीमा निगम की बारी। विमानन क्षेत्र में विदेशी पूंजी निवेश की छूट का मकसद ही था कि एअर इंडिया को बेच दिया जाये और निजी विमानन कंपनियों को राहत दे दी जाये, जो संकट में हैं।घाटे में चल रही राष्ट्रीय एयरलाइन एयर इंडिया का आंशिक रूप से निजीकरण किया जाना चाहिए। कंपनी मामलों के मंत्रालय द्वारा कराए गए एक अध्ययन में कहा गया है कि निजी क्षेत्र के निवेशक कंपनी के मुनाफे को अधिकतम करने का प्रयास करेंगे और साथ ही वे उसकी परिचालन संबंधी समस्याओं को भी हल करने का प्रयास करेंगे।भारतीय कंपनी मामलों के संस्थान (आईआईसीए) की अध्ययन रिपोर्ट नागरिक उड्यन क्षेत्र का प्रतिस्पर्धा ढांचा में कहा गया है कि निजी क्षेत्र के निवेशकों तथा एयरलाइन के परिचालन के लिए पूंजी लाने से एयर इंडिया के कुछ परिचालनगत मुद्दों को हल करने में मदद मिलेगी। वहीं सरकारी धन का इस्तेमाल अन्य उद्देश्यों के लिए हो सकेगा।हालांकि, नागरिक उड्यन मंत्री अजित सिंह ने हाल में एयर इंडिया के निजीकरण की संभावना से इनकार किया है, क्योंकि सरकार एयरलाइन के पुनर्गठन के लिए 30,000 करोड़ रुपये की पूंजी डाल रही है।आईआईसीए ने विमानन क्षेत्र के प्रतिस्पर्धा संबंधी मुद्दों के विश्लेषण के लिए नाथन इंडिया को सलाहकार नियुक्त किया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि एयर कारपोरेशन एक्ट 1953 के कानूनी ढांचे के अनुसार सरकार राष्ट्रीय एयरलाइन को पूंजीगत खर्च के लिए धन उपलब्ध करा सकती है और साथ ही संभावित राहत पैकेज भी दे सकती है।उधर,वेतन नहीं मिलने पर किंगफिशर एयरलाइंस के अभियंताओं का एक समूह रविवार की शाम हड़ताल पर चला गया जिससे उड़ानें प्रभावित हो रही हैं।किंगफिशर सूत्रों ने कहा कि दिल्ली और मुंबई के अभियंता रविवार शाम से हड़ताल पर चले गए हैं। वह अपने सात महीने के बकाया वेतन का तुरंत भुगतान चाहते हैं।
सूत्रों ने बताया कि हड़ताल के कारण कुछ उड़ानों में देर हुई है। फिलहाल प्रबंधक रैंक के अभियंताओं की सेवाएं ली जा रही हैं। डीजीसीए के नियमों के मुताबिक अभियंता द्वारा प्रमाणित नहीं होने पर विमान उड़ान नहीं भर सकता है।

भारत सरकार की आर्थिक नीतियां अब जनहित में नहीं, बाजार के हित में बनती है और इसमें सबसे बड़ी भूमिका भारतीय रिजर्व बैंक की ​​है। कृषि या औद्योगिक उत्पादन में सुधार कोई प्राथमिकता नहीं है। उद्योगपतियों को छूट खत्म करके राजस्व घाटा और विदेशी कर्ज कम रकरने की कोई कोशिश नहीं है। सरकारी खर्च सामाजिकयोजनाओं के बहाने बढ़ाकर उपभोक्ता भाजार के विस्तार की रणनीति है।इसीके तहत भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर आनंद सिन्हा ने बीजिंग में कहा कि भारत वैश्विक आर्थिक नरमी से अधिक तेजी से उबर सकता है क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था मुख्यत: घरेलू खपत से संचालित चलती है। पर उन्होंने कहा कि इसके लिए जरूरी है कि देश को अपना घर अच्छी तरह संभाल कर चलना होगा। सिन्हा ने बातचीत में कहा कि निराशा की भावना तथा उत्साह के स्तर में कमी जैसे विश्वाव के कारकों से भी अर्थव्यवस्था प्रभावित करता है।उन्होंने कहा कि चीन व भारत की दोनों अर्थव्यवस्थाओं पर वैश्विक आर्थिक नरमी का असर रहा है लेकिन मुख्यत: घरेलू खपत से संचालित अर्थव्यवस्था के कारण भारत तेजी से उबर सकता है। एक सवाल में जवाब में सिन्हा ने कहा कि लेकिन इसके लिए हमें अपने घर को अच्छी तरह संभाल कर चलना होगा। घरेलू अर्थव्यवस्था पर निर्भर रहते हुए हम निर्यात क्षेत्र के प्रदर्शन से कम प्रभावित होंगे। यह हमारी ताकत सबित हो सकती है। लेकिन हमें अपने सारे प्रयासों के बीच तालमेल बिठाना होगा।इस सवाल पर कि आर्थिक वृद्धि में नरमी पर काबू पाने के लिए भारत को क्या कदम उठाने चाहिए तो सिन्हा ने कहा कि हमें मुद्रास्फीति पर काबू करना पाना होगा। अगर हम इस पर काबू पा लेते हैं तो वृद्धि परिदृश्य अच्छा होगा। एक बार वृद्धि शुरू होने के बाद स्थितियां बेहतर हो जाती हैं। भारत में खुदरा मुद्रास्फीति दहाई अंक में 10.03 प्रतिशत है। भारतीय रिजर्व बैंक बार बार कहता रहा है कि उसकी मौद्रिक नीति मुद्रास्फीति पर काबू पाने पर केंद्रित रहती है।

