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Monday 12 March 2012

हर हाल में पूरा होगा आर्थिक सुधारों का एजंडा, बाजार उम्मीद में उछलने लगा!रेल बजट से हफ्तेभर पहले बढ़ा माल भाड़ा!


हर हाल में पूरा होगा आर्थिक सुधारों का एजंडा, बाजार उम्मीद में उछलने लगा!रेल बजट से हफ्तेभर पहले बढ़ा माल भाड़ा!

मुंबई से एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

बंबई स्टाक एक्सचेंज का सूचकांक सेंसेक्स 269 अंकों के उछाल के साथ 17772 के स्तर पर खुला। राजनीतिक चुनौतियों से निपटने का इंतजाम लगता है कि यूपीए संकटमोचकों ने कर लिया है। यूपी से संकट की शुरुआत हुई तो यूपी से ही इलाज निकाला गया। मुलायम के पर छांटने के लिए मायावती, सीधा समीकरण। हर हाल में पूरा होगा आर्थिक सुधारों का एजंडा, बाजार उम्मीद में उछलने लगा! राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील ने उद्योग जगत को आश्वस्त करते हुए संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के ईमानदार एवं कुशल प्रशासन देने की प्रतिबद्धता को जाहिर करते हुए कहा कि देश की अर्थव्यवस्था जल्द ही चालू वित्त वर्ष के लिए अनुमानित सात फीसदी की जगह आठ से नौ फीसदी की विकास दर को पा लेगी।इस बीच देश के औद्योगिक उत्पादन में सुधार के संकेत हैं।आईआईपी के शानदार आंकड़ों ने बाजार के साथ-साथ सरकार को भी चौंका दिया है। प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार समिति के चेयरमैन, सी रंगराजन के मुताबिक वित्त वर्ष 2013 की पहली तिमाही में ही उद्योग की हालत सुधरने की उम्मीद थी। जनवरी 2012 में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में 6.8 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई। यह वृद्धि मुख्य तौर पर विनिर्माण क्षेत्र में सुधार से आई है। रिजर्व बैंक द्वारा शुक्रवार को नकद आरक्षित अनुपात में की गई कटौती के मद्देनजर बंबई स्टॉक एक्सचेंज के बेंचमार्क सेंसेक्स में आज के शुरुआती कारोबार के दौरान 269 अंकों की उछाल दर्ज हुआ। ब्रोकरों ने कहा कि एशियाई क्षेत्र में बेहतर रुझान के बीच कम कीमत पर लिवाली के लिए उपलब्ध शेयरों के कारण में बाजार में उछाल दर्ज हुआ। तीस शेयरों वाला सूचकांक शुरुआती कारोबार में 268.86 अंक या 1.54 फीसद चढ़कर 17772.10 पर पहुंच गया।विशेषज्ञों का कहना है कि इस हफ्ते आम बजट तथा भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति की मध्य तिमाही समीक्षा के कारण शेयर बाजार में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है।

उद्योग जगत को शिकायत थी कि गत तीन वर्षो के दौरान आर्थिक सुधारों के लिए ठोस पहल न किए जाने से अर्थव्यवस्था मुसीबत में फंसती जा रही है। खास बात यह है कि यूपी में राहुल और प्रियंका की हार के बाद बाजार सुधारों को लेकर जिस संशय में था, राष्ट्रपति के अभिभाषण से बजट​ ​ सत्र के पहले ही दिन उसके बादल छंटने लगे है। बाजार में विदेशी निवेशकों की आस्था भी लौटने लगी है। ममता बनर्जी पर अंकुश और मायावती से तालमेल को बाजार ने सिधारों के लिए अच्छा संकेत माना है। ममता सुधारों के विरोध में नहीं हैं, वह भी मायावती और जयललिता की तर्ज पर सौदेबाजी कर रही हैं, कारपोरेट इंडिया को यह अच्छी तरह मालूम हो गया है। साफ है कि इन तीन महिलाओं के रहते य़ूपीए और सुधारों को मुलायम के उत्थान के कयास से कोई कतरा फिलहाल नहीं है।  बसपा सुप्रीमो मायावती ने उत्तराखंड में सरकार बनाने जा रही कांग्रेस को समर्थन देने के लिए हरी झंडी दे दी। उत्तराखंड में आखिरकार छह दिन चले सियासी नाटक का रविवार को पटाक्षेप हो गया। इसके साथ कांग्रेस के पास अब 39 विधायक हैं जो बहुमत से तीन ज्यादा हैं। अब सूबे में कांग्रेस-बसपा गठबंधन सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया।प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मध्यावधि चुनाव की आशंकाओं को खारिज करते हुए विश्वास प्रकट किया है कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के पास आवश्यक बहुमत है और वह अपना कार्यकाल पूरा करेगी। सोमवार को प्रधानमंत्री ने पत्रकारों से कहा कि दबाव से निपटना संसदीय जीवन का हिस्सा है। मैं पूरी तरह से आश्वस्त हूं कि हमारे पास जरूरी बहुमत है। उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि बजट सत्र शांतिपूर्ण तरीके से चलेगा।

रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी इस बार बजट में कोई झटका नहीं देना चाहते। यही वजह है कि बजट से ठीक 1 हफ्ते पहले ही उन्होंने मालभाड़े में बढ़ोतरी कर अपना बजट ठीक कर लिया है। खाने-पीने की चीजों के साथ-साथ पेट्रोलियम प्रोडक्ट तक के मालभाड़े में रेलवे ने 15-35 फीसदी तक बढ़ोतरी कर दी है।सीमेंट के दाम भी बढ़ गए हैं। 50 किलो की एक बोरी सीमेंट अब 12-30 रुपये महंगा मिलेगा। सीमेंट कंपनियों ने दाम में ये बढ़ोतरी रेल भाड़ा महंगा होने के बाद किया है। रेलवे ने 6 मार्च से मालभाड़ा बढ़ा दिया है। सीमेंट की ज्यादातर ढुलाई रेलवे से ही होती है। इसी के चलते ज्यादा दूर से आने वाला सीमेंट ज्यादा महंगा हुआ है।नए मालभाड़े के मुताबिक, कोयले की ढुलाई पर औसत बढ़ोतरी 22 फीसदी तक, सीमेंट की ढुलाई पर 26 फीसदी, फर्टिलाइजर की ढुलाई पर 28 फीसदी, पेट्रो प्रोडक्ट की ढुलाई पर 23 फीसदी, पिग आयरन और स्टील की ढुलाई पर 20 फीसदी और अनाज, आटा, दालों की ढुलाई पर 25 फीसदी की बढोतरी की गई है। इंडस्ट्री का कहना है रेलवे के इस कदम से मंहगाई बढ़ना तय है।बजट से ठीक पहले मालभाड़े में इस बढ़ोतरी से ये तो साफ हो गया है कि इस बार भी रेल बजट पॉपुलिस्ट बजट होगा। यानी कि पिछले 9 साल से नहीं बढ़े यात्री किराए में इस बार भी कोई बढ़ोतरी होने की उम्मीद नहीं है।लेकिन सीमेंट और खाने के तेल से भी ज्यादा तगड़ी महंगाई की मार पडेगी पेट्रोल और डीजल से। पेट्रोल और डीजल के दाम जल्द ही बढ़ने वाले हैं। अगले एक हफ्ते के अंदर इसका एलान हो सकता है। दरअसल कच्चे तेल के ऊंचे भाव के चलते तेल कंपनियां करीब पिछले 1 महीने से पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ाना चाहती हैं लेकिन यूपी में चुनाव को देखते हुए सरकार ने इसके लिए हरी झंडी नहीं दी थी। और अब बजट का इंतजार किया जा रहा है। यानी बजट के तुरंत बाद पेट्रोल 5 रुपये और डीजल 3 रुपये महंगा हो सकता है।

बजट सत्र से पहले राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने अपने अभिभाषण में 245 शहरों में 839 एफएम रेडियो चैनल्स का ई-ऑक्शन करने का ऐलान किया है।ष्ट्रपति के इस ऐलान से 1-3 लाख जनसंख्या वाले छोट शहरों में भी एफएम की सेवाएं पहुंच सकेंगी। लेकिन लाइसेंस के लिए बीडिंग प्राइस काफी ज्यादा होने की वजह से सरकार को हर छोटे शहर के लिए बोलियां मिलेगी इसपर असमंजस बनी हुई है।राष्ट्रपति के द्वारा 245 शहरों में 839 एफएम रेडियो चैनल्स के ऐलान के बाद ईएनआईएल के शेयर में सोमवार को 4 फीसदी से ज्यादा का उछाल देखा गया। वहीं वॉल्युम 10 दिनों के औसत के मुकाबले 9 गुना बढ़ा।

