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Sunday 4 December 2016

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JUSTICE NEWS: Breaking  News !
हिंदी & English 04.12.16
English 04.12.16
Ø  Police form special team to probe rape, murder of 4 years old Dalit girl
http://justicenews.co.in/police-form-special-team-to-probe-rape-murder-of-4-years-old-dalit-girl/17534
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Ø  Una Dalit flogging case: Guj HC grants bail to 4 accused
http://justicenews.co.in/una-dalit-flogging-case-guj-hc-grants-bail-4-accused/17532
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Ø  Malkangiri child death continues: needed political will of local tribal leaders.
http://justicenews.co.in/malkangiri-child-death-continues-needed-political-will-of-local-tribal-leaders/17550
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Ø  Will find way to give black money in Jan Dhan accounts to poor, says PM Modi
http://justicenews.co.in/will-find-way-to-give-black-money-in-jan-dhan-accounts-to-poor-says-pm-modi/17537
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Ø  Gujarat man who declared Rs 13,860 crore ‘income’ resurfaces
http://justicenews.co.in/gujarat-man-who-declared-rs-13860-crore-income-resurfaces/17540
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Taluk panchayat prez takes PDOs to task over misuse of SC/ST funds
http://justicenews.co.in/taluk-panchayat-prez-takes-pdos-task-misuse-scst-funds/17544
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Thursday 12 May 2016

घूस न लेने वाले दिनेश त्रिवेदी को तृणमूल का नोटिस

घूस न लेने वाले दिनेश त्रिवेदी को तृणमूल का नोटिस

चुनाव के बीच नारद स्टिंग में घूस लेते दिखाए गए तृणमूल सांसदों के खिलाफ कार्रवाई करने और सच्चाई बाहर आने तक सभी आरोपियों को चुनावी प्रक्रिया से बाहर करने संबंधी बयान देकर उन्होंने विपक्षी पार्टियों की वाहवाही तो खूब बटोरी, लेकिन तृणमूल सुप्रीमो को एक बार फिर नाराज कर दिया।

दीदी को बहुमत मिला तो फिर सारे ताने बाने सत्ता के फेवीकोल से जुड़ जायेंगे।लेकिन सत्ता में वापसी नहीं हुई तो सत्तादल के बिखर जाने का अंदेशा है।

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

हस्तक्षेप

तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार नहीं करने की सजा पूर्व रेलमंत्री दिनेश त्रिवेदी को मिल रही है और वे एकदफा फिर आंख की किरकिरी में तब्दील हैं।चुनाव प्रचार के बाद अब संसद की कार्यवाही से दूर रखे जा रहे तृणमूल सांसद दिनेश त्रिवेदी पर पार्टी गाज गिरा सकती है। पार्टी उनके खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई करने पर की प्रक्रिया नोटिस देकर शुरु कर दी है।

2012 में रेल मंत्री रहते तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी से सलाह-मशविरा किए बिना यात्री किराया बढ़ाने के कारण मंत्रालय खोने वाले बैरकपुर से पार्टी सांसद दिनेश त्रिवेदी के खिलाफ एक बार फिर दीदी कार्रवाई कर रही हैं।

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बीच नारद स्टिंग में घूस लेते दिखाए गए तृणमूल सांसदों के खिलाफ कार्रवाई करने और सच्चाई बाहर आने तक सभी आरोपियों को चुनावी प्रक्रिया से बाहर करने संबंधी बयान देकर उन्होंने विपक्षी पार्टियों की वाहवाही तो खूब बटोरी, लेकिन तृणमूल सुप्रीमो को एक बार फिर नाराज कर दिया। वैसे दीदी भी चुनाव प्रचार के दौरान रिश्वतखोरी का खंडन करने के बजाययह कहकर सबको चौंका चुकी है कि पहले से जानती तो वे टिकट ही नहीं देती।फिर उनने यह भी कहा कि सभी लेते हैं और हमने लिया तो बुराई क्या है।मुकुल राय ने तो दो कदम बढ़कर कहा कि वे जिम्मेदारी लेकर कहते हैं कि जिसने भी पैसे लिये,अपने लिए नहीं लिये।

