Pages

Free counters!
FollowLike Share It

Thursday 17 January 2013

खुशी मनाइये कि विकास दर में हम चीन से आगे हैं, बाकी तो बंटाढार तय ठहरा!


खुशी मनाइये कि विकास दर में हम चीन से आगे हैं, बाकी तो बंटाढार तय ठहरा!

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

विकास गाथा का चमत्कार है, विश्वबैंक और दूसरे आर्थिक संस्थान एक ओर तो दावा कर रहे हैं कि भारत में आर्थिक विकास दर चीन से ​​भी ज्यादा हो गयी है, तो दूसरी ओर रेटिंग एजंसियां वित्तीय घाटा का रोना रो रही है। आंकड़ों का चमत्कार है कि ईंधन और ऊर्जा संकट से जूझते कट से जूझते भारतीय अर्थव्यवस्था की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो जाने के दावे हो रहे है। वहीं, विकास और वृद्धि दर के बहाने अबाध पूंजी निवेश के खातिर गार को खत्म ही कर दिया गया है। संसद में पदोन्नति में आरक्षण के संवैधानिक प्रावधानों पर न्यायालय के अंकुश को खत्म करने के लिए विधेयक पास करने से पहले संसदीय सत्रावसान हो गया है। जबकि अल्पमत सरकार जीएसटी लागू करने के लिए संविधान संसोधन की तैयारी में है। उद्योग जगत सरकार से खुलकर मांग कर रहा है कि अमीरों पर टैक्स न लगाया जाये। सरकीर को रही है, सुधार जारी रहेंगे और निवेशकों की आस्था लौटाना जरूरी। दूसरी ओर धर्म राष्ट्रवाद की राजनीति और कारपोरेट सोशल मीडिया के अभूतपूर्व गठजोड़ से पाकिस्तान में ​​गहराते सैन्य शासन के खतरे के बीच युद्धोन्माद चरम पर है,जबकि वैश्विक युद्धक अर्थ व्यवस्था का सारा दांव इस स्थानांतरित युद्धस्थल ​​पर है। दुनियाभर के युद्ध कारोबारी और हथियारों के व्यापारी बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं कि कब फिर भारत और पाकिस्तान के बीच​​ युद्ध हो जाये। कुंभ मेला अभी चलना है, धर्म राष्ट्रवाद के तमाम मसीहा स्त्रियों को अनुशासित करने में लगे हैं। सुर्खियों में हिंदुत्व का ​​तूफान है तो क्रिकेट कार्निवाल के साथ अब हाकी वाणिज्य भी जुत गया है। मायावती ने भले ही सादगी से जन्मदिन मनाया हो, इस देश के बहुजन समाज का तो सत्यानाश तय है।

डीजल के दाम में बढ़ोतरी पर जल्द फैसला हो सकता है। इस मसले पर गुरुवार को कैबिनेट चर्चा कर सकती है। सूत्रों का कहना है कि सरकार डीजल 4.5 रुपये प्रति लीटर महंगा करने के पक्ष में है। हालांकि ग्राहकों को एलपीजी के मामले में सरकार राहत दे सकती है।सूत्रों के मुताबिक सरकार एलपीजी के दाम बढ़ाने के पक्ष में नहीं है। साथ ही सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलेंडरों की संख्या 6 से बढ़ाकर 9 की जा सकती है।दरअसल एलपीजी की सब्सिडी डीजल की सब्सिडी के मुकाबले काफी कम है। डीजल की सब्सिडी 96,000 करोड़ रुपये है, जबकि एलपीजी पर सब्सिडी बोझ 9,000 करोड़ रुपये का है। यही वजह है कि सरकार केलकर कमेटी के सुझाव लागू करने के पक्ष में है। केलकर कमेटी ने किस्तों में डीजल के दाम बढ़ाने का सुझाव दिया है।

