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Tuesday 18 June 2013

हम छत्तीसगढ़ के दन्तेवाड़ा के जंगलों में गए। एक पेड़ के नीचे बसेरा बनाया और फिर 18 साल तक रहे और 18 साल बाद वहाँ की सरकार ने मुझे उठाकर बाहर फेंका।Himanshu Kumar



  • मैं 18 साल पहले अपनी पत्नी के साथ छत्तीसगढ़ गया था। गांधी जी का कहना है कि हिन्दुस्तान का विकास करना है और लोकतंत्र को मजबूत बनाना है तो नवजवानों को गाँवों में जाना चाहिए और गाँव में रहना चाहिए। इसलिए अपनी पत्नी के साथ शादी के एक महीने बाद अपना सूटकेस उठाया और हम छत्तीसगढ़ के दन्तेवाड़ा के जंगलों में गए। एक पेड़ के नीचे बसेरा बनाया और फिर 18 साल तक रहे और 18 साल बाद वहाँ की सरकार ने मुझे उठाकर बाहर फेंका।

    जब समाज नहीं था और कल्पना कीजिए जंगल है समाज से पहले। और एक गोश्त का टुकड़ा है और दो भेडि़ए हैं तो गोश्त का टुकड़ा इन दोनों में किसको मिलेगा। किसका होगा जो ताकतवर है और फिर आप कल्पना कीजिए समाज बन गया और एक रोटी का टुकड़ा है। दो इंसान हैं तब वह रोटी इन दोनों में से किसको मिलेगी। बराबर मिलेगी दोनों को, इसका मतलब कि समाज बनते ही उसकी बुनियादी शर्त दो हैं- एक बराबरी और दूसरा इंसाफ। अगर समाज की बुनियाद में दो शर्त बराबरी और इंसाफ नहीं है तो वह जंगल है। अगर समाज में बराबरी और इंसाफ नहीं है तो हम भेडि़ए हैं। 

    अब यह बताइए कि दो जिले हैं एक जिले में खूब कारखाने हैं और एक जिले में नहीं हैं तो आप किस जिले को विकसित मानेंगे। जिसमें कारखाने हैं उसको विकसित मानंेगे। यानी औद्योगीकरण विकास है। कारखाने अमीर लगाता है या गरीब लगाता है। और मुनाफा अमीर की जेब में या गरीब की जेब में जाता है। कारखाने की जमीन किसकी ली जाती है, गरीब की। इसका मतलब विकास गरीब से लेकर अमीर को दे दो। कारखाने की जमीन कैसे ली जाती है। मान लीजिए कारखाने के लिए जमीन एक गाँव से लेनी है तो कैसे ली जाती है। प्यार से या पुलिस के दम पर। बन्दूक के दम पर यानी हमारा विकास बन्दूक के दम पर होगा और बन्दूक किसकी होगी सरकार की होगी और सरकार को सपोर्ट किसका है हम सबका। यानी कि हम सब बन्दूक के दम पर गरीब की छीन करके अमीर बनने वाला समाज हैं और यह सरकार दूसरे का छीनकर विकास करती है और जिसका फायदा हम सब उठाते हैं। हम सब उन बन्दूकों का समर्थन करते हैं और सरकार का मतलब है बन्दूक और वही सरकार ज्यादा मजबूत है जिसके पास ज्यादा बन्दूकें होती हैं और जिसके पास ज्यादा बन्दूकें चलाने का अख्तियार होता है। इस अख्तियार को हासिल करने के लिए सरकारें लोगों में खौफ पैदा करती हंै। सारी दुनिया की सरकारंे खौफ पैदा करने के लिए कोई न कोई एक बहाना ढूँढती हैं। हिन्दुस्तान में वह बहाना मुसलमान है। 

