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Tuesday, 7 February 2012

बजट से पहले निवेशकों को साफ संकेत,आयकर में राहत की उम्मीद सरकार कॉरपोरेट क्षेत्र को मदद करेगी ताकि ऊंची वृद्धि दर और समावेशी वृद्धि का लक्ष्य पूरा किया जा सके। मुंबई से एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास


बजट से पहले निवेशकों को साफ संकेत,आयकर में राहत की उम्मीद

सरकार कॉरपोरेट क्षेत्र को मदद करेगी ताकि ऊंची वृद्धि दर और समावेशी वृद्धि का लक्ष्य पूरा किया जा सके।

मुंबई से एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को कहा कि सरकार कॉरपोरेट क्षेत्र को मदद करेगी ताकि ऊंची वृद्धि दर और समावेशी वृद्धि का लक्ष्य पूरा किया जा सके।बजट से पहले वित्त मंत्री के इस सकारात्मक बयान को देश की वाणिज्यिक राजधानी मुंबई की कारपोरेट दुनिया में निवेशकों के लिए​ ​हरी झंडी बतौर देखा जा रहा है। केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि महंगाई दर मार्च तक सात फीसदी के आसपास बनी रहेगी।वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी मार्च मध्य में किसी समय 2012-13 का आम बजट पेश करेंगे। उच्च मुद्रास्फीति के बीच उद्योग भी आयकर स्लैब बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। बहरहाल माना जा रहा है कि सरकार मौजूदा कर दरों को 10, 20 और 30 प्रतिशत के स्तर पर बरकरार रखेगी।

खबर है कि कारपोरेट जगत को खुश करने के साथ साथ नौकरीपेशा लोगों के लिए भी मलहम जुटाने में लगे हैं वित्तमंत्री।अगले बजट में आम नौकरीपेशा लोगों को इनकम टैक्स में कुछ राहत मिल सकती है। फाइनैंस मिनिस्टर इनकम टैक्स छूट सीमा को मौजूदा 1.80 लाख रुपये से बढ़ाकर दो लाख रुपये सालाना कर सकते हैं। प्रत्यक्ष कर क्षेत्र में सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए संसद में पेश प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी) में भी यही व्यवस्था की गई है। इसमें दो लाख रुपये तक की सालाना आय को टैक्स फ्री रखने और विभिन्न कर दरों की श्रेणी में आय सीमा बढ़ाई गई है। डीटीसी में इनकम टैक्स छूट सीमा 1.8 लाख रुपये से बढ़ाकर दो लाख रुपये करने का प्रावधान किया गया है। डीटीसी बिल फिलहाल संसद की स्थायी समिति के विचाराधीन है। बिल में यह भी प्रस्ताव है कि 30 पर्सेंट व्यक्तिगत आयकर 10 लाख रुपये सालाना आय से अधिक कमाने वालों पर लगाया जाना चाहिए। इस समय यह सीमा आठ लाख रुपये है।

प्रभुदास लीलाधर के ज्वाइंट एमडी, दिलीप भट्ट का कहना है कि बाजार की तेजी में विदेशी निवेशकों का बड़ा योगदान रहा है। 9 जनवरी से 3 फरवरी तक करीब 16,000 करोड़ डॉलर का एफआईआई आया है।

दिलीप भट्ट के मुताबिक बजट से पहले आई हुई तेजी काफी मजबूत लग रही है। निफ्टी के 5001-5200 स्तर तक जाने की उम्मीद थी, लेकिन निफ्टी ने उम्मीद से ज्यादा तेजी दिखाई है। छोटी अवधि में विदेशी निवेशकों की ओर से कब तक और कितना निवेश होगा इसका अंदाजा लगाना फिलहाल मुश्किल होगा।

अगर अगले और 10 दिनों तक भी भारतीय बाजारों में विदेशी निवेश जारी रहता है, तो निफ्टी 5500-5600 तक के स्तर दिखा सकता है। लेकिन लंबी अवधि में निफ्टी दोबारा 5000 के नीचे गिर सकता है।


इस बीच खराब खबर  यह है कि वैश्विक रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ने सोमवार को चेतावनी दी कि घरेलू और वैश्विक मोर्चे पर कठिनाई के चालते इस साल भारत सरकार की वित्तीय साख का पलड़ा हल्का पड़ सकता है।हालांकि स्टैंडर्ड एंड पुअर्स ने कहा कि उसे नहीं लगता कि निकट भविष्य में भारत के दीर्धकालिक सरकारी बांडों की साख नीचे करनी होगी। फिलहाल एजेंसी ने निकट भविषय के लिए भारत की साख के स्तर को नीचे नहीं करने जा रही है। एजेंसी ने भारत की दीर्घकालिक वित्तय साख को निवेशकों की दृष्टि से स्थिरतापूर्ण बीबीबी श्रेणी में रखा है।केंद्र की यूपीए सरकार के सामने जिस तरह की राजकोषीय दिक्कतें इस समय हैं, उन्हें देखते हुये इनकम टैक्स की दरों में तो कमी के कोई आसार नजर नहीं आते हैं, लेकिन इतना जरूर है कि सरकार डीटीसी की कुछ प्रमुख सिफारिशों को आगामी बजट में सुविधानुसार शामिल कर सकती है।