स्टिंग ऑपरेशन से ले कर चुनाव में बच्चों पर हमले के मुद्दे पर पार्टी और पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी के विरोध में त्रिवेदी के बयान से पार्टी में नाराजगी है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के करीबी नेताओं ने बताया कि विधानसभा चुनाव के दौरान दिनेश त्रिवेदी ने दीदी (ममता बनर्जी) के खिलाफ बयान दे कर अनुशासन तोड़ा है और पार्टी को हानि पहुंचाने का काम किया है।

शारदा से नारद तक के सफर में साख की संकट से जूझ रही तृणमूल कांग्रेस ने पूर्व रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी को पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए नोटिस जारी कर दिया है।

इन्हीं त्रिवेदी को रेलमंत्री से हटाकर दीदी ने मुकुल राय को रेल मंत्री बनाया था और बीच में मुकुल राय भी बगावत पर उतारु हो गये तो फिर विधानसभा चुनाव के ठीक पहले उन्हें पुनर्वास मिला।तृणमूल के भातर मचे घमासान का नजारा यह है।

दीदी को बहुमत मिला तो फिर सारे ताने बाने सत्ता के फेवीकोल से जुड़ जायेंगे।लेकिन सत्ता में वापसी नहीं हुई तो सत्तादल के बिखर जाने का अंदेशा है।

मजा यह है कि सार्वजनिक तौर पर चुनाव से पहले तक नारद स्टिंग में फंसे पार्टी के मंत्रियों,सांसदों,मेयरों,विधायकों और नेताओं का अब तक जिन दिनेश त्रिवेदी ने लगातार बचाव किया है,उनके खिलाफ नोटिस जारी करने में उन्हीं सिपाहसालारों का हाथ है।इसके साथ ही खास गौरतलब नारद स्टिंग कराने वाले मैथ्यू शमशुल का यह बयान है कि रिश्वत के लिए संपर्क साधने पर त्रिवेदी ने उनसे मुलाकात ही नहीं की थी।रिश्वत न लेने के लिए या रिश्वतखोरी के आरोपों में बचे साथियों के बचाव के लिए,किस अपराध में पूर्व रेलमंत्री को फिर टिकाने लगाने की यह तैयारी है कहना मुश्किल है।

हालत यह है कि सत्ता दल गहरे असुरक्षाबोध का शिकार है और गारंटी के साथ कोई बता ही नहीं सकता कि 19 मई को क्या होना है।हालांकि जेल में बंद पूर्व मंत्री मदन मित्र बार बार दावा कर रहे हैं कि पार्टी को दो सौ सीटों से ज्यादा बहुमत हासिल होगा और दीदी कांग्रसे और भाजपा को साइन बोर्ड में तब्दील करने की दमकी देते हुए लगाता इंच इंच समझ लेने की चेतावनी जारी कर रही हैं और सत्तादल का हर दूसरा सिपाहसालार संदिग्ध है।

बहरहाल इंच इंच समझ लेने की शुरुआत दिनेश त्रिवेदी से हो गयी।हालांकि दिनेश त्रिवेदी का कहना है कि उन्हे पार्टी की बैठक में बुलाया नहीं गया और उन्हें ऐसे किसी फैसले के बारे में जानकारी नहीं है। रेल मंत्री रहते हुए ममता बनर्जी से नाराजगी मोल लेकर यूपीए सरकार में अपनी कुर्सी गंवाने वाले दिनेश त्रिवेदीइन दिनों 'दीदी' से काफी नाराज हैं। दरअसल, दिल्ली में कभी ममता की आवाज कहे जाने वाले दिनेश त्रिवेदी की जगह अब राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने ले ली है। सियासी गलियारे में वैसे तो दिनेश की जगह पहले मुकुल राय ने ली थी, लेकिन फिर उनके किनारे होने पर ममता के निर्देश अब सिर्फ डेरेक को मिलते हैं।

