महिला अपराधों के खिलाफ भोपाल में प्रदर्शन
- SATURDAY, 07 APRIL 2012 15:04
भाजपा सरकार की दूसरी पारी और आठवें वर्ष तक प्रदेश में महिलाओं और किशोरियों के साथ हिंसा में बढ़ोत्तरी हुई है। लगातार होते गैंग रेप, छेड़छाड की बढ़ती घटनाओं की वजह से प्रदेश महिलाओं और किशोरियों के लिए असुरक्षित होता जा रहा है...
मध्य प्रदेश में महिलाओं और किशोरियों के विरुद्ध लगातार बढती हिंसा और अपराध को लेकर 6 अप्रैल को भोपाल के एम.पी. नगर में विभिन्न संगठनों द्वारा प्रदर्शन किया गया। इसमें कार्यकत्ताओं द्वारा हस्ताक्षर अभियान चलाया गया और पर्चे बांटे गये।
प्रदर्शन के अंत में एक सभा का आयोजन किया गया जिसे लज्जा शंकर हरदेनिया, डॉ. रिजवानुल हक, उपासना बेहार, अरधा तिवारी, दीपा, रोली, दीपेन्द्र बधेल, जावेद अनीस, मधुकर, जय भीम आदि वक्ताओं द्वारा संबोधित किया गया।
वक्ताओं ने कहा कि भाजपा सरकार की दूसरी पारी और आठवें वर्ष तक प्रदेश में महिलाओं और किशोरियों के साथ हिंसा में बढ़ोत्तरी हुई है। लगातार होते गैंग रेप, छेड़छाड की बढ़ती घटनाओं की वजह से प्रदेश महिलाओं और किशोरियों के लिए असुरक्षित होता जा रहा है।
खुद को प्रदेश की महिलाओं का भाई और लड़कियों के मामा कहलवाना पसंद करने वाले मुख्यमंत्री से महिलाएं और किशोरियां उनके द्वारा किये गये वायदे को लेकर हिसाब मांग रही हैं।
प्रदर्शन से पहले दिन पांच अप्रैल 2012 को युवा संवाद और नागरिक अधिकार मंच द्वारा मध्य प्रदेश में महिलाओं के प्रति बढती हिंसा को लेकर प्रेस वार्ता कर श्वेत पत्र जारी किया गया। साथ ही इस श्वेत पत्र को ज्ञापन के साथ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री, गृहमंत्री, मध्य प्रदेश राज्य महिला आयोग, मध्य प्रदेश राज्य मानव अधिकार आयोग, संचनालय महिला और बाल विकास मध्य प्रदेश, महिला और बाल विकास विभाग मध्य प्रदेश शासन को सौंपा गया। विभिन्न संगठनों द्वारा इसको लेकर हस्ताक्षर अभियान तथा आनलाइन पीटीशन चलाया जा रहा है, जिसे ज्ञापन सहित मध्य प्रदेश के राज्यपाल को सौपा जायेगा।
प्रदर्शन के दौरान संगठनों ने मध्य प्रदेश सरकार से मांग की कि जिम्मेदार विभाग को संवेदनशील एवं जवाबदेह बनाया जाये। महिला के लिये बने कानूनों का कठोरता से क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाये। बलाल्कार से सबंधित केस के लिए फास्ट ट्रेक बनाया जाये। बलात्कार से सबंधित केसों में एफआईआर की प्रक्रिया को सरल बनाया जाये और बलात्कार पीडि़त महिला का मेडिकल टेस्ट न किया जाए। महिलाओं की सहायता के लिए बनाई गए हेल्पलाइन नम्बर 1091 सभी टेलीफोन आपरेटरों द्वारा निशुल्क उपलब्ध करने की मांग भी की गयी।
प्रदर्शन में मांग की गयी कि प्रदेश में घरेलू हिंसा संरक्षण कानून के सही क्रियावयन के लिए पृथक संरक्षण अधिकारी नियुक्त किया जाये। साथ ही विशाखा गाइड़ लाइन को गम्भीरता से लागू करते हुए सभी सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं एवं संगठनों में कार्यस्थल पर यौन उत्पीडन निवारण के लिए एक सक्रिय समीति का गठन किया जाये। मध्य प्रदेश में खासकर आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों से लड़कियां लगातार लापता हो रही हैं। गौरतलब है कि 2004 से 2011 तक प्रदेश में से 35 हजार 395 बच्चियां लापता हुई हैं। इसके लिये सरकार ठोस कदम उठाये।
