दिवालिया सरकार का गंगासागर में करोड़ों के खर्च से मुख्यमंत्री के लिए खास इंतजाम!
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
वाममोर्चा सरकार ने गंगासागर के तीर्थयात्रियों के लिए कभी कुछ नहीं सोचा सिर्फ इसलिए कि सागर पुण्यस्नान पर जाने वाले बंगालियों की संख्या नगण्य है और इससे वोटबैंक पर कोई फर्क नहीं पड़ता। बंगाली गैरसीजन सैर सपाटे के लिए ही गंगासागर जाना पसंद करते हैं। दीदी की राजनीतिक आकांक्षाएं सर्व भारतीय है।बंगाल से बाहर हिंदी प्रदेशों में जनाधार मजबूत करके ही देश का नेतृत्व हासिल किया जा सकता है। दीदी ने पहले ही रेलवे से लागरद्वीप को जोड़ने की योजना बनायी थी। रेलमंत्रालय छोड़ देने से वह सपना फिलहाल साकार नहीं हो रहा है। अगले चुनाव में देस की राजनीति में निर्णायक भूमिका के लिए सागर में पुण्य स्नान से बेहतर शुभारंभ कुछ नहीं हो सकता। कपिलमुनि मंदिर के जीर्णोद्धार का शिलान्यास तो वे कर ही चुकी।
राज्य सरकार कर्मचारियों को वेतन बाजार से उधार लेकर दे रही है। कुल राजस्व वेतन के लिए अपर्याप्त है।केंद्र को ब्याज का अलग संकट है। बंगाल पैकेज खटाई में है। अब वे विशेष दर्जा की मांग बिहार और झारखंड, यहां तक कि उत्तर प्रदेश की तर्ज पर भी उठा नहीं सकतीं। अर्थ व्यवस्था में सुनामी का माहौल है। एक के बाद एक घोषणाएं और परियोजनाओं का शिलान्यास उनका रोजनामचा है। पैसा कहां से आयेगा नहीं मालूम।पर राज्य सरकार गंगासागर में पहुंचने वाले असली भारत के असली वोटबैंक को साधने के लिए सादा जीवन व्यतीत करने के लिए मशहूर दीदी के लिए २.७२ करोड़ की लागत से तीन बीघा जमीन पर एक हजार वर्गफीट का एक काटेज का निर्माण कर रही है। जो कीमती लकड़ी और बेलजियम कांच से बना होगा, जिसकी साज सजावट पर तीन करोढ़ और खर्च होंगे। बाथरुम पर ही डेढ़ करोड़ खर्च होने हैं। शाल की खूंटियों से बनेंगी चारदीवार। बनेगा वाच टावर और दीदी की सुगम आवाजाही के लिए हैलीपैड भी। चालीस हैलोजेन लाइट स्टैंड भी होंगे इसके लिए।वैसे राज्य सरकार की ओर से यह कोई मानने के लिए सरकारी तौर पर तैयार नहीं है कि यह खास इंतजाम मुख्यमंत्री के लिए ही है।कुल खर्च लेकिन दस करोड़ से ज्यादा होने के पूरे आसार हैं।क्या वित्त मंत्री अर्थशास्त्री अमित मित्र इस अर्थ शास्त्र के मायने का खुलासा करेंगे?