दरअसल कुल मामला यह है कि राज्य विधानसभा चुनाव के समाप्त होने से पहले ही बैरकपुर के तृणमूल कांग्रेस सांसद दिनेश त्रिवेदीने पार्टी नेतृत्व के खिलाफ बगावती तेवर दिखाया है। उनके अनुसार पार्टी में ईमानदार लोगों को सजा तथा असत्य लोग सम्मानित किए जाते हैं। त्रिवेदी नारदा स्टिंग काण्ड के प्रसारित होने के बाद आरोपी नेताओं के संदर्भ में टिप्पणी कर सुर्खियों में हैं। उन्होंने मामले की जांच नहीं होने तक उक्त नेताओं को घरों में बैठने की सलाह दी थी।

बहरहाल  तृणमूल कांग्रेस सांसद और पूर्व रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी के इस बयान के दो दिन के बाद हि उनकी पार्टी में ईमानदारी को सजा मिल रही है और बेईमानी को पुरस्कृत किया जा रहा है, पश्चिम बंगाल की कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधुरी ने उन्हें अपनी पार्टी में शामिल होने का न्योता दिया है।

चौधुरी ने सोमवार को कहा, "दिनेश त्रिवेदी को हमारा प्रस्ताव है कि वह बेईमानी को पुरस्कृत करने वाली तृणमूल को छोड़कर कांग्रेस में आ जाएं। त्रिवेदी बुनियादी तौर पर कांग्रेस की ही उपज हैं और हममें से कइयों से ज्यादा कांग्रेसी हैं।"

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर चौधरी ने कहा कि त्रिवेदी कांग्रेस के नेता रहे हैं। बाद में वह तृणमूल में चले गए। वह कांग्रेस में लौटना चाहें तो उनका स्वागत है। उनके लिए कांग्रेस का दरवाजा खुला हुआ है। वहीं तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार नहीं करने के सवाल पर त्रिवेदी ने कहा कि इसका जवाब उनकी पार्टी के पास है। उन्होंने कहा कि पार्टी में ईमानदार आदमी को सजा मिलती है व दोषी आदमी को पुरस्कार मिलता है। इस संबंध में तृणमूल कांग्रेस के सांसद व युवा तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष अभिषेक बनर्जी ने कहा कि यह दिनेश त्रिवेदी का व्यक्तिगत बयान है।


Tuesday 3 May 2016

मुसलमानों के वोट से बनेगा जनादेश

मुसलमानों के वोट से बनेगा जनादेश

बम से चार मरे तो छह साल की मासूम बच्ची ईशानी को हवा में उछाल दिया भूतों ने और उसे चोटें भी खूब आयी है।

इस लोकतंत्र में वोटर कितने आजाद हैं,बंगाल के नतीजे बतायेंगे,बाकी हिंसा का सिलसिला जारी

आतंक का यह रसायन अंतिम चरण में भी काम करेगा कि देखो,बिगड़ैल जनता से सत्ता कैसे निबटती है।

केंद्रीय बलों और चुनाव आयोग की वाम कांग्रेस भाजपा के साथ मिलीभगत का आरोप तो वे शुरु से लगाती रही हैं,अब आखिरी चरण के लिए अपनी चुनाव सभाओं में अपनी ही पुलिस पर वे खूब बरस रही हैं और खुलेआम कह रही हैं कि उनकी पुलिस बिगड़ गयी है और चुनाव जीतने के बाद वे बिगड़ैल पुलिस का इलाज करेंगी।जिन कल्बों को पिछले पांच साल के दौरान राज्यकर्मचारियों का वेतर रोककर खैरात बांटे गये,वे भी उनके हक में वोट नहीं करा सकें हैं,यह शिकायत करके मुख्यमंत्री खुलेआम कह रही हैं कि चुनाव जीत लेने के बाद सबकी खबर लेंगी वे।