सामान्य कर परिवर्जन रोधी नियम (गार) से जुड़े कराधान मुद्दों को देख रही पार्थसारथी शोम समिति सोमवार को अपनी अंतिम रिपोर्ट वित्त मंत्री पी चिदंबरम को सौंप सकती है।वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि पार्थसारथी शोम समिति की अंतिम रिपोर्ट एक अक्टूबर, 2012 को वित्त मंत्रालय को सौंप दी जाएगी।प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जुलाई में कर विशेषज्ञ पार्थसारथी शोम की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी। समिति को गार पर विदेशी एवं घरेलू निवेशकों की चिंताओं का समाधान निकालने का काम सौंपा गया। समिति चिदंबरम को अपनी रिपोर्ट का मसौदा एक सितंबर को सौंप चुकी है।सरकार ने बाद में विशेषज्ञ समिति का दायरा बढ़ाकर उसमें अनिवासी करदाताओं की चिंताओं को भी शामिल कर दिया।

इसी बीच रिलायंस इंडस्ट्रीज ने सरकार से केजी-6 फील्डस से उत्पादित गैस की कीमत एक अप्रैल, 2014 से तीन गुनी करने का प्रस्ताव किया है। इससे गैस का दाम 13 डॉलर प्रति यूनिट के आस-पास तक जा सकता है।अभी कंपनी को अपनी गैस सरकार नियंत्रित 4.205 डॉलर प्रति इकाई के भाव पर बेचना पड़ रहा है जहां एक इकाई 10 लाख ब्रिटिश थर्मल यूनिट (एमएमबीटीयू) ऊर्जा के बराबर है। जबकि बाजार में इस समय गैस का दाम इसका तीन गुना तक है।आरआईएल की इस परियोजना में दस प्रतिशत की साक्षेदार निको रिसोर्सेज ने कहा है कि जून, 2012 में आपरेटर (आरआईएल) ने कच्चे तेल के मूल्य मूल्य पर आधारित फार्मूले के अनुसार गैस मूल्य तय करने का प्रस्ताव सरकार को सौंपा है। यह प्रस्ताव एक अप्रैल, 2014 से बिक्री के नए अनुबंधों के संबंध में है।कंपनी ने कहा कि अगर इस फार्मुले को मंजूरी मिल जाती है तो इससे 100 डॉलर प्रति बैरल के कच्चे तेल के आधार पर गैस की दर 13 डॉलर प्रति यूनिट तक होगी।

