बाजार को खुश करने के मुहिम में जुट गयी है सरकार!
बाजार को खुश करने की रणनीति के तहत और सुधारों के प्रति उद्योग जगत को आश्वस्त करने के नजरिए से बजट में डायरेक्ट टैक्स कोड डीटीसी लागू करने की पूरी तैयारी
मुंबई से एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
आरबीआई के मिड-टर्म क्रेडिट रिव्यू पॉलिसी के पहले सीआरआर घटाने से बैंकों और उद्योग ने राहत की सांस ली है। बाजार को खुश करने के मुहिम में जुट गयी है सरकार। मौद्रिक नीतियों में ढील देने के तहत रिजर्व बैंक ने बैंकों के पास नकदी की तंगी दूर करने के लिए उनपर लागू नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में एक झटके में 0.75 प्रतिशत कटौती कर दी। सीआरआर में 0.75 फीसदी की कटौती उम्मीद से कहीं ज्यादा है। जानकारों का मानना है कि सीआरआर घटने से बाजार का मूड सुधरेगा और बैंक शेयरों में तेजी आ सकती है। बैंक, अर्थशास्त्री और जानकार, सभी मान रहे हैं कि सिस्टम में नकदी की जबर्दस्त किल्लत है, यही वजह है कि रिजर्व बैंक ने कैश रिजर्व रेश्यो(सीआरआर) में उम्मीद से कहीं ज्यादा कटौती की है। वहीं इस बात को इससे भी समझा जा सकता है कि बैंक नकदी जुटाने के लिए छोटी अवधि के जमा पर ज्यादा ब्याज देने के लिए मजबूर हो गए हैं। इलाहाबाद बैंक और सेंट्रल बैंक ने छोटी अवधि के जमा पर ब्याज दरें बढ़ाने का ऐलान किया है।
इस बीच उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत हासिल करने के बाद समाजवादी पार्टी में इस बात को लेकर सहमति बन गई है कि मुलायम सिंह यादव के बेटे अखिलेश यादव राज्य के नए मुख्यमंत्री बनेंगे। सूत्रों के अनुसार सपा नेता शिवपाल यादव और आजम खान भी अखिलेश के नाम पर सहमत हो गए हैं। अखिलेश ने जिस तरह से संवाददाता सम्मेलन में शुक्रवार को संकेत दिए उससे लगने लगा था कि सूबे को एक युवा मुख्यमंत्री मिल सकता है। मुलायम सिंह ने अभी अपने पत्ते खोले नहीं हैं। पर क्षत्रपों के बदलते तेवर और इंडस्ट्री का मूड भांपकर वित्तीय नीतियों में बुरीतरह नाकाम वित्तमंत्री के लिए हमेशा की तरह रिजर्व बैंक के जरिए मौद्रिक नीतियों में फेरबदल करने का विकल्प चुनने के सिवा कोई चारा नहीं बचा था। अगले आम चुनाव से पहले यूपी को जीतना अब अखिलेश के अवतार के साथ कांग्रेस के लिए टेढ़ी खीर साबित होने जा रही है। इसलिए सरकार अब हर कीमत पर बाजार को खुश करना चाहेगी।
बाजार को खुश करने की रणनीति के तहत और सुधारों के प्रति उद्योग जगत को आश्वस्त करने के नजरिए से बजट में डायरेक्ट टैक्स कोड डीटीसी लागू करने की पूरी तैयारी हो चुकी है।प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी) पर संसद की स्थायी समिति की सिफारिशों की मुख्य बातें इस प्रकार हैं-
आयकर छूट की सीमा 1.8 लाख रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये की जाए।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए लाभ 65 के बजाय 60 साल की उम्र से मिले।
कारपोरेट कर की दर 30 फीसद पर कायम रखी जाए।
प्रतिभूति लेनदेन कर समाप्त किया जाए।
कर बचत योजनाओं में निवेश की सीमा बढ़ाकर 3.2 लाख रुपये की जाए।
संपत्ति कर की सीमा को 30 लाख एपये से बढ़ाकर 5 करोड़ एपये किया जाए।
सीआरआर में 0.75 फीसदी की कटौती होने से बाजार में 48000 करोड़ रुपये आएंगे। आरबीआई का कहना है कि सीआरआर घटाने से लिक्विडिटी बढ़ेगी और जरूरी सेक्टर को आसानी से कर्ज मिल पाएगा।कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) का कहना है कि आरबीआई के सीआरआर घटाने का फैसला काफी अच्छा है। उद्योग को सीआरआर में कटौती किए जाने की उम्मीद थी। अब उद्योग को रेपो रेट में कटौती का इंतजार है।