    उनको अपनी यह लूट जारी रखनी है और उस लूट को जारी रखने के लिए उन्हें चाहिए मजबूत फौज। ज्यादा से ज्यादा फौज। सबसे ज्यादा विकसित देश कौन है अमरीका और सबसे बड़ी फौज किसकी है अमरीका की। बिल्कुल साफ बात है मुझे यह बताइए हमारे समाज में ज्यादा मजे में कौन है। जो ज्यादा मेहनत करते हैं वे मजे में हैं या जो कम मेहनत करते हैं वे मजे में हैं। जो मेहनत नहीं करते हैं वे मजे में हैं? और जो ज्यादा उत्पादन करता है तो क्या वह ज्यादा उपभोग करता है? जो उत्पादन नहीं करता है वह उपभोग करता है। ये इंसाफ है या नाइंसाफी है और नाइंसाफी बिना बन्दूकों के चल सकती है? जितनी बड़ी नाइंसाफी उतनी ज्यादा ताकत की जरूरत है। तो पूरा का पूरा निजाम आप देखिए कि चीफ जस्टिस आॅफ इण्डिया मुस्लिम है इस समय। मैं तो यूनाइटेड नेशन्स गया मैंने कहा कि बहुतेरे आदिवासियों को मारा जा रहा है, ये जुल्म हो गए वह जुल्म हो गए तो उन्होंने कहा कि यह बताइए आपके यहाँ पाँच वर्ष में इलेक्शन होते हैं कि नहीं होते, फ्री इलेक्शन होते हैं? हमने कहा हाँ। आपके यहाँ फ्री ज्यूडीशियरी है कि नहीं? कहा हाँ है और बोला पार्लियामेन्ट में आदिवासी एम0पी0 भी है मैंने कहा हाँ है। क्या करें बताइए सब कुछ तो है। वे जिसे ठीक समझ रहे हैं जिस सरकार को ठीक समझ रहे हैं मैंने आपको बताने की कोशिश की वह सरकार क्या मतलब है।

    चाणक्य ने राजनीति पर जो किताब लिखी है उसका नाम क्या है। उसका नाम अर्थशास्त्र! राजनीति का मतलब यही है अर्थशास्त्र। कि जो समाज में पैसा है, समाज की दौलत है उस पर किसका कब्जा होगा। यही राजनीति है और कब्जा उसी का होगा जिसके पास बन्दूक है और वह बन्दूक अपने हाथ में किस बहाने से ली जाए वह बहाना ये राज करने वाला जो पाॅलीटिकल क्लास है, जो रूलिंग क्लास है, वह बहाने ढूँढता है कि कैसे ज्यादा से ज्यादा ताकत अपने हाथ में रख सके और उसको चैलेन्ज करने वाली ताकतें, जो सरकार को चैलेन्ज करें दरअसल राष्ट्रद्रोही हैं। ये देशद्रोही हैं। मैं छत्तीसगढ़ में रहा। छत्तीसगढ़ में विदेशी कम्पनियों के लिए आदिवासियों के छः सौ गाँवों को जलाया गया। एक बार नहीं बीस बीस बार जलाया है। लाखों आदिवासियों को घर से हटा दिया है। ये हिन्दुस्तान की सरकार कर रही है। सरकार कांग्रेस भाजपा मिलकार कर रही है। उसने हजारों नवजवानों को जेलों में डाल दिया है और जेलों से जो खबर आ रही है बच्चे बैठें हैं बता नहीं सकता। किस तरह की हरकतें लोगों व महिलाओं के साथ की जा रही हैैं। बच्चों को पत्थरों पर पटक-पटक कर मार डाला है फोर्सेज ने हिन्दुस्तान में और माफ कीजिएगा क्या आप इन चीजों से वाकिफ नहीं हैं। क्योंकि बस्तर से जो माल लूटा जाएगा उससे जो कारखाने चलेंगे उससे जो विकास होगा, हम सब उसके बेनीफिशीयरी हैं। इसलिए उनके मरने का हमको तकलीफ नहीं है। इसलिए जब हमारे ऊपर हमला होता है, तो दूसरों को तकलीफ नहीं है। ये मुल्क मुल्क नहीं है। ये स्वार्थी लोगों का एक जमघट है। 