रियल एस्टेट, शेयर ब्रोकिंग कंपनियों के प्रोमोटर भी बैंकिंग लाइसेंस हासिल कर सकते हैं। इस बारे में वित्त मंत्रालय ने 14 जनवरी को अपने सुझाव रिजर्व बैंक को भेजे हैं।सरकार के सुझावों को यदि वित्त मंत्रालय मान लेता है को रियल्टी कंपनियों और शेयर ब्रोकिंग कंपनियों के प्रोमोटरों को भी बैंकिंग लाइसेंस मिल सकते हैं।  नए बैंकिंग लाइसेंस पर वित्तमंत्रालय ने अपने सुझाव रिजर्व बैंक को भेज दिए हैं। इस मामले में वित्तमंत्रालय ने 14 जनवरी को रिजर्व बैंक को चिटठी लिखी है।वित्त मंत्रालय के सुझावों के मुताबिक जिन कंपनियों और निवेशकों का रियल्टी, ब्रोकिंग कंपनियों में 10 फीसदी से ज्यादा का निवेश है उन्हें बैंकिंग लाइसेंस नहीं मिलेगा। हालांकि सरकार ने आरबीआई को यह सुझाव भी दिया है कि होल्डिंग कंपनियों को दूसरे फाइनेंस कारोबार करने से रोका नहीं जाए। वहीं 25 फीसदी से ज्यादा शाखाएं ग्रामीण इलाकों में खोलने की शर्त को वित्त मंत्रालय ने सही ठहराया है।

विश्व बैंक ने कारोबारी सुस्ती के कारण मार्च 2013 को समाप्त होने वाले कारोबारी साल में भारत की अनुमानित विकास दर घटाकर 5.4 फीसदी कर दिया था। इसके बाद विश्व बैंक ने अनुमान जताया है कि देश की विकास दर इस साल 6.4 फीसदी रहेगी और 2015 तक यह बढ़कर 7.3 फीसदी हो जाएगी।

हाल के वर्षों में जारी वित्तीय संकट से यह सबक मिला है कि वित्तीय उद्योग धीरे धीरे असली अर्थव्यवस्था से अलग होकर स्वयं विकसित हो रहा है। जीडीपी में वित्त का अनुपात ऊंचा है। हांगकांग में आयोजित हो रहे एशियाई वित्तीय मंच पर विश्व मुद्रा कोष के उपाध्यक्ष चू मिन ने 15 जनवरी को यह टिप्पणी की।

उन्होंने कहा कि चीन में वित्तीय और बैंकिंग व्यवस्था का स्वस्थ विकास होने के साथ साथ जोखिम का संचय होता रहा है। वित्तीय सुधार न सिर्फ असली अर्थव्यवस्था, बल्कि निर्माण उद्योग, कृषि, सेवा उद्योग, शहरीकरण और बुजुर्गीकरण के लिए किया जाना चाहिए, जिनका उद्देश्य नागरिकों की आय उन्नत कर उपभोग को बढ़ावा देना है।

चू मिन ने कहा कि इस साल विश्व अर्थव्यवस्था का विकास पिछले साल की तुलना में बेहतर है। अनुमान है कि इस साल विश्व आर्थिक वृद्धि दर और एशियाई आर्थिक वृद्धि दर क्रमशः 2.9 और 6.8 प्रतिशत होगी। विश्व मुद्रा कोष का अनुमान है कि इस साल चीन की आर्थिक वृद्धि दर 8.2 फीसदी होगी, जो 2012 से ज्यादा है।

पिछले हफ्ते कृषि मंत्रालय की ओर से भेजे गए 20,000 करोड़ रुपये के बजट में 3,000 करोड़ रुपये की कटौती कर दी गई क्योंकि 'विभाग के खर्च का आकार उसके परिव्यय का समर्थन नहीं करता है।राज्य सरकारों को बीजों के लिए सब्सिडी मुहैया कराने वाले बीज विभाग को भी पूरा आवंटन नहीं होगा।

जनजातीय मामलों के मंत्रालय के परिव्यय में 24 फीसदी कटौती का प्रस्ताव
कृषि के लिए प्रस्तावित 20,000 करोड़ रुपये के परिव्यय में से 3,000 करोड़ रुपये की कटौती
रक्षा बजट के परिव्यय में 10,000 करोड़ रुपये की कटौती (राजस्व एवं पूंजी दोनों)


वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) मसले पर कदम आगे बढ़ाते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आज कहा कि अगर राज्य सरकारें इस मसले पर आम सहमति बनाती हैं तो बजट भाषण में इस मसले पर संवैधानिक संशोधन का खाका पेश किया जाएगा।राज्य के वित्त मंत्रियों के साथ हुई बजट पूर्व बैठक में चिदंबरम ने इस बात पर बल दिया कि अब वक्त आ गया है कि जीएसटी मसले पर सभी खामियां दूर कर ली जाएं। उन्होंने कहा कि अगर राज्यों में सहमति बनती है तो वे रात दिन काम कर अपने बजट भाषण को फिर से तैयार करेंगे। केंद्रीय बजट 2013-14 अगले महीने के आखिर में पेश होगा।

