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प्रमोटरों के हवाले कर दी गयी धारावी के बच्चों के लिए यह तो रोजमर्रे की जिंदगी है!
मुंबई से एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
होली के दिन धारावी में जो हुआ, वह कोई आकस्मिक हादसा नहीं है। प्रमोटरों के हवाले कर दी गयी धारावी के बच्चों के लिए यह तो रोजमर्रे की जिंदगी है। धारावी को धराशायी करने के लिए दुनिया भर की कंपनियों से टेंडर मँगवाए गए हैं जिसका विरोध हो रहा है।धारावी की जगह जगमग करती अट्टालिकाएं खड़ी करने की महाराष्ट्र सरकार की योजना है। लगभग 93 अरब रुपए लागत की यह परियोजना को सात साल में पूरा किया जाना है।जाहिर है कि इससे बिल्डरों को ही फायदा होगा। परियोजना से यहां रहने वाले गरीब लोगों के घर जरूर छीन जाएंगे। धारावी के पुनर्गठन की चर्चाओं के बीच इस झोपड़पट्टी के लोगों की जिंदगी रोजमर्रे के हादसों की गिरफ्त में हैं। अग्निकांड की घटनाएं आम हैं।धारावी काक्षेत्रफल लगातार सिकुड़ रहा है विकास के दावों के बीच।र धारावी झुग्गी बस्ती अब सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती नहीं रही। जानकारों के मुताबिक कई छोटी-छोटी बस्तियां मिलकर धारावी जितनी बड़ी हो चुकी हैं। फिल्मों में धारावी के बच्चों को अक्सर देखा जा सकता है , पर हकीकत उससे कहीं ज्यादा भयंकर है। इन बच्चों की अक्सर शामत आती रहती है। होली के रंग में सराबोर इन बच्चों को फिर एक संकट का मुकाबला करना पड़ा। मुंबई के बीचों-बीच बसी एशिया की सबसे बड़ी झोंपड़पट्टी 'धारावी' में गुरुवार को रंगों से खलते लोगों के रंग में उस वक्त भंग पड़ गया जब करीब 200 लोग जहरीले रंग के सक्रमण में आ गए, इनमें बच्चों की संख्या ज्यादा है।गौरतलब है कि झुग्गी बस्ती धारावी, जिससे प्रेरित होकर हिट फिल्म 'स्लमडॉग मिलियनेर' बनी है, अब मुंबई की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती नहीं रही। भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में गरीबों की और कई बस्तियां बढ़ और एक दूसरे से जुड़ गई हैं।यह इलाका मुंबई का सिर्फ एक प्रमुख रिसाइक्लिंग केंद्र ही नहीं है, बल्कि यह ज़रदोशी-कसीदाकारी किए गए पोशाकों, चमड़े, पॉटरी और प्लास्टिक के सामानों के लघु, लेकिन फलते-फूलते उद्योगों का भी केंद्र है।। सर्वश्रेष्ठ फिल्म का आस्कर जीतने वाली फिल्म स्लमडाग में यादगार किरदार निभा चुके और मलिन बस्ती में जिंदगी बसर कर रहे बच्चों अजहरुद्दीन इस्माइल, रुबीना अली, तनय चहेडा और आयुष खेडेकर ने आस्कर के उस मंच पर कदम रखने का गौरव हासिल किया जहां पहुंचने के इंतजार में लोगों की सारी जिंदगी गुजर जाती है।