इससे पहले हाल में बजट से पहले देश के जाने माने अर्थशास्त्रियों ने  वित्तमंत्री को सलाह दी है कि निवेशकों का भरोसा बढ़ाने के लिए सरकार को बजट में ठोस कदमों का ऐलान करना चाहिए। साथ ही सभी ने एक स्वर में सरकार से टैक्स दायरा बढ़ाने की भी मांग की।वित्त मंत्री के साथ सलाह मशविरा के दौरान अर्थशास्त्रियों ने कहा कि राजस्व घाटा पूरा करने के लिए सरकार टैक्स का दायरा बढ़ाए और टैक्स प्रशान में सुधार लाए। सर्विस टैक्स की निगेटिव लिस्ट का भी बजट में ऐलान किया जाना चाहिए। मल्टीब्रैंड में एफडीआई और एपीएमसी एक्ट में सुधार जैसे रिफार्म का भी ऐलान करे। खेती से होनी वाली आमदनी को कुछ छुट के साथ टैक्स के दायरे में लाया जाए।

विनिवेश के लिए सरकार शेयर बाजार पर पूरी तरह से निर्भर ना रहे बल्कि स्ट्रैटेजिक पार्टनर या इन्वेस्टर को हिस्सेदारी बेचे। कई अर्थशास्त्रियों ने डीजल कार पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने का सुझाव भी दिया। सरकार ने 2008 में मंदी के दौरान एक्साइज और सर्विस टैक्स में कटोती की थी उसे दोबारा बहाल करने पर अर्थशास्त्री एक मत नहीं थे।


सरकार के आय-व्यय के बीच बढते अंतर को सीमित रखने की जरूरत पर बल देते भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा कि आर्थिक वृद्धि को गति देने की जरूरत है। सरकार का राजकोषीय घाटा 2011-12 में 4.6 प्रतिशत के बजट अनुमान से उपर जाने की आशंका है। इसका कारण राजस्व प्राप्ति में कमी तथा सब्सिडी बिल में बढ़ोतरी है।

वित्त वर्ष 2012 की तीसरी तिमाही के लिए सरकार ने तेल उत्पादक कंपनियों पर अतिरिक्त सब्सिडी बोझ डाला है।

ओएनजीसी, गेल और ऑयल इंडिया पर 33 फीसदी से बजाय 37.9 फीसदी का ऑयल सब्सिडी बोझ पड़ेगा। अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के लिए तेल उत्पादक कंपनियों को 15261 करोड़ रुपये ऑयल सब्सिडी बतौर सरकार को देने होंगे।

ओएनजीसी पर सब्सिडी बोझ 5713 करोड़ रुपये से बढ़कर 12536 करोड़ रुपये पड़ेगा। वहीं, ऑयल इंडिया को 844 करोड़ रुपये के बजाय 1853 करोड़ रुपये देने होंगे। तीसरी तिमाही के लिए गेल इंडिया को 871 करोड़ रुपये सब्सिडी बतौर देने होंगे।

जानकारी के मुताबिक विनिवेश पर ईजीओएम बैठक मेंबीएचईएल और ओएनजीसी में हिस्सा बेचने पर विचार किया जा सकता है।

माना जा रहा है कि सेबी द्वारा आईपीपी गाइडलाइंस जारी होने के बाद सरकार ओएनजीसी और बीएचईएल में अपना हिस्सा बेचने को मंजूरी दे सकती है।

ईजीओएम एलआईसी जैसी वित्तीय संस्थाओं को ओएनजीसी और बीएचईएल की हिस्सेदारी बेचने पर फैसला लेगी। स्टॉक एक्सचेंज पर शेयरों की नीलामी के जरिए ओएनजीसी और बीएचईएल की हिस्सेदारी बेची जा सकती है।

ओएनजीसी का हिस्सा बेचकर 13000 करोड़ रुपये और बीएचईएल का हिस्सा बेचकर 4500 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य है। वित्त वर्ष 2012 के लिए सरकार ने विनिवेश से 40000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा था। लेकिन, अब तक विनिवेश से सरकार सिर्फ 1500 करोड़ रुपये ही जुटा पाई है।




