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Tuesday, 7 February 2012

रतन टाटा शामिल नहीं हुए वित्तमंत्री के साथ बजट पूर्व बैठक में


रतन टाटा  शामिल नहीं हुए वित्तमंत्री के साथ बजट पूर्व बैठक में
सरकार ने रिलायंस इंडस्ट्रीज के गैस कीमतें बढ़ाने के प्रस्ताव को खारिज किया

मुंबई से एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

यूरोपीय बाजारों में कमजोरी आने से घरेलू बाजार लाल निशान में चले गए हैं। दोपहर 2:35 बजे सेंसेक्स 107 अंक गिरकर 17600 और निफ्टी 30 अंक गिरकर 5336 के स्तर पर हैं।बीएचईएल, टाटा स्टील, भारती एयरटेल, गेल 3-2.5 फीसदी टूटे हैं। एलएंडटी, डीएलएफ, स्टरलाइट इंडस्ट्रीज, सन फार्मा, एचयूएल, स्टरलाइट इंडस्ट्रीज, एचडीएफसी, इंफोसिस 2-1 फीसदी गिरे हैं।कैपिटल गुड्स शेयरों में 1.75 फीसदी से ज्यादा की गिरावट है। पावर, रियल्टी, मेटल, तकनीकी, ऑटो शेयर 1.5-0.5 फीसदी कमजोर हैं। आईटी, हेल्थकेयर और सरकारी कंपनियों के शेयर भी फिसले हैं।

रतन टाटा  शामिल नहीं हुए वित्तमंत्री के साथ बजट पूर्व बैठक में। दूसरे उद्योगपतियों ने भी वित्तमंत्री के साथ बैठने की जरुरत नहीं समझी। ​​केंद्र सरकार के आर्थिक सुधारों से ये उद्योगपति , जिनमें से कईयों को कारपोरेट लाबिइंग का शिकार होना पड़ा है, संतुष्य नहीं है। नीरा राडिया​​ के टेप प्रकरण से रतन टाटा सरकारी रवैए से नाराज बताये जाते हैं।  सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से उद्योगपति रतन टाटा को नीरा राडिया टेप मामले में मांगी गई जानकारी मुहैया कराने को कहा है। टाटा ने याचिका में कॉर्पोरेट लॉबिस्ट राडिया की नेताओं, अफसरों और पत्रकारों से बातचीत के संपूर्ण अंश मुहैया कराने की मांग की है।इस बीच टाटा टेलि ने सुप्रीम कोर्ट के 2जी लाइसेंस रद्द करने के आदेश पर पुनर्विचार याचिका दायर करने का फैसला किया है।टाटा टेलि का कहना है कि कंपनी ने 2006 में लाइसेंस की अर्जी दी थी, लेकिन टेलिकॉम विभाग ने कंपनी को 2008 में लेटर ऑफ इंटेट जारी किया था।सुप्रीम कोर्ट ने 2008 में जारी किए सभी 2जी लाइसेंस रद्द करने का निर्देश दिया। फैसले के बाद 11 टेलिकॉम कंपनियों के 122 लाइसेंस रद्द हो गए हैं।

कई बार तो मंत्री समूह इसलिए किसी नतीजे पर पहुंचने में नाकाम रहते हैं, क्योंकि संबंधित मंत्री समय पर बैठक नहीं कर पाते। इस पर आश्चर्य नहीं कि ज्यादातर मंत्री समूहों के मुखिया प्रणब मुखर्जी हैं, लेकिन यदि वित्तमंत्री अपना ज्यादातर समय मंत्री समूहों का काम निपटाने और साथ ही हर किस्म की समस्याओं का समाधान करने में खपाएंगे तो वह अपनी मूल जिम्मेदारी का निर्वाह सही तरह से कैसे कर पाएंगे? यह सवाल इसलिए, क्योंकि अब देश के साथ-साथ दुनिया भी इससे अच्छी तरह अवगत हो चुकी है कि भारत में जरूरी आर्थिक सुधार अटके पड़े हुए हैं।