    मुल्क की पहली शर्त होती है कि मुल्क के भीतर एक तबका दूसरे तबके के साथ युद्ध नहीं करेगा। आबादी का एक हिस्सा दूसरे हिस्से के साथ वार नहीं करेगा। यह मुल्क की पहली शर्त है। हिन्दुस्तान में अगर एक आबादी दूसरी आबादी के खिलाफ बन्दूकें इस्तेमाल कर रही है। बस्तर के छः सौ गाँव जला दिए हैं, झारखण्ड, बिहार, बंगाल, उड़ीसा सब जगह लाखों फौजी भेज दिए गए हैं जो वहाँ गाँव में हमला कर रहे हैं, उनकी जमीनें छीन रहे हैं, उनको हटा रहे हैं। उनकी जमीनों से हटा दिए जाएँगे तो ये कैसे जिएँगे। क्या करेंगे ये लोग, आपको मालूम है लाखों लोग हैं जो पहाड़ों पर, नदियों पर, जंगलों पर जिन्दा हैं। अगर उन्हें वहाँ से हटा दिया जाएगा तो करोड़ों लोग मर जाएँगे। इस देश के करोड़ों लोग मर जाएँगे इस देश की फौज इनके खिलाफ इस्तेमाल की जा रही है और हम इसको एक राष्ट्र मान लें। यह राष्ट्र है? एक राष्ट्र की आबादी दूसरे आबादी को खत्म कर रही है। इसको हम राष्ट्र मान लें। यह राष्ट्र है। जहाँ सेना का इस्तेमाल देश के सबसे कमजोर लोगों की हत्या करने में किया जा रहा है। उसको हम लोकतंत्र मान लें और उनको हम वोट देते हैं और हम स्वीकार करते हैं कि यह होगा। कल उनके साथ हो रहा है। दुनिया में हुआ है। दुनिया में आदिवासियों को मार डाला गया है। अमरीका ने रेड इण्डियनस को मार दिया। विद्वान अमरीकी कहते हैं कि कहाँ खत्म है। आस्ट्रेलिया में न्यूजीलैण्ड में मार दिया और मजबूत तबका कमजोर तबके को मारता जाएगा। आज आदिवासियों की बारी है कल दलितों की बारी है। बारी-बारी सब मारे जाएँगें। ये तो जो आपने विकास का माॅडल अपनाया है आजादी के तुरन्त बाद महात्मा गांधी ने कह दिया था कि यह शैतानी माॅडल है। इस शैतानी माॅडल का एक ही तरीका है। अंग्रेज क्यों आए थे हिन्दुस्तान में। हिन्दुस्तान में जो रा मटेरियल है उस पर कब्जा करने के लिए। हिन्दुस्तान का जो कच्चा माल है उसको लूटेंगे। एक अंग्रेज ने लिखा था कि यह तो सच है कि अंग्रेजी राज में कभी सूरज नहीं डूबता लेकिन यह भी सच है अंग्रेजी राज में कभी खून नहीं सूखता है। अंग्रेज कच्चा माल को लूटने के लए फौज रखते थे। आगे कम्पनी (ईस्ट इण्डिया कम्पनी) पीछे-पीछे फौज चलती थी और गांधी ने कहा कि अंग्रेज सारी दुनिया को लूटने के लिए फौज रखते थें। अगर भारत ने अंग्रेजों के विकास का माॅडल अपनाया तो भारत के लोग किसको लूटेंगे, आप अपने ही लोगों को लूटेंगे और फौज के दम पर लूटेंगे। गांधी ने कहा था कि जब अपने लोगों को अपनी फौज से ही लूटोगे तो उसमें से युद्ध निकलेगा। इस विकास माॅडल से युद्ध का निकलना अवश्य संभावी है। इसमें से शांति निकल ही नहीं सकती। इसमें सिर्फ हिंसा निकलेगी और दूसरे पर्यावरण का विनाश होगा क्योंकि जो तुम्हारा कन्जम्पशन डेवलप है तुमने मान लिया है ज्यादा से ज्यादा कन्जम्पशन। वही विकसित है जो ज्यादा उपभोग करता है और विकास का ज्यादा कन्जम्पशन है कि तुम पर्यावरण को नष्ट कर दोगे और गांधी ने कहा था कि दुनिया दो चीजों से नष्ट होगी। एक युद्ध से दूसरा पर्यावरण के विनाश से। 