गौरतलब है कि मुखर्जी ने कोलकाता में  फिक्की की एक गोष्ठी में कहा कि नए कंपनी विधेयक में अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति के अनुरूप नए बदलाव किए गए हैं। सरकार कापरेरेट क्षेत्र को सहायता देना चाहती है और वह इसके लिए तैयार है क्योंकि उच्च वृद्धि दर और समावेशी विकास के लक्ष्य को पूरा करने में कॉरपोरेट क्षेत्र की अहम भूमिका
है। मुखर्जी ने फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के एक कार्यक्रम में कहा, मुझे खुशी है कि महंगाई दर दिसम्बर (2011) में 9.7 फीसदी से घटकर 7.47 फीसदी तक आ गई। और मेरा मानना है कि मार्च तक महंगाई दर का यह रुख जारी रहेगा।जहां तक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास की बात है, उन्होंने कहा कि 31 मार्च को मौजूदा कारोबारी साल की समाप्ति पर यह सात फीसदी रहेगी।उन्होंने कहा, हमें अपनी अर्थव्यवस्था के विकास को लेकर चिंतित होने की जरूरत नहीं है। (मौजूदा कारोबारी साल की) पहली दो तिमाहियों में यह 7.3 फीसदी थी।


एसएंडपी ने कहा कि भारत घरेलू स्तर पर उच्च मुद्रास्फीति, कमजोर राजकोषीय स्थिति और आर्थिक वृद्धि में नरमी से संघर्ष कर रहा है, ऐसे में यूरोपीय ऋण संकट देश पर दबाव डाल सकता है।

एसएंडपी रेटिंग सर्विसेज ने आज यहां एक रिपोर्ट में कहा कि कई अन्य देशों की तरह भारत को कुछ मामलों में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है और सरकारी ऋण के जोखिम का संतुलन थोड़ा नकारात्मक दिशा में मुड़ सकता है।


मुखर्जी ने इक्विटी बाजार से और संसाधन जुटाने का आह्वान करते हुए मुखर्जी ने कहा कि इक्विटी में खुदरा निवेशकों का भरोसा बढ़ाने और कंपनियों के कामकाज के तरीकों पर ध्यान देने की जरूरत है। हमें निवेशकों के दिमाग में यह बात डालने की जरूरत है कि उनका निवेश सुरक्षित है।

उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था की मौजूदा बचत दर 33 फीसदी है और बचतकर्ता सारी घरेलू बचत का निवेश नहीं कर सकता इसलिए इक्विटी में निवेश का प्रतिशत आनुपातिक नहीं बलिक अधिक था। उन्होंने कहा कि यदि ऐसा होता है तो घरेलू बाजार से ज्यादा संसाधन जुटाए जा सकते हैं।

वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने संकेत दिया है कि 2012-13 के बजट में राजकोषीय घाटे को कम करने के लिये उपायों की घोषणा करेंगे। बजट मार्च में पेश किये जाने की संभावना है। मुद्रास्फीति के मुद्दे का जिक्र करते हुए गोकर्ण ने अंडा, मछली, दूध जैसे प्रोटीनवाले खाद्य वस्तुओं के उत्पादन में वृद्धि की जरूरत को रेखांकित किया। हाल के समय में इन वस्तुओं में दाम में तीव्र वृद्धि दर्ज की गई है।

एडलविस इनवेस्टर कांफ्रेन्स में उन्होंने कहा, 'खाद्य मुद्रास्फीति का कारण मांग एवं आपूर्ति में अंसुतलन है। प्रोटीन आधारित वस्तुओं की मांग बढ़ी है। हमें प्रोटीन आधारित वस्तुओं का उत्पादन बढ़ाने की जरूरत है।' हालांकि हाल के दिनों में खाद्य मुद्रास्फीति शून्य से नीचे चली गई है जबकि सकल मुद्रास्फीति दिसंबर में 7.5 प्रतिशत रही। मार्च के अंत तक इसके 6 से 7 प्रतिशत पर आने की उम्मीद है।


देश के शेयर बाजारों में सोमवार को तेजी रही। प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 102.35 अंकों की तेजी के साथ 17,707.31 पर और निफ्टी 35.80 अंकों की तेजी के साथ 5,361.65 पर बंद हुए। बम्बई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 136.95 अंकों की तेजी के साथ 17,741.91 पर खुला। सेंसेक्स ने 17,829.72 के ऊपरी और 17,595.10 के निचले स्तर को छुआ।

वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने मुद्रास्फीति से निपटने के लिये आपूर्ति बाधाएं खत्म करने के मामले में हस्तक्षेप करने को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सराहना की.

