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Wednesday, 4 April 2012

आम बजट में कहाँ आम आदमी


आम बजट में कहाँ आम आदमी


SUNDAY, 25 MARCH 2012 22:46
http://www.janjwar.com/2011-05-27-09-00-20/29-economic/2480-aam-budget
देश में खुले आसमान के नीचे करोड़ों-करोड़ों टन सड़ते अनाजों को बचाने के लिए खाद्यानों की अतिरिक्‍त भंडारण क्षमता सृजित करने की घोषणा तो की गयी, मगर भंडारण में बिजली की व्यवस्था कैसे होगी यह नहीं बताया गया...
राजीव गुप्ता
पांच राज्यों के चुनावों में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन से सबक लेते हुए और रेल बजट से उत्पन्न हुए गर्म सियासी माहौल के बीच वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने यूपीए सरकार की दूसरी पारी का तीसरा बजट पेश करते हुए खुद को आम आदमी अर्थात ग्रामीण भारत से जुड़ाव दिखाने का प्रयास किया. 
आने वाले समय में महंगाई की मार से आम आदमी फिर से और त्रस्त होगा. वित्त मंत्री द्वारा सेवा कर में दो प्रतिशत (पहले दस प्रतिशत थी अब बारह प्रतिशत हो जायेगी) की वृद्धि के प्रयोजन के साथ -साथ आम जनता को दी जा रही सब्सिडी में कटौती का बंदोबस्त कर दिया गया है जिसके कारण लोक-लुभावनी घोषणाओं के साथ-साथ महंगाई का दंश झेल रहे आम आदमी की जेब अब और भी ढीली होगी.
budget-2012
इस बजट से कुछ हद तक किसानों को जरूर फायदा होगा. अब किसानी घाटे का सौदा नहीं रह जायेगी. एनएसएसओ की एक रिपोर्ट के अनुसार लगभग 41 फीसदी किसान अपनी किसानी छोड़ना चाहते हैं. 2.5 की विकास दर से कृषि क्षेत्र जहां अपनी सांसे गिन रहा था तो ऐसे में कृषि एवं सहकारिता विकास के लिए वित्त मंत्री द्वारा चालू वित्त वर्ष आयोजना परिव्यय को 18 फीसदी बढाकर 17123 करोड़ रुपये (2011 -2012 ) से 20 ,208 करोड़ रुपये (2012 -2013 ) करने के साथ-साथ कृषि कर्ज में भी 1 ,00 ,000 करोड़ रुपये का इजाफा करते हुए 4,75,000 करोड़ रुपये (2011 -2012 ) से 5,75,000 करोड़ रुपये (2012 -2013 ) की व्यवस्था कर दी गयी है.  इससे कुछ हद तक सूदखोरों से किसानों को राहत मिलने की उम्मीद है. साथ ही किसानों को प्रति वर्ष 7 प्रतिशत की दर पर अल्पावधि फसल ऋण के लिए ब्याज आर्थिक सहायता को जारी रखा गया है. कर्ज समय से चुकाने वाले किसानो को 3 प्रतिशत की अतिरिक्त राहत की व्यवस्था की जायेगी.  यूरिया उत्पादन क्षेत्र में अगले पांच वर्ष में आत्मनिर्भरता का लक्ष्य स्वागत योग्य है, क्योंकि अभी तक लगभग 25 प्रतिशत यूरिया आयत किया जाता है. साथ ही उर्वरक सब्सिडी किसानों और रिटेलरों को सीधे देने की घोषणा भी स्वागतयोग्य है. अभी तक ऐसा माना जाता था कि उर्वरक सब्सिडी के 40 प्रतिशत से ही किसान लाभान्वित होते थे, बाकी 60 प्रतिशत उर्वरक उद्योग उर्वरक सब्सिडी का लाभ उठाते थे.  सरकार ने नंदन निलेकणी जो कि आईटी नीति से संबंधित हैं, की अध्यक्षता वाले कार्यबल की सिफारिशों को स्वीकार करते हुए कहा है कि सब्सिडी का सीधा अंतरण किया जायेगा. इनके आधार पर एक मोबाइल आधारित उर्वरक प्रबंध प्रणाली तैयार की गई है, जिसे 2012 में पूरे देश में लागू किया जाएगा. उर्वरकों के दुरुपयोग में कमी और सब्सिडियों पर व्यय कम करने के उपायों से 12 करोड़ किसान परिवारों को लाभ होगा. वित्त मंत्री ने आगामी वित्त वर्ष 2012 -2013 में कृषि क्षेत्र को और मजबूत करने के लिए कई लुभावनी घोषणाएं