दूध दुहने से पहले गायों को चारा पानी तो चाहिए ही, विनिवेश लक्ष्य १२०० करोड़ से पीछे लगी ओएनजीसी की बोली!
सरकार की एनबीसीसी में हिस्सा बेचकर 250 करोड़ रुपये जुटाने की योजना!ऑयल इंडिया के विनिवेश की तैयारी !
राजकोषीय घाटा पाटने के मकसद से सेबी की मदद से बाजार का नियम बदलकर ओएनजीसी की हिस्सेदारी की नीलामी सरकारी संस्थागत निवेशकों के भरोसे लेने का तुरत फुरत फैसला कारगर साबित नहीं हुआ। सरकार ओएनजीसी की हिस्सेदारी नीलामी पर चढ़ाकर बारह हजार करोड़ का विनिवेश लक्ष्य हासिल करना चाहती थी। पर सरकारी अर्थविशेषज्ञों, नीति निर्धारकों और बाजार के नुमांइदों ने अतिरेक उत्साह में सरकारी संस्थागत निवेशकों की माली हालत और बढ़ती हुई नकदी संकट को नजरअंदाज किया। प्रतिकूल मौद्रिक नीतियों के रहते संस्थागत निवेशकों के लिए अपने पांवों पर खड़ा होना मुश्किल है, इस हकीकत को बेरहमी से नकारा गया। इसका खामियाजा तो भुगतना होगा। दूध दुहने से पहले गायों को चारा पानी तो चाहिए ही।माना जा रहा है कि हाई-प्रोफाइल विदेशी निवेशक इस नीलामी से दूर रहे।
अब बहाना यह बानाया ही जाना था कि नीलामी के लिए ऊंचा भाव तय किए जाने ओएनजीसी के शेयरों के लिए खरीदार नहीं मिल पाए हैं। शेयरों की नीलामी का फ्लोर प्राइस 290 रुपये प्रति शेयर रखा गया था।जाहिर है कि ऐसे में सरकार को काफी निराशा हुई है। इसका असर विनिवेश योजना पर भी पड़ सकता है।सरकार ओएनजीसी में नीलामी के जरिए 5 फीसदी हिस्सेदारी बेचने वाली थी। नीलामी के जरिए सरकार को करीब 12,500 करोड़ रुपये जुटाने की उम्मीद थी।
-- सरकार की एनबीसीसी में हिस्सा बेचकर 250 करोड़ रुपये जुटाने की योजना!ऑयल इंडिया के विनिवेश की तैयारी !
मुंबई से एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
राजकोषीय घाटा पाटने के मकसद से सेबी की मदद से बाजार का नियम बदलकर ओएनजीसी की हिस्सेदारी की नीलामी सरकारी संस्थागत निवेशकों के भरोसे लेने का तुरत फुरत फैसला कारगर साबित नहीं हुआ। सरकार ओएनजीसी की हिस्सेदारी नीलामी पर चढ़ाकर बारह हजार करोड़ का विनिवेश लक्ष्य हासिल करना चाहती थी। पर सरकारी अर्थविशेषज्ञों, नीति निर्धारकों और बाजार के नुमांइदों ने अतिरेक उत्साह में सरकारी संस्थागत निवेशकों की माली हालत और बढ़ती हुई नकदी संकट को नजरअंदाज किया। प्रतिकूल मौद्रिक नीतियों के रहते संस्थागत निवेशकों के लिए अपने पांवों पर खड़ा होना मुश्किल है, इस हकीकत को बेरहमी से नकारा गया। इसका खामियाजा तो भुगतना होगा। दूध दुहने से पहले गायों को चारा पानी तो चाहिए ही।माना जा रहा है कि हाई-प्रोफाइल विदेशी निवेशक इस नीलामी से दूर रहे।
बजट घाटे को पाटने के लिए सरकार ने विनिवेश का जो लक्ष्य रखा है, उसे हासिल करने की कोशिशों पर सवाल खड़े हो गए हैं। पर विशेषज्ञ कारिंदे इससे बेपरवाह है। इस बीच सूत्रों का कहना है कि कैबिनेट ने नेशनल बिल्डिंग्स कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन (एनबीसीसी) में 10 फीसदी विनिवेश को मंजूरी दे दी है। वित्त वर्ष 2012 में ही एनबीसीसी का आईपीओ आने की संभावना है।सरकार की एनबीसीसी में हिस्सा बेचकर 250 करोड़ रुपये जुटाने की योजना है। एनबीसीसी शहरी विकास मंत्रालय के तहत आती है।