    आज हम वहाँ पहुँच गए है जहाँ दुनिया का सबसे विकसित देश अमरीका सारी दुनिया को रौंदने निकल पड़ा है। सारी दुनिया को लूटने निकल पड़ा है। सारी दुनिया पर जहाँ चाहता है वह हमला करता है। वह अफगानिस्तान के मिनरल्स पर हमला करता है वह इराक के तेल पर हमला करता है और हिन्दुस्तान उसके तलवे चाटता है और कहता है कि यही माॅडल तो हमें चाहिए था। छत्तीसगढ़ में एफ0बी0आई0 प्लानिंग करता है कैसे मारना है आदिवासियों को, जुल्म आफगानिस्तान में ही नहीं छत्तीसगढ़ में हो रहे हैं तो हालात बहुत खराब हैं और मुल्क हमारा है। अगर नष्ट हुआ इसकी जिम्मेदारी भी हम सबकी है। तो इसे बचाना है तो इसकी जिम्मेदारी भी हम सबकी है, न न्याय पालिका पवित्र है न सरकार पवित्र है, यह तो लफंगांे का समूह है। जो काबिज हो गया है। आपको मालूम है कि हिन्दुस्तान का वित्त मंत्री चिदम्बरम चुनाव हार गया था। पैसा देकर घोषणा करवाई कि वह जीत गया है। मुझे एक मिनिस्टर के साथियों ने बताया कि 100 करोड़ की डील हुई। 80 करोड़ दिया 20 करोड़ की बेईमानी कर गया। और हिन्दुस्तान का प्रधानमंत्री चुनाव जीता ही नहीं और हम कहते हैं हमारे देश में डेमोक्रेसी है। जिसको जनता ने चुना ही नहीं वह प्राइम मिनिस्टर बन गया। वल्र्ड बैंक डिसाइड करता है कि तुम्हारा मिनिस्टर कौन होगा और हमको लगता नहीं कि हम गुलाम हैं और हम इसको डेमोक्रेसी मानकर बैठे हुए हैं। 

    अगर चीजों को बदलना है तो चीजों को साफ-साफ देखना शुरू कीजिए। खाली यह कहें कि किताबों में गलत चीजे हैं। दुनिया में जितनी दुनियाबी किताबें हैं वह आॅउट-आॅफ-डेटेड हो गई हैं। माफ कीजिए पाकिस्तान में एक किताब को मानने वाले शांति से रह सकते हैं। ऐसा नहीं है। हमारा तो मानना है कि आँखें खोलो, आज के वक्त में क्या धर्म है। हमारे नागरिक इंसान होने का क्या धर्म है। हम लोग कैसे सुन्दर है सब लोग कैसे सुन्दर है। ये जो युग आया है। इस युग ने दो चीजे दी हैं। हमको साइंस दी है साइंस ने हमको दो चीजें दी हैं। एक स्पीड अब विचार ग्लोबल हो गया है। आज अगर एक जगह अन्याय होगा तो सारी दुनिया में दंगे हो सकते हैं और दूसरी चीज विज्ञान ने दी है मारने की ताकत। जब पहली बार हिरोशिमा पर बम गिरा था जिसमें 20 लाख लोग एक सेकण्ड में मर गए थे। तब महात्मा गांधी से कहा था कि आपके अहिंसा की धज्जियाँ उड़ गईं, नहीं अब तुम्हें अहिंसा का महत्व समझ में आएगा। क्योंकि अब अगर युद्ध हुआ तो इसमें से कोई नहीं बचेगा। विज्ञान युग की माँग है कि या तो सब मरेंगे, नहीं तो सब बचेंगे। आप क्या सोचते हैं 80 प्रतिशत लोगों के सोर्सेज छीन लेंगे और 20 प्रतिशत डेवलेप कर लेंगे। 

