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Sunday, 4 March 2012

नागपुर में गडकरी मुकेश अंबानी की डिनर डिप्लोमेसी यानी दो दूनी चार!



नागपुर में गडकरी मुकेश अंबानी की डिनर डिप्लोमेसी यानी दो दूनी चार!

मुंबई से एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास


गडकरी और मुकेश अंबानी की नागपुर में हुई मुलाकात को बाजार और उद्योग जगत में नये समीकरम और भावी राजनीतिक विकल्प बतौर​
​ देखा जा रहा है। विनिवेश की उम्मीद में शेयरों में तेजी आयी जरूर पर ओएनजीसी की हिस्सेदारी से हुई किरकिरी के बाद सरकार ने फिलहाल समीक्षा के बहाने विनिवेश ागामी वित्त वर्ष के लिए टाल दिया है। अभी उत्तर प्रदेश और दूसरे चार राज्यों के चुनाव परिणाम आने बाकी हैं। पर साफ हो चुका है कि राहुल का करिश्मा यूपीए के नीति निर्धारण में सुधार के लिए काफी नहीं है, वे जरूरी राजनीतिक मजबूती देने में नाकाम हो गये हैं। राहुल की ​​नाकामी और आर्थिक सुधारों में यूपीए दो की असमर्थता के कारण कारपोरेड जगत को अब दूसरे राजनीतिक विकल्प को खंगालने की जरुरत ान पड़ी है। गडकरी मुकेश अंबानी मुलाकात को इसी आलोक में देखा जा रहा है। मालूम हो कि संघ ने गडकरी को ही फिर भाजपा अध्यक्ष बनाने की हरी झंडी दे दी है। उधर गुजरात दंगों के कलंक के बावजूद भाजपा के पास प्रधानमंत्रित्व के लिए नरेंद्र मोदी से बेहतर उम्मीद नहीं हैं। मोदी की छवि उद्योग बंधु की है। यानी दो दूनी चार।

दिन में इंस्टीट्‍यूट ऑफ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी के दीक्षांत समारोह में शामिल हुए अंबानी और रात में उन्होंने गडकरी के साथ डिनर किया। बताया जाता है कि िस डिनर के मौके पर दोनों धुरंधरों में तमाम मुद्दों पर, तमाम संभावनाओं पर विचार विमर्श हुआ।िस मुलाकात को गोपनीय रखने से अटकलें तेज हो गयी। क्या बातचीत हुई है, जाहिर है , दोनों पक्ष इस बारे में चुप्पी साधे हुए हैं।वैसे इतिहास के मुताबिक इतनी गोपनीय डिनर डिप्लोमेसी के लिए चरूरी अंतरंगता दोनों के बीच नहीं है। भाजपा शिवसेना कार्यकाल में ​ ​बाहैसियत मंत्री गडकरी ने रिलांयस समूह को मुम्बई पुणे एक्सप्रेस वे के ठेके से वंचित कर दिया था। अंबानी यह भूल चुके होंगे, ऐसा समझना भूल होगी। तो फिर क्यों हुई यह गोपनीय मुलाकात जो कतई ौपचारिक तो नहीं थी।

