Pages

Free counters!
FollowLike Share It

Monday 18 February 2013

"पाप"

"पाप"  
 कविता वाचक्नवी 


वर्ष 2008 में विख्यात लेखिका रमणिका गुप्ता जी को हृदयाघात हुआ था। वे अस्पताल में भरती थीं। अस्पताल से ही संभवतः 8वें 9वें दिन मेरे पास नरेंद्र पुण्डरीक जी का फोन आया और उन्होंने कहा कि रमणिका जी बात करना चाहती हैं। यह सुन मैं अवसन्न रह गई कि अभी तो वे अस्वस्थ हैं ऐसे में वे क्या बात कर सकेंगी। दूसरी ओर रमणिका दी' थीं। उन्होंने मुझे सभी भारतीय भाषाओं की महिला कथाकारों की कहानियों के एक समेकित संकलन की योजना के विषय में बताया और कहा कि मैं भी इस संकलन के लिए अपनी कोई कहानी भेजूँ। मैंने उन्हें निश्चिंत किया। तभी अगले कुछ दिन बैठकर उस संकलन के लिए यह "पाप" शीर्षक कहानी लिखी थी। रमणिका दी' की योजना बहुत बड़ी थी, सामग्री संकलित होती रही व किसी न किसी कारण से वह संकलन  अब तक प्रकाशनाधीन है। 

इस बीच वर्ष 2010 में भारत जाने व उन्हीं के आवास पर कई दिन ठहरने के समय बातचीत में जब उन्हें पता चला कि मैंने वह कहानी कहीं अन्यत्र न तो भेजी है, न ही प्रकाशित हुई है तो उन्होंने बताया कि संकलन के लिए अप्रकाशित रचना की बाध्यता नहीं है व यों भी विलंब हो रहा है अतः इसे शीघ्र  कहीं प्रकाशित करवाओ। मैं तब भी प्रकाशन के प्रति अपनी अरुचि, आलस्य आदि के कारण टालती रही व कुछ न किया। वर्ष 2011 के अंत अथवा 2012 के प्रारम्भ में हेमलता माहीश्वर जी से उक्त संकलन संबंधी प्राप्त एक ईमेल के पश्चात् वरिष्ठ कथाकार  सुधा अरोड़ा जी से जब इस संबंध में खुल कर चर्चा हुई तो उन्होंने भी कहानी पढ़ी व एक महत्वपूर्ण सुझाव देते हुए कहानी को तुरंत कहीं भेजने की बात दोहराई व 'कथादेश' अथवा 'पाखी' को भेजने के लिए कहा। अतः मैंने इसे 'पाखी' को भेज दिया। अंततः वर्ष 2008 में लिखी हुई यह कहानी वर्ष 2013 में "पाखी"  के नवीनतम फरवरी अंक में प्रकाशित हुई है। 

इस बीच गत 10 दिनों में अनेकानेक ईमेल व संदेश मुझे व्यक्तिगत स्तर पर पाठकों व मित्रों ने भेजे हैं। 'पाखी' की ओर से उसके संपादक प्रेम भारद्वाज जी द्वारा अंक की पीडीएफ फाईल भी मिली है। उन्हें धन्यवाद कि उन्होंने इसे सम्मिलित कर स्थान दिया। नेट के साथियों, मित्रों व पाठकों के लिए प्रस्तुत है इस कहानी का अविकल पाठ - 

ईमेल से पढ़ने वाले मित्रों को पूरे एकहानी ईमेल से भेजने में स्पैम में जाने की संभवाना है क्योंकि कहानी बहुत लंबी है, अतः ईमेल पाने वाले मित्र इस लिंक पर इसे पढ़ें -


bestregards.gif

No comments:

Post a Comment