होली के दौरान रासायनिक डाई को रंग की जगह इस्तेमाल करने के कारण 13 वर्षीय किशोर की मौत हो गई, जबकि 235 लोग शुक्रवार को भी अस्पताल में भर्ती हैं। भर्ती लोगों में अधिकतर बच्चे हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चौहान ने घटना की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने सायन अस्पताल में भर्ती लोगों से मिलने के बाद कहा कि त्वचा के द्वारा डाई शरीर में चली गई थी, जिसकी वजह से रक्त में हीमोग्लोबिन कम हो गया और श्वसन एवं अन्य समस्याएं आईं। उनके साथ स्वास्थ्य मंत्री सुरेश शेट्टी और महिला एवं बाल कल्याण मंत्री वर्षा गायकवाड़ थीं। बीमार 235 में से 210 लोगों को सायण अस्पताल में भर्ती कराया गया।अस्पताल के सूत्रों के अनुसार अधिकतर बच्चों को त्वचा में संक्रमण, आंखों में जलन, सांस लेने में समस्या एवं उल्टी की शिकायतें थीं।
मुंबई की 50 फ़ीसदी आबादी या तो कच्ची बस्ती में रहती है या फिर सड़कों और पार्कों में।धारावी मुंबई की 535 एकड़ कीमती जमीन पर फैली हुई है। धारावी के एक तरफ अमीरों के बंगले हैं तो दूसरी तरफ गरीब बस्तियों में लोग रहते हैं।2009 में यूएन की एक रिपोर्ट ने कहा था कि कराची की उरंगी एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि धारावी के अलावा मुंबई में कई और बस्तियां हैं जो धारावी जैसी घनी आबादी वाली है। धारावी में ज्यादातर घर बांस और ईंट पत्थर के बने हुए हैं। पक्की छत की जगह टिन की चादर लगी हुई है। यहां छोटे छोटे कई उद्योग भी चलते हैं।ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स भी धारावी की समुदाय भावना की तारीफ कर चुके हैं। विकास स्वरूप का उपन्यास 'क्यू एंड ए' भी धारावी की झुग्गियों पर लिखा गया है। इसी किताब के आधार पर हिट फिल्म 'स्लमडॉग मिलियनेर' बनी थी। जिसने भारत को पहली बार ऑस्कर दिलाया है।प्लास्टिक, रबर और रंगों की विभिन्न तरह की तीखी बदबू, अप्रत्याशित रूप से पाए जानेवाले पोल्ट्री में चाकू से दनादन मांस कटने की आती आवाज़, संकरी गलियों में पड़ोसियों के लड़ने-झगड़ने की आवाज सुनायी पड़ती है। वहीं पास में बहते हुए गंदे पानी में बच्चों की उछल-कूद।यह इलाका माहिम और सायन की उपनगरीय रेलवे लाइन के बीच बसा है। यह झोपड़पट्टी शहर के सबसे अधिक गरीबों और सबसे गंदे इलाके के रूप में जानी जाती है। धारावी मानो रीयल एस्टेट के मामले में सोने की खदान साबित हो रही है। इस इलाके में 15000 करोड़ रूपए की विकास परियोजना घोषित किए जाने से पहले छोटी-छोटी झुग्गियां खरीदने की लोगों में होड़ लगी हुई है।
घाटकोपर निवासी विकास वाल्मीकि (13 वर्ष) की गुरुवार देर रात मौत हो गई। धारावी पुलिस स्टेशन के एक अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि उसे गम्भीर संक्रमण के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था।सायण अस्पताल की डीन संध्या कामत ने बताया कि 210 में से 209 का इलाज किया जा रहा है और उसमें से तीन को गहन चिकित्सा कक्ष में रखा गया है।उल्लेखनीय है कि दक्षिण-मध्य मुम्बई के शास्त्रीनगर इलाके में यह घटना उस समय घटी जब होली का उल्लास चरम पर था।
कामत ने कहा, "शुक्रवार सुबह एक मरीज को जाने की इजाजत दे दी गई, क्योंकि वह 10वीं की परीक्षा दे रहा था। गुरुवार रात 11 बजे के बाद कोई मरीज भर्ती नहीं किया गया।"