की हैं, जो कि स्वागत योग्य है. समन्वित ग्रामीण विकास एवं ग्रामीण क्षेत्र में संमृद्धि सुनिश्चित करने हेतु कृषि, लघु उद्योगों, कुटीर एवं ग्रामोद्योगों, हस्तशिल्प और अन्य ग्रामीण शिल्प कलाओं के विकास में आने वाली ऋण समस्याओं के निपटान के लिए बनाई गयी इस योजना को वित्त मंत्री ने 10 ,000 हजार करोड़ रुपये प्रावधान किया है. वहीं किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) का उद्देश्य मौसमी कृषि परिचालनों के लिए पर्याप्त , कम लागत पर और समय पर बिना किसी झंझट के अल्पावधि ऋण प्राप्त करने में कृषकों को होने वाली कठिनाइयों को दूर करना है. मौखिक पट्टेदार, काश्तकारों और बटाइदारों सहित सभी कृषक वर्गों को इस योजना में शामिल किया गया है. कृषि यंत्र, खाद व अन्य खेती से जुड़े सामानों की खरीदारी के लिए उपयोग में आने वाला किसान क्रेडिट कार्ड से अब एटीएम की तर्ज पर नकदी भी प्राप्त की जा सकेगी. इससे किसानों को फसल के समय कृषि यंत्र, बीज, उर्वरक इत्यादि के लिए ऊंचे दरों पर ब्याज लेने की आवश्यकता नहीं होगी. साथ ही किसान क्रेडिट कार्ड की खरीद सीमा बढ़ाने पर भी सरकार विचार कर रही है. गौरतलब है कि वर्तमान समय में किसानो को 25 ,000 रुपये तक की सीमा का किसान क्रेडिट कार्ड दिया जा रहा है. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले हर एकल परिवार जिसमें माता, पिता और उन पर आश्रित बच्चे शामिल हैं. का साल में सौ दिन का अकुशल शारीरिक काम मांगने और प्राप्त करने का हक बनता है. इसके अंतर्गत उपेक्षित समूहों को रोजगार प्रदान किया गया. फरवरी 2011 तक अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की भागीदारी क्रमशः 28 व 24 प्रतिशत रही, वहीँ महिलाओं की भागीदारी वित्त वर्ष 2010 -2011 में 47 प्रतिशत तक हो गयी. ऐसा कहा जाता है कि मनरेगा से पलायन रोकने में काफी मदद मिली है. मनारेगा के लिए आगामी वित्त वर्ष 2012 - 2013 में सरकार ने 33 ,000 हजार करोड़ रुपये देने का प्रावधान किया गया है. हालाँकि पिछले वित्त वर्ष में मनरेगा को 40 ,000 करोड़ रुपये देने का प्रावधान किया गया था. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अधिदेश में सभी निर्धन परिवारों तक पहुँच सुनिश्चित करना, उन्हें स्थायी जीविका के अवसर उपलब्ध करवाना और गरीबी से ऊपर आने तक उनका पोषण करना निहित है. एनआरएलएम के माध्यम से बेरोजगार ग्रामीण निर्धन युवाओं के कौशल विकास तथा विशेष रूप से विकसित क्षेत्रों में नौकरियों में रोजगार उपलब्ध कराने अथवा लाभकारी स्वरोजगार एवं लघु उद्योगों में रोजगार उपलब्ध कराने का उद्देश्य है. सरकार ने आगामी वित्त वर्ष 2012 -2013 एनआरएलएम को 34 प्रतिशत के बढ़ोत्तरी करते हुए 3915 करोड़ रुपये का प्रायोजन किया है. इस बार ग्रामीणों के स्वास्थ्य की चिंता करते हुए वित्त मंत्री ने आगामी वित्त वर्ष 2012-2013 के लिए विगत वर्ष में किये गये 18,115 करोड़ रुपए आबंटन को बढ़ाकर 20,822 करोड़ रुपए करने का प्रस्‍ताव किया है . स्‍वचालित शटलरहित करघों को 5 प्रतिशत के बुनियादी सीमा-शुल्‍क से पूर्ण छूट देने का प्रस्‍ताव किया गया है और स्‍वचालित रेशम चरखी और प्रसंस्‍करण मशीनरी और इनके पुर्जों को भी बुनियादी शुल्‍क से पूरी छूट दे दी गयी है. एक तरफ जहां 5 प्रतिशत की बुनियादी सीमा-शुल्‍क की इस छूट और मौजूदा रियायती दर को केवल नई टेक्‍सटाईल