मुंबई से एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
मुंबई के आदर्श हाउसिंग सोसाइटी घोटाले में खुद को निर्दोष बताने वाले केंद्रीय मंत्री विलासराव देशमुख फिल्म निर्माता सुभाष घई को गलत तरीके से 20 एकड़ भूमि देने में फंस गए हैं।बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि देशमुख ने मुख्यमंत्री के रूप में पद का दुरुपयोग कर अवैध व स्वेच्छाचारी ढंग से सुभाष घई को फिल्मसिटी गोरेगांव में जमीन आवंटित की। इसलिए घई आवंटित भूमि राज्य सरकार को लौटा दें।ंडपीठ ने साफ किया है कि ऐसा महसूस होता है कि देशमुख ने अपने बेटे (रितेश) को बालीवुड में स्थापित करने के बदले घई के संस्थान को जमीन देकर उपकृत किया है।
बालीवूड की जड़ें महाराष्ट्र की राजनीति में गहरी पैठी है। इसलिए कोई अजूबा नहीं कि
अपने स्टार पुत्र रीतेश देशमुख की जगह पक्की कराने के लिए ही विलासराव देशमुख ने कायद कानून ताक पर रखकर सुभाष घई को जमीन दी।आपको बता दें कि गोरेगांव स्थित फिल्मसिटी में यह जमीन सुभाष घई को तब आबंटित की गई थी जब देशमुख मुख्यमंत्री थे।मौजूदा मुख्यमंत्री भी इस मामले में खामोश है। विपक्ष को तो सांप सूंघ गया है। राजनीति में बालीवूड की ऐसी धाक है। कोई सितारों से अपना रिश्ता खराब नहीं करना चाहता।बालीवूड से ठाकरे परिवार के मधुर संबंध जग जाहिर है।
बॉलीवुड के जाने माने फिल्म निर्माता सुभाष घई को हाई कोर्ट ने करारा झटका देते हुए कहा है कि वो उनके महत्वाकांक्षी फिल्म इंस्टीट्यूट 'व्हिसलिंग वुड्स इंटरनेशनल' के लिए आबंटित की गई जमीन को लौटा दें। एक जनहित याचिका पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि घई को यह जमीन गैरकानूनी तरीके से आवंटित की गई।बॉम्बे हाईकोर्ट ने हालांकि सुभाष घई को अपने आदेश को चुनौती देने के लिए आठ सप्ताह की मोहलत दी है। यानी अदालत के इस आदेश पर आगामी आठ सप्ताह तक अमल नहीं होगा। हालांकि अदालत ने घई को वर्ष 2000 से अब तक प्रतिवर्ष के हिसाब से 5.3 करोड़ रुपये रेंट (किराए) के रूप में चुकाने का आदेश भी साथ में दिया है।
2000 में जब यह जमीन दी गई तब बाजार भाव से इसकी कीमत 66 करोड़ रुपए थी जिस पर रियायत देने पर भी सालाना किराया 7.11 करोड़ रुपए होता है पर सरकार ने यह जमीन कौड़ियों के भाव दी। कैग रिपोर्ट में भी भूखंड आवंटन से हुए नुकसान का जिक्र किया गया है।
इस पूरे मामले में सबसे हैरान करनेवाली बात यह है कि सरकार ने भूखंड आवंटन के लिए जो भी उपक्रम किया उसके लिए कोई आधिकारिक प्रस्ताव नहीं पारित किया।
फिल्म निर्माता सुभाष घई ने बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश का समान करते हुए हम इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।
उन्होंने कहा कि हमने कुछ भी गलत नहीं किया है। हमने 2002 में कानूनी ढंग से फिल्मसिटी से उसकी जमीन का इस्तेमाल करने और उस पर इंटरनेशनल स्तर के फिल्म व मीडिया इंस्टिट्यूट बनाने का समझौता किया। जिसके करीब 10 वर्ष बाद चुनौती दी गई है। घई ने सुप्रीम कोर्ट से न्याय मिलने की उम्मीद व्यक्त की है।
मालूम हो कि बॉलीवुड में लम्बे समय से चर्चा में रहने वाली अभिनेता रितेश देशमुख और अभिनेत्री जेनेलिया डिसूजा की जोड़ी शुक्रवार को विवाह के बंधन में बंध गई। मराठी रीति-रिवाज से विवाह के बंधन में बंधने के एक दिन बाद बॉलीवुड अभिनेता रितेश देशमुख और अभिनेत्री जेनेलिया डिसूजा ने शनिवार को बांद्रा के एक चर्च में कैथोलिक परंपरा के अनुसार शादी रचाई।जेनेलिया ने इस मौके पर परंपरागत कैथोलिक परिधान सफेद रंग का गाउन पहन रखा था, जबकि रितेश काले सूट में नजर आए। दोनों ने इसके बाद ग्रैंड हयात होटल में शादी की पार्टी दी, जहां जेनेलिया लाल सुनहरे रंग की साड़ी और रितेश काली शेरवानी पहनकर पहुंचे थे।