मुख्यमंत्री ने जांच की रपट 15 दिन के अंदर जमा करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री के निर्देश पर गठित जांच समित का नेतृत्व चिकित्सा शिक्षा सचिव आई.एस. चहल करेंगे और इसमें महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य मिलिंद महेशकर, खाद्य एवं औषधि प्राधिकरण के आयुक्त महेश जगादे, अतिरिक्त नगरपालिका आयुक्त मनीषा महेशकर और एक शीर्ष पुलिस अधिकारी शामिल होंगे।
पुलिस ने बताया कि अस्पताल में भर्ती बच्चों की हालत स्थिर है।
पुलिस की प्रारम्भिक जांच में पता चला है कि गरीब तबके के कुछ बच्चों ने लावारिस रखे झोले से रंग निकालकर खेलना शुरू कर दिया था।
सायन अस्पताल के एक चिकित्सा अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, "त्वचा में संक्रमण, आंख में जलन और उल्टी की शिकायत पर करीब 176 बच्चों को अस्पताल में भर्ती किया गया है।"उन्होंने बताया, "दोपहर बाद से अस्पताल में बच्चों को लाने का सिलसिला शुरू हुआ। ऐसा लगता है कि बच्चों ने किसी रसायन युक्त रंग से होली खेली थी।"
अस्पताल के अधिकारियों के मुताबिक बच्चों में कुछ की हालत गम्भीर लेकिन स्थिर है। बच्चों पर इलाज का असर हो रहा है। अधिकारियों ने बताया कि इस तरह की कुछ शिकायतें बड़ों से भी मिली हैं।
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि रंग के स्रोत की जानकारी पाने की कोशिश की जा रही है।
वैसे अभी तक जो बात सामने आ रही है उसके मुताबिक धारावी के साहू नगर इलाके में एक दुकानदार के यहां से बच्चों ने रंग लिए। कुछ बच्चों ने बताया कि वहां मुफ्त में रंग दिए जा रहे थे; जबकि इलाके के लोग इसके लिए वहां पर स्थित कैमिकल फैक्ट्री को इसके लिए जिम्मेदार मान रहे हैं।धारावी में होली की खुशियों में उस वक्त भंग पड़ गया जब 'विषाक्त' रंग के शिकार 170 से अधिक लोगों को एलर्जी की शिकायत हुई।
सायन स्थित लोकमान्य तिलक नगर निकाय अस्पताल में मौजूद एक सूत्र ने बताया, ''अस्पताल में जहरीले रंग के संक्रमण के 170 मामले आये।''
उन्होंने बताया कि बच्चों को कम से कम एक दिन के लिए निगरानी में रखा जाएगा।
उन्होंने कहा कि अस्पताल में आने के बाद कुछ मामले गंभीर थे लेकिन उपचार के बाद उन मरीजों की हालत अब स्थिर है।
अस्पताल में भर्ती लोगों में 9 से 10 साल के बच्चे भी शामिल हैं।
पुलिस उपायुक्त धनंजय कुलकर्णी ने बताया, ''हमने अज्ञात लोगों के खिलाफ एक मामला दर्ज किया है।''
पुलिस सूत्रों ने बताया कि वे उन दुकानों की पहचान करने की कोशिश कर रहे हैं जहां से रंग खरीदे गए थे।
विकिपीडिया के मुताबिक धारावी से हर साल 50 से 65 करोड़ डॉलर का माल निर्यात होता है। यह देश के सबसे ज्यादा बैंकों वाले शहर मुंबई के बीचोबीच है, मुंबई के वित्तीय केंद्र बांद्रा-कुरला कॉम्प्लेक्स से सटी हुई है। फिर भी कारीगरों की बस्ती और निर्यात के लिए ख्यात होने के बावजूद यहां लंबे समय तक वाणिज्यिक बैंक की कोई शाखा नहीं थी। ऐसी पहली शाखा वहां फरवरी 2007 में खोली गई। और, केवल तीन सालों में बैंक से अपनी इस शाखा से 44 करोड़ रुपए से ज्यादा का बिजनेस हासिल कल लिया। इस सफलता से उत्साहित होकर दूसरे बैंक मे भी धारावी में अपनी शाखा खोल दी है। धारावी में इस समय 9 एटीएम हैं और सभी बराबर इस्तेमाल किए जाते हैं।