वित्तीय सुदृढ़ीकरण पर विजय केलकर समिति की रिपोर्ट कहती है कि भारतीय अर्थव्यवस्था बड़े नाजुक दौर से गुजर रही है। लगातार दूसरे साल राजकोषीय घाटा एक बड़े अंतर से अपने बजटीय लक्ष्य से चूक सकता है- यह सकल घरेलू उत्पाद का 6.1 फीसदी रह सकता है जो बजट अनुमान से पूरा एक फीसदी अधिक है। भारत में एक जनसांख्यिकी उभार देखने को मिल रहा है, हर साल लाखों लोग कामगार फौज में शामिल हो रहे हैं। ऐसे में विकास में तेजी लाने के लिए वित्तीय प्रयासों की जरूरत होगी, अन्यथा जनसांख्यिकी लाभ एक श्राप बन जाएगा। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया जाता है तो लगभग 1991 जैसा संकट पैदा हो सकता है। समिति ने 2012-13 में राजकोषीय घाटा कम कर जीडीपी का 5.2 फीसदी करने का सुझाव दिया है। हालांकि इनमें से कुछ सुझाव जिनमें कर नीति पर भी सुझाव शामिल है, के लिए कानून में बदलाव लाने की जरूरत होगी। सुझाव दिया गया है वह यह है कि संप्रग सरकार प्रत्यक्ष कर विधेयक पर धीरे कदम बढ़ाए। कर और जीडीपी के अनुपात को बढ़ाने की जरूरत है, इसे निकट अवधि में कम करने की नहीं। रिपोर्ट में सबसे खास बात यह दोहराना है कि खाद और ईंधन सब्सिडी को हमेशा जारी नहीं रखा जा सकता (और यह कि खाद्य सब्सिडी को तत्काल नहीं बढ़ाया जाना चाहिए)। साथ ही धीरे धीरे पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों को नियंत्रण मुक्त करना जरूरी है और इसमें देरी नहीं की जानी चाहिए। साथ ही सरकारी खरीद की ऊंची दर को ध्यान में रखते हुए राशन की दुकानों पर मिलने वाले खाद्य उत्पादों के दाम भी बढ़ाने होंगे।



Sunday 30 September 2012

Not vegetarianism or dieting, Mr. Modi INDIRA HIRWAY




September 27, 2012

Not vegetarianism or dieting, Mr. Modi

INDIRA HIRWAY

Low wage rates, poorly functioning public schemes and patchy access to water and sanitation are the real explanation for Gujarat's persistent malnutrition
Gujarat Chief Minister Narendra Modi's remark in an interview to Wall Street Journal that high malnutrition persists in his State because Gujaratis are mostly vegetarian (implying vegetarianism causes malnourishment) and are middle class, and more conscious about their looks and putting on weight than their health, created a furore. What explains Gujarat's paradox of hunger amid the seeming plenty?
Economic growth and malnutrition do not have a one-to-one relationship. However, if malnutrition persists even after high growth, there can be two sets of reasons: one, people are not aware about the importance of nutrition and/or there are cultural practices that do not allow people to consume nutritious food. For instance, they eat expensive but unhealthy food (Incidentally, there is no evidence to show that vegetarian food causes malnourishment). Two, economic growth does not create large-scale productive employment with decent work conditions i.e. with reasonable wage rate, good working conditions and social protection.
The first reason may have played a marginal role, but empirical evidence suggests that the second reason is important in Gujarat. To start with, in spite of a slightly higher workforce participation rate compared to other States, the quality of employment is extremely poor in Gujarat; with the result that a large part of the workforce does not have enough purchasing power to buy enough food for the household. About 89 per cent of men workers and 98 per cent of women workers in the State are informal workers (the all India figures are 90 and 96 per cent respectively), who usually earn low wages, have poor working conditions and low social protection.
Wage rates
The wage rates of casual and regular workers of both men and women workers in rural and urban areas are very low compared to other States. As per the latest National Sample Survey Office statistics, the daily wage rates of casual men and women workers in rural areas are lower than the corresponding rates in India, with the State ranking 14th (Rs.69) and ninth (Rs.56) in men's and women's wage rates respectively among the major 20 States. In the case of urban casual workers' daily wages, the State ranked seventh (Rs.109) and 14th (Rs.56) for male and female wage rates. In the case of regular rural workers also the State ranked 17th (Rs.152) and ninth (Rs.108) in the male and female wage rates respectively. The corresponding ranks for urban areas are 18th (Rs.205) and 13th (Rs.182) respectively among the major 20 States in India.
In short, in spite of the high growth rate, wages in the State are repressed with the result that most workers do not have the purchasing power to buy adequate nutritious food.
Special schemes
There are problems with the functioning of major special schemes for nutrition. As regards the Public Distribution System (PDS), till recently the State was providing much less than the stipulated 35kg food grains to Below Poverty Line (BPL) households on the ground that the number of BPL households in the State was much larger than what the Centre had estimated and was providing for. The State was not willing to use its own funds to meet the deficit. Several studies including our own study have shown that PDS, Mid-Day Meal and Integrated Child Development Services (particularly for pregnant women and mothers) are not working well in the State. A common observation of these studies is that these schemes work well when there are local organisations putting pressure on local administration. The instructions from the top are not implemented well at the ground level, largely because there is no strong monitoring. And as only a fraction of the State is covered by such organisations, the schemes work well only in limited areas. In other words, the possibility of improved nutrition through these special schemes also is not good.
Water and sanitation
Finally, the recent data of the 2011 Census of Population has shown that Gujarat lags behind many States in providing potable water and safe sanitation, which are critical in transforming food intake into nutrition. The Census shows that about 43 per cent of rural households get water supply at their premises and only 16.7 per cent households, treated tap water. About one fifth of the rural households, mainly women, walk long distances to collect water — impacting adversely on their health. In the case of urban areas, the situation is slightly better: 84 per cent households get water at their premises and 69 per cent, treated water.
As regards sanitation, Gujarat has a long way to go. According the 2011 Census, 67 per cent of rural households do not have an access to toilets and more than 65 per cent households defecate in the open, polluting the environment. The State ranks 10th in the use of latrines. Our recent study adds that 70 per cent villages in the State have yet to organise waste collection and disposal, and 78 per cent have yet to put up drainage for managing liquid waste. In the case of urban areas, the State ranks ninth in terms of the use of latrines. As studies have shown, in spite of the efforts made, waste management is a serious problem in most urban centres.
As a result, the incidence of diseases is fairly high: our recent study shows that 44 per cent villages have reported frequent occurrence of jaundice; 30 per cent, malaria, 40 per cent, diarrhoea, and 25 per cent, kidney stones, skin diseases, joint pain, dental problems, etc. In the case of urban areas also there are frequent reports of outbreak of diseases.
In short, the growth process in the State has paid limited attention to the well-being of the masses. It is not surprising therefore that National Family Health Survey 3 has shown that Gujarat not only ranks low in nutrition of women and children but has also performed very poorly in the recent decade. There is a need for the State to take a fresh look at its growth process.
(Dr. Indira Hirway is Director and Professor of Economics at the Center for Development Alternatives, Ahmedabad, and co-author of the State Human Development Report 2004.)