आंध्र प्रदेश से तमिलनाडु सप्लाई होने वाला सीमेंट 10-12 रुपये ही महंगा हुआ है। केरल में सीमेंट 22 रुपये बोरी महंगा हुआ है। महाराष्ट्र में 15 रुपये और कर्नाटक में 12 रुपये बोरी महंगा हुआ है। पूर्वी भारत में सप्लाई होने वाला सीमेंट 28-30 रुपये बोरी महंगा हो गया है।

सीमेंट के दाम तो तुरंत बढ़ गए लेकिन रेलवे भाड़ा महंगा होने से और कई चीजें हैं जो अब महंगी होने वाली हैं। जैसे अनाज, फल सब्जी कोयला और खाद। लेकिन पैसे की कमी से जूझ रही रेलवे के लिए ये कदम जरूरी हो गया था। लेकिन सवाल इस बात का है कि आखिर बजट से 1 हफ्ते पहले दाम बढाने की ऐसी क्या जल्दी थी।

दूसरी ओर काले धन को वापस लाने के राष्ट्रपति के संसदीय वायदे के साथ बाजार अनुसंधान पर स्वतंत्र व्यक्तियों एवं फर्मों की रपटों से शेयरों की कीमत में उतार-चढ़ाव की आशंका के मद्देनजर बाजार नियामक सेबी जल्दी ही सभी प्रकार के अनुसंधान एवं विश्लेषणकर्ताओं को नियामकीय दायरे में ला सकता है।ब्रोकरेज कंपनी, फंड हाउस, निवेश बैंक और बाजार की अन्य मध्यस्थ संस्थाओं से जुड़े अनुसंधान विश्लेषक सेबी के नियमन के दायरे में आते हैं, लेकिन कोई ऐसा व्यापक नियम नहीं है जिसके तहत तीसरे पक्ष या स्वतंत्र विश्लेषकों का नियमन हो सके। गौरतलब है कि काले धन की चर्चा करते हुए पाटिल ने कहा कि सरकार काले धन की समस्या से निपटने के लिए विविध मोर्चों पर कार्रवाई शुरू कर चुकी है। इस क्रम में बेनामी संव्यवहार कानून बन चुका है और धन शोधन निवारण कानून में संशोधन किया गया है। देश के भीतर और बाहर मौजूद काले धन का आकलन करने के लिए कई स्वतंत्र एजेंसियों द्वारा अध्ययन कराया जा रहा है।
   
राष्ट्रपति ने कहा कि हम देश में अवैध निधियों के सजन और उनके देश से बाहर जाने को रोकने के लिए कई कदम उठा रहे हैं तथा विदेश से काले धन संबंधी व्यापक सूचना प्राप्त करने के लिए चैनल स्थापित कर रहे हैं।

सरकार ने सोमवार को आंतरिक एवं बाहरी सुरक्षा के साथ साथ आजीविका एवं आर्थिक सुरक्षा सहित पांच बडी चुनौतियों से निपटने की दिशा में काम करने का संकल्प व्यक्त करते हुए विश्वास जताया कि भारत आठ से नौ प्रतिशत की उंची विकास दर की स्थिति में वापस आ जाएगा। बजट सत्र के पहले दिन संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए पाटील ने सोमवार को कहा कि विश्व की अर्थव्यवस्था के लिए चालू वर्ष कठिन है और आर्थिक अनिश्चितताओं से पूरे विश्व के लोग प्रभावित हैं।उन्होंने कहा, ''अंतरराष्ट्रीय जगत में राजनीतिक अनिश्चितताएं एवं अशांति बढ़ गई है। पिछले एक वर्ष के दौरान हमारे सामने चुनौतियां बढ़ गई हैं। हमारी अर्थव्यवस्था 2010-11 के दौरान 8.4 फीसदी की दर से बढ़ी थी, लेकिन इस वर्ष धीमी होकर यह सात फीसदी के करीब हो गई है।''उन्होंने कहा कि 2010-11 में अर्थव्यवस्था 8.4 प्रतिशत की आकर्षक दर से बढी लेकिन इस वर्ष यह घटकर लगभग सात फीसदी हो गई। विश्व की मौजूदा प्रवृत्तियों को देखते हुए यह विकास दर अच्छी है। भारतीय अर्थव्यवस्था के दीर्घकालिक मूलतत्व स्वस्थ बने हुए हैं।भारत की विकास संभावनाएं उच्च घरेलू बचत एवं निवेश दर, अनुकूल जनसांख्यिकी और स्थिर लोकतांत्रिक व्यवस्था जैसे कारकों से प्रेरित हैं। मेरी सरकार को विश्वास है कि वह जल्द ही देश के आर्थिक विकास को पुन: आठ से नौ प्रतिशत की उच्च दर पर वापस ले आएगी।

उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत है। राष्ट्रपति ने कहा, ''हमारी सरकार इस विषय में आश्वस्त है कि देश जल्द ही वापस आठ से नौ फीसदी की विकास दर पर अग्रसर होगा।'' उन्होंने कहा कि ईमानदार एवं कुशल प्रशासन देने के लिए कई कदम उठाए गए हैं।

राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने कहा कि आज देश के समक्ष पांच प्रमुख चुनौतियां हैं, जिन पर मेरी सरकार काम करेगी। आबादी के एक बडे हिस्से को आजीविका सुरक्षा प्रदान करने के लिए सतत प्रयास करना तथा देश से गरीबी, भूख और निरक्षरता समाप्त करने के लिए कार्यरत रहना। उन्होंने दूसरी बडी चुनौती की चर्चा करते हुए कहा कि त्वरित एवं व्यापक विकास तथा जनता के लिए आजीविका आधारित कार्यों का सृजन करते हुए आर्थिक सुरक्षा प्राप्त करना। प्रतिभा पाटिल ने तीन अन्य चुनौतियों में त्वरित विकास के लिए उर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना, पारिस्थितिकीय एवं पर्यावरण सुरक्षा को जोखिम में डाले बिना विकास लक्ष्य प्राप्त करना तथा न्यायसंगत, बहुलवाद, पंथनिरपेक्ष तथा समावेशी लोकतंत्र के दायरे में देश की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा सुनिश्चित करना गिनाया।

बैंकिंग सेक्ट के लिए अच्छी खबर यह है कि  कैश रिजर्व रेशियो (सीआरआर) में कटौती से चौथी तिमाही में उन बैंकों की मुनाफा बनाने की क्षमता में सुधार हो सकता है, जिनके पास पर्याप्त लिक्विडिटी है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए पिछले हफ्ते सीआरआर में 75 बेसिस पॉइंट्स की कटौती का ऐलान किया। सीआरआर में 75 बेसिस अंकों की कमी से सिस्टम में अतिरिक्त 48000 करोड़ रुपए का इंतजाम होगा।

   
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में एक साल पहले जनवरी में 7.5 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई थी। हालांकि, अप्रैल से जनवरी 2010-11 के दस महीनों में औद्योगिक उत्पादन में कुल मिलाकर चार प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई, जबकि इससे पिछले वर्ष इसी अवधि में यह वृद्धि 8.3 प्रतिशत रही थी।
   
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक जनवरी में विनिर्माण क्षेत्र की उत्पादन वृद्धि 8.5 फीसदी रही, जो कि पिछले साल की इसी महीने में 8.1 फीसदी रही थी। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में विनिर्माण क्षेत्र का योगदान 75 फीसदी होता है।
   
उपभोक्ता सामानों के उत्पादन में जनवरी के दौरान 20.2 फीसदी बढ़ोतरी हुई जो पिछले साल की समान अवधि में 8.3 फीसदी थी। गैर टिकाउ उपभोक्ता उत्पाद खंड के उत्पादन में भी सुधार के संकेत दिखे और समीक्षाधीन अवधि में इसमें 42.1 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई।
   
हालांकि, पूंजीगत उत्पाद क्षेत्र में 1.5 फीसदी गिरावट दर्ज की गई जबकि पिछले साल जनवरी में इस क्षेत्र में 5.3 फीसदी वृद्धि हासिल की गई थी। खनन उत्पादन भी 2.7 फीसदी घटा जबकि पिछले साल इसी महीने इसमें 1.7 फीसद बढ़ोतरी दर्ज की गई थी।
   
बिजली उत्पादन की वृद्धि दर अपेक्षाकत कम हुई और जनवरी में इसमें 3.2 फीसदी वृद्धि रही जबकि पिछले साल जनवरी में इसमें 10.5 फीसदी वृद्धि हुई थी। इस महीने 22 में से 13 उद्योग समूहों में वृद्धि दर्ज हुई।
   
जनवरी में मूल उत्पादों का उत्पादन 1.6 फीसदी बढ़ा जबकि पिछले साल इसमें 7.7 फीसदी वृद्धि हुई थी। हालांकि, मध्यस्थ उत्पादों में उत्पादन में 3.2 फीसदी की कमी आई जबकि पिछले साल जनवरी में इसमें 7.4 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी।


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