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Monday, 30 April 2012

वाशिंगटन से फिर सुधार मुहिम तेज करने के संकेत

मुंबई से एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

“]प्रणब मुखर्जी
प्रणब मुखर्जी [File photo
मनमोहन सिंह संसद की दुहाई दे रहे हैं वित्त विधेयक के जरिये आर्थिक सुधार लागू करने के लिए । संसद पर दबाव डालने के लिए प्रणव मुखर्जी की टीम ने कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। रही सही कसर पूरी करदी आईएमएफ ने। वाशिंगटन के शास्त्रीय कार्यक्रम के बाद वाशिंगटन से फिर सुधार मुहिम तेज करने के संकेत आये हैं, अब देखें कि संसद इस बाहरी दबाव को कैसे झेलती है। इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (आईएमएफ) का कहना है कि भारत सरकार के कामकाज में सुस्ती की वजह से निवेश के लिए माहौल बिगड़ा है। आईएमएफ की एशिया पैसेफिक रीजनल आउटलुक रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार को पिछड़ रहे आर्थिक सुधारों में जान फूंकने के लिए नए सिरे से कोशिश करनी होगी। इसके अलावा भारत की अंदरूनी दिक्कतों की वजह से भी वित्त वर्ष 2012 में अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी पड़ी है। आईएमएफ ने 2012 में भारत की जीडीपी दर का अनुमान 7 फीसदी से घटाकर 6.9% किया है।इस बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पेट्रोल, डीजल और एलपीजी के दाम बढ़ाने के संकेत दिए हैं।आईएमएफ ने निवेश का माहौल सुधारने, बुनियादी ढांचे की बाधाओं को दूर करने और शिक्षा के अवसरों के विस्तार की जरूरत बताई है, जिससे सुधारों को रफ्तार दी जा सके। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने कहा कि भारत में निवेश घटने की वजह से 2012 में वृद्धि दर का परिदृश्य कमजोर हुआ है। आईएमएफ ने कहा कि ढांचागत सुधार एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए नए प्रयासों की जरूरत है।आईएमएफ ने कहा कि 2012-13 के बजट में कुछ वित्तीय सुधारों और सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करने के कुछ उपायों को छोड़कर बुनियादी ढांचा क्षेत्र से संबंधित सुधारों के क्रियान्वयन की गति धीमी रहेगी।

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

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