समाज में प्रचलित टोनही कुप्रथा को समाप्त करने की मांग भी जोर- शोर से उठाई गयी और कहा गया कि मध्यप्रदेश स्तर पर इसके लिए कानून बनाया जाये। राज्य में महिलाओं की स्थिति पर राज्यस्तरीय प्रतिवेदन जारी करने, सभी थानों में आवश्यक महिला पुलिसकर्मी की नियुक्ति सुनिश्चित करने, छात्राओं की सुरक्षा के लिए प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों और कालेजों में महिला सेल के गठन ,सभी जिलों में आश्रयगृहों एवं प्रशिक्षित परामर्श दाता नियुक्त करने की मांग भी प्रदर्शन के दौरान उठाई गयी। मध्य प्रदेश दिनोंदिन महिलाओं के विरुद्ध हिंसा और अपराध का गढ़ बनता जा रहा। पिछले कुछ सालों से प्रदेश में महिलाओं और किशोरियों के साथ हिंसा में बड़ी तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। लगातार होते गैंग रेप, छेड़छाड की बढ़ती घटनाओं की वजह से प्रदेश महिलाओं और किशोरियों के लिए असुरक्षित होता जा रहा है।
पिछले कुछ महीनों से तो महिलाओं और किशोरियों के प्रति हिंसा में यहाँ बहुत तेजी देखी जा रही है। लगता है प्रदेश में कानून का राज नही है और प्रशासन आँखों में पटटी बांधे मात्र मूकदर्शक बना हुआ है। पिछले दो माह के दरम्यान हुई ''बेटमा रेप केस'', देवालपुरा (लिम्बांदापार गाँव) में मुक बधिर के साथ रेप, मुलतई में दलित छात्रा के साथ गैगरेप, बैतुल में आदिवासी समुदाय की नाबालिक लड़की के साथ रेप और शिकायत करने पर उसकी मां का कत्ल, बैरसिया गैंगरेप, राजगढ़ गैंगरेप, छिदवाड़ा में नाबालिक लड़की के साथ रेप, शिवपुरी (मनपुरा गाँव) में गैगरेप आदि जैसी बड़ी घटनाएं प्रदेश में महिलाओं और किशोरियों के असुरक्षित होने की कहानी बयां करती हैं।
गौरतलब है कि प्रदेश में बलात्कार और छेड़छाड़ के सबसे अधिक मामले सामने आए हैं। यहां सबसे अधिक बलात्कार (संख्या 3135/14.1 फीसदी) और छेड़छाड़ (संख्या 6646/16.4 फीसदी) की रिपोर्ट दर्ज की गई हैं, जो देश में सबसे अधिक हैं। दलित और आदिवासी महिला उत्पीडन की घटनाओं में भी हमारे प्रदेश दूसरे राज्यों से आगे है। वर्ष 2011 में भोपाल जिले में 382, इंदौर में 287, ग्वालियर जिले में 327 और जबलपुर में 152 बलात्कार के मामले दर्ज किये गए।
वर्ष 2011 में यहाँ महिलाओं के साथ रेप, लूट, अपहरण, चोरी, हत्या का प्रयास इत्यादि के कुल 54418 मामले दर्ज हुए हैं, जिसमें इदौर में सबसे ज्यादा 18915 तथा दूसरे नंबर पर भोपाल 14287 है। इसके बाद ग्वालियर और जबलपुर है। बच्चों के खिलाफ अपराध के मामलों में मध्य प्रदेश (18.4 फीसदी) का पहला नंबर है।
मध्य प्रदेश में 2010 में महिलाओं के साथ 16468 आपराधिक घटनाएँ हुयीं, जो कि पूरे देश में 5वें स्थान में था। इतना ही नहीं प्रदेश में 2004 से 2011 तक 35 हजार 395 बच्चियां लापता हो चुकी हैं।
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