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Thursday, 2 February 2012

तराई में संगठित अपराध के रूप में उभरता भूमाफिया

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तराई में संगठित अपराध के रूप में उभरता भूमाफिया

लेखक : नैनीताल समाचार :: अंक: 08 || 01 दिसंबर से 14 दिसंबर 2011:: वर्ष :: 35 : December 31, 2011  पर प्रकाशित
अनिल सिंह राणा
खटीमा में भूमाफिया पूरी तरह से सक्रिय है। वह पुलिस व प्रशासन की सह पर जनजाति (थारुओ) की भूमि पर जबरन कब्जा करता है। विरोध करने पर झूठे मुकदमे लगा कर फँसाय व डराया-धमकाया जाता है। अधिक विरोध करने पर गोली मार कर हत्या कर दी जाती है। पीडि़त पक्ष की कोई सुनवाई नहीं हो रही है। खटीमा जनजाति बहुल क्षेत्र होने के बावजूद एस.सी./एस.टी. के मुकदमे दर्ज ही नहीं होते है।
इसी तरह की घटना दिनांक 18 नवम्बर 2011 की दोपहर को गैर जनजाति भूमाफिया और पुलिस की साँठगाँठ से हुई। विजय बहादुर, भरत सिंह, भूपेन्द्र सिंह, ओमकार, मुलिया देवी, ममिता देवी, केदार सिंह, सीता देवी आदि जब अपनी जमीन जोत रहे थे तो इन निहत्थे लोगों पर भूमाफिया ने अपनी निजी लाइसेंसी राइफलों और बन्दूकों से गोलियाँ चला दीं, जिसमें दो व्यक्ति विजय बहादुर पुत्र करन तथा भरत सिंह पुत्र स्व. मान सिंह की मौके पर ही मौत हो गयी तथा आठ लोग गम्भीर रूप से घायल हो गये। अभी तक 23 आरोपियों में से पुलिस केवल 6 लोगो को ही गिरफ्तार कर सकी है। पीडि़त पक्ष द्वारा दिनांक 16 नवम्बर 2011 को अपनी सुरक्षा को लेकर प्रशासन को ज्ञापन भी दिया गया था, लेकिन उप जिलाधिकारी व पुलिस प्रशासन के द्वारा सुरक्षा के कोई इन्तजाम नहीं किये गये। 18 नवम्बर भूमाफिया द्वारा तलवार और बन्दूकों से हमला किये जाने की सूचना मिल जाने के बावजूद पुलिस तत्काल मौके पर नहीं पहुँची।
इस प्रकरण में मुख्य भूमिका में भग्गो देवी पत्नी छेदा सिंह एवं पुत्र रामसनेही हैं, जिनके हिस्से में पारिवारिक बँटवारे में लगभग 73 बीघा भूमि थी, जिसमें से 41 बीधा बाया रजिस्ट्री तथा 32 बीघा स्टाम्प पर बेच दी। इसके अलावा लगभग 35 बीघा अपने पारिवारिक हिस्सेदार (संयुक्त खातेदार) की बेच दी, जिसको लेकर विवाद उत्पन्न हुआ। उक्त भूमि पर भूमाफिया ने कब्जा करने की नीयत से जुताई करने लगे जिसका हिस्सेदारांे ने विरोध किया और यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटित हुई।
पुलिस एवं प्रशासन द्वारा भूमाफियाओं के खिलाफ कोई कार्यवाही न करने से पीडि़त परिवार के साथ ही जनजाति समुदाय में हताशा और आक्रोश है। जनजाति समुदाय की सुरक्षा के लिये उत्तराखण्ड में सारे कानून बेमानी हो गये हैं। पुलिस एवं प्रशासन के विरोध में तहसील खटीमा में भारी संख्या में जनजाति समुदाय का धरना-प्रदर्शन जारी है।

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