यह तो बाद की बात है।फिलहाल जहां वोट पड़ चुके हैं ,वहां विपक्षी एजंटों,नेताओं और कार्यकर्ताओं के अलावा वोटरों को भी सबक खूब पढ़ाया जा रहा है।हाथ पांव तोड़े जा रहे हैं।आगजनी बमबाजी वगैरह वगैरह जारी हैं।जिन बमों का इस्तेमाल बूथों पर हो नहीं पाया है,वे भी जहां तहां फटने लगे हैं।नतीजे आने के बाद बाकी हिसाब बराबर होगा,जाहिर है।

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

हस्तक्षेप

आखिर इस चुनाव में भी मुसलमानों के वोट से जनादेश बन रहा है बंगाल में।35 साल तक इस अटूट वोट बैंक के सहारे बंगाल में वामशासन जारी रहा है और औचक नंदीग्राम,सिंगुर जैसे तमाम मुस्लिम बहुल इलाकों के गरीब किसानों की जमीन पर अंधाधुंध शहरीकरण और औद्योगीकरण की आंधी से वह वोट बैंक दीदी के खाते में स्थानांतरित हो गया है।संघ परिवार की हर चंद कोशिश से वह वोटबैंक केसरिया सुनामी के मुकाबले किसके साथ है या सिरे से पलट गया है,कहना मुश्किल है।

हिंदू राष्ट्र में लोकतंत्र,कानून का राज और संविधान का कुल पर्यावरण यह है कि जैसे हिमालय में दावानल है और उसकी आंच मैदानों तक कहीं पहुंचती ही नहीं है।

आतंक का रसायन जिनके लिए हैं,उनके अलावा बाकी लोगों को अहसास भी नहीं है कि कितीन स्वतंत्रता ,कितनी सहिष्णुता और कितनी बहुलता हमारी सांस्कृतिक विरासत की अभी बची खुची सही सलामत है।

इस मर्ज का क्या कहिए कि अब भी हर चुनाव में बूथों की रक्षा करने के लिए सरहद पर दुश्मनों का मुकाबले तैनात रहनेवालों को लोकतंत्र उत्सव में जनादेश की पहरेदारी के लिए तलब किया जाता है और उनकी मौजूदगी में भी वोटर समीकरण में राजनीति कम अपनी जान माल की सलामती का सबसे ज्यादा ख्याल करता है।

हिंदुत्व का एजंडा इस कदर सर चढ़कर बोल रहा है कि देश में कहीं भी चुनाव हो मुसलमानों का सरदर्द यही होता है कि किसे वोट दें तो उनकी जान और माल सही सलामत रहनेवाली है।

बंगाल के मुसलमानों ने इस पहेली को कैसे सुलझाया है,इस पर बंगाल का जनादेश निर्भर है।संघ परिवार की नकली सुनामी से डर कर भाजपा को हराने के लिए उनने किसे वोट डाला है,यह तय करने वाला है जनादेश।

बहरहाल धर्मोन्मादी इस ध्रूवीकरण से फिलहाल फायदा दीदी को नजर आ रहा है।इसका फौरी नतीजा यह हो सकता है कि दीदी की सत्ता में वापसी के साथ बिहार फार्मूले पर विपक्ष की हैरतअंगेज गोलबंदी से निबटकर बेहतर हालत में यूपी का चुनाव लड़ सकती है भाजपा,बाकी कहीं के नतीजे कुछ भी हो,फर्क पड़ता नहीं है।

बहरहाल बंगाल में आखिरी चरण के लिए मतदान 5 मई को निबट जायेगा और फिर 19 मई तक लंबा इंतजार।जंगल महल के बाद चुनावों में फर्जी मतदान की शिकायतें बेहद कम रही तो कमसकम मतदान के दौरान हिंसा छिटपुट ही रही।

आगजनी बमबाजी वगैरह वगैरह जारी हैं।जिन बमों का इस्तेमाल बूथों पर हो नहीं पाया है,वे भी जहां तहां फटने लगे हैं।नतीजे आने के बाद बाकी हिसाब बराबर होगा,जाहिर है।