मालूम हो कि उत्तर प्रदेश के मामले में जयादातर चुनाव एक्जिट पोल ने मुलायम की सत्ता में वापसी और ज्यादातर समीक्षाओं में कांग्रेस मुलायम गठबंधन के आसार बताये जाते हैं। इससे एक साथ मायावती, ममता बनर्जी और ्जित सिंह के पाला बदलकर भाजपा खेमे में आ जाने की उम्मीद है। राज्य के लिए वित्तीय मदद की सौदेबाजी में आर्थिक सुधारों में अडंगेबाजी के मामले में ममता चतुर खिलाड़ी साबित हो चुकी है तो मायावती और अजित​ ​ मुलायम के साथ यूपीए खेमे में फिट नहीं बैठते। राजकोषीय घाटा के दबाव में सरकार वित्तीय और मौद्रिक नीतियां कारपोरेट हितों के अनुकूल बनाने में कोताही कर रही है। और तो और बाजार के विस्तार के लिए चालू सामाजिक योजनाओं में भी कटौती के आसार है।ऐसे में एक जयललिता को साथ लेने से समीकरण भाजपा के पक्ष में पलटी खा सकते हैं। उद्योग जगत को नये विकल्प बतौर इसी समीकरण पर निगाह रखनी पड़ रही है, ऐसा कयास लगाया जा रहा है। गौरतलब है कि संसद में वित्तीय कानून बनाने में कांग्रेस की अकेली ताकत काफी नहीं है और कोई भी कानून पास कराने में कांग्रेस भाजपा तालमेल जरूरी है। इसलिए महज यूपीए के समर्थन से कारपोरेट हित सध नहीं सकते , जबतक कि भाजपा को भी ्पेक्षित लक्ष्य हासिल करने में साझेदार नही बनाया जाये। वैसे भी भाजपा आर्थिक सुधारों को तेज करने के पक्ष में है। सरकार कांग्रेस की रहे या फिर पाला बदल हो, हर हाल में भाजपा अध्यक्ष को खुश रखना कारपोरेट मजबूरी है।

इस बीच यूपी में निर्वाचन आयोग के आदेश के बाद बहुजन समाज पार्टी(बसपा) प्रमुख एंव मुख्यमंत्री मायावती और उनकी पार्टी के चुनाव चिन्ह हाथी की मूर्तियों से पर्दा हटाने का काम रविवार को शुरू कर दिया गया। सुबह करीब नौ बजे से राजधानी लखनऊ और गौतमबुद्धनगर जिले स्थित पार्को और स्मारकों में लगी मायावती और हाथी की मूर्तियों से पर्दा हटाने का काम जारी है। अब बदले हुए हाल में यह हाथी कब गणेश बनकर उद्योग जगत के काम आयेगा , इसका भी इंतजार है।

मालूम हो कि भले ही पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव न जीत पाए पर उसके अध्यक्ष नितिन गडकरी ने पार्टी के गॉड फादर राष्ट्रीय स्वयं संघ का दिल जरूर जीत लिया है। संघ ने उन्हे दूसरा कार्यकाल दिए जाने को हरी झंडी दिखा दी है। इसका एलान भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक में किया जाएगा। संघ को भरोसा है कि इन चुनावों में उनकी मेहनत रंग लाएगी।

गउकरी को अध्यक्ष पद का दूसरा कार्यकाल देने का फैसला संघ व भाजपा के नेताओं के बीच अनौपचारिक रूप से किया जा चुका है। इसे लागू करने के लिए पार्टी को अपने संविधान में संशोधन करना पड़ेगा। संविधान संशोधन को पहले राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक में पारित करवाया जाएगा, उसके बाद राष्ट्रीय परिषद इस पर अपनी सहमति की मोहर लगाएगी। गडकरी को भजपा अध्यक्ष बनाने का फैसला खुद संघ का था। उन्हे ऐसे समय यह पद सौंपा गया था जब पार्टी हताशा के दौर से गुजर रही थी। उसमे अनुशासनहीनता बढ़ती जा रही थी। भाजपा अध्यक्ष बनने के बाद गडकरी ने जो कदम उठाए उनसे संघ काफी खुश बताया जाता है। उनके आने के बाद ही बिहार व झारखंड में भाजपा सत्ता में आई। महाराष्ट्र में मुंबई महानगर पालिका के चुनाव और नागपुर नगर निगम चुनाव में पार्टी को सफलता हासिल हुई। अब पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजे जल्दी ही आने वाले हैं।
भाजपा नेताओं का दावा है कि गोवा में पार्टी की सरकार बनना तय है। उत्तराखंड में वह जोड़तोड़ करके सरकार बना लेगी। उसे उत्तर प्रदेश में पहले से ज्यादा सीटें मिलेंगी। सिर्फ पंजाब में ही उसकी हालत ठीक नहीं रहेगी। इस साल प्रदेश इकाइयों के चुनाव भी होने हैं। अब यह तय हो गया है कि भाजपा लोकसभा का अगला चुनाव उनके नेतृत्व में ही लड़ेगी। इस लिए उनका नाम भी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवारों की सूची में जुड़ जाना असंभव नहीं है। उद्योग जगत की इस फार्मूले पर भी नजर है।

