कृपाशंकर को कोर्ट से भी राहत नहीं, मिली फटकार
Friday, 02 March 2012 18:42 |
नयी दिल्ली, दो मार्च (एजेंसी) भ्रष्टाचार के एक मामले में कृपाशंकर सिंह को कोई भी राहत देने से इंकार करते हुए उच्चतम न्यायालय ने ''पसंदीदा पीठ की तलाश :बेंच हंटिग:'' के लिए फटकार लगाई है । अदालत ने कहा कि इस तरह के कृत्य अस्वीकार्य हैं । मुंबई से कांग्रेस नेता ने भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत उनके खिलाफ अभियोजन चलाने और उनकी अचल संपत्तियों को जब्त करने के उच्च न्यायालय के निर्देश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी । न्यायमूर्ति डी. के. जैन और ए. आर. दवे की पीठ ने इस बात पर आपत्ति जताई कि मामले को आज इनके समक्ष पेश किया गया जबकि इसे मूलत: वृहस्पतिवार को पेश किया जाना था । उच्च्तम न्यायालय इस बात से खफा था कि मामले को वृहस्पतिवार को सूचीबद्ध करने का समय निर्धारित था लेकिन इसे वापस ले लिया गया और आज इसे फिर से सूचीबद्ध किया गया । उनके परिवार के एक सदस्य की ओर से उपस्थित होने वाले वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार से पीठ ने कहा, ''हमें काफी दुख है । हम काफी दुखी हैं कि यह नहीं हो सकता । यह पसंदीदा पीठ चुनने के सिवा कुछ और नहीं है ।'' उच्चतम न्यायालय ने कुमार से कहा कि ''ऐसा कृत्य'' अस्वीकार्य है और निर्देश दिया कि मामले को अधिसूचित तारीख को सुनवाई के लिए लाया जाए । अदालत ने कृपाशंकर की याचिका पर आज सुनवाई से इंकार करते हुए उन्हें कोई अंतरिम राहत देने या बंबई उच्च न्यायालय के फैसले को खारिज करने से मना कर दिया। उच्चतम न्यायालय ने आगे कहा कि कुमार जैसे वरीय वकीलों का अदालत के प्रति कानूनी अधिकारियों की तरह कर्तव्य बनता है कि वह इस तरह के ''पसंदीदा पीठ की तलाश'' के प्रयास को रोकें । उच्च न्यायालय ने मुंबई पुलिस को कृपाशंकर के परिवार के खिलाफ जांच का भी आदेश दिया । इसने नेता और उनकी पत्नी, बेटा एवं दामाद सहित परिवार की सभी चल और अचल संपत्तियों का दस्तावेजी साक्ष्य जुटाने का निर्देश दिया । अदालत ने कहा, ''प्रथमदृष्ट्या हम कह सकते हैं कि कृपाशंकर सिंह के खिलाफ संज्ञेय अपराध का मामला है । हमें यह कहने की जरूरत नहीं कि ऐसी जांच सामान्य प्रकृति की है और अदालत द्वारा विशिष्ट रूप से निर्देशित नहीं होना चाहिए बल्कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो जैसी एजेंसियों द्वारा खुद ही इसकी जांच की जानी चाहिए ।'' |
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