मशीनरी तक सीमित रखा गया तो दूसरी तरफ सेकेंड हैंड मशीनरी के लिए 7.5 प्रतिशत के बुनियादी शुल्‍क का प्रस्‍ताव किया गया, जिससे बुनकर समाज को थोड़ी राहत जरूर मिलेगी. इसके साथ-साथ ग्रामीण पेयजल और स्‍वच्‍छता के लिए बजटीय आबंटन को 27 प्रतिशत से भी अधिक बढ़ाते हुए वर्ष 2012-13 में 14,000 करोड़ रुपए करने का प्रस्‍ताव, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के लिए आबंटन को 20 प्रतिशत बढ़ाते हुए 24,000 करोड़ रुपए करने का प्रस्‍ताव किया गया है. साथ ही पिछड़े क्षेत्रों के विकास पर अपना ध्‍यान केन्‍द्रि‍त करते हुए पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि की धन राशि में लगभग 22 प्रतिशत वृद्धि करते हुए वर्ष 2012-13 में आबंटन राशि 12,040 करोड़ रुपए करने की वित्त मंत्री द्वारा घोषणा की गयी.  ग्रामीण अवसंरचना विकास निधि के अ‍धीन आबंटन को बढ़ाकर 20,000 करोड़ रुपए करने का प्रस्‍ताव किया गया एवं सर्वशिक्षा अभियान के लिए 25,555 करोड़ रुपए उपलब्‍ध कराने की घोषणा भी की गयी, जो विगत वर्ष की तुलना में 21.7 प्रतिशत अधिक है. इसी प्रकार राष्‍ट्रीय कृषि विकास योजना के परिव्‍यय को 7860 करोड़ रुपए से बढ़ाकर वित्त वर्ष 2012-13 में 9217 करोड़ रुपए करने का भी प्रस्‍ताव किया गया है. भारत के राज्‍यों में हरित क्रांति लाने के उपायों के परिणामस्‍वरूप धान के उत्‍पादन और उत्‍पादकता में उल्‍लेखनीय वृद्धि हुई है. हरित क्रांति में भाग लेने वाले राज्यों ने 70 लाख टन चावल पैदा कर एक नयी मिशाल कायम की परिणामतः धान के उत्‍पादन को और बढ़ाने के लिए 400 करोड़ रुपए के आबंटन को बढ़ाकर वर्ष 2012-13 में 1000 करोड़ रुपए करने का प्रस्‍ताव किया गया. राष्‍ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत विदर्भ सघन सिंचाई विकास कार्यक्रम के लिए 300 करोड़ रुपए आबंटित करने का भी प्रस्‍ताव किया गया.  राष्‍ट्रीय प्रोटीन पूरक आहार मिशन को सुदृढ़ बनाने और डेयरी क्षेत्र में उत्‍पादकता बढ़ाने के उद्देश्‍य से विश्‍व बैंक की सहायता से 2242 करोड़ रुपए की परियोजना की घोषणा एवं मछली पालन आदि के लिए वर्ष 2012-13 में परिव्‍यय को बढ़ाकर 500 करोड़ रुपए किया जाना स्वागतयोग्य कदम है. देश में सिंचाई सुविधा के विस्‍तार के लिए आबंटन को 13 प्रतिशत बढ़ाकर वर्ष 2012-13 के दौरान 14,242 करोड़ रुपए करने का प्रस्‍ताव एक सराहनीय कदम के साथ-साथ अपर्याप्त है. देश में खुले आसमान के नीचे करोड़ों-करोड़ों टन सड़ते अनाजों को बचाने के लिए खाद्यानों की अतिरिक्‍त भंडारण क्षमता सृजित करने के उद्देश्‍य से भी कई उपायों की घोषणा तो की गयी, मगर भंडारण में बिजली पहुँचाने की व्यवस्था कैसे होगी यह नहीं बताया गया. बहरहाल वित्त मंत्री द्वारा ग्रामीण भारत को सशक्त और सुदृढ़ करने के लिए उठाया गया कदम अपर्याप्त लेकिन कुछ हद तक सराहनीय है. बशर्ते इन घोषणाओं के पालन एवं उसमे पारदर्शिता हो.  भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबी वर्तमान यूपीए -2 सरकार से ईमानदारी की अपेक्षा करना थोडा मुश्किल जरूर है मगर समुचित राशि अगर उन्हीं के हाथों में पहुंचे, जिनके लिए आबंटित की गयी है तो निश्चित ही ग्रामीण भारत का जीवन आगामी वित्त वर्ष में थोडा सुधरेगा.
rajeev-guptaदेश-दुनिया से जुड़े मसलों पर लिखते हैं. 


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