रिलायंस का वारा न्यारा! अब डिफेंस कारोबार में भी !
फ्रांस की डसाल्ट एविएशन के साथ करार, पिछले महीने ही डसाल्ट को भारत से 126 लड़ाकू विमानों की आपूर्ति का अरबों डॉलर का ठेका मिला है। दोनों कंपनियां इसके लिए मिलकर काम करेंगी।
रिलायंस इंडस्ट्रीज अब डिफेंस कारोबार में भी उतरेगी। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने डिफेंस कारोबार में उतरने के लिए फ्रांस की डसाल्ट एविएशन के साथ करार किया है। दोनों कंपनियां भारत के रक्षा क्षेत्र में कारोबार के मौके तलाशेंगी। इस करार से कुछ ही दिन पहले डसाल्ट एविएशन ने इंडियन एयरफोर्स को 126 कॉम्बेट एयर क्राफ्ट की सप्लाई के लिए भारतीय रक्षा मंत्रालय के साथ करार किया था। सूत्रों के मुताबिक डसाल्ट एविएशन इस करार से मिली रकम का करीब 50 फीसदी भारत के रक्षा क्षेत्र में रिइन्वेस्ट करेगी। जिसपर रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ मिलकर काम करने की योजना है।दोनों कंपनियों ने रक्षा और आंतरिक सुरक्षा के क्षेत्र में ये समझौता किया है।
सूचकांक में प्रमुख भारांश रखने वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज में खरीदारी के रुझान के कारण सेंसेक्स दिन के निचले स्तरों से उबर आया है। बैंकिंग और ऑटो शेयरों में खरीदारी लौटने से भी बाजार को निचले स्तरों से उबरने में मदद मिली है।मालूम हो कि रिलायंस इंडस्ट्रीज के निदेशक बोर्ड ने पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुरूप कंपनी के 12 करोड़ शेयर वापस खरीदने का फैसला कर लिया। शेयरों को वापस खरीदने का अधिकतम मूल्य 870 रुपए प्रति शेयर रखा गया है। इस बायबैक के तहत कंपनी अपने शेयर धारकों से से 10,440 करोड़ के शेयर वापस खरीदेगी| भारतीय पूंजी बाजार के इतिहास में यह बायबैक अब तक का सबसे बड़ा शेयर बायबैक होगा।
इस बीच रिलायंस इंडस्ट्रीज की अमेरिकी सब्सिडियरी ने 10 साल के बॉन्ड बेच कर 1 अरब डॉलर जुटाए हैं। रिलायंस इंडस्ट्रीज की सब्सिडियरी ने 5.5 फीसदी की ब्याज दर पर अनसेक्योरड नोट्स बेचे हैं। ये बॉन्ड इश्यू करीब 8 गुना सब्सक्राइब हुआ है।पिछले नौ महीने में किसी भारतीय कंपनी द्वारा बांड के जरिए जुटाई गई यह सबसे अधिक राशि है। कंपनी ने एक बयान में कहा है कि आरआईएल की पूर्ण स्वामित्व वाली सहयोगी कंपनी रिलायंस होल्डिंग्स यूएसए ने यह बांड बेचे। रिलायंस होल्डिंग इस धन का उपयोग कारोबारी निवेश, मौजूदा ऋण के पुनर्वित्तीकरण और आम कॉरपोरेट उद्देश्यों के लिए करेगी।
इससे पहले रिलायंस इंडस्ट्रीज ने कावेरी बेसिन के गहरे पानी के ब्लॉक में खोदे गए पहले कुएं में गैस का भंडार मिलने की घोषणा की है। कंपनी द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि ब्लॉक सीवाई-पीआर-डीडब्ल्यूएन-2001-3 में गैस का भंडार मिला है। इस कुएं में गैस भंडार की पुष्टि कई परीक्षणों से हुई है। इनमें माड्यूलर डायनेमिक टेस्टिंग [एमडीटी] और ड्रिल स्टेम टेस्टिंग [डीएसटी] शामिल हैं।