आरबीआई के मुताबिक जनवरी में सीआरआर घटाए जाने के बावजूद सिस्टम में लिक्विडिटी की कमी थी। साथ ही, मार्च में कंपनियों द्वारा एडवांस टैक्स भरे जाने से लिक्विडिटी की किल्लत और बढ़ सकती थी।
वित्त वर्ष 2012 में आरबीआई ने ओपन मार्केट ऑपरेशंस के जरिए बाजार में 1.24 लाख करोड़ रुपये डाले हैं। बैंकों ने आरबीआई से 1 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लिया हुआ है। एडवांस टैक्स चुकाने के लिए बैंकों को और 7000 करोड़ रुपये की जरूरत थी।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि वित्त वर्ष 2012 की तीसरी तिमाही के 6.3 फीसदी की दर से जीडीपी ग्रोथ से निराशा जरूर हुई है, लेकिन ये अनपेक्षित भी तो नहीं था। अगर पहली तिमाही, दूसरी तिमाही और तीसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़ों पर गौर किया जाए तो भी ये गिरावट की ओर से ही इशारा कर रहे हैं।
वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी का कहना हैःबतौर वित्त मंत्री जब मैं सब्सिडी के बोझ को खत्म करने की सोचता हूं, तो मानो मेरी रातों की नींद गायब हो जाती है, और इसमें कोई शक की गुंजाइश नहीं है।आधार के आंकड़ों का इस्तेमाल पीडीएस के लिए करने से फर्जी, अवैध और गलत तरीके से पीडीएस का लाभ उठाने वालों पर अंकुश लग सकता है। इसके अलावा इस पहल से खाद्यान्न के भारी नुकसान को बचाने में भी मदद मिलेगी।महंगाई दरों के आंकड़ों में नई पद्धति का इस्तेमाल, फसल की बंपर पैदावार और सर्विस सेक्टर में बेहतर प्रदर्शन से वित्त वर्ष 2012 में ग्रोथ की रफ्तार बढ़ाने में मदद मिल सकती है।हम निजी निवेश के मोर्चे पर बड़े सुधारों को लेकर आश्वस्त तो नहीं हैं और इससे मंदी के पहले वाले जीडीपी आंकड़ों पर रहने का अनुमान है। ग्रोथ के मोर्चे पर मजबूती के लिए प्राइवेट कंपनियों के वित्तीय स्थिति में मजबूती की जरूरत है।नेशनल डेवलपमेंट काउंसिल का निर्णय है कि विशेष श्रेणी में किसी भी नए राज्य को शामिल नहीं किया जाएगा। लेकिन राज्यों पर विशेष नजर लगातार बनी रहेगी।
प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी) विधेयक पर सुझाव देने के लिए गठित संसदीय समिति ने निजी आयकर की सीमा को तीन लाख रुपए सालाना किए जाने की सिफारिश की है।
पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा की अगुवाई में गठित इस समिति ने कल अपनी रिपोर्ट लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार को सौंपी। रिपोर्ट में आयकर छूट की सीमा को मौजूदा एक लाख 80 हजार रुपए से बढाकर तीन लाख रुपए करने के साथ-साथ कर बचत योजनाओं में तीन लाख 20 हजार रुपए तक जमा किए जाने की सिफारिश की है। समिति की सिफारिशों को यदि मान लिया जायेगा तो छह लाख 20 हजार रुपए तक की आय वाले आयकर की सीमा से बाहर हो सकते हैं।
समिति ने संपत्ति कर की सीमा को पांच करोड़ रुपए और प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी) को खत्म किए जाने का भी सुझाव दिया है। समिति ने कोरपोरेट कर की सीमा को 30 प्रतिशत पर बरकरार रखने की सिफारिश की है।
यह रिपोर्ट डीटीसी विधेयक पर चर्चा कराकर इसके पारित किए जाने का रास्ता प्रशस्त करेगी जिसे आयकर कानून 1961 के स्थान पर लाया जाये।
समिति ने आयकर कर की सीमा बढाने के अलावा तीन से 10 लाख रुपए तक की आय पर कर की सीमा दस प्रतिशत. 10 से 20 लाख रुपए की आमदनी पर 20 प्रतिशत और 20 लाख रुपए से अधिक पर 30 प्रतिशत किए जाने की सिफारिश भी की है।
वर्तमान में एक लाख 80 हजार रुपए से पांच लाख तक की आय पर दस प्रतिशत की दर से आयकर लगता है। पांच लाख से अधिक और आठ लाख रुपए तक यह 20 प्रतिशत और आठ लाख रुपए से अधिक की आमदनी पर 30 प्रतिशत है।