मेले से काफी पहले भैसेल घाट पर रोजाना भगदड़ की स्थिति है।आम तीर्थयात्रियों की आवाजाही की सहज करने के लिए कुछ नया नहीं हो रहा है। अस्थाई झोपड़ियों में लाखों तीर्तयात्रियों के रहने का बंदोबस्त ढाक ढोल पीटकर प्रचारित हो रहा है। पर खास लोगों के टहरने के लिए गंगासागर में इफरात इंतजामात हैं जरुर हैं।उर्मि शिखर जैसे आलीशान अतिथि गृह के अलावा सर्किट हाउस, युवा आवास,जनस्वास्थ्य कारीगरी,सिंचाई, पीडब्लूडी,वन विभाग के अतिथि निवास,जिला परिषद और सुंदरवन विकास परिषद के सजे धजे अतिथि गृह हैं। अब सवाल उठता है कि मुख्यमंत्री के लिए एक बेहाल राज्य सरकार का यह खास इंतजाम क्यों
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
वाममोर्चा सरकार ने गंगासागर के तीर्थयात्रियों के लिए कभी कुछ नहीं सोचा सिर्फ इसलिए कि सागर पुण्यस्नान पर जाने वाले बंगालियों की संख्या नगण्य है और इससे वोटबैंक पर कोई फर्क नहीं पड़ता। बंगाली गैरसीजन सैर सपाटे के लिए ही गंगासागर जाना पसंद करते हैं। दीदी की राजनीतिक आकांक्षाएं सर्व भारतीय है।बंगाल से बाहर हिंदी प्रदेशों में जनाधार मजबूत करके ही देश का नेतृत्व हासिल किया जा सकता है। दीदी ने पहले ही रेलवे से लागरद्वीप को जोड़ने की योजना बनायी थी। रेलमंत्रालय छोड़ देने से वह सपना फिलहाल साकार नहीं हो रहा है। अगले चुनाव में देस की राजनीति में निर्णायक भूमिका के लिए सागर में पुण्य स्नान से बेहतर शुभारंभ कुछ नहीं हो सकता। कपिलमुनि मंदिर के जीर्णोद्धार का शिलान्यास तो वे कर ही चुकी।
राज्य सरकार कर्मचारियों को वेतन बाजार से उधार लेकर दे रही है। कुल राजस्व वेतन के लिए अपर्याप्त है।केंद्र को ब्याज का अलग संकट है। बंगाल पैकेज खटाई में है। अब वे विशेष दर्जा की मांग बिहार और झारखंड, यहां तक कि उत्तर प्रदेश की तर्ज पर भी उठा नहीं सकतीं। अर्थ व्यवस्था में सुनामी का माहौल है। एक के बाद एक घोषणाएं और परियोजनाओं का शिलान्यास उनका रोजनामचा है। पैसा कहां से आयेगा नहीं मालूम।पर राज्य सरकार गंगासागर में पहुंचने वाले असली भारत के असली वोटबैंक को साधने के लिए सादा जीवन व्यतीत करने के लिए मशहूर दीदी के लिए २.७२ करोड़ की लागत से तीन बीघा जमीन पर एक हजार वर्गफीट का एक काटेज का निर्माण कर रही है। जो कीमती लकड़ी और बेलजियम कांच से बना होगा, जिसकी साज सजावट पर तीन करोढ़ और खर्च होंगे। बाथरुम पर ही डेढ़ करोड़ खर्च होने हैं। शाल की खूंटियों से बनेंगी चारदीवार। बनेगा वाच टावर और दीदी की सुगम आवाजाही के लिए हैलीपैड भी। चालीस हैलोजेन लाइट स्टैंड भी होंगे इसके लिए।वैसे राज्य सरकार की ओर से यह कोई मानने के लिए सरकारी तौर पर तैयार नहीं है कि यह खास इंतजाम मुख्यमंत्री के लिए ही है।कुल खर्च लेकिन दस करोड़ से ज्यादा होने के पूरे आसार हैं।क्या वित्त मंत्री अर्थशास्त्री अमित मित्र इस अर्थ शास्त्र के मायने का खुलासा करेंगे?
मेले से काफी पहले भैसेल घाट पर रोजाना भगदड़ की स्थिति है।आम तीर्थयात्रियों की आवाजाही की सहज करने के लिए कुछ नया नहीं हो रहा है। अस्थाई झोपड़ियों में लाखों तीर्तयात्रियों के रहने का बंदोबस्त ढाक ढोल पीटकर प्रचारित हो रहा है। पर खास लोगों के टहरने के लिए गंगासागर में इफरात इंतजामात हैं जरुर हैं।उर्मि शिखर जैसे आलीशान अतिथि गृह के अलावा सर्किट हाउस, युवा आवास,जनस्वास्थ्य कारीगरी,सिंचाई, पीडब्लूडी,वन विभाग के अतिथि निवास,जिला परिषद और सुंदरवन विकास परिषद के सजे धजे अतिथि गृह हैं। अब सवाल उठता है कि मुख्यमंत्री के लिए एक बेहाल राज्य सरकार का यह खास इंतजाम क्यों
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