मसलन मालदा जिले के जौनपुर में एक मकान में कथित रूप से बम बनाते वक्त रविवार देर रात विस्फोट होने से चार लोगों की मौत हो गई। जबकि छह लोग घायल हो गए। गौरतलब है कि यह घटना ऐसे समय पर हुई है जब पांच मई को राज्य में आखिरी चरण के चुनाव होने हैं।पुलिस अधीक्षक सैयद वकार रजा ने बताया कि यह घटना उस समय हुई जब बांग्लादेश की सीमा से सटे इलाके में देर रात करीब एक बजे गियासु शेख के मकान में बम बनाए जा रहे थे। उन्होंने बताया कि इस घटना में स्थानीय गुंडे शामिल थे। गियासु फरार है। जिले में 17 अप्रैल को चुनाव हुआ था। यह मकान तृणमूल नेता का बताया जा रहा है।तृणमूल का इंकार।

इसकी उलट खबर यह है कि धमाके की गूंज सुनाई दी है और मालदा में तृणमूल कांग्रेस के एक पंचायत प्रधान समेत चार लोगों की बम से उड़कार हत्या कर दी गई है। हत्या के लिए कथित कांग्रेस समर्थकों को आरोपी बताया जा रहा है।

घटना मालदा के बैष्णबनगर की है। तृणमूल का आरोप है  कि चुनाव में कांग्रेस को वोट नहीं देने के कारण इस वारदात को अंजाम दिया गया।

बहरहाल पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है, वहीं मालदा जिला कांग्रेस के महासचिव नरेंद्रनाथ तिवारी ने इस ओर आरोपों को खारिज किया है। उनका कहना है कि यह कांग्रेस को बदनाम करने की साजिश है।

इस सिलसिले में  पुलिसका बयान गौरतलब है, ''एक घर में हुए एक विस्फोट में चार लोगों की मौत हो गई और चार अन्य लोग घायल हो गए। प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, घर में देसी बम रखे हुए थे, जिनमें विस्फोट हो गया।'' घायलों को मालदा मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

केंद्रीय वाहिनी और चुनाव आयोग की इस सिलसिले में तारीफ करनी ही होगी कि भूतों के नाच पर अंकुश तो लगा ही जनादेश लूटने के दहशतगर्द इंतजामात को भी अंजाम तक पहुंचने नहीं दिया।कहा जा रहा है कि इतना शांतिपूर्ण मतदान दशकों में नहीं हुआ है।यही फौरी अमन चैन दीदी के सरदर्द का सबब है।

पिछले चुनाव के चुपचाप फूल छाप की यादे ताजा हैं और 2011 में यादवपुर से तत्रकालीन मुख्यमंत्री की हार का अनुभव भी धूमिल हुआ नहीं है।बिगड़ैल जनता का कोई अचूक इलाज किसी की मझ से बाहर है।तब भी समझा जा रहा था कि वाम जनाधार अटूट तो मुसलमानों का वोटबैंक जस का तस।

सभाओं में तब भी भारी भीड़ थी वाम समर्थन में और तब बूथों पर वाम वर्चस्व ही दीख रहा था।जनता ने चुपचाप परिवर्तन कर दिया और सत्ता के लिए उस परिवर्तन की याद से बचने के लिए बेलगाम हिंसा ही सबसे बढ़िया जवाब सूझ रहा है।हिंसा थम नहीं रही है।

हालीशहर में तीन साल की जख्मी बच्ची की तस्वीर अभी हटी नहीं है कहीं से तो कैनिंग में पोस्चर को पतंग बना देने की सजा भी याद है तो अब दीदी के खास तालुक दक्षिण कोलकाता के हरिदेवपुर में एक मासूम पर फिर हमला हो गया।जहां से कार्टून शेयर करने वाले यादवपुर विश्वविद्यालय के निर्दलीय प्रोफेसर अंबिकेश वाम कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशी हैं।

छह साल की मासूम बच्ची ईशानी को हवा में उचाल दिया भूतों ने और उसे चोटें भी खूब आयी है।