As crimes against Dalits rise, UP tops the chart -



Dalits Media Watch
News Updates 28.09.12
 
As crimes against Dalits rise, UP tops the chart - Zee News
Hisar gangrape: Family demands employment for victim, brother  - IBN Live
Rs 20K aid for SC,ST students in Kerala - The Times Of India
SC/ST Commission to bring justice to gangrape victim - One India
 
Zee News
 
As crimes against Dalits rise, UP tops the chart
 
Last Updated: Friday, September 28, 2012, 16:44
 
Does Haryana top the list of states in atrocities against Scheduled Castes as asserted by PL Punia? The chairman of the National Commission for Scheduled Castes and Tribes' statement came in the wake of Hisar Dalit gangrape case.
 
"Anti-Dalit atrocities have been taking place on a large-scale in Haryana. While the state is small, in the proportion of the crimes, that is, crimes per lakh of population, Haryana tops the list," Punia was quoted as saying in an interview to a leading business daily.
 
But, government data sourced from the latest National Crime Record Bureau (NCRB) Report 2011 by the Zee Research Group shows that Haryana doesn't even figure in the top three states that have registered highest crimes against Dalits in 2011 under two crime categories: Indian Penal Code and Special Local Laws, and the SC/ST (Prevention of Atrocities) Act, 1989. The latter is a special law and applies to cases where atrocity has been committed against a Dalit by an upper caste for reasons primarily of caste difference.
 

In the first category, the dubious distinction has been earned by Uttar Pradesh – also the state with highest number of Scheduled Caste population. With 7,702 cases out of the total 33,719, the state alone accounted for 22.8 percent of crime against SCs under the Indian Penal Code and Special Local Laws. Uttar Pradesh is being followed by Rajasthan with 5,182 cases, i.e. 15.4 percent. Andhra Pradesh with 4,016 cases (11.9 percent) and Bihar with 3,623 cases (10.7 percent) trail behind Rajasthan in that order. Haryana is only 1.2 percent, way below these states.

NCRB data also points that crimes under the SC/ST (Prevention of Atrocities) Act, 1989, is rising across the country. A total of 11,342 cases were reported under this Act during 2011 as compared to 10,513 in 2010 – a sharp increase of 7.9 percent over the previous year. Among states, Bihar has reported highest 3,024 cases accounting for 26.7 percent of the total cases reported in the country leaving behind Uttar Pradesh (17.6 percent) and Andhra Pradesh (12.7 percent) which otherwise lead in overall crimes against Dalits.
 
Another worrying trend apparent from the NCRB data is growing cases of rape of women belonging to SCs. From 1,349 cases in 2010, rape incidences of Dalit women have jumped to 1,557 in 2011 thereby registering an increase of 15.4 percent. Here again, Uttar Pradesh has reported highest 397 incidences of rape thereby accounting for 25.5 percent of the total cases in the country. Madhya Pradesh closely follows Uttar Pradesh with 327 cases i.e. 21 percent of the total cases in the country.
 
