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Monday 7 May 2012

वाशिंगटन से जुड़ेंगे दीदी के तार और खुल जायेंगे रीटेल एफडीआई के द्वार!

वाशिंगटन से जुड़ेंगे दीदी के तार और खुल जायेंगे रीटेल एफडीआई के द्वार!

By | May 7, 2012 at 10:10 ams
मुंबई से एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
बाजार की निगाहें कोलकाता में टिकी हुई है कि वाशिंगटन से जुड़ेंगे दीदी के तार और खुल जायेंगे रीटेल एफडीआई के द्वार!उम्मीद है कि बाजार के हितों के अनुकूल परिस्थितियां बनाने में अमेरिकी विदेश मंत्री की भूमिका कुछ खास ही होगी। कुछ भी न हो तो ​​तय है कि बंगाल की खाड़ी पर राज करने वाले कम्युनिस्ट, मार्क्सवादी और माओवादी भूतों का अंतिम संस्कार हो ही जायेगा। दीदी चरम वित्तीय संकट के सम्मुखीन हैं और केंद्र सरकार उनकी सौदेबाजी की कला को धता बताकर टोलमटोल कर रहा है। राजपाट संभाले सालभर हो गया, घोषणाएं जो की हैं, उन्हें असली जामा पहनाने की भारी चुनौती है वरना जनता के पलट जाने का बड़ा खतरा है। ऐसे में हिलेरी और दीदी का समीकरण फिटमफिट हो जाये और किसीतरह वाशिंगटन के पूंजी तीर्थभूमि के तैलीशाहों की थैलियां बंगाल के लिए खुल जायं, तो दीदी की जय जयकार हो जायेगी।बहु ब्रांड खुदरा कारोबार में एफडीआई और अन्य आर्थिक सुधारों पर भी दोनों नेताओं में वार्ता हो सकती है।
क्लिंटन ढाका में एक दिन बिताने के बाद सात मई सोमवार को दिल्ली पहुंचने से पहले रविवार की रात कोलकाता में बिताएंगी। दिल्ली में मंगलवार को वे विदेश मंत्री एसएम कृष्णा से मुलाकात करेंगी और इस दौरान क्षेत्रीय सुरक्षा, ईरान और असैनिक परमाणु साझेदारी जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा होगी।अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन अपनी दो दिवसीय भारत यात्रा के दौरान भारत पर ईरान से तेल आयात घटाने पर जोर देंगी। क्लिंटन के साथ यात्रा कर रहे एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारतीय नेताओं के साथ विदेशी मंत्री की वार्ता में यह मामला एजेंडा में सबसे ऊपर होगा।भारत को अपने आर्थिक विकास के लिए ऊर्जा की बहुत जरूरत है और उसने ईरानी तेल पर अपनी निर्भरता घटाने की दिशा में कुछ प्रगति भी की है, लेकिन अधिकारी ने कहा कि अमेरिका चाहता है कि भारत इस दिशा में और ठोस कदम उठाए। उसने कहा कि भारत ने हाल ही में सउदी अरब से तेल आयात बढ़ाया है और अमेरिका चाहता है कि भारत इस तरह के अन्य विकल्प तलाशे। ईरानी तेल का आयात करते रहने पर दूसरे देशों की तरह भारत को भी जून अंत तक अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसा ओबामा प्रशासन के फैसले पर निर्भर करेगा। यदि ओबामा प्रशासन को लगता है कि भारत ने ईरानी तेल आयात में कटौती अधिक नहीं की है तो वह इस बारे में निर्णय ले सकता है। अमेरिका ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को देखते हुए उसके खिलाफ पेट्रोलियम उद्योग की कमाई कम करने का प्रावधान किया है ताकि वह परमाणु कार्यक्रम में पश्चिमी देशों की मांग पर गौर करे।जापान और दर्जनो यूरोपीय देशों को पहले ही अमेरिकी प्रशासन ने प्रतिबंधों से छूट दे दी है। भारत, चीन, दक्षिण कोरिया, तुर्की और दक्षिण अफ्रीका को अभी तक इस तरह की छूट नहीं मिली है। अमेरिकी विदेश मंत्री की बातचीत के बाद वैश्विक ऊर्जा मुद्दों पर अमेरिका के विशेष दूत कालरेस पास्कल मई के अंत तक भारत की यात्रा करेंगे।
बाजार को उम्मीद है कि हिलेरी ले देकर वह काम अवश्य कर लेंगी, जिसे अंजाम देने में यूपीए के प्रमुख संकट मोचक वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी अब तक नाकाम रहे हैं और आर्थिक सुधारों की नैय्या डांवाडोल है।हिलेरी की कोशिश होगी ममता बनर्जी रिटेल सेक्टर में एफडीआई निवेश को लेकर राजी हो जाएं क्योंकि अमेरिका की मशहूर वॉलमार्ट समेत कई रिटेल
कंपनियों की नज़र भारतीय बाजार पर है। दीदी को पटाकर मंझधार में फंसी बाजार की किस्मत उबार लेंगी, ऐसा विश्लेषकों को उम्मीद है।रविवार की रात चांद पहले से ज्यादा चमकीला और बड़ा दिखा। दर्शकों के लिए ऐसे नजारे का दीदार करना इसलिए सम्भव हुआ क्योंकि पूर्णिमा की तिथि को चांद पूरी तरह गोल और अपनी कक्षा में परिक्रमा करते हुए पृथ्वी के करीब आ गया।दीदी के लिए तो चांद राइटर्स पर मेहरबान है। अब चांदनी बटोर लेने की कला चाहिए, जो बेशक दीदी से बेहतर किसी के पास नहीं है। हिलेरी के कोलकाता दौरे को लेकर बांग्लादेश को काफी उम्मीद होगी। टाइम पत्रिका द्वारा घोषित विश्व की दो प्रभावशाली महिलाएं एक दूसरे से मिलेंगी तो कुछ खास बातें जरूर होंगी। जिसमें तीस्ता जलसंधि और खुदरा बाजार में विदेशी पूंजी निवेश का मुद्दा शामिल हो सकता है।  ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार की खुदरा क्षेत्र में विदेशी निवेश संबंधी नीति का विरोध किया था जिसके बाद इस मुद्दे को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। इसके अलावा पश्चिम बंगाल में अमरिकी निवेश के मद्दे पर भी बात हो सकती है।अमेरिकी प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक भारत-बांग्लादेश सम्बंधों पर भी चर्चा हो सकती है। पिछले साल प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ढाका यात्रा के दौरान तीस्ता समझौता पर हस्ताक्षर का प्रस्ताव था। लेकिन आखिरी क्षणों में जल की मात्रा पर बनर्जी के विरोध के कारण हस्ताक्षर का प्रस्ताव टाल दिया गया।
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

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