गौरतलब है कि निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड [आरआइएल] को वर्ष 2010-11 की चौथी तिमाही में रिकॉर्ड 5,376 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ है। पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले यह 14.1 फीसदी अधिक है। गत वर्ष इस दौरान कंपनी को 5,136 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा हुआ था। हालांकि इस दौरान कंपनी के गैस ब्लॉकों का उत्पादन उम्मीद से कम रहा।
फ्रांस की डसाल्ट एविएशन के साथ करार, पिछले महीने ही डसाल्ट को भारत से 126 लड़ाकू विमानों की आपूर्ति का अरबों डॉलर का ठेका मिला है। दोनों कंपनियां इसके लिए मिलकर काम करेंगी।
मुंबई से एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
रिलायंस इंडस्ट्रीज अब डिफेंस कारोबार में भी उतरेगी। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने डिफेंस कारोबार में उतरने के लिए फ्रांस की डसाल्ट एविएशन के साथ करार किया है। दोनों कंपनियां भारत के रक्षा क्षेत्र में कारोबार के मौके तलाशेंगी। इस करार से कुछ ही दिन पहले डसाल्ट एविएशन ने इंडियन एयरफोर्स को 126 कॉम्बेट एयर क्राफ्ट की सप्लाई के लिए भारतीय रक्षा मंत्रालय के साथ करार किया था। सूत्रों के मुताबिक डसाल्ट एविएशन इस करार से मिली रकम का करीब 50 फीसदी भारत के रक्षा क्षेत्र में रिइन्वेस्ट करेगी। जिसपर रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ मिलकर काम करने की योजना है।दोनों कंपनियों ने रक्षा और आंतरिक सुरक्षा के क्षेत्र में ये समझौता किया है।
सूचकांक में प्रमुख भारांश रखने वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज में खरीदारी के रुझान के कारण सेंसेक्स दिन के निचले स्तरों से उबर आया है। बैंकिंग और ऑटो शेयरों में खरीदारी लौटने से भी बाजार को निचले स्तरों से उबरने में मदद मिली है।मालूम हो कि रिलायंस इंडस्ट्रीज के निदेशक बोर्ड ने पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुरूप कंपनी के 12 करोड़ शेयर वापस खरीदने का फैसला कर लिया। शेयरों को वापस खरीदने का अधिकतम मूल्य 870 रुपए प्रति शेयर रखा गया है। इस बायबैक के तहत कंपनी अपने शेयर धारकों से से 10,440 करोड़ के शेयर वापस खरीदेगी| भारतीय पूंजी बाजार के इतिहास में यह बायबैक अब तक का सबसे बड़ा शेयर बायबैक होगा।
इसके अलावा रिलायंस इंडस्ट्रीज ने एटीएफ सप्लाई के लिए एयरलाइन कंपनियों की मदद करने की तैयारी दिखाई है।सूत्रों का कहना है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज की फिलहाल तेल मार्केटिंग कंपनियों के इंफ्रास्ट्रक्चर तैयारी पर नजर बनी हुई है। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने समुद्री मार्ग के जरिए जहाज द्वारा जामनगर से मुंबई तक एटीएफ सप्लाई करने की तैयारी दिखाई है।रिलायंस इंडस्ट्रीज ने तेल कंपनियों को मुंबई में एटीएफ के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने का सुझाव दिया है। तेल कंपनियों की इंफ्रास्ट्रक्चर की तैयारी अधूर रहने की सूरत में रिलायंस इंडस्ट्रीज एटीएफ के लिए अपने पेट्रोल पंपों का भी इस्तेमाल कर सकता है।