संविधान (संशोधन) विधेयक 2011 संसद में पेश किया गया है और इस समय वित्त मामलों की स्थायी समिति इस पर विचार कर रही है। यह विधेयक महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि इससे राज्यों को सेवा कर लगाने की शक्ति मिलेगी और केंद्र सरकार विनिर्माण के बाद भी कर लगा सकेगी। बहरहाल इसके लिए संसद के दोनों सदनों में दो तिहाई बहुमत के साथ कम से कम देश के आधे राज्यों का समर्थन जरूरी है। बैठक के बाद बिहार के उप मुख्यमंत्री और राज्य के वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति के अध्यक्ष सुशील कुमार मोदी ने संवाददाताओं से कहा कि समिति की बैठक 28 जनवरी को भुवनेश्वर में होगी। अन्य मसलों के अलावा समिति जीएसटी संबंधी मसलों पर बनी दो समितियोंं की सिफारिशों पर भी चर्चा करेगी।

जीएसटी से केंद्र और राज्यों को एकसाथ वस्तु एवं सेवाओं पर कर लगाए जाने के मामलों में ताकत मिलेगी। इसे अप्रैल 2010 में पेश किया गया था, लेकिन इसे लागू करने की तिथि में कई बार बढ़ोतरी हो चुकी है। केंद्रीय बिक्री कर (सीएसटी) घटाए जाने पर मिलने वाले मुआवजे में और बढ़ोतरी किए जाने की राज्यों की मांग के मसले पर राज्यों को कहा गया है कि यह वित्तीय स्थिति पर निर्भर करेगा। सीएसटी वह कर है तो वस्तुओं की आवाजाही पर लगाया जाता है। इसे चरणबद्ध तरीके से 4 प्रतिशत से घटाकर 2 प्रतिशत कर दिया गया है।

वित्त मंत्री ने कहा, 'सभी राज्यों ने अपने मसले उठाए हैं, लेकिन कुछ मसले ऐसे हैं, जिसे सभी राज्यों ने उठाए हैं।Ó सीएसटी मुआवजे के मसले और जीएसटी की डिजाइन पर बनी दो समितियां 31 जनवरी को अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपेंगी।

चिदंबरम ने कहा कि केंद्र सरकार वित्तीय खाका लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। खाके के मुताबिक केंद्र का वित्तीय घाटा इस वित्तीय वर्ष में 2011-12 के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 5.7 प्रतिशत से घटकर 5.3 प्रतिशत पर आएगा। इस खाके में 2013-14 में वित्तीय घाटा 4.8 प्रतिशत और 2016-17 में 3 प्रतिशत पर लाया जाना है। वित्त मंत्री ने राज्यों से यह भी कहा कि वे अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाली परियोजनाओं को तेजी से मंजूरी दें, जिससे निवेश में तेजी आ सके।

मोदी ने कहा कि राज्य सरकारें केंद्र प्रायोजित योजनाओं को लागू किए जाने के मामले में बीके चतुर्वेदी समिति की सिफारिशों को लागू करने की मांग कर रही हैं, जिससे इस तरह की योजनाओं की संख्या कम होगी और राज्यों को अपनी जरूरत के मुताबिक धन के इस्तेमाल करने का मौका मिलेगा। राज्य सरकारें चाहती हैं कि केंद्रीय योजनाओं में उनकी हिस्सेदारी 15 प्रतिशत से ज्यादा न हो। कुछ राज्यों ने कहा कि वे सीधे नकदी हस्तांतरण के पक्ष में हैं, लेकिन इसके लिए बैंकिंग सेवा का प्रसार ग्रामीण इलाकों में किए जाने की जरूरत है।

गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि राज्य रक्षा उद्योग को बढ़ावा देना चाहता है और निजी कंपनियां राज्य में अपनी इकाइयां लगा सकती हैं। उन्होंने कहा, गुजरात बेहतर बुनियादी सुविधाओं के साथ रक्षा उद्योग के विकास के लिए सबसे अनुकूल राज्य है और हम चाहते हैं कि कंपनियां यहां जोर-शोर से अपना कारोबार शुरू करें। तो यह है हिंदुत्ववादी युधद्धोन्माद का असली चेहरा!गौरतलब है कि भारत को आर्थिक विकास दर तेज करने के लिए संवेदनशील क्षेत्रों के बाजार को भी विदेशी निवेश के लिए पूरी तरह खोल देना चाहिए। अमेरिका के एक प्रतिष्ठित थिंक टैंक ने यह सुझाव दिया है। भारत वित्त, रक्षा और परमाणु ऊर्जा जैसे क्षेत्रों को एफडीआइ (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) के लिए खोलने में हिचकिचा रहा है।अमेरिकी थिंक टैंक कारनेगी एन्डावमेंट फोर इंटरनेशनल पीस का विश्लेषण बताता है कि भारत-अमेरिका की रणनीतिक साझेदारी में दोनों देशों का बेहतर भविष्य छिपा हुआ है। दोनों देश मिलकर अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए काम कर रहे हैं। ऐसे में दोनों देशों को आपसी साझेदारी फायदेमंद बनाने के प्रयास करने चाहिए। भारत के लिए थिंक टैंक ने जो सिफारिशें की हैं, उनमें आपसी सहयोग बढ़ाना, दूसरी पीढ़ी के आर्थिक सुधार पर जल्द फैसला लेना, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा देना, मित्र देशों के साथ रक्षा सहयोग बढ़ाना और अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके ईरान के परमाणु हथियार कार्यक्रम पर रोक लगाना शामिल है। दुनिया के दूसरे सबसे बड़े हथियार निर्यातक, रूस ने इस साल 14 अरब डॉलर के हथियार बेचे जबकि भारत उसका अग्रणी हथियार खरीदार रहा। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा, ''देश (रूस) के रक्षा उद्योग ने 2012 में 15 अरब डॉलर के अन्य निर्यात सौदे भी किए।''

कोलकाता में पुरी के शंकराचार्य स्वामी श्री निश्चलानंद सरस्वती ने  कहा कि देश में बलात्कार की घटनाओं में वृद्धि के लिए पाश्चात्य प्रभाव मुख्य कारणों में से एक है।शंकराचार्य ने यहां कहा कि पाश्चात्य प्रभाव- फिल्म, क्लब संस्कृति और मादक पदार्थ ने देश के पुराने मूल्यों और सिद्धांतों को नष्ट कर दिया है। इसे बदलने की आवश्यकता है। स्वतंत्रता से पहले हम अपनी संस्कृति एवं मूल्य बरकरार रखने में सक्षम थे लेकिन गत 65 वर्षों में हमने उसमें से काफी कुछ खो दिया है। उन्होंने कहा, 'ऐसी वीभत्स घटना (दिल्ली गैंगरेप) अचानक नहीं होती। ये तब होती है जब संस्कृति और मूल्यों की पतली रेखा सभ्यता और विकास के नाम पर लांघी जाती है।' उन्होंने कहा कि लोगों को इस पर चिंतन करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी घटनाएं नहीं हों।

विदेशी संस्थागत निवेशकों, खासकर मॉरीशस के रास्ते से आने वाले निवेश को बड़ी राहत देते हुए सरकार ने आज जनरल ऐंटी-एवॉयडेंस रूल्स (गार) को अगले दो साल के लिए टाल दिया है। सरकार ने गार पर गठित पार्थसारथि शोम समिति की प्रमुख सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है और अब यह वित्त वर्ष 2016-17 से प्रभावी होगा।सरकार ने सोमवार को विवादास्पद सामान्य कर परिवर्जन रोधी नियम (गार) को लागू करने की तारीख दो सालों के लिए टाल दी। अब यह एक अप्रैल 2016 से लागू होगी।इसके साथ ही विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) में अनिवासी भारतीयों को इसके दायरे से मुक्त कर दिया गया है। केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि सभी बातों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने फैसला किया है कि अध्याय 10ए का प्रावधान एक अप्रैल 2014 की जगह एक अप्रैल 2016 से लागू होगा।गार की यह व्यवस्था तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने बनाई थी और यह उन कम्पनियों को ध्यान में रखकर बनाया गया था, जो कम कर वाले देशों से भारत में निवेश करते हैं। वित्त मंत्रालय ने पहले कहा था कि वह गार को अप्रैल 2014 से लागू करेगा।इस फैसले की घोषणा करते हुए वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि सरकार ने पार्थसारथी शोम समिति की प्रमुख सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है। विदेशी निवेशकों की चिंता पर गौर करने के लिए पिछले साल समिति का गठन किया गया था. विदेशी निवेशक गार का विरोध कर रहे हैं।