The above data clearly contradicts Punia's statement as Haryana is way behind Uttar Pradesh, Rajasthan, Bihar and Madhya Pradesh when it comes to atrocities against SCs. However, the recent spurt in crimes targeting the marginalised and lower castes in Haryana including through khap justice suggests that roots of caste-based discrimination remain firmly entrenched in Indian society.
 
The women especially minor girls become easy prey for offenders who more than often get support from self-proclaimed feudalistic social orders. The malaise can be uprooted with stringent implementation of laws and creating social awareness rather than generalised statements to score brownie points.
 
IBN Live
 
Hisar gangrape: Family demands employment for victim, brother
 
Hisar: The family of the dalit girl, who was allegedly gangraped in Dabra village, on Friday demanded government employment for her and her brother.
 
They made this demand at the condolence meeting of Krishan, the girl's father who committed suicide by consuming poison on September 18 apprehending public humiliation.
 
They also urged the government to provide them residential accommodation at Hisar and said it was very difficult for them to stay in the village after the incident.
 
Community members in the village and representatives of several dalit organisations took part in the condolence
 
ceremony, also attended by Rajendra Sura, president of Hisar Zila Parishad.
 
Later, Congress MP Ashok Tanwar met the aggrieved family and consoled them.
 
Assuring all help, he asked the family to submit their demands and problems in writing to the Deputy Commissioner and give a copy to him.
 
Tanwar directed the administration to give a detailed report on atrocities against dalits in the district.
The girl, a student of Class XII, was allegedly gangraped by youths about a fortnight ago in Patel Nagar area.
 
They threatened to make public her objectionable pictures, after which her father, a labourer, committed suicide.
 
The Times Of India
 
Rs 20K aid for SC,ST students in Kerala
 
TNN | Sep 28, 2012, 04.40AM IST
 
KOZHIKODE: The state government will provide financial assistance of Rs 20,000 to SC/ST students who scored high marks in higher secondary examinations to enable them to attend coaching programmes for admission to professional courses, said minister for welfare of scheduled castes and backward communities A P Anil Kumar.
 
Inaugurating the two-day workshop on student empowerment for SC/ST students of the Calicut University at the university seminar complex on Thursday, he said government would also take steps to provide assistance to SC/ST students who had secured admission to self-financing educational institutions.
 
The minister said the SC/ST communities in the state had achieved considerable progress when compared to many other states in the country.
 
One India
 
SC/ST Commission to bring justice to gangrape victim
 
Updated: Tuesday, September 25, 2012, 16:31 [IST]
Posted by: Maitreyee
 
New Delhi, Sept 25: The brutal gangrape episode in Hisar has raised national outrage. Even after passage of 17 days, only two arrests have been made by the police. Rest of the ten culprits are still absconding. The second arrest in the case was made on Monday, Sept 24.
 
Now, the Scheduled Caste/Scheduled Tribe Commission has decided to investigate the matter. The intervention by SC/ST commission has brought some hope for the family members of the 16-year-old victim. The tragedy of the family did not end with the rape of their daughter. After the incident, father of the minor girl committed suicide as he could not get any help from police and administration. The victim belongs to Dalit community.
 
Delay in arrest of the perpetrators of the crime has raised a question mark on the efficiency of the police department. Many have alleged that the police have deliberately delayed arrests to protect the culprits, who are said to belong to power group of the society.
 
Accusing the police of delaying arrest of culprits, a relative of the victim said that while offenders were scot-free, the entire family was suffering.
 
"Why the police is taking so long to arrest the culprits? We want prompt action and justice for the victim and her family," said a female relative of the victim.
 
Earlier, the entire village of Dabra in Hisar, Haryana had come together to demand justice for the gangrape victim. The villagers staged a protest rally against police inaction to solve the case in Hisar on Sunday.
 
The teenage girl was allegedly raped by a group of "upper caste" men. The victim, a student of Class XII, was gangraped while she was going to meet her maternal uncle in Patel Nagar area of the district, police said.
 
The culprits were said to have videotaped the entire incident and circulated MMS after the horrific crime.
 
A case was registered by the police under Sections 376 and 306 of IPC (rape and abatement to suicide).     ----OneIndia News
 
 

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.Arun Khote
On behalf of
Dalits Media Watch Team
(An initiative of "Peoples Media Advocacy & Resource Centre-PMARC")
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Peoples Media Advocacy & Resource Centre- PMARC has been initiated with the support from group of senior journalists, social activists, academics and  intellectuals from Dalit and civil society to advocate and facilitate Dalits issues in the mainstream media. To create proper & adequate space with the Dalit perspective in the mainstream media national/ International on Dalit issues is primary objective of the PMARC.