    मैं और क्लीयर कर दूँ कि पहली प्लानिंग की जो बैठक हुई थी उसमें नेहरू ने विनोवा भावे जी से कहा था आइए आप बताइए कि कैसे हिन्दुस्तान की प्लानिंग होगी। विनोवा उस समय पद यात्रा कर रहे थे। उन्होंने कहा मैं पैदल आऊँगा और छः महीने लगे आन्ध्रप्रदेश से दिल्ली पहुंँचने में। राजघाट पर पहली कमीशन की बैठक हुई, विनोवा ने पूछा हिन्दुस्तान के गरीब को रोटी कितने में दिन में दे दोगे? कहा कि दस साल में, विनोवा ने कहा कि यह तो प्लानिंग नहीं है। बड़े-बड़े कारखानों की प्लानिंग की है, गरीब को रोटी देने की प्लानिंग नहीं की है। प्लानिंग ऐसी होती है जैसे एक पिता अपने घर की प्लानिंग करता है कि सबसे पहले छोटे बच्चे को खाना मिलेगा कि नहीं। वहाँ लोगों ने विनोवा जी से कहा 20 प्रतिशत आबादी को आप भूल जाओ। इन 20 प्रतिशत लोगों के लिए दवाई, घर, कपड़ा, रोटी नहीं है। 20 प्रतिशत लोग बाहर रह जाएँगे, मर जाएँगे, 70 तक आते-आते यह संख्या 40 प्रतिशत के लिए हो गई थी कि 40 प्रतिशत रिसोर्सेज हैं ही नहीं। 2000 तक आते-आते यह आबादी 60 प्रतिशत हो गई कि रिसोर्सेज इनके लिए नहीं हंै और अब विकास का जो माॅडल है सिर्फ 20 प्रतिशत लोगों के लिए रिसोर्सेज हैं। हमारा जो लिविंग स्टैण्डर्ड है उसमें सिर्फ 20 प्रतिशत का विकास होगा। 80 प्रतिशत लोग बाहर रह जाएँगे। 80 प्रतिशत लोग बाहर रह जाएँगे, मतलब उनकी जमीने ले ली जाएँगी, उनके रिर्सोसेज ले लिए जाएँगे और उनके रिसोर्सेज 20 प्रतिशत लोगों के लिए खर्च होंगे। 20 प्रतिशत उसको कन्ज्युम करेगा यानी 80 प्रतिशत लोग उनकी जमीनों से हटा दिए जाएँगे और लोग मर जाएँगे। इस विकास में 20 प्रतिशत लोगों का विकास होगा, 80 प्रतिशत लोग मर जाएँगे और जब 80 प्रतिशत लोग मरेंगे तो यह चुपचाप मर जाएँगे? यह लड़ेंगे नहीं? आपके विकास में अगर 20 प्रतिशत व 80 प्रतिशत की लड़ाई होनी है और आपके पास परमाणु बम है। तो सोचिए कि आप कितने बड़े ज्वाला मुखी पर बैठे हुए हैं। 

    आप 80 प्रतिशत आबादी के खिलाफ हैं और उसके खिलाफ फौज का इस्तेमाल करने के मंसूबे रखते हैं। इसलिए गांधी जी ने कहा था कि विज्ञान युग में या तो सब जिएँगे या तो सब मरेंगे। क्योंकि तुम्हारे पास अब ऐसी ताकत आ गई है। इसलिए अगर इस दुनिया को बचाना है तो हम सब कैसे जिएँ पूरी परिस्थिति का ठीक से आंकलन करें। कोई दिमाग में गुस्सा नहीं, कोई पाॅलीटिक्स, आइडियालाॅजी नहीं। इनको साफ-साफ चीजे जैसी हैं, वैसे साफ-साफ देखिए। उसको ठीक से ठीक कर लें वरना हम बहुत बड़े खतरे में घिर चुके हैं और जो पाॅलिटिकल लीडरशिप है वह लफंगों का समूह है। बहुत इसके पीछे न जाएँ, हममंे बहुत सारे लोग हैं जो सोचते हैं कि पार्टी को वोट दे दें उस पार्टी को वोट दे दें। ये जो विकास का माॅडल बताया है, सारी पार्टियाँ इसको अपनाए हैं। कोई इसके खिलाफ नहीं बोलता है कि ये जो विकास का माॅडल है जो 80 प्रतिशत के खिलाफ है हम सब इसको फनमेजपवदमक करते हैं। कौन सी पार्टी फनमेजपवद करती है मायावती, समाजवादी, कांग्रेस व भाजपा, कम्युन्सिट कोई नहीं आपको करना है।
    ( इस भाषण को लोक संघर्ष पत्रिका के संपादक रणधीर सिंह सुमन ने लिपिबद्ध किया है व प्रकाशित किया है )