आरोप है कि रविवार की शाम से लगभग पूरे  दक्षिण कोलकाता में कस्बा,बाघा जतीन,पेयाराबागान,गांगुलीबागान,वैष्णवघाटा,पाचुली वगैरह वगरह स्थानों पर फर्जी मतदान में नाकाम भूतों की बाइक वाहिनी हंगामा बरपा रही है।

करीब सौ बाइक के साथ उनका अश्वमेध जारी है और पुलिस की मौजूदगी में ही विपक्षी समर्थकों,कार्यकर्ताओं और आम वोटरों पर हमले हो रहे हैं।ये हमले टीवी पर लाइव है।तो आतंक का यह रसायन अंतिम चरण में भी काम करेगा कि देखो,बिगड़ैल जनता से सत्ता कैसे निबटती है।

जाहिर है कि सत्ता दल और सरकार तमाम लाइव खबरों का खंडन करने में लगी है।

इसी सिलसिले में हरिदेवपुर के पेयाराबागान के एक समर्थक की छह साल की बच्ची ईशानी पात्र को भी लोकतंत्र का सबक सिखाया गया है।उसका जुर्म इतना है कि उसकी चाची स्मिता पात्र बालिगंज विधानसभा क्षेत्र में मंत्री सुब्रत मुखर्जी के खिलाफ कांग्रेस प्रत्याशी कृष्णा देवनाथ की पोलिंग एजंट रही हैं।

बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अमन चैन बहाली के साथ हुए इस चुनाव से खुश नहीं हैं।

केंद्रीय बलों और चुनाव आयोग की वाम कांग्रेस भाजपा के साथ मिलीभगत का आरोप तो वे शुरु से लगाती रही हैं,अब आखिरी चरण के लिए अपनी चुनाव सभाओं में अपनी ही पुलिस पर वे खूब बरस रही हैं और खुलेआम कह रही हैं कि उनकी पुलिस बिगड़ गयी है और चुनाव जीतने के बाद वे बिगड़ैल पुलिस का इलाज करेंगी।

जिन कलबों  को पिछले पांच साल के दौरान राज्य कर्मचारियों का वेतन रोककर खैरात बांटे गये,वे भी उनके हक में वोट नहीं करा सकें हैं,यह शिकायत करके मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुलेआम कह रही हैं कि चुनाव जीत लेने के बाद सबकी खबर लेंगी वे।

हालांकि  ममता बनर्जी ने सोमवार को भरोसा जताया कि उनकी पार्टी ''बहुमत'' का आंकड़ा हासिल कर चुकी है। फिरभी उन्होंने राज्य में तैनात केन्द्रीय बलों पर मतदाताओं से ''दुर्व्यवहार'' करने का आरोप लगाया।

दीदी कैसे इंच इंच का हिसाब बराबर कर देंगी ,यह तो बाद की बात है।फिलहाल जहां वोट पड़ चुके हैं ,वहां विपक्षी एजंटों,नेताओं और कार्यकर्ताओं के अलावा वोटरों को भी सबक खूब पढ़ाया जा रहा है।हाथ पांव तोड़े जा रहे हैं।



Monday 18 April 2016

दीदी बीरभूम जीतने चली थी और नौबत बंगाल हार जाने की है!

दीदी बीरभूम जीतने चली थी और नौबत बंगाल हार जाने की है!

बोतल से निकले जिन्न की तरह अनुब्रत का जादू चल गया,हारकर चुनाव आयोग ने दर्ज किया एफआईआर!

फिरभी दीदी की नैय्या मंझधार में,हराये गये खेवय्या!

संघ परिवार के हमले तेज और मुसलिम वोट बैंक का भी भरोसा नहीं!

भाजपा ने बीरभूम की नौ सीटों पर दोबारा मतदान की मांग की तो विमान बोस ने आयोग पर नाटक करने का आरोप लगाया!