फिक्की के कार्यक्रम में मुखर्जी ने कहा कि आपूर्ति बाधाओं के कारण मुद्रास्फीति उंची रही है. मेरा मानना है कि राज्यों को इस मामले में सकारात्मक और रचनात्मक भूमिका निभानी चाहिए. पश्चिम बंगाल जैसे कुछ राज्यों ने इस मामले में भूमिका निभायी और मुख्यमंत्री ने स्वयं हस्तक्षेप किया जिसके कारण आपूर्ति संबंधी बाधाओं में कुछ हद तक कमी आयी.

वित्त मंत्री ने कहा कि हम कुछ और सकारात्मक कदम उठा रहे हैं. पिछले दो बजट में मैंने दाल एवं खाद्य तेल के क्षेत्र में दूसरी हरित क्रांति के लिये विशेष प्रावधान किया है. इसका नतीजा आने लगा है. मुखर्जी ने कहा कि मुझे खुशी है कि सकल मुद्रास्फीति दिसंबर महीने में घटकर 7.47 प्रतिशत पर आ गयी जो इससे पहले दोहरे अंक के करीब 9.7 प्रतिशत पर थी.

बढ़ते राजकोषीय घाटे से चिंतित वित्त मंत्रालय आम बजट में सेवा कर के दायरे को बढ़ा सकता है। इसके लिए कुछ नई सेवाओं या वस्तुओं पर भी सेवा कर लगा सकता है। ऐसा मंत्रालय की नकारात्मक सूची के आधार पर किया जाएगा।

वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, नकारात्मक सूची के दायरे में 22 सेवाओं को रखा जा सकता है। यानी उनको सेवाकर के दायरे में नहीं लाया जाएगा। दरअसल वस्तु व सेवा कर को लागू करने पर गठित वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति ने सेवाओं की नकारात्मक सूची के आधार पर सेवा कर लगाने को अपनी सहमति दी थी।

इस बाबत केंद्रीय उत्पाद व सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) ने दिसंबर में एक मसौदा तैयार किया था और उस पर राज्यों से राय भी मांगी थी। सूत्रों के मुताबिक, इस बाबत सीबीईसी को राज्यों से प्रतिक्रिया भी मिल चुकी है। इस आधार पर बोर्ड नकारात्मक सूची को बजट में शामिल कराने की कोशिश में लगा हुआ है।

मालूम हो कि वैश्विक स्तर पर भी नकारात्मक सूची का चलन है। पिछले हफ्ते उद्योग जगत ने भी वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी के साथ हुई बजट पूर्व बैठक में नकारात्मक सूची को पेश करने की पेशकश कर चुका है। फिलहाल देश में 119 वस्तुओं पर सेवाकर का प्रावधान है। इससे सरकार को मौजूदा वित्त वर्ष में 82 हजार करोड़ रुपए के राजस्व संग्रह की उम्मीद है।



सेंसेक्स के 30 में से 20 शेयरों में तेजी रही। जिंदल स्टील (3.39 फीसदी), भेल (2.86 फीसदी), एसबीआई (2.85 फीसदी), सिप्ला (2.19 फीसदी) और एलएंडटी (2.14 फीसदी) में सर्वाधिक तेजी रही।

सेंसेक्स में गिरावट में रहने वाले शेयरों में प्रमुख रहे टाटा पावर (4.36 फीसदी), हिंदुस्तान यूनिलीवर (3.49 फीसदी), सन फार्मा (1.79 फीसदी), गेल इंडिया (0.74 फीसदी) और आरआईएल (0.60 फीसदी)।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक निफ्टी 53.60 अंकों की तेजी के साथ 5,379.45 पर खुला। निफ्टी ने 5,390.05 के ऊपरी और 5,327.25 का निचला स्तर छुआ।

बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में भी तेजी रही। मिडकैप 76.47 अंकों की तेजी के साथ 6,122.57 पर और स्मॉलकैप 95.38 अंकों की तेजी के साथ 6,781.93 पर बंद हुए।

बीएसई के 13 में से 12 सेक्टरों में तेजी रही। रियल्टी (3.96 फीसदी), पूंजीगत वस्तु (2.00 फीसदी), धातु (1.63 फीसदी), सार्वजनिक कम्पनियां (1.37 फीसदी) और बैंकिंग (1.33 फीसदी) में सर्वाधिक तेजी रही।

बीएसई में एक सेक्टर स्वास्थ्य सेवा (0.12 फीसदी) में गिरावट रही।

बीएसई में कारोबार का रुझान सकारात्मक रहा। कुल 1855 शेयरों में तेजी और 1054 में गिरावट रही, जबकि 105 शेयरों के भाव में बदलाव नहीं हुआ।




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