आगामी बजट में शेयर बाजार की तर्ज पर कमोडिटी सौदों पर ट्रांजैक्शन टैक्स लगने की आशंका ने पूरे उद्योग को एकजुट कर दिया है। यह टैक्स न लगे, इसके लिए उद्योग संगठनों ने वित्त मंत्रालय में पेशबंदी शुरू कर दी है। कुछ संगठनों ने तो वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी को पत्र लिखकर भी यह कदम न उठाने की सलाह दी है।

सूत्रों के मुताबिक सरकार ने रिलायंस इंडस्ट्रीज के गैस कीमतें बढ़ाने के प्रस्ताव को खारिज किया है।पेट्रोलियम मंत्रालय ने रिलायंस इंडस्ट्रीज को तय कीमत पर गैस बेचने का निर्देश दिया है। केजी-डी6 की गैस की कीमत 4.2 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू तय की गई थी।

सूत्रों से एक्सक्लूसिव जानकारी मिली है कि पेट्रोलियम मंत्रालय नेरिलायंस इंडस्ट्रीज के केजी-डी6 की गैस कीमतें बढ़ाने के प्रस्ताव को खारिज किया है।

सूत्रों के मुताबिक पेट्रोलियम मंत्रालय का कहना है कि केजी-डी6 से निकली गैस की कीमतें 5 साल के लिए तय हैं। इसलिए कीमतों में बदलाव नहीं किया जा सकता है।

मंत्रालय के मुताबिक गैस कीमतों पर सरकार का फैसला अंतिम है। मंत्रालय ने रिलायंस इंडस्ट्रीज-आरएनआरएल मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी तर्क दिया है।

रिलायंस इंडस्ट्रीज का कहना था कि प्रोडक्शन शेयरिंग कॉन्ट्रैक्ट के तहत गैस कीमतों में बदलाव किया जा सकता है। 6 जनवरी को कंपनी ने सरकार से गैस कीमतें बढ़ाने का प्रस्ताव रखा था।


जानकारी के मुताबिक टाटा संस के प्रमुख रतन टाटा, रिलायंस इंडस्ट्रीज के मुख्य प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी, रिलायंस धीरूभाई अंबानी समूह के चेयरमैन अनिल अंबानी, आदित्य बिड़ला के गु्रप चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला को आमंत्रित किया गया था लेकिन पहले से निर्धारित कार्यक्रमों में व्यस्त होने का हवाला देते हुए इन उद्योगपतियों ने इस बैठक से किनारा कर लिया। अधिकारियों के मुताबिक इसके अलावा भारती एंटरप्राइजेज के प्रमुख और गु्रप सीईओ सुनील भारती मित्तल, लार्सन ऐंड टुब्रो के मुख्य प्रबंध निदेशक ए एम नाइक, रेमंड समूह के मुख्य प्रबंध निदेशक गौतम सिंघानिया, बायोकॉन लिमिटेड की मुख्य प्रबंध निदेशक किरण मजूमदार शॉ, एशियन पेंट्स के अश्विन डैनी, महिंद्रा और महिंद्रा समूह के केशव महिंद्रा और आनंद महिंद्रा और एस्सार स्टील होल्डिंग्स लिमिटेड के जे मेहरा को भी आमंत्रित किया गया था लेकिन इन सभी ने बैठक में शामिल होने के लिए अपनी असमर्थता जाहिर की। हालांकि उद्योग संगठनों और उनके प्रतिनिधियों ने वित्त मंत्री के साथ मुलाकात की।