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

हस्तक्षेप

दीदी बीरभूम जीतने चली थी और नौबत बंगाल हार जाने की है।

उत्तर बंगाल में बीरभूम के विपरीत धूमधड़ाके से उनके किलाफ मतदान हुआ है और उन्हें खबर भी नहीं हुई।पुलिस और प्रशासन की वफादारी भी अब टल्लीदार है और आम जनता के साथ साथ एक धमाके की शुरुआत वहां भीतर ही भीतर हो गयी है।

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में छिटपुट हिंसा की खबरों के बीच 56 विधानसभा क्षेत्रों के लिए आज बंपर वोटिंग हुई। शाम छह बजे तक तकरीबन 80 फीसदी वोट पड़ चुके थे जबकि कुछ केंद्रों पर छह बजे के बाद भी वोटिंग जारी रही।येआंकडे बदल सकते हैं।

नई दिल्ली में भाजपा ने बीरभूम में नौ सीटों रपर दोबारा चुनाव की मांग की है,यह रपट हस्तक्षेप पर लगे गयी है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी न दीदी पर सत्ता के लिए सरकार के गलत इस्तेमाल का गंभीर आरोप लगाया।

वाममोर्चा चेयरमैन विमान बोस ने बेलगाम अनुब्रत की हैरतअंगेज कामयाबी के बाद आयोग पर नाटक करने का आरोप लगाया।हालांकि  पूर्व केन्द्रीय मंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने रविवार यहां कहा कि 2016 में बंगाल में सत्ता परिवर्तन होगा और 2019 में देश वही परिर्वतन देखेगा।फिर रमेश ने दावा किया, 'पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग के अधिकारियों का झुकाव सत्तारूढ़ पार्टी की ओर है। वे स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर रहे हैं, बल्कि ममता बनर्जी के इशारे पर काम कर रहे हैं।'

यही नहीं,भारतीय जनता पार्टी ने पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी पर 'तृणमूल कांग्रेस को चुनावी कानूनों का उल्लंघन करने देने' का आरोप लगाते हुए रविवार को चुनाव आयोग से उन्हें हटाने की मांग की है।

कृष्णनगर में उनकी सभी में बहती हुई लू में जो भीड़ दिखी और चैसे चुन चुनकर तरकश से तीर निकालकर दीदी को बिंधा मोदी ने,दीदी को अब समझ में आ जानी चाहिए कि संघ परिवार से गुपचुप गठबंधन की वजह से सत्ता में उनकी वापसी कितनी मुश्किल है।संघ परिवार के  तेवर बदल गये और इस तेवर की झलकियां अभिनेत्री लाकेट चटर्जी की दबंगई के वीडियो से अबतक पूरे देश को दीख गयी होंगी।

मतलब साफ है कि बार बार राज्यों में हारते हुए क्षत्रपों की मनमनी के भरोसे राजकाज चलाने के लिए संघ परिवार तैयार नहीं है और खासपर जिसतरह बंगाल में संघी पिटे हैं और घिरे हैं,उसके मद्देनजर दीदी की खिदमत करते रहने का नतीजा दिल्ली की सत्ता खोने की नौबत में भी बदल सकता है।

बहरहाल बीरभूम में असमय दुर्गापूजा का माहौल रहा और ढाक के बोल पर भूतों का नाच भी जलवा बहार हो गया।सुबह से ही गुड़ जल बताशे के जादू से खलबली मची हुई थी और चुनाव आयोग के दरबार में त्राहिमाम त्राहिमाम गुहार लगती रही।

अभूतपूर्व नजरबंदी,वीडियोग्राफी और मजिस्ट्रेट के साथ केंद्रीय बल और मीडिया को धता बताकर बोतल से निकले जिन्न की तरह अनुब्रत का जादू चल गया और उनने पलटकर कहा,चुनाव आयोग की क्याऔकात कि वह अनुब्रत मंडल को रोक दें।दिल्ली और कोलकाता में मची खलबली से साफ जाहिर है कि कितना महाबलि है दीदी का यह बाहुबलि।