विश्व बैंक के एक दिग्गज अर्थशास्त्री ने कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर निकट भविष्य में चीन की वृद्धि दर के आसपास पहुंच जाने की उम्मीद है।दुनिया के उभरते बाजारों में आर्थिक वृद्धि की रफ्तार अक्टूबर से दिसंबर तिमाही में बेहतर रही। इस दौरान ब्रिक देशों में भारत की वृद्धि दर चीन से तेज रही। यह बात एचएसबीसी के सर्वेक्षण में कही गई।ब्रिक (ब्राजील, रूस, भारत और चीन) अर्थव्यवस्थाओं में विनिर्माण और सेवा क्षेत्र की संयुक्त वृद्धि 2012 की चौथी तिमाही में बढ़ी, लेकिन यह अभी संकट पूर्व स्तर से बहुत कम है। एचएसबीसी उभरते बाजार का सूचकांक (ईएमआई) 2012 की चौथी तिमाही में 52.9 पर रहा, जबकि जुलाई से सितंबर की अवधि में यह 52.2 पर था।एचएसबीसी ने कहा कि वृद्धि में यह सुधार मुख्य तौर पर विनिर्माण क्षेत्र में विस्तार के कारण हुआ, हालांकि सेवा क्षेत्र में भी पिछली तिमाही में सुधार हुआ।एचएसबीसी के मुख्य अर्थशास्त्री स्टीफन किंग ने कहा, हालांकि आर्थिक वृद्धि में सुधार उत्साहजनक है। विशेषतौर पर 2013 के शुरुआती महीनों में इस तरह के संकेत उत्साह बढ़ाने वाले हैं।

विश्व बैंक ने वैश्विक आर्थिक परिदृश्य 2013 का नवीनतम संस्करण जारी किया, जिसमें भारत, चीन और ब्राजील जैसे विकासशील देशों की अर्थव्यवस्थाओं के पटरी पर लौटने और तेज वृद्धि दर हासिल करने की उम्मीद जताई गई है।

मंगलवार को जारी विश्व बैंक की ताजा ग्लोबल इकनॉमिक प्रोस्पैक्ट्स रिपोर्ट में कहा गया कि दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत में आर्थिक सुस्ती के कारण 2012 में क्षेत्र की अनुमानित विकास दर भी घटकर 5.4 फीसदी (2011 में 7.4 फीसदी) रही।

भारत में नीतिगत सुधार, दमदार निवेश, सामान्य कृषि उत्पादन और निर्यात मांग में तेजी के कारण क्षेत्र की अनुमानित आर्थिक विकास दर 2013 कैलेंडर वर्ष में 5.7 फीसदी, 2014 में 6.4 फीसदी और 2015 में 6.7 फीसदी रहने का अनुमान है।रिपोर्ट में हालांकि कहा गया है कि क्षेत्र की विकास दर घट भी सकती है और इसके सम्भावित कारणों के रूप में रिपोर्ट में यूरो क्षेत्र में वित्तीय संकट के गहराने और अमेरिका में कर्ज से सम्बंधित मुद्दों के लम्बा खिंचने का जिक्र किया गया, जो दक्षिण एशियाई क्षेत्र को व्यापारिक और वित्तीय दोनों मामलों में प्रभावित कर सकता है।

रिपोर्ट के मुताबिक अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय बाजार की अनिश्चितता के कारण भारत का चालू खाता घाटा घटाने का कार्यक्रम भी पटरी से उतर सकता है।रिपोर्ट में हालांकि यह भी कहा गया है कि वैश्विक वित्तीय संकट की शुरुआत के चार साल बाद ऐसा लगता है कि सबसे बुरा दौर गुजर चुका है, लेकिन वैश्विक अर्थव्यवस्था के सामने जोखिम बना हुआ है, क्योंकि उच्च आय वाले देश अनिश्चितता और धीमे विकास से गुजर रहे हैं।रिपोर्ट में कहा गया कि उच्च आय वाले देशों में सुस्त विकास के बाद भी विकासशील देशों में सम्भावना अच्छी है हालांकि वहां विकास दर संकट से पहले वाली दर की तुलना में एक से दो फीसदी कम ही रहेगी।

विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक बसु ने एक कॉन्फ्रेंस कॉल के दौरान संवाददाताओं को बताया कि विश्व बैंक को उम्मीद है कि वर्ष 2015 तक चीन की वृद्धि दर 7.9 प्रतिशत होगी, जबकि भारत की वृद्धि दर 7 प्रतिशत होगी।उन्होंने कहा कि आर्थिक वृद्धि दर के मामले में दोनों एशियाई देशों के बीच अंतर घट रहा है।

रिपोर्ट में जहां विश्व अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 2013 में बढ़कर 2.4 प्रतिशत रहने की संभावना है, जो 2012 में 2.3 प्रतिशत रही। जहां अधिक आय वाले देशों की वृद्धि दर 2012 और 2013 दोनों में ही 1.3 प्रतिशत रहेगी, भारत, चीन और ब्राजील जैसे उभरते बाजारों में सुधार के व्यापक संकेत देखने को मिलेंगे।

'वर्ष 2012 में ब्राजील की वृद्धि दर तेजी से घटकर 0.9 प्रतिशत पर आ गई। विश्व बैंक ने 2013 में ब्राजील की वृद्धि दर 3.4 प्रतिशत रहने की उम्मीद जताई है। वहीं चीन की वृद्धि दर 2013 में सुधरकर 8.4 प्रतिशत रहने की संभावना है, जो 2012 में 7.9 प्रतिशत रही।' बसु ने कहा,  हमारा अनुमान है कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2012 के 5.1 प्रतिशत के मुकाबले 2013 में सुधरकर 6.1 प्रतिशत रहेगी।

2050 तक दुनिया की सबसे तेज तीसरी अर्थव्यवस्था बनेगा भारत

अगले चार दशक के दौरान उभरती अर्थव्यवस्थाएं विकसित देशों की तुलना में ज्यादा तेजी से बढ़ेंगी और 2050 तक भारत दुनिया की तीन सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो जाएगा। पीडब्ल्यूसी की एक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है।

पीडब्ल्यूसी की रिपोर्ट '2050 में दुनिया ब्रिक्स और उससे आगे संभावनाएं, चुनौतियों और अवसर' में कहा गया है कि वैश्विक वित्तीय संकट की वजह से आर्थिक केंद्र बदल रहा है। चीन के 2050 में अमेरिका को पछाड़ते हुए दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की संभावना है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2050 तक चीन दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा, जबकि अमेरिका दूसरे और भारत तीसरे स्थान पर होगा। वहीं ब्राजील जापान को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है।

इसमें कहा गया है कि तुर्की यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में शुमार हो सकता है, वहीं इंडोनेशिया, नाइजीरिया तथा वियतनाम भी तेजी से आगे बढ़ सकते हैं।


अमीरों पर अधिक टैक्स न लगाया जाए: उद्योग जगत

उद्योग जगत के दिग्गजों ने आज सरकार से आग्रह किया कि वह अमीरों पर उंचा कर लगाने के प्रस्ताव पर विचार न करे। उद्योग जगत का मानना है कि उंची आय वाले लोगों पर अधिक कर लगाने से उद्यमशीलता हतोत्साहित होगी। इसके साथ ही उद्योग जगत ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को तत्काल लागू किए जाने और कारपोरेट कर की दर को इसी स्तर पर रखने की भी मांग की।

वित्त मंत्री पी चिदंबरम के साथ बजट पूर्व बैठक में उद्योग मंडलों सीआईआई, फिक्की तथा एसोचैम के प्रतिनिधियांे ने सरकार को विरासत या उत्तराधिकार कर लगाने के प्रति भी आगाह किया। उन्होंने कहा कि इस तरह के कदम से बचत तथा निवेश तो प्रभावित होगा ही, पूंजी का सृजन भी हतोत्साहित होगा।

फिक्की की अध्यक्ष नैना लाल किदवई ने कहा, ''उच्च आय वर्ग पर अधिक कर की दर लगाने का औचित्य नहीं है, क्योंकि इससे उद्यमशीलता प्रभावित होगी। ऐसे में पेशेवर कम कर वाले देशांे मसलन सिंगापुर, दुबई या लंदन का रुख कर सकते हैं।'' फिक्की ने व्यक्तिगत आयकर के मामले में 20 लाख रुपये से अधिक की आमदनी पर 30 प्रतिशत की अधिकतम कर दर लागू करने की मांग की है। अभी यह सीमा 10 लाख रुपये की है। किदवई ने कहा कि यह निवेशक समुदाय के विश्वास को और गिराने का समय नहीं है। पिछले साल के कर संशोधनों से निवेशकों का भरोसा पहले ही डिगा हुआ है।

