सल्ट में भू माफिया
पहाड़ों से पलायन और गाँवों के वीरान होने का सिलसिला लगातार जारी है। अल्मोड़ा जिले के सल्ट विकासखंड में भी एक ओर गाँवों की आबादी घटती जा रही है, दूसरी ओर बाहर से आये पूँजीपति गाँवों में धड़ल्ले से जमीनें खरीद रहे हैं। राज्य गठन के 11 साल के भीतर 62 बाहरी लोगों ने जमीनें खरीदी हैं। अधिकतर जमीनें वीरान गाँवों में खरीदी गई है। यह हालत तब है जब नई जनगणना में अल्मोड़ा जिले की जनसंख्या में गिरावट दर्ज की गई है।
सल्ट के भीताकोट निवासी व आरटीआई कार्यकर्ता नारायण रावत द्वारा तहसील सल्ट से आरटीआई के तहत ली गई जानकारियों में यह चौंकाने वाली बात सामने आई है। सल्ट में जमीनें खरीदने वाले अधिकांश लोग महानगरों के बाशिंदे हैं। सबसे ज्यादा दिल्ली निवासी पच्चीस, यूपी के बीस, हरियाणा के दस, पंजाब के चार, जम्मू-कश्मीर, बंगलौर व उत्तराखंड के एक-एक व्यक्ति ने जमीन खरीदी है। आँकड़ों को देखें तो ग्राम डांग कड़ाकोटी में तेरह, बडै़त में बारह, नैल में आठ, खोल्यूक्यारी में सात, अछरौन मल्ला में छह, झड़गाँव में पाँच, बलूली में चार, साकर में दो व बौड़मल्ला, डभरा सौराल, जिहाड़, बंद्राणबिष्ट, सिरौली, कुकराड़ गाँवों में एक-एक व्यक्ति के द्वारा जमीन खरीदी जा चुकी है। दिलचस्प बात है कि इनमें जहाँ बड़ैत गाँव खाली हो चुका है, वहीं झड़गाँव, नैल में पलायन के चलते एक चौथाई जनंसख्या ही बची हैं। मगर सरकारी आँकड़े केवल बाँसी व बनगढ़ को ही गैर आबाद गाँव बता रहे हैं। नारायण बताते हैं कि राजनैतिक संरक्षण प्राप्त बाहरी लोग ग्रामीणों को प्रलोभन देकर सस्ते में जमीन खरीद रहे हैं। कम आबादी वाले गाँव धनपतियों के टारगेट में रहते हैं। वह सरकारी मानक के अन्तर्गत ही जमीन खरीद रहे हैं, मगर निर्माण करते समय अगल-बगल की जमीनें भी कब्जा रहे हैं। प्रभावशालियों के चलते ग्रामीण उनके खिलाफ बोलने से कतराते हैं। उन्होंने कहा कि धनबल के चलते बाहरी लोग आने वाले समय में राजनैतिक व सामाजिक रूप से मजबूत हो जाएँगे। उनकी मजबूती से स्थानीय लोग हाशिए में चले जाएंगे।
नारायण रावत कहते हैं कि मूलभूत सुविधाएँ, पानी, सड़क न होने व जंगली जानवरों के आतंक से परेशान ग्रामीण कौडि़यों के भाव जमीनें बेच रहे हैं। सड़क, पानी से महरूम व जंगली जानवरों का आतंक से प्रभावित डांगकड़ाकेटी, जिहाड़, साकर, बड़ैत, में जमीनें बिकी हैं। वहीं नैल, सिरौली, अछरौनमल्ला, झड़गाँव, बलूली में भी तमाम सुविधाओं से ग्रामीण वंचित हैं। मगर सड़क व पानी जैसी सुविधाओं से वंचित गाँवों में बाहरी लोगों द्वारा धड़ल्ले से जमीन खरीदना कई सवाल खड़े कर रहा है।
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