बुखारी और मुलायम में बढ़ी दरारें
Saturday, 07 April 2012 17:19 |
नयी दिल्ली, सात अप्रैल (एजेंसी) जामा मस्जिद इमाम बुखारी ने अब सपा सुप्रीमो के सामने शर्त रखी है कि तीन मुसलमानों को विधान परिषद भेजने पर ही वह मानेंगे। समाजवादी पार्टी :सपा: पर मुसलमानों की अनदेखी करने का आरोप लगाकर अपने दामाद उमर अली खान की विधान परिषद की उम्मीदवारी को मना करने वाले जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने अब सपा सुप्रीमो के सामने शर्त रखी है कि तीन मुसलमानों को विधान परिषद भेजने पर ही वह मानेंगे। सपा आलाकमान के सामने यह शर्त रखने के साथ ही बुखारी ने पार्टी के मुस्लिम चेहरा और अखिलेश यादव सरकार के वरिष्ठ मंत्री आजम खान पर जमकर निशाना साधा है। अटकलें थी कि बुखारी की नाराजगी की असल वजह उनके भाई याहया बुखारी को राज्यसभा नहीं भेजा जाना है। इस पर बुखारी ने कहा, ''ये बातें पूरी तरह बेबुनियाद हैं। मैंने कभी अपने परिवार के लोगों के लिए राज्यसभा की सीट नहीं मांगी। राज्यसभा के उम्मीदवारों के चयन से पहले मुलायम ने मुझसे कहा था कि आप कोई नाम सुझाना चाहते हैं तो मैंने मना कर दिया।''शाही इमाम ने आज 'भाषा' के साथ बातचीत में कहा, ''मैंने अपने दामाद की उम्मीदवारी वापस की है क्योंकि मुसलमानों को उनका वाजिब हक सपा ने नहीं दिया है। मुलायम सिंह का फोन आया था और मैंने उनसे कह दिया है कि विधान परिषद के सात उम्मीदवारों में तीन मुसलमान होने चाहिए और इसके बाद मैं झुकूंगा।'' बुखारी ने कल मुलायम को पत्र लिखकर उमर की उम्मीदवारी को वापस करने की जानकारी दी थी। सपा की ओर से विधान परिषद की सात नामों का एलान किया गया है, उनमें एक नाम उमर अली खान का भी था। वैसे विधानसभा चुनाव में उमर सहारनपुर की बेहट सीट से सपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। बुखारी ने कहा, ''मैं मुलायम सिंह यादव का सम्मान करता हूं, लेकिन उन्होंने मुसलमानों के लिए जो वादे किए थे, वो पूरे होने चाहिए। मंत्रिमंडल के गठन, राज्यसभा और अब विधान परिषद में मुसलमानों को वाजिब हिस्सेदारी नहीं दी गई। अगर सपा तीन मुसलमानों को विधान परिषद नहीं भेजती है तो मेरा दामाद किसी भी सूरत में नामांकन दाखिल नहीं करेगा।'' मुलायम का सम्मान करने की बात करने वाले बुखारी ने आजम खान पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा, ''यह शख्स :आजम: खुद का दुश्मन है और मुसलमानों का भी दुश्मन है। आप पार्टी के भीतर पता कर लीजिए, ज्यादातर विधायक और नेता उनसे खुश नहीं हैं। इससे मुसलमानों का नुकसान हो रहा है।'' यह पूछे जाने पर कि अगर सपा उनकी शर्त नहीं मानती तो वह इस पार्टी से नाता तोड़ लेंगे तो उन्होंने कहा, ''अभी उनको फैसला करने दीजिए। अगर वे नहीं मानते हैं तो आगे फैसला मैं जरूर सुनाउच्च्ंगा।'' इस बीच दिल्ली में सपा का कोई नेता इस मामले पर खुलकर बोलने को तैयार नहीं है, क्योंकि यह मसला सीधे सपा सुप्रीमो और बुखारी के बीच का है। सपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ''बुखारी साहब को कोई शिकायत है तो उन्हें सीधे नेताजी से बात करनी चाहिए। आजम खान पर निशाना साधना दुर्भाग्यपूर्ण है।'' |
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