इसी तरह की राय जाहिर करते हुए एसोचैम के अध्यक्ष राजकुमार धूत ने कहा, ''दुनिया में कहीं भी ऐसा नहीं होता। हमारी राय है कि उन पर कर लगे, लेकिन यह उचित हो। उनके पास पैसा है। इस पैसे का देश में निवेश कर वे रोजगार का सृजन करते हैं। अमीर व्यक्तियांे के निवेश से उत्पाद शुल्क, बिक्रीकर भी मिलता है यानी इससे राजस्व भी प्राप्त होता है।'' सीआईआई के अध्यक्ष आदि गोदरेज ने कहा, ''हमारा कहना है कि अमीरों पर अधिक कर के किसी भी कदम से निवेश पर नकारात्मक धारणा बनेगी और इससे बचा जाना चाहिए।'' वस्तु एवं सेवा कर के मसले पर किदवई ने कहा कि केंद्र सरकार को इस पर राज्य सरकारों से बात कर इसको जल्द से जल्द क्रियान्वित करने की योजना बनानी चाहिए। गोदरेज ने कहा कि उद्योग चाहता है कि जीएसटी को जल्द से जल्द लागू किया जाए और संविधान संशोधन संबंधी मसले को जल्द सुलझाया जाए, जिसे संसद में 22 मार्च, 2011 को पेश किया गया था।

कीमतें बढ़ाने पर गंभीरता से विचार : तेल मंत्री

पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री डॉ. एम. वीरप्पा मोइली ने फिर कहा है कि डीजल, रसोई गैस और दूसरे पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स के दाम में बदलाव के प्रस्ताव पर सरकार गंभीरता से विचार कर रही है। इस बारे में अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। मोइली ने हालांकि सस्ते सिलिंडर की सप्लाई बढ़ाने के बारे में कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि जैसे ही इस बारे में मैं कुछ भी कहूंगा, वैसे ही चुनाव आयोग मुझे नोटिस थमा देगा।

पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि कैबिनेट में इस बारे में क्या फैसला होगा या क्या प्रस्ताव भेजा जाएगा, इस बारे में अभी से चर्चा करना ठीक नहीं है। पेट्रोलियम मंत्रालय विजय केलकर समिति की सिफारिशों के अनुसार डीजल, घरेलू रसोई गैस और मिट्टी तेल के दाम में बदलाव चाहता है।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि केलकर समिति की ओर से रिपोर्ट सरकार को सौंपी जा चुकी है। समिति ने कई सुझाव दिए हैं। इन प्रस्तावों पर सरकार गंभीरता से विचार कर रही है।

सोने में 320 रुपए का उछाल, 31325 रुपए/10 ग्राम

विदेशों में तेजी के बीच आगामी शादी विवाह सीजन के मददेनजर स्टाकिस्टों और आभूषण निर्माताओं की लिवाली बढने से दिल्ली सर्राफा बाजार में आज सोने के भाव 320 रुपये की तेजी के साथ 31325 रुपये प्रति दस ग्राम बोले गये। औद्योगिक इकाइयों और सिक्का निर्माताओं की लगातार मांग कमे चलते चांदी के भाव 450 रुपये चढकर 59450 रुपये प्रति किलो हो गये।

बाजार सूत्रों के अनुसार वैश्विक तेजी के बीच आगामी शादी विवाह सीजन के मददेनजर स्टाकिस्टों और आभूषण निर्माताओं की खरीदारी बढने से सोने और चांदी की कीमतों में उछाल आया।

सिंगापुर में सोने के भाव 0.3 प्रतिशत बढकर दो सप्ताह के उच्चस्तर 1684.89 डालर और चांदी के भाव 0.1 प्रतिशत की तेजी के साथ 31.41 डालर प्रति औंस हो गये। घरेलू बाजार में सोना 99.9 और 99.5 शुद्ध के भाव 320 रुपये की तेजी के साथ क्रमश: 31325 3पये और 31125 रुपये प्रति दस ग्राम बंद हुए।

चांदी तैयार के भाव 450 रुपये की तेजी के साथ 59450 रुपये और चांदी साप्ताहिक डिलीवरी के भाव 445 रुपये चढकर 59560 रुपये प्रति किलो बंद हुए। चांदी सिक्का के भाव 1000 रुपये की तेजी के साथ 81000:82000 रुपये प्रति सैकडा बंद हुए।