सरकार के खस्ताहाल खजाने को भरने की कोशिश में माना जा रहा है कि वित्त मंत्री इस बार कमोडिटी कारोबार को ट्रांजैक्शन टैक्स [सीटीटी] के दायरे में ला सकते हैं। शेयर कारोबार पर पहले से ही ट्रांजैक्शन टैक्स [एसटीटी] लागू है। इसलिए टैक्स लगने की सुगबुगाहट होते ही इसे रोकने की कवायद शुरू हो गई है। सीटीटी लगने का नुकसान कमोडिटी एक्सचेंजों के कारोबार पर भी होगा। उद्योग संगठनों का कहना है कि अभी तो देश में कमोडिटी यानी जिंस वायदा कारोबार की शुरूआत ही हुई है। इस पर टैक्स लगता है तो देश में कमोडिटी कारोबार का विकास ही रुक जाएगा। वर्तमान में देश के जिंस वायदा बाजारों [कमोडिटी एक्सचेंजों] में रोजाना औसतन 54,000 करोड़ रुपये का कारोबार होता है।

सीटीटी पर सरकार के कदम रोकने को उद्योग संगठन एसोचैम और फिक्की ने वित्त मंत्री को पत्र लिखा है। फिक्की महासचिव राजीव कुमार ने पिछले महीने की 27 तारीख को लिखे अपने पत्र कहा है कि यह कर लगाने का मतलब होगा घरेलू वायदा बाजारों में हो रहा वायदा कारोबार अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंजों की तरफ चला जाएगा। सरकार खुद कमोडिटी एक्सचेंजों में कारोबार बढ़ा उनकी सदस्यता फीस को कम करने की बात करती रही है, ताकि इस कारोबार में किसानों की भागीदारी बढ़ाई जा सके। एसोचैम के महासचिव डीएस रावत ने अपने पत्र में कमोडिटी एक्सचेंज की लागत का हवाला देते हुए कहा है कि टैक्स लगने के बाद यह मौजूदा तीन रुपये प्रति लाख से बढ़कर 21.25 रुपये प्रति लाख हो जाएगा।

इन दोनों संगठनों के अलावा बुलियन एसोसिएशन ऑफ इंडिया भी कमोडिटी सौदों पर ट्रांजैक्शन टैक्स लगाने का विरोध कर रही है। एसोसिएशन का मानना है कि पहले से ही कमोडिटी पर कई तरह के कर लगते हैं। सीटीटी लगने से इसकी कीमत में और इजाफा होगा। इसका अर्थव्यवस्था पर भी दूरगामी असर होगा।

कमोडिटी सौदों को ट्रांजैक्शन टैक्स के दायरे में शामिल करने की यह पहली कोशिश नहीं है। इससे पहले वर्ष 2009 के बजट में जिंस वायदा सौदों पर यह टैक्स लगाने की घोषणा हुई थी। मगर इस पर हुए विरोध के चलते ट्रांजैक्शन टैक्स की घोषणा को जल्दी ही वापस भी ले लिया गया था।


वित्त वर्ष 2012-13 के लिए आम बजट 16 मार्च को पेश किया जाएगा। रेल बजट 14 मार्च को पेश होगा, जबकि आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 15 मार्च को संसद में पेश की जाएगी। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने मंगलवार को बताया कि बजट सत्र 12 मार्च को राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील के अभिभाषण से शुरू होगा। राष्ट्रपति दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन को सम्बोधित करेंगी। इसके बाद 16 मार्च को केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी आम बजट पेश करेंगे, जबकि रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी 14 मार्च को रेल बजट पेश करेंगे। आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 15 मार्च को संसद में पेश की जाएगी।

चालू वित्त वर्ष में देश की आर्थिक विकास दर के 6.9 प्रतिशत तक रहने के अग्रिम अनुमान के बीच वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने मंगलवार को उम्मीद जताई कि अतिम आकड़े आने पर विकास दर इससे बढ़ी हुई दिखेगी।मुखर्जी ने केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) द्वारा विकास दर का अग्रिम अनुमान जारी किए जाने के बाद अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि विकास में कमी आने का मुख्य कारण औद्योगिक विकास विशेषकर निवेश में गिरावट के कारण आई है। उन्होंने कहा कि खनन क्षेत्र में नकारात्मक बढ़ोतरी और निर्माण क्षेत्र में शिथिलता से भी आर्थिक विकास प्रभावित हो रहा है।

वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी का कहना है कि औद्योगिक उत्पादन में कमी आने की वजह से जीडीपी दर पर दबाव है। इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय हालात का भी घरेलू अर्थव्यवस्था पर असर दिख रहा है।

प्रणव मुखर्जी के मुताबिक महंगाई और विकास के बीच तालमेल बिठाना मुश्किल भरा काम है।

हालांकि, योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह का मानना है कि वित्त वर्ष 2012 में जीडीपी विकास दर 7 फीसदी रहेगी।


केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में कहा कि कॉरपोरेट लॉबिस्ट नीरा राडिया की विवादास्पद वार्ताओं का जो संस्करण मीडिया में प्रकाशित हुआ था, वह मूल टेप की सामग्री से मेल नहीं खाता।सरकार ने अदालत से यह बात एक मुहरबंद लिफाफे में सौंपी गई एक रपट में कही है। यह रपट उद्योगपति रतन टाटा द्वारा दायर एक याचिका की सुनवाई के दौरान सौंपी गई। रतन टाटा ने कहा है कि यद्यपि उनका फोन टेप नहीं किया गया था, लेकिन राडिया के साथ हुई, उनकी बातचीत को रिकॉर्ड करने से उनकी निजता में घुसपैठ हुई है।सरकार द्वारा सौंपी गई रपट पर नजर दौड़ाने के बाद न्यायमूर्ति जी.एस. सिंघवी की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने कहा कि हो सकता है कि वार्ताओं को सम्पादित किया गया हो।

अंबानी बंधुओं के लिए भी समय प्रतिकूल लगता है।हालांकि उद्योग जगत के अन्य प्रतिनिधियों ने भारतीय रिजर्व बैंक के कठोर मौद्रिक उपायों और बाह्य कारकों की वजह से मौजूदा वित्त वर्ष के अधिकांश समय में बुरी तरह से प्रभावित हुई आर्थिक  गतिविधियों की समीक्षा का आग्रह किया है।

उधर कर्नाटक में अवैध खनन की जांच कर रही उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) ने कई ऐसी सिफारिशें की हैं, जिसके लोहा व इस्पात उद्योग पर दूरगामी असर होंगे। सीईसी ने 49 खनन पट्टे रद्द करने, लौह अयस्क का सालाना उत्पादन 3 करोड़ टन सीमित करने और कर्नाटक में खनन के नए पट्टे जारी करने पर रोक लगाने की सिफारिश की है।उच्चतम न्यायालय अगर सीईसी की सिफारिशें स्वीकार करेगा तो स्टील क्षेत्र में होने वाला भारी-भरकम निवेश अटक सकता है। शुक्रवार को अदालत में सौंपी अंतिम रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में नए लाइसेंस जारी करने पर रोक लगाई जानी चाहिए। एक ओर जहां जेएसडब्ल्यू राज्य में उत्पादन क्षमता 1 करोड़ टन से बढ़ाकर 1.6 करोड़ टन करने की प्रक्रिया में है, वहीं कैप्टिव खदान के आवंटन की खातिर करीब एक दर्जन प्रस्ताव मंजूरी की प्रतीक्षा में हैं।