फिल्म जगत की जानी-मानी हस्तियों के अलावा महाराष्ट्र की राजनीति के कई चर्चित चेहरे इस पार्टी में पहुंचे। रितेश महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा केंद्रीय मंत्री विलासराव देशमुख के बेटे हैं। जेनेलिया बेंगलूर के एक ईसाई परिवार से ताल्लुक रखती हैं।देशमुख के छोटे पुत्र रितेश भी ठेठ मराठी दूल्हे के परिधान में नजर आए। उन्होंने शेरवानी, लाल पगड़ी और मुंडावली पहन रखी थी। इस भव्य शादी का आयोजन सांता क्रूज इलाके के ग्रैंड हयात होटल में किया गया था जहां वर-वधू को आशीर्वाद देने के लिए काफी संख्या में बॉलीवुड के कलाकार और राजनीतिज्ञ पहुंचे।
शादी के बंधन में बंधे इस नए जोड़े को आशीर्वाद देने के लिए बॉलीवुड की कई नामी-गिरामी हस्तियां पहुंचीं। इनमें जया और अभिषेक बच्चन, शाहरुख खान, करन और हिरू जौहर, काजोल-अजय देवगन, सोहैल खान, इंद्र कुमार, आशुतोष गोवारिकर और उनकी पत्नी सुनीता, साजिद नाडियावाला शामिल थे। इनके अलावा वर-वधू को आशीर्वाद देने के लिए मारिआ गोरेटी, जैकी श्राफ, साजिद खान, अक्षय कुमार, हुसैन-टीना, आशीष चौधरी, संजय घोष, आसिन थोट्टुमकल और सोफी चौधरी पहुंचे।
रितेश और जेनेलिया को आशीर्वाद देने के लिए उद्योगपति अनिल अम्बानी भी अपनी पत्नी टीना के साथ वहां आए। वहीं, राजनीतिज्ञों में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कृपाशंकर सिंह, मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण, शिव सेना के कार्यकारी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के पुत्र आदित्य ठाकरे, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे और छगन भुजबल शादी-समारोह में पुहंचे।
मालूम हो कि रितेश और जेनेलिया साल 2003 में अपनी पहली फिल्म 'तुझे मेरी कसम' की शूटिंग के समय मिले। इसके बाद वे एक-दूसरे के करीब आए।
रितेश-जेनेलिया अभिनीत 'तेरे नाल लव हो गया' इसी महीने के अंत में रिलीज होने वाली है।
मुख्य न्यायाधीश मोहित शाह और गिरीश गोडबोले की खंडपीठ ने राजेन्द्र सोनटाके तथा लातूर-उस्मानाबाद जिले के चार किसानों की याचिका पर दिए फैसले में कहा है कि घई की मुक्ता आर्ट और महाराष्ट्र फिल्म, स्टेज एवं सांस्कृतिक विकास निगम (एमएफएससीडीसी) के बीच 30 मई 2004 को संयुक्त उपक्रम पर हुआ दस्तखत अवैध, स्वेच्छाचारी और गैर कानूनी है।
कोर्ट ने फिल्म निर्माता को यह निर्देश दिया कि वह उनके कब्जे में ओपन लैण्ड के रूप में मौजूद फिल्म स्कूल के लिए आवंटित की गई 14.5 एकड़ जमीन तुरंत ही सरकार को लौटा दें, और स्टूडियो व फिल्म इंस्टीट्यूट के कब्जे में मौजूद 5.5 एकड़ जमीन 31 जुलाई, 2014 तक लौटाएं। मुख्य न्यायाधीश मोहित शाह और जस्टिस गिरीश गोडबोले की खंडपीठ ने अपने फ़ैसले में देशमुख के ख़िलाफ़ कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्रीविलासराव देशमुख ने अपने 'सरकारी पद का दुरूपयोग' किया था।पीठ ने कहा, याचियों ने सौदे की सीबीआइ जांच की मांग खारिज करते हुए कहा, चूंकि यह दिखाने को पर्याप्त सामग्री नहीं है कि भूमि कम मूल्य पर इसलिए बेची गई कि मुख्यमंत्री के पुत्र (रितेश) को फिल्म उद्योग में स्थापित किया जा सके।
इतना ही नहीं कोर्ट ने घई को साल 2000 से 5.3 करोड़ रुपये सालाना के हिसाब से किराया देने का भी आदेश दे दिया है। इस फेसले के साथ अब ऐसा माना जा रहा है कि केन्द्रीय विज्ञान एवं तकनीकी मंत्री विलासराव देशमुख की किरकिरी हो गई है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा है कि उनकी सरकार फिल्म निर्माता सुभाष घई के फिल्म इंस्टीच्यूट को भूमि आबंटन मामले में बम्बई उच्च न्यायालय की 'अपेक्षा' के अनुरूप काम करेगी।
चव्हाण ने इस मामले में पार्टी नेता विलासराव देशमुख की भूमिका पर कोई टिप्पणी नहीं की।
चव्हाण ने संवाददाताओं से कहा कि मैंने अभी तक अदालत का फैसला नहीं पढ़ा है। हम फैसले का अध्ययन करेंगे और अदालत की अपेक्षा के अनुरूप काम करेंगे।
चव्हाण उच्च न्यायालय द्वारा मुम्बई के गोरेगांव में 20 एकड़ भूमि घई के फिल्म इंस्टीच्यूट व्हिस्लिंग वुड्स के लिए आबंटित करने के मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख को दोषी ठहराने के बारे में पूछे गए प्रश्नों के जवाब दे रहे थे।
