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Tuesday 10 January 2012

उसने संसद पर कार्टून बनाया, उसे बैन कर दिया गया!


उसने संसद पर कार्टून बनाया, उसे बैन कर दिया गया!

9 JANUARY 2012 
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♦ अरविंद गौड़
मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक स्थानीय वकील की शिकायत पर कानपुर के युवा कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी की वेबसाइट ‘कार्टून अगेंस्ट करप्शन डॉट कॉम’ पर प्रतिबंध लगा दिया है। असीम पर आरोप है कि उन्होंने अपने कार्टूनों के जरिये देश की भावनाओं को ठेस पहुंचायी है। मैंने असीम त्रिवेदी के भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम वाले कार्टून देखे हैं, वे भ्रष्टाचार पर तीखी और सीधी चोट करते हैं। उनमें किसी का मजाक नहीं बल्कि आम आदमी की भावनाओं की, गुस्से की वास्तविक अभिव्यक्ति है। मेरी निगाह में यह सिर्फ कार्टूनिस्ट पर प्रतिबंध लगाना नहीं बल्कि मीडिया और सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर सुनियोजित तरीके से नियंत्रण की शुरुआत है।
आखिर कोई किस आधार पर किसी वेबसाइट, लेख, नाटक, पेंटिंग या किताब पर प्रतिबंध लगा सकता है? सच कहना क्या कोई अपराध है? हमारे नेता या सरकार इतने कमजोर या डरपोक क्‍यों है? वे असलियत से क्‍यों डरते है? हमारे बोलने की, लिखने की, कहने की आजादी पर रोक क्‍यों लगाना चाहते है? ये केवल अभिव्यक्ति की आजादी का सवाल नहीं है, ये केवल लोकतांत्रिक हकों का हनन भर भी नहीं है, बल्कि ये एक चुनोती है, असल में ये हमारे संवैधानिक अधिकारो पर सीधा हमला है।
असीम का आरोप है कि वेबसाइट को बैन करने की भी मुंबई पुलिस ने कोई जानकारी उन्हे नहीं दी। वेबसाइट की प्रोवाइडर कंपनी बिगरॉक्स डॉट कॉम ने एक मेल द्वारा असीम को साइट बंद करने की सूचना दी। जब बिगरॉक्स कंपनी से बात हुई, तो उन्‍होंने असीम को मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच से संपर्क करने को कहा। क्राइम ब्रांच में कोई बताने वाला नहीं कि वेबसाइट को बैन क्‍यों किया गया? या साइबर एक्ट की किन धाराओं में केस दर्ज किया गया है? अब पता चला है कि महाराष्ट्र के बीड़ जिला अदालत ने स्थानीय पुलिस को असीम पर राष्ट्रद्रोह का केस दर्ज करने का आदेश भी दे दिया है। ये और भी शर्मनाक हरकत है।
आरोप है कि उनके कार्टूनो में संविधान और संसद का मजाक उड़ाया गया है। पर सवाल ये भी है कि जब सांसद संसद में हंगामा करते हैं, खुलेआम नोट लहराते हैं, लोकपाल बिल फाड़ते हैं, चुटकुलेबाजी करते हैं, तब क्या वे संसद का मजाक नहीं उड़ाते? देश की जनता का अपमान नहीं करते?
मैं असीम त्रिवेदी को आश्वस्त करना चाहता हूं कि वह अकेले नहीं हैं। सरकार की इस गैरलोकतांत्रिक कारवाई के खिलाफ, हम सब उनके साथ खड़े हैं।
(अरविंद गौड़। प्रतिरोध के रंगकर्मी। 1993 से अस्मिता थिएटर ग्रुप के एक अहम सदस्‍य। हानूश, कोर्टमार्शल और द लास्‍ट सैल्‍यूट जैसे कई महत्‍वपूर्ण नाटकों का निर्देशन। भ्रष्‍टाचार के खिलाफ चल रहे राष्‍ट्रव्‍यापी आंदोलन में सक्रिय। उनसे arvindgaur@hotmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।

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