मुंबई से एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
होली के दिन धारावी में जो हुआ, वह कोई आकस्मिक हादसा नहीं है। प्रमोटरों के हवाले कर दी गयी धारावी के बच्चों के लिए यह तो रोजमर्रे की जिंदगी है। धारावी को धराशायी करने के लिए दुनिया भर की कंपनियों से टेंडर मँगवाए गए हैं जिसका विरोध हो रहा है।धारावी की जगह जगमग करती अट्टालिकाएं खड़ी करने की महाराष्ट्र सरकार की योजना है। लगभग 93 अरब रुपए लागत की यह परियोजना को सात साल में पूरा किया जाना है।जाहिर है कि इससे बिल्डरों को ही फायदा होगा। परियोजना से यहां रहने वाले गरीब लोगों के घर जरूर छीन जाएंगे। धारावी के पुनर्गठन की चर्चाओं के बीच इस झोपड़पट्टी के लोगों की जिंदगी रोजमर्रे के हादसों की गिरफ्त में हैं। अग्निकांड की घटनाएं आम हैं।धारावी काक्षेत्रफल लगातार सिकुड़ रहा है विकास के दावों के बीच।र धारावी झुग्गी बस्ती अब सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती नहीं रही। जानकारों के मुताबिक कई छोटी-छोटी बस्तियां मिलकर धारावी जितनी बड़ी हो चुकी हैं। फिल्मों में धारावी के बच्चों को अक्सर देखा जा सकता है , पर हकीकत उससे कहीं ज्यादा भयंकर है। इन बच्चों की अक्सर शामत आती रहती है। होली के रंग में सराबोर इन बच्चों को फिर एक संकट का मुकाबला करना पड़ा। मुंबई के बीचों-बीच बसी एशिया की सबसे बड़ी झोंपड़पट्टी 'धारावी' में गुरुवार को रंगों से खलते लोगों के रंग में उस वक्त भंग पड़ गया जब करीब 200 लोग जहरीले रंग के सक्रमण में आ गए, इनमें बच्चों की संख्या ज्यादा है।गौरतलब है कि झुग्गी बस्ती धारावी, जिससे प्रेरित होकर हिट फिल्म 'स्लमडॉग मिलियनेर' बनी है, अब मुंबई की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती नहीं रही। भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में गरीबों की और कई बस्तियां बढ़ और एक दूसरे से जुड़ गई हैं।यह इलाका मुंबई का सिर्फ एक प्रमुख रिसाइक्लिंग केंद्र ही नहीं है, बल्कि यह ज़रदोशी-कसीदाकारी किए गए पोशाकों, चमड़े, पॉटरी और प्लास्टिक के सामानों के लघु, लेकिन फलते-फूलते उद्योगों का भी केंद्र है।। सर्वश्रेष्ठ फिल्म का आस्कर जीतने वाली फिल्म स्लमडाग में यादगार किरदार निभा चुके और मलिन बस्ती में जिंदगी बसर कर रहे बच्चों अजहरुद्दीन इस्माइल, रुबीना अली, तनय चहेडा और आयुष खेडेकर ने आस्कर के उस मंच पर कदम रखने का गौरव हासिल किया जहां पहुंचने के इंतजार में लोगों की सारी जिंदगी गुजर जाती है।
होली के दौरान रासायनिक डाई को रंग की जगह इस्तेमाल करने के कारण 13 वर्षीय किशोर की मौत हो गई, जबकि 235 लोग शुक्रवार को भी अस्पताल में भर्ती हैं। भर्ती लोगों में अधिकतर बच्चे हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चौहान ने घटना की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने सायन अस्पताल में भर्ती लोगों से मिलने के बाद कहा कि त्वचा के द्वारा डाई शरीर में चली गई थी, जिसकी वजह से रक्त में हीमोग्लोबिन कम हो गया और श्वसन एवं अन्य समस्याएं आईं। उनके साथ स्वास्थ्य मंत्री सुरेश शेट्टी और महिला एवं बाल कल्याण मंत्री वर्षा गायकवाड़ थीं। बीमार 235 में से 210 लोगों को सायण अस्पताल में भर्ती कराया गया।अस्पताल के सूत्रों के अनुसार अधिकतर बच्चों को त्वचा में संक्रमण, आंखों में जलन, सांस लेने में समस्या एवं उल्टी की शिकायतें थीं।