पिछले महीने ही डसाल्ट को भारत से 126 लड़ाकू विमानों की आपूर्ति का अरबों डॉलर का ठेका मिला है। माना जा रहा है कि दोनों कंपनियां इसके लिए मिलकर काम करेंगी। करार के तहत मुकेश अंबानी की कंपनी फ्रांसीसी फर्म को रक्षा और आंतरिक सुरक्षा से जुड़े जटिल मैन्यूफैक्चरिंग के क्षेत्र में रणनीतिक सहयोग देगी।
फ्रांसीसी कंपनी के साथ हुए इस सौदे पर रिलायंस इंडस्ट्रीज ने और अधिक जानकारी नहीं दी है। गौरतलब है कि भारत विश्व का सबसे बड़ा हथियार आयातक देश है जो अगले दस सालों में हथियारों पर लगभग 100 बिलियन डॉलर खर्च करेगा। वहीं, हाल के समय में भारत की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज कच्चे तेल और गैस के व्यापार में तरक्की करने के बाद खुदरा बाजार और दूरसंचार जैसे नए क्षेत्रों में प्रवेश करना चाहती है।
मीडियम-मल्टीरोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट [एमएमआरसीए] के लिए हुए सौदे के तहत सरकार ने डसाल्ट के सामने यह शर्त रखी है कि सौदे की कुल राशि का 50 फीसदी हिस्सा उसे भारतीय रक्षा क्षेत्र में निवेश करना होगा। इसी के तहत ही ही दोनों कंपनियों सहमति पत्र [एमओयू] पर दस्तखत किए हैं। रक्षा क्षेत्र में उतरने के लिए रिलायंस ने एयरोस्पेस और डिफेंस यूनिट बना रखी है। इसके प्रमुख विवेक लाल एमएमआरसीए सौदे से जुड़े रहे हैं। लाल इससे पहले नासा और रेथियोन में बतौर वैज्ञानिक काम कर चुके हैं। मुकेश पिछले कुछ समय से रक्षा क्षेत्र में उतरने की कोशिश में जुटे थे। डसाल्ट के साथ करार से उनका यह सपना पूरा होता दिख रहा है।
इस बीच रिलायंस इंडस्ट्रीज की अमेरिकी सब्सिडियरी ने 10 साल के बॉन्ड बेच कर 1 अरब डॉलर जुटाए हैं। रिलायंस इंडस्ट्रीज की सब्सिडियरी ने 5.5 फीसदी की ब्याज दर पर अनसेक्योरड नोट्स बेचे हैं। ये बॉन्ड इश्यू करीब 8 गुना सब्सक्राइब हुआ है।पिछले नौ महीने में किसी भारतीय कंपनी द्वारा बांड के जरिए जुटाई गई यह सबसे अधिक राशि है। कंपनी ने एक बयान में कहा है कि आरआईएल की पूर्ण स्वामित्व वाली सहयोगी कंपनी रिलायंस होल्डिंग्स यूएसए ने यह बांड बेचे। रिलायंस होल्डिंग इस धन का उपयोग कारोबारी निवेश, मौजूदा ऋण के पुनर्वित्तीकरण और आम कॉरपोरेट उद्देश्यों के लिए करेगी।
कंपनी जुटाई गई रकम का इस्तेमाल विस्तार योजनाओं के साथ अपने कर्ज की रीफाइनेंसिंग पर करेगी। रिलायंस इंडस्ट्रीज के पास अभी भी 15 अरब डॉलर का कैश है।
इससे पहले रिलायंस इंडस्ट्रीज ने कावेरी बेसिन के गहरे पानी के ब्लॉक में खोदे गए पहले कुएं में गैस का भंडार मिलने की घोषणा की है। कंपनी द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि ब्लॉक सीवाई-पीआर-डीडब्ल्यूएन-2001-3 में गैस का भंडार मिला है। इस कुएं में गैस भंडार की पुष्टि कई परीक्षणों से हुई है। इनमें माड्यूलर डायनेमिक टेस्टिंग [एमडीटी] और ड्रिल स्टेम टेस्टिंग [डीएसटी] शामिल हैं।