डीटीसी में आयकर छूट की सीमा को बढाकर दो लाख रुपए किया गया है। दो से पांच लाख रुपए की आय पर आयकर दस प्रतिशत, पांच लाख से अधिक 10 लाख से कम पर 20 प्रतिशत और 10 लाख से अधिक आमदनी पर इसे 30 प्रतिशत करने का प्रस्ताव है।
समिति ने विभिन्न बचत योजनाओं के तहत कर छूट की सीमा को तीन लाख 20 हजार रुपए किए जाने का प्रस्ताव किया है। वर्तमान में यह 1.20 लाख रुपए और डीटीसी में दो लाख रुपए किए जाने का सुझाव है।
संपत्ति कर के मामले में समिति ने सुझाव दिया है कि यदि उल्लेखित परिसंपत्ति का मूल्य पांच लाख रुपए से अधिक हो तभी परिसंपत्ति कर लगाया जाना चाहिए वर्तमान में यह तीस लाखरुपए ही है। प्रस्तावित डीटीसी में इसे बढाकर एक करोड़ रुपए किए जाने का सुझाव है।
परिसंपत्ति कर की दरों के संदर्भ में समिति ने पांच से 20 करोड़ रुपए की परिसंपत्तियों पर आधा प्रतिशत, बीस करोड़ से 50 लाख रुपए के बीच 0.7 प्रतिशत और 50 करोड़ रुपए से अधिक पर एक प्रतिशत लगाने का सुझाव दिया है। वर्तमान में परिसंपत्ति कर एक प्रतिशत है।
डीटीसी विधेयक संसद की मंजूरी के लिए लंबित है। आगामी बजट में इसमें करदाताओं को राहत देने के लिए कुछ कदम उठाये जाने की संभावना है।
फरवरी में निर्यात 4.3 की रफ्तार से बढ़ा है और ये 2,460 करोड़ डॉलर पर पहुंच गया है। हालांकि निर्यात के मुकाबले आयात की ग्रोथ ज्यादा रही है।
फरवरी में आयात 20.6 फीसदी की तेजी के साथ बढ़ा है और ये 3,980 करोड़ डॉलर पर पहुंच गया है। निर्यात और आयात के बीच इस खाई की वजह से देश का व्यापार घाटा 1,520 करोड़ डॉलर से ज्यादा का रहा है।
वहीं अप्रैल-फरवरी के दौरान निर्यात 21.4 फीसदी बढ़कर 26,740 करोड़ डॉलर पर पहुंच गया है। अप्रैल-फरवरी के दौरान आयात 29.4 फीसदी बढ़कर 44,320 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। अप्रैल-फरवरी के दौरान व्यापार घाटा 16,680 करोड़ रुपये रहा है।
सीएनबीसी-टीवी18 की एक्सक्लूसिव खबर के मुताबिक बजट 2013 में सरकार 50,000 करोड़ रुपये के सरकारी टैक्स फ्री बॉन्ड को जारी करने की मंजूरी दे सकती है। एनएचएआई, आईआरएफसी, हुडको और पोर्ट जैसी सरकारी कंपनियों के टैक्स फ्री बॉन्ड वित्त वर्ष 2013 में आने की उम्मीद है।
सरकार ने बजट 2012 के तहत 30,000 करोड़ रुपये के टैक्स फ्री बॉन्ड को हरी झंडी दी थी। माना जा रहा है कि सरकार की इस पहल से रेलवे, पोर्ट, हाउसिंग और हाइवे जैसी इंफ्रा योजनाओं में तेजी आएगी।
इलाहाबाद बैंक में अब 15 से 120 दिन के जमा पर 9.25 का ब्याज मिलेगा। सेंट्रल बैंक ने 7 से 90 दिन के लिए ब्याज दर बढ़ाकर 9 फीसदी कर दी है, सेंट्रल बैंक 1 करोड़ रुपये तक के जमा पर 9 फीसदी ब्याज देगा।
इसके पहले स्टेट बैंक ऑफ इंडिया भी 180 दिन तक के जमा पर ब्याज दरें बढ़ा चुका है। एसबीआई में भी 15 लाख रुपये से 1 करोड़ के जमा पर 9 फीसदी ब्याज मिल रहा है।
वित्त वर्ष 2012 खत्म होने में कुछ ही वक्त बचा है और अभी तक सरकार इनडायरेक्ट टैक्स कलेक्शन के लक्ष्य का महज 89 फीसदी वसूल कर पाई है।
फरवरी अंत तक 3.48 लाख करोड़ रुपये का इनडायरेक्ट टैक्स कलेक्शन रहा है, जबकि सरकार ने करीब 3.93 लाख करोड़ रुपये टैक्स कलेक्शन का लक्ष्य रखा था। हालांकि पिछले वित्त वर्ष 2011 से टैक्स कलेक्शन की तुलना करें तो वित्तवर्ष 2012 में कस्टम, सेंट्रल एक्साइज और सर्विस टैक्स कलेक्शन में 14.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
सबसे अच्छी बढ़ोतरी दर्ज हुई है सर्विस टैक्स में जो पिछले साल इसी वित्तवर्ष से 37 फीसदी ज्यादा है। वित्त वर्ष 2012 में सर्विस टैक्स से 82,562 करोड़ रुपये जुटाए गए हैं, जबकि एक्साइज से 1.29 लाख करोड़ रुपये, कस्टम ड्यूटी से 1.36 लाख करोड़ रुपये इकट्ठे हुए हैं।
No comments:
Post a Comment