मुंबई की 50 फ़ीसदी आबादी या तो कच्ची बस्ती में रहती है या फिर सड़कों और पार्कों में।धारावी मुंबई की 535 एकड़ कीमती जमीन पर फैली हुई है। धारावी के एक तरफ अमीरों के बंगले हैं तो दूसरी तरफ गरीब बस्तियों में लोग रहते हैं।2009 में यूएन की एक रिपोर्ट ने कहा था कि कराची की उरंगी एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि धारावी के अलावा मुंबई में कई और बस्तियां हैं जो धारावी जैसी घनी आबादी वाली है। धारावी में ज्यादातर घर बांस और ईंट पत्थर के बने हुए हैं। पक्की छत की जगह टिन की चादर लगी हुई है। यहां छोटे छोटे कई उद्योग भी चलते हैं।ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स भी धारावी की समुदाय भावना की तारीफ कर चुके हैं। विकास स्वरूप का उपन्यास 'क्यू एंड ए' भी धारावी की झुग्गियों पर लिखा गया है। इसी किताब के आधार पर हिट फिल्म 'स्लमडॉग मिलियनेर' बनी थी। जिसने भारत को पहली बार ऑस्कर दिलाया है।प्लास्टिक, रबर और रंगों की विभिन्न तरह की तीखी बदबू, अप्रत्याशित रूप से पाए जानेवाले पोल्ट्री में चाकू से दनादन मांस कटने की आती आवाज़, संकरी गलियों में पड़ोसियों के लड़ने-झगड़ने की आवाज सुनायी पड़ती है। वहीं पास में बहते हुए गंदे पानी में बच्चों की उछल-कूद।यह इलाका माहिम और सायन की उपनगरीय रेलवे लाइन के बीच बसा है। यह झोपड़पट्टी शहर के सबसे अधिक गरीबों और सबसे गंदे इलाके के रूप में जानी जाती है। धारावी मानो रीयल एस्टेट के मामले में सोने की खदान साबित हो रही है। इस इलाके में 15000 करोड़ रूपए की विकास परियोजना घोषित किए जाने से पहले छोटी-छोटी झुग्गियां खरीदने की लोगों में होड़ लगी हुई है।
घाटकोपर निवासी विकास वाल्मीकि (13 वर्ष) की गुरुवार देर रात मौत हो गई। धारावी पुलिस स्टेशन के एक अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि उसे गम्भीर संक्रमण के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था।सायण अस्पताल की डीन संध्या कामत ने बताया कि 210 में से 209 का इलाज किया जा रहा है और उसमें से तीन को गहन चिकित्सा कक्ष में रखा गया है।उल्लेखनीय है कि दक्षिण-मध्य मुम्बई के शास्त्रीनगर इलाके में यह घटना उस समय घटी जब होली का उल्लास चरम पर था।
कामत ने कहा, "शुक्रवार सुबह एक मरीज को जाने की इजाजत दे दी गई, क्योंकि वह 10वीं की परीक्षा दे रहा था। गुरुवार रात 11 बजे के बाद कोई मरीज भर्ती नहीं किया गया।"
मुख्यमंत्री ने जांच की रपट 15 दिन के अंदर जमा करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री के निर्देश पर गठित जांच समित का नेतृत्व चिकित्सा शिक्षा सचिव आई.एस. चहल करेंगे और इसमें महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य मिलिंद महेशकर, खाद्य एवं औषधि प्राधिकरण के आयुक्त महेश जगादे, अतिरिक्त नगरपालिका आयुक्त मनीषा महेशकर और एक शीर्ष पुलिस अधिकारी शामिल होंगे।