लगातार आकर्षक नतीजे दर्शाने वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज को चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के दौरान अपने शुद्ध मुनाफे में खासी गिरावट का सामना करना पड़ा है। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने इस दौरान 4,440 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा कमाया है जो बीते वित्त वर्ष की समान अवधि में अर्जित 5,136 करोड़ रुपये से 13.6 फीसदी कम है। पिछले दो वर्षों से भी ज्यादा की समयावधि में पहली बार मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली इस दिग्गज कंपनी का तिमाही मुनाफा गिरा है।
सकल रिफाइनिंग मार्जिन (जीआरएम) के साथ-साथ गैस उत्पादन में भारी गिरावट होने के चलते ही कंपनी के लाभ में इस हद तक गिरावट दर्ज की गई है। चूंकि रिलायंस इंडस्ट्रीज ने शुक्रवार को शेयर बाजार में ट्रेडिंग समाप्त होने के बाद निराशानजक वित्तीय नतीजों की घोषणा की, इसलिए इससे उसके शेयर भाव पर कोई फर्क नहीं पड़ा। कंपनी का शेयर 0.9 फीसदी की तेजी के साथ 792.65 रुपये पर बंद हुआ।
रिलायंस इंडस्ट्रीज द्वारा जारी विज्ञप्ति में यह भी बताया गया है कि तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) के दौरान प्रति बैरल क्रूड ऑयल को पेट्रोलियम उत्पादों में तब्दील करने पर कंपनी को 6.80 डॉलर की कमाई हुई है, जबकि ठीक एक साल पहले उसे 9 डॉलर का जीआरएम इससे हासिल हुआ था।
यही नहीं, चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में कंपनी का सकल रिफाइनिंग मार्जिन इससे भी कहीं ज्यादा 10.1 डॉलर प्रति बैरल आंका गया था। कंपनी का कहना है कि कमजोर मांग रहने के चलते भी उसका सकल रिफाइनिंग मार्जिन तीसरी तिमाही, 2011-12 के दौरान काफी घट गया।
रिलायंस इंडस्ट्रीज को प्राकृतिक गैस के उत्पादन में भी भारी गिरावट का सामना करना पड़ा है। इस कंपनी के केजी-डी6 (आंध्र प्रदेश) ब्लॉक में चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के दौरान प्राकृतिक गैस का उत्पादन 23 फीसदी की भारी गिरावट के साथ 41.92 एमएमसीएमडी (मिलियन क्यूबिक मीटर प्रति दिन) के स्तर पर आ गया।
रिलायंस इंडस्ट्रीज की विज्ञप्ति से यह भी जानकारी मिली है कि चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के दौरान कंपनी का शुद्ध परिचालन मार्जिन 15.4 फीसदी से घटकर 10.7 फीसदी के स्तर पर आ गया। हालांकि, चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के दौरान रिलायंस इंडस्ट्रीज का टर्नओवर 40.2 फीसदी की जोरदार बढ़त के साथ 87,480 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया।
गौरतलब है कि निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड [आरआइएल] को वर्ष 2010-11 की चौथी तिमाही में रिकॉर्ड 5,376 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ है। पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले यह 14.1 फीसदी अधिक है। गत वर्ष इस दौरान कंपनी को 5,136 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा हुआ था। हालांकि इस दौरान कंपनी के गैस ब्लॉकों का उत्पादन उम्मीद से कम रहा।