गौरतलब है कि इस बैठक में आईटीसी के चेयरमैन वाई सी  देवेश्वर, हिंदुस्तान यूनीलिवर के सीईओ नितिन परांजपे, सुजलॉन एनर्जी के मुख्य प्रबंध निदेशक तुलसी आर तांती, बीएचईएल के सीएमडी बी पी राव और मेदांता के प्रमुख नरेश त्रेहन ने वित्त मंत्री के साथ बातचीत के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था के शिथिल विकास को तेज किए जाने के बारे अपने विचारों को साझा किया। उन्होंने वित्त मंत्री से कर की दरों को मौजूदा स्तर पर बनाए रखने लेकिन बजट में छूट की सीमा बढ़ाए जाने का आग्रह किया ताकि विकास को प्रोत्साहन दिया जा सके। इसके अलावा उन्होंने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को सेवा कर से बाहर रखेे जाने और न्यूनतम वैकल्पिक कर (एमएटी) को तार्किक बनाए जाने की मांग की। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार और उद्योग जगत को सामूहिक तौर पर अर्थव्यवस्था की चुनौतियों से निपटने की आवश्यकता है, जिसमें आर्थिक विकास को गति देने, महंगाई पर लगाम लगाने और राजकोषीय एवं राजस्व घाटे को कम करना शामिल है। उद्योगपतियों ने विमानन क्षेत्र, दूरसंचार, स्वास्थय और शिक्षा को आधारभूत क्षेत्र का दर्जा देने और वस्तु एवं सेवा कर को जल्द लागू किए जाने और 31 मार्च 2013 तक निर्यातकों को ब्याज दरों में मदद जारी रखे जाने की मांग की।



केंद्र सरकार ने मंगलवार को कहा कि चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर 6.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो बीते तीन सालों में सबसे कम है। अनिश्चित वैश्विक आर्थिक स्थिति, उच्च ब्याज दरें व सरकार की महत्वपूर्ण सुधार लागू करने में असमर्थता के चलते वृद्धि प्रभावित हुई है।

यहां सांख्यिकीय एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी राष्ट्रीय आय के नए अनुमानों में कहा गया है कि साल 2011-12 के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि 6.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है जो कि 2010-11 में 8.4 प्रतिशत थी। वित्त वर्ष 2009-10 में आर्थिक वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत थी।

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा लगातार मुख्य दरों में वृद्धि करने के कारण निवेश पर नकारात्मक असर पड़ा। इसी समय वैश्विक आर्थिक सुस्ती के कारण देश की अर्थव्यवस्था के सामने समस्या और बढ़ गई। सकल स्थायी पूंजी निर्माण मौजूदा कारोबारी साल में सुस्त वृद्धि के साथ 26,09,963 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले कारोबारी साल में 23,31,382 करोड़ रुपये था। इस सूचकांक में कमजोरी रहने का मतलब है कि अर्थव्यवस्था में सुस्ती आ रही है।

मार्च में समाप्त होने जा रहे इस वित्तीय वर्ष में जिन मुख्य क्षेत्रों में कम विकास हुआ उनमें विनिर्माण क्षेत्र प्रमुख है। इसमें केवल 3.9 प्रतिशत का विस्तार होने का अनुमान है जबकि खनन क्षेत्र में 2.2 प्रतिशत की ऋणात्मक वृद्धि रहेगी।

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक के ताजा उपलब्ध अनुमानों के मुताबिक अप्रैल से नवम्बर माह की अवधि में विनिर्माण क्षेत्र में 4.1 प्रतिशत वृद्धि रही। इसी अवधि में कृषि क्षेत्र में 2.5 प्रतिशत का सुस्त विकास हुआ, जिसमें पिछले कारोबारी साल में सात फीसदी विकास हुआ था।

वाणिज्य, होटल, परिवहन और संचार क्षेत्र में 11.2 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है जबकि वित्त, बीमा, रियल ईस्टेट और व्यापार सेवाओं के क्षेत्र में 9.1 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की आर्थिक सलाहकार समिति के अध्यक्ष सी. रंगराजन ने हालांकि कहा कि मौजूदा कारोबारी साल में आर्थिक वृद्धि दर सात फीसदी से थोड़ी अधिक रह सकती है।

योजना आयोग के उपाअध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने भी आर्थिक वृद्धि दर के सात फीसदी के आसपास रहने का अनुमान जाहिर किया है।



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Palash Biswas
Pl Read:
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