पुलिस ने बताया कि अस्पताल में भर्ती बच्चों की हालत स्थिर है।
पुलिस की प्रारम्भिक जांच में पता चला है कि गरीब तबके के कुछ बच्चों ने लावारिस रखे झोले से रंग निकालकर खेलना शुरू कर दिया था।
सायन अस्पताल के एक चिकित्सा अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, "त्वचा में संक्रमण, आंख में जलन और उल्टी की शिकायत पर करीब 176 बच्चों को अस्पताल में भर्ती किया गया है।"उन्होंने बताया, "दोपहर बाद से अस्पताल में बच्चों को लाने का सिलसिला शुरू हुआ। ऐसा लगता है कि बच्चों ने किसी रसायन युक्त रंग से होली खेली थी।"
अस्पताल के अधिकारियों के मुताबिक बच्चों में कुछ की हालत गम्भीर लेकिन स्थिर है। बच्चों पर इलाज का असर हो रहा है। अधिकारियों ने बताया कि इस तरह की कुछ शिकायतें बड़ों से भी मिली हैं।
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि रंग के स्रोत की जानकारी पाने की कोशिश की जा रही है।
वैसे अभी तक जो बात सामने आ रही है उसके मुताबिक धारावी के साहू नगर इलाके में एक दुकानदार के यहां से बच्चों ने रंग लिए। कुछ बच्चों ने बताया कि वहां मुफ्त में रंग दिए जा रहे थे; जबकि इलाके के लोग इसके लिए वहां पर स्थित कैमिकल फैक्ट्री को इसके लिए जिम्मेदार मान रहे हैं।धारावी में होली की खुशियों में उस वक्त भंग पड़ गया जब 'विषाक्त' रंग के शिकार 170 से अधिक लोगों को एलर्जी की शिकायत हुई।
सायन स्थित लोकमान्य तिलक नगर निकाय अस्पताल में मौजूद एक सूत्र ने बताया, ''अस्पताल में जहरीले रंग के संक्रमण के 170 मामले आये।''
उन्होंने बताया कि बच्चों को कम से कम एक दिन के लिए निगरानी में रखा जाएगा।
उन्होंने कहा कि अस्पताल में आने के बाद कुछ मामले गंभीर थे लेकिन उपचार के बाद उन मरीजों की हालत अब स्थिर है।
अस्पताल में भर्ती लोगों में 9 से 10 साल के बच्चे भी शामिल हैं।
पुलिस उपायुक्त धनंजय कुलकर्णी ने बताया, ''हमने अज्ञात लोगों के खिलाफ एक मामला दर्ज किया है।''
पुलिस सूत्रों ने बताया कि वे उन दुकानों की पहचान करने की कोशिश कर रहे हैं जहां से रंग खरीदे गए थे।
विकिपीडिया के मुताबिक धारावी से हर साल 50 से 65 करोड़ डॉलर का माल निर्यात होता है। यह देश के सबसे ज्यादा बैंकों वाले शहर मुंबई के बीचोबीच है, मुंबई के वित्तीय केंद्र बांद्रा-कुरला कॉम्प्लेक्स से सटी हुई है। फिर भी कारीगरों की बस्ती और निर्यात के लिए ख्यात होने के बावजूद यहां लंबे समय तक वाणिज्यिक बैंक की कोई शाखा नहीं थी। ऐसी पहली शाखा वहां फरवरी 2007 में खोली गई। और, केवल तीन सालों में बैंक से अपनी इस शाखा से 44 करोड़ रुपए से ज्यादा का बिजनेस हासिल कल लिया। इस सफलता से उत्साहित होकर दूसरे बैंक मे भी धारावी में अपनी शाखा खोल दी है। धारावी में इस समय 9 एटीएम हैं और सभी बराबर इस्तेमाल किए जाते हैं।
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