नई दिल्ली. गवर्नेंस में पारदर्शिता के क्षेत्र में कार्यरत लखनऊ स्थित संस्था नेशनल आरटीआई फोरम द्वारा केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त को कोर्पोरेट भ्रष्टाचार प्रकरण में पत्र लिखकर जांच और कार्यवाही की मांग की गई है.
संस्था के मुताबिक, उच्च-स्तरीय कोर्पोरेट भ्रष्टाचार के एक मामले में स्विस मल्टीनेशनल वेस्टरगार्द फ्रैंडसेन ग्रुप एसए के भारत स्थित सब्सिडीअरी वेस्टरगार्द फ्रैंडसेन इंडिया लिमिटेड द्वारा भारत में विभिन्न राज्यों को काफी अलग-अलग दरों पर “लंबी-आयु कीटनाशक मच्छरदानी” (एलएलआइएन) प्रदान किया गया है.
एलएलआइएन का उपयोग आर्द्रतायुक्त, वन क्षेत्रों में होता है जहाँ मच्छरों का भयावह प्रकोप होता है. भारत के बहुत सारे राज्य सरकारों और तमाम अन्य सरकारी संस्थाओं द्वारा गरीब लोगों को निशुल्क वितरित करने के लिए एलएलआइएन ख़रीदे जाते हैं. वेस्टरगार्द फ्रैंडसेन भारत एवं विश्व के कई देशों में एलएलआइएन के सबसे बड़े सप्लायरों में है.
यह कंपनी एलएलआइएन की सप्लाई या तो सीधे करती है या अपने मध्यस्थों के जरिये. लेकिन इसके द्वारा सप्लाई किये गए एलएलआइएन की कीमतों में अलग-अलग जगह पर बहुत भारी अंतर होता है जिससे यह साफ़ झलकता है कि इनके रेट तय करने में बेईमानी हुई है. साथ ही इन दरों को तय करने में आवश्यक प्रक्रिया का पालन भी नहीं किया गया है.
संस्था के पास उपलब्ध दस्तावेजों के अनुसार इनके दर रु० 199 प्रति ईकाई से रु० 400 तक नियत किये गए. यह पूरी तरह गलत है और दर्शाता है कि किस प्रकार अत्यंत गरीब लोगों को मच्छरदानी वितरित करने के नाम पर भ्रष्टाचार किया जा रहा है.
ज्ञातव्य हो कि असम, जहाँ वेस्टरगार्द फ्रैंडसेन द्वारा अपने मध्यस्थ मेसर्स ग्लोबल बिजिनेस प्राइवेट लिमिटेड, नयी दिल्ली के माध्यम से एलएलआइएन सप्लाई किये गए हैं, के मामले में जहाँ ग्लोबल बिजिनेस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा रु० 400 प्रति मच्छरदानी के दर से असम सरकार को सप्लाई किया गया.
वहीं उनके द्वारा कॉन्ट्रेक्ट पाने के पूर्व ही रुपये 295 प्रति ईकाई की दर से वेस्टरगार्द फ्रैंडसेन से उतनी ही मच्छरदानी की खरीद का समझौता कर लिया गया था, जो साफ़ दर्शाता है कि इसमें असम सरकार के अधिकारियों, वेस्टरगार्द फ्रैंडसेन और ग्लोबल प्राइवेट की मिलीभगत थी.
SOURCE
No comments:
Post a Comment