समीक्षाधीन तिमाही में कंपनी का राजस्व 29 फीसदी बढ़कर 2,58,651 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। आरआइएल के सीएमडी मुकेश अंबानी ने कहा कि बेहतर वित्तीय और परिचालन प्रदर्शन के चलते कंपनी ने रिकॉर्ड मुनाफा कमाया है। रिलायंस के केजी-डी6 क्षेत्र में गैस उत्पादन घटकर 5 करोड़ घनमीटर रोजाना रह गया है। कंपनी ने आशंका जताई कि अगले वित्त वर्ष तक यह और कम होकर 4.6-4.7 करोड़ घनमीटर पर आ सकता है। फिलहाल कंपनी ने जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान केजी-डी6 से हुए औसत गैस उत्पादन का ब्यौरा नहीं दिया।
समीक्षाधीन तिमाही में तेल एवं गैस कारोबार से कंपनी की आय पांच फीसदी घटकर 4,104 करोड़ रुपये रह गई। कंपनी ने इस दौरान प्रति बैरल 9.2 डॉलर का मार्जिन कमाया, जो पिछली आठ तिमाही के मुकाबले सबसे ज्यादा है। इन जबर्दस्त नतीजों की बदौलत मुकेश अंबानी की अगुआई वाली आरआइएल सरकारी तेल कंपनी ओएनजीसी के बाद दूसरी सबसे ज्यादा लाभ कमाने वाली कंपनी बन गई है। 31 मार्च, 2011 को समाप्त वित्त वर्ष के दौरान आरआइएल का एकीकृत शुद्ध लाभ 27 फीसदी बढ़कर 20,211 करोड़ रुपये हो गया। वर्ष 2009-10 में कंपनी को 15,898 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा हुआ था। देश की सबसे बड़ी तेल एवं गैस उत्खनन कंपनी ओएनजीसी को वर्ष 2009-10 में 16,767.55 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ था।
आखिरकार बीएसई का 30 शेयरों वाला प्रमुख इंडेक्स सेंसेक्स 24.15 अंकों की मामूली बढ़त लेकर 17,772.84 पर बंद हुआ। वहीं एनएसई का 50 शेयरों वाला प्रमुख इंडेक्स निफ्टी 8.6 अंक चढ़कर 5,390.20 पर बंद हुआ।बाजार ने नए हफ्ते की शुरुआत भी बढ़त के साथ की है। सेंसेक्स और निफ्टी आज मामूली बढ़त के साथ बंद हुए। मिडकैप और स्मालकैप इंडेक्स का हाल भी करीब करीब ऐसा ही था। दरअसल आज सुबह से बाजार में कमजोरी थी लेकिन एशियाई बाजार चढ़कर बंद हुए और जब यूरोपीय बाजार भी अच्छे खुले तो बाजार में आज फिर तेजी का मूड बन गया। हालांकि आज की बढ़त में बाजार का भरोसा नहीं दिख रहा है क्योंकि बढ़ने वाले और गिरने वाले शेयरों की तादाद करीब करीब बराबर ही है।आज के कारोबार में हीरो मोटोकॉर्प, टाटा स्टील, हिंडाल्को, सन फार्मा, महिंद्रा एंड महिंद्रा, रिलायंस इंफ्रा, सेसा गोवा और कोटक महिंद्रा बैंक जैसे दिग्गज शेयर 1.5-5 फीसदी की मजबूती लेकर बंद हुए। हालांकि विप्रो, टाटा पावर, सिप्ला, एसबीआई, मारुति सुजुकी, सेल और बीपीसीएल जैसे दिग्गज शेयर 2-3 फीसदी की गिरावट पर बंद हुए। बीएसई के मेटल, ऑटो, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और हेल्थकेयर सेक्टर में अच्छी तेजी रही। लेकिन बीएसई के कैपिटल गुड्स और आईटी सेक्टर में गिरावट रही।
बाजार के जानकार गुल टेकचंदानी का कहना है कि बाजार में आगे भी तेजी का दौर बना रहेगा। अगले 6-8 महीने में बाजार में फंडामेंटल रुप से सुधार देखने को मिल सकता है। अगले 6-8 महीने बाजार के लिए और ज्यादा बेहतर होंगे।
यूरो जोन में आगे चलकर और लिक्विडिटी बढ़ सकती है। सरकार के आर्थिक सुधारों के चलते भारतीय बाजारों में हालात सुधरते हुए देखने को मिल सकते हैं। बाजार में आगे चलकर महंगाई और ब्याज दरों में कमी आ सकती है।
Palash Biswas
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