खिंसियानी बिल्ली के खंभा नोंचने की तर्ज पर शामतक चुनाव आयोग ने हारकर सरकारी आदेशों का उलंघन करने के आरोप में महाबलि अनुब्रत मंडल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दिया।अब इससे कोई मसला हल नहीं होगा,अनुब्रत गिरप्तार हो जाये तो भी बीरभू में हुए मतदान को पलटा जा नहीं सकता बशर्ते कि दोबारा मतदान का आदेश जारी न हो।बहरहला संघ परिवार की शिकायतों का संज्ञान लेकर बहुत संभव है कि बीरभीम में कुछ क्षेत्रों में दोबारा मतदान हो जाये।कुल मिलाकर यह लोकतंत्र के लिए शर्म जितनी है ,उससे ज्यादा संवैधानिक संस्था बतौर चुनाव आयोग के सिरे से फेल हो जाने का सबूतउससे कहीं ज्यादा है।

फिरभी दीदी की नैय्या मंझधार में,हराये गये खेवय्या।संघ परिवार की गुपचुप मदद के बिना दीदी के लिए सत्ता में वापसी मुश्किल है,यह बात शुरु से साफ रही है।शारदा और नारदा के घनचक्कर में दीदी बीच में अपनी रणनीति में ही कनफ्यूजा गयी और भिड़ गयी संघ परिवार से तो संघ परिवार भी उन्हें बख्शने के मूड में नहीं है।

जाहिर है कि संघ परिवार के हमले तेज से तेज से तेज हो रहे हैं और मुसलिम वोट बैंक का भी भरोसा अब  नहीं है।दीदी भूतों के दम पर जंगल महल के पचासेक सीटें जीत लेने की  खुशफहमी विपक्षा को वैनिश कर देने के फिराक में थी और अनुब्रत के सहारे उनने बंगाल जीत लेने की ठान ली और ओवर कांफिडेंस में जमीनी  हलचल को सिरे से नजरअंदाज कर दिया।

वाम कांग्रेस गठबंधन नुक्ताचीनी से कमजोर होने के बजाय मजबूत होता गया।समर्थन का समीकरण नजदीकी हो गया और आम जनता को भी तदनुसार संदेश गया लेकिन दीदी को ख्याल ही नहीं रहा कि शारदा से भयंकर मामला नरदा है,जिसे मोदी फोकस किये हुए हैं।रोजगार की समस्या भयावह है और विकास का छलावा साफ है,जिसे धुआंधार विज्ञापनों से सही साबित नहीं किया जा सकता।

खास कोलकाता में भी दीदी के पांवों तले मिट्टी खिसकने लगी क्योंकि उसकी निर्माण समाग्री और तकनीक मे वही प्रोमोटर बिल्डर राज है।सही नेतृत्व के विकास के बजायतानाशही रवैया और चमचों के हवाले राजकाज और बिल्डर माफिया सिंडिकेट के दुश्चक्र में  उनने अपनी लड़ाकू और ईमानदार छवि को ही मैली कर दी औय ये बातें उनके खिलाप अचूक रामवाण साबित हो रहे हैं।

बहरहाल उत्तर बंगाल के छह जिले की 45 व वीरभूम जिले की 11 विधानसभा सीटों पर छिटपुट घटनाओं के बीच शाम पांच बजे तक 79.70 फीसद मतदान हुआ। पांच बजे तक 77.33 फीसद मतदान हुआ था। एक बजे तक 56 फीसद मतदान हुआ था। 11 बजे तक 39.19 प्रतिशत मतदान हुआ था। शुरू के दो घंटे में 21.54 प्रतिशत वोट पड़े थे।

दोपहर एक बजे तक अलीपुर दूआर में 45.56 प्रतिशत, जलपाईगुड़ी में 59.98 प्रतिशत, दार्जिलिंग में 53.03 प्रतिशत, उत्तर दिनाजपुर में 55.50 प्रतिशत, दक्षिण दिनाजपुर में 56.09 प्रतिशत, मालदा में 54.33 प्रतिशत और सर्वाधिक वीरभूम में 62.49 प्रतिशत मतदान हुआ |