उन्होंने वर्तमान में केंद्रीय मंत्री देशमुख की भूमिका पर टिप्पणी करने से इन्कार करते हुए कहा कि वह हमारी पार्टी के वरिष्ठ नेता और एक मंत्री हैं। मैं अखबार की रिपोर्ट के आधार पर कोई भी टिप्पणी नहीं करूंगा।
दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी की तुलना मुगलों से करते हुए शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण को अयोग्य और आत्मसम्मान की कमी वाला व्यक्ति करार दिया।
शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में ठाकरे ने चव्हाण को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उनके माता-पिता ने उनका नाम एक वीर व्यक्ति के नाम पर रखा था लेकिन उन्होंने भी नहीं सोचा होगा कि वह अयोग्य होंगे। इससे पहले चव्हाण ने कहा था कि 16 फरवरी को मुम्बई निकाय चुनाव के बाद शिवसेना महत्वहीन हो जाएगी। शिवसेना प्रमुख ने कहा कि अगर चव्हाण में थोड़ा भी आत्मसम्मान होता तब वह ऐसा नहीं बोलते।
वहीं फिल्मकार शेखर कपूर मामले को लेकर घई के समर्थन में आ गए हैं। कपूर ने अपने ट्विटर पर लिखा कि सुभाष घई ने फिल्म संस्थान बनाने में अपनी जिंदगी के अमूल्य 15 वर्ष दिए हैं। व्हिस्लिंग वुड्स कोई घोटाला नहीं है बल्कि इसके लिए उनकी सराहना करनी चाहिए।
हाईकोर्ट के मुताबिक देशमुख ने फिल्म निर्माता सुभाष घई के संस्थान विसलिंग वुड्स को 20 एकड़ जमीन देकर उनको उपकृत करने का प्रयास किया। उन्होंने इस मामले में न सिर्फ अपने पद व अधिकारों का दुरुपयोग किया, बल्कि कानून की भी अनदेखी की है।
राज्य का प्रमुख होने के नाते मुख्यमंत्री से विधि के अनुरूप कार्य करने की अपेक्षा की जाती है पर भूखंड आवंटन की प्रक्रिया को देखकर प्रतीत होता है कि देशमुख ने अपने कर्तव्यों का पालन नहीं किया है। हाईकोर्ट ने श्री घई को यह रियायत वहां पर पढ़ रहे बच्चों के भविष्य को देखते हुए दी है।
पर यह ताकीद की है कि अब वे अपने यहां पर किसी भी विद्यार्थी को तीन वर्षीय पाठ्यक्रम में प्रवेश में न दें। इस दौरान भूखंड के इस्तेमाल के लिए श्री घई को भी बजार भाव के हिसाब के किराया देना पड़ेगा।
खसार्वजनिक भूखंड आवंटन की प्रक्रिया से जुड़ा उनका कृत्य किसी भी दृष्टि से कानून की कसौटी पर खरा नहीं उतरता है। यह पूरी तरह से अधिकारों का दुरुपयोग लगता है। भला कैसे कोई निविदा मंगाए व भूखंड का आर्थिक आकलन किए बगैर किसी को जमीन आवंटित कर सकता है?
खंडपीठ ने देशमुख की ओर से अपने बचाव में दी गई उस दलील को भी खारिज कर दिया कि उन्होंने जमीन का आवंटन साफ नीयत से किया था। 1995 में मुंबई के जिलाधिकारी ने बाजार भाव से जमीन का आकलन 45 करोड़ रुपए किया था।
राज्य सरकार की ओर से कौड़ियों के भाव से आवंटित की गई जमीन के चलते हुए आर्थिक नुकसान को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता राजेंद्र सोनटक्के ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी।
अदालत ने हैरानी जाहिर की : खंडपीठ ने इस पूरे मामले में देशमुख की भूमिका पर हैरानी जाहिर की है। देशमुख यह कह कर अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकते कि उन्हें जमीन की सौदेबाजी के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं थी।
क्यों नहीं दिखाई गंभीरता : खंडपीठ ने फैसले में स्पष्ट किया है कि मुख्यमंत्री ने इस भूखंड के आवंटन से जुड़े अनुबंध पर गवाह के रूप में हस्ताक्षर किए थे। इस स्थिति में वे इसके प्रत्यक्ष गवाह भी थे।
फिर भी उन्होंने भूखंड आवंटन से जुड़ी प्रक्रिया का पालन करने में कोई गंभीरता नहीं दिखाई है। इस मामले से जुड़े दस्तावेज व तथ्य देशमुख की गैर जिम्मेदाराना कार्यशैली को दर्शाते हैं। जिसकी अपेक्षा राज्य के कार्यकारी प्रमुख से नहीं की जाती है।
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