दूसरी ओर मुश्किल में फंसी कंपनियों को बेल आुट की गुंजािश भी खत्म है। बोल ाउट तो हुआ नहीं ऊपर से  सेवा कर विभाग ने बकाया कर भुगतान नहीं करने के कारण किंगफिशर एयरलाइंस के 40 बैंक खाते सील कर दिए हैं, जिससे आर्थिक तंगी का सामना कर रही इस कंपनी के सामने भुगतान की गंभीर समस्या खड़ी हो गई है। सेवा कर आयुक्त के मुताबिक एयरलाइंस पर 40 करोड़ का सेवा कर बकाया है, जिसका भुगतान नहीं किए जाने के कारण यह कदम उठाया गया है।

भारतीय शेयर बाजार में लगातार दूसरे सप्ताह गिरावट दर्ज की गई। आगामी बजट, विधानसभा चुनाव परिणामों और भारतीय रिजर्व बैंक की आगामी मौद्रिक समीक्षा को देखते हुए निवेशकों ने इस सप्ताह मुनाफा वसूली पर अधिक ध्यान दिया। बम्बई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 1.6 फीसदी या 286.58 अंकों की गिरावट के साथ इस सप्ताह 17636.99 पर बंद हुआ। सेंसेक्स पिछले सप्ताह 17923.57 पर बंद हुआ था। बाजार पूंजीकरण के लिहाज से देश की शीर्ष 10 कंपनियों में से 7 के बाजार पूंजीकरण में बीते सप्ताह 29174.16 करोड़ रुपये की भारी कमी आई और सबसे अधिक नुकसान आईटी कंपनी टीसीएस को हुआ। बीते सप्ताह टीसीएस का बाजार पूंजीकरण 9443 करोड़ रुपये घटकर 2,38957 करोड़ रपये रह गया, जबकि उसके शेयरों में चार प्रतिशत की गिरावट आई। दूसरी प्रमुख आईटी कंपनी इन्फोसिस का बाजार पूंजीकरण भी 5047 करोड़ रुपये घटकर 1,64192 करोड़ रुपये रहा।

गडकरी से मुलाकात के बीच रिलायंस इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी ने शनिवार को कहा कि नागपुर प्रस्तावित 4जी सेवाओं के लिए मुख्य केंद्रों में होगा।

अंबानी ने कहा कि अगले वित्त वर्ष के दौरान जब 4जी सेवा शुरू की जाएगी तो नागपुर निश्चित तौर पर मुख्य केन्द्रों में से होगा और महाराष्ट्र की इस दूसरी राजधानी में भविष्य में और निवेश होगा। आरआईएल के अध्यक्ष यहां इंस्टीट्‍यूट ऑफ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी के दीक्षांत समारोह में आए हुए थे।

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड, इन्फोटेल के जरिए भारत में 4जी ब्रॉडबैंड सेवा शुरू करने वाली है।
अंबानी ने कहा कि यहां हमारा एक पॉलिएस्टर संयंत्र है और जल्दी ही रिलायंस नागपुर में और निवेश करेगी।

उन्होंने कहा कि आरआईएल निकट भविष्य में अंतरराष्ट्रीय स्तर का विश्वविद्यालय स्थापित करने की संभावनाओं की तलाश रही है। अंबानी ने कहा कि हमने टीलीकॉम, पेट्रो, गैस और पॉलिएस्टर जैसे लगभग सभी क्षेत्रों में प्रवेश किया है, लेकिन शिक्षा अभी बाकी है इसलिए हमने एक विश्वविद्यालय स्थापित करने की योजना बनाई है, जो वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा के योग्य हो।

अंबानी ने कहा कि आज के युवाओं के पास बड़े मौके हैं, जो दुर्भाग्य से हमारे समय में नहीं थे। वैश्विक मंदी के बारे में अंबानी ने कहा कि यह अस्थायी दौर है और भारत अन्य देशों के मुकाबले ज्यादा मजबूती से इससे बाहर निकलेगा।
 

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Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/


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