आर्थिक सुधारों को लेकर बजट से पहले सरकार की इस हड़बड़ी में गड़बड़ी ऐसी हुई कि ओएनजीसी में सरकार की पांच फीसद हिस्सेदारी के विनिवेश के लिए हुई नीलामी में गुरुवार को 29.22 करोड़ शेयरों के लिए करीब 8500 करोड़ रुपए की बोली लगी। हालांकि, यह राशि कंपनी शेयरों के विनिवेश लक्ष्य 12000 करोड़ रुपए के मुकाबले कम रही। नीलमी के दिन के अंत तक कुल 29.22 करोड़ शेयरों की बोली लगी। स्टॉक एक्सचेंज अधिकारी ने बताया कि एनएसई में 19.92 करोड़ और बीएसई में 9.3 करोड़ शेयरों के लिए बोली लगी। एक दिन की इस नीलामी के खत्म होने के बाद खबर आई कि सरकार लक्ष्य का महज 68.3 पर्सेंट हिस्सा ही हासिल कर सकी। नीलामी दिन में 3:30 बजे खत्म हो गई, लेकिन इसके बाद चार घंटे तक आंकड़े सामने नहीं आए। मंत्रणाओं का दौर चलता रहा। रात 9 बजे तक स्टॉक एक्सचेंज के डेटा दिखाते रहे कि लक्ष्य हासिल नहीं हुआ। देर रात में वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि शेयरों को नीलामी ने लक्ष्य हासिल कर लिया। शेयर बाजारों ने भी इसकी पुष्टि की। विनिवेश विभाग के अडिशनल सेक्रेटरी ने बताया कि सेबी को इस बात की जांच करने के लिए कहा गया है कि किन तकनीकी बाधाओं के कारण कुछ बोलियों को दर्ज नहीं किया जा सका।जबकि बोली प्रक्रिया सुबह नौ बजकर 15 मिनट पर शुरू हुई और अपराह्न तीन बजकर 30 मिनट पर बंद हुई। सरकार ने एक दिन की नीलामी के जरिए शेयर बिक्री के लिए 290 रुपए का न्यूनतम मूल्य तय किया था और इसके जरिए 12,000-13,000 करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा गया था.सेबी और सरकार का आंकड़े बनाने का नया खेल शुरू हो गया।
ओएनजीसी को नीलामी पर चढ़ाने के औचक फैसले से कल बाजार में जो जोश दिखा, उसके विपरीत के शेयरों की नीलामी को बेहद ठंडा रिस्पॉन्स मिला। सिर्फ 29.22 करोड़ शेयरों के लिए ही बोली मिली।शुरूआत में बोली प्रक्रिया कमजोर रही और पहले घंटे में सिर्फ 37,500 शेयरों की बोली लगी। तीन बजे तक करीब 1.43 करोड़ शेयरों के लिए बोली लगी. बोली की रफ्तार आखिरी 30 मिनट में बढ़ी।करीब एक फीसद की शुरूआती बढ़त के बाद ओएनजीसी के शेयरों में कमजोरी आई और अपराह्न के कारोबार तक यह 290 रुपए से नीचे आ गया.।ओएनजीसी शेयर आखिरकार बंबई स्टाक एक्सचेंज में 1.87 फीसद लुढ़क कर 287.85 रुपए पर बंद हुआ।
अब बहाना यह बानाया ही जाना था कि नीलामी के लिए ऊंचा भाव तय किए जाने ओएनजीसी के शेयरों के लिए खरीदार नहीं मिल पाए हैं। शेयरों की नीलामी का फ्लोर प्राइस 290 रुपये प्रति शेयर रखा गया था।जाहिर है कि ऐसे में सरकार को काफी निराशा हुई है। इसका असर विनिवेश योजना पर भी पड़ सकता है।सरकार ओएनजीसी में नीलामी के जरिए 5 फीसदी हिस्सेदारी बेचने वाली थी। नीलामी के जरिए सरकार को करीब 12,500 करोड़ रुपये जुटाने की उम्मीद थी।
नया तमाशा यह है कि बिना समीक्ष किये ओएनजीसी के ऑक्शन को मिले खराब प्रतिसाद के बावजूद सरकार ने वित्त वर्ष 2012 में सरकारी कंपनियों में विनिवेश से पूंजी जुटाने की कोशिश तेज कर दी है।सरकार की ओर से अब वित्त वर्ष 2012 में ही बीएचईएल के शेयरों की नीलामी पर विचार करने के आसार हैं। वहीं सरकार ने वित्त वर्ष 2012 में ही ऑयल इंडिया के विनिवेश के संकेत दिए हैं।
विनिवेश विभाग के अतिरिक्त सचिव का कहना है कि ओएनजीसी के ऑक्शन के बाद ऑयल इंडिया में विनिवेश की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।
सूत्रों के मुताबिक ऑयल इंडिया ने विनिवेश के लिए बायबैक की बजाए ऑक्शन का रास्ता अपनाने में दिलचस्पी दिखाई है। लेकिन ऑयल इंडिया के विनिवेश के लिए ऑक्शन या बायबैक पर अंतिम फैसला विनिवेश विभाग करेगा। अगर ऑक्शन के जरिए ऑयल इंडिया का विनिवेश हुआ तो 10 फीसदी हिस्सेदारी बेची जाएगी।
माना जा रहा है कि अगर ऑयल इंडिया के 10 फीसदी हिस्सेदारी के लिए विनिवेश हुआ तो सरकार 3,000 करोड़ रुपये की पूंजी जुटा सकती है। ऑयल इंडिया के पास डिविडेंड आबंटन के बाद 12,500 करोड़ रुपये की पूंजी है। कंपनी ने वित्त वर्ष 2013 में कैपेक्स के लिए 3,300 करोड़ रुपये और अधिग्रहण के लिए 7,000 करोड़ रुपये की पूंजी का लक्ष्य तय किया है।
Palash Biswas
Pl Read:
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