महंगाई कम करना RBI की प्राथमिकता: सुब्बाराव

रिजर्व बैक (आरबीआई) गवर्नर डी सुब्बाराव ने महंगाई में कमी लाने को अपनी प्राथमिकता बताते हुए आज कहा कि पिछले दो वषरे में इसमें कुछ कमी आई है लेकिन महंगाई दर अब भी उंची बनी हुई है।

सुब्बाराव ने बाराबंकी जिले के लालपुर करौता गांव में ग्रामीणों को बैंकिंग सुविधा के इस्तेमाल के प्रति जागरुक करने के लिए आयोजित कार्यक्रम में कहा, ''मैं जानता हूं कि पिछले कुछ वषरे में महंगाई काफी बढी है। महंगाई ने सभी को प्रभावित किया है, खासतौर पर गरीब लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हुए है।'' उन्होंने कहा, ''पिछले दो वषरे से हम महंगाई दर को कुछ कम करने में सफल हुए है, लेकिन मैं स्वीकार करता हूं कि महंगाई दर अब भी उंची बनी हुई है। महंगाई को कम करना हमारी प्राथमिकता है और हमेशा रहेगी। '' दिसंबर 2012 में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति 7.18 प्रतिशत रही है जो कि सितंबर 2012 में 7.8 प्रतिशत पर थी।

दूरदराज ग्रामीण क्षेत्रो में बैंकिंग सेवाओं पर जोर देते हुए सुब्बाराव ने कहा कि वित्तीय समावेशन रिजर्व बैंक का सबसे महत्वपूर्ण विकास कार्यक्रम है। हमारे देश में लगभग छह लाख बस्तियां है लेकिन उनमें 90 प्रतिशत बस्तियां बैंकिंग सेवाओं से वंचित है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है।

आरबीआई का लक्ष्य है देश के हर परिवार के पास कम से कम एक बैक खाता होना चाहिये। छह लाख में से एक लाख बस्तियां उत्तर प्रदेश में है। ऐसे में सभी बैंको से अनुरोध है कि वह इस कठिन लक्ष्य को जल्द से जल्द पूरा करें।

बैंकों का एनपीए बढ़ना जोखिमपूर्ण: आईएमएफ

बैंकों की बढ़ती गैर निष्पादक आस्तियां (एनपीए) यानी वसूली में फंसा धन और नकदी की तंगी से भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने अल्पकालिक जोखिम है।अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भारतीय वित्तीय प्रणाली पर एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत की वित्तीय प्रणाली विभिन्न संस्थानों और के बीच अंतरसंबंध और विदेशी बाजारों के साथ बढ़ते जुड़ाव के चलते अपेक्षाकृत अधिक जटिल होती जा रही है। यह रिपोर्ट फरवरी 2012 तक उपलब्ध आंकड़ों पर आधारित है।रिपोर्ट में कहा गया कि वित्तीय प्रणाली को निकट भविष्य में सबसे बड़ा जोखिम बढ़ते एनपीए और नकदी की प्रणालीगत व्यव्था पर नए किस्म के दबाव से है। इसमें कहा गया कि भारत ने स्थिर वित्तीय प्रणाली विकसित करने की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की है, लेकिन वित्तीय क्षेत्र के सामने एक तरह की चुनौती भी है।जिन क्षेत्रों में सुधार की जरूरत है उनमें नियामकीय संस्थाओं को वास्तविक स्वतंत्रता प्रदान करना, वित्तीय समूहों की समेकित निगरानी, बड़े निवेश में कमी शामिल है। आईएमएफ ने कहा कि बैंक, बीमा और प्रतिभूति बाजारों के नियमन और निगरानी की प्रणाली बहुत विकसित है और आम तौर पर यह अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है।

नए दूरसंचार लाइसेंस दिशानिर्देश अगले माह जारी होगी!

सरकार नए दूरसंचार लाइसेंस दिशानिर्देश अगले महीने जारी कर सकती है। इसे यूनिफाइड लाइसेंस कहा जाता है। एक शीर्ष अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी।दूरसंचार सचिव आर चंद्रशेखर ने एक कार्यक्रम के मौके पर संवाददाताओं से कहा कि हमें उम्मीद है कि यूनिफाइड लाइसेंस दिशानिर्देश फरवरी में जारी हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि यूनिफाइड लाइसेंस से संबंधित विस्तृत दिशानिर्देश, यूनिफाइड लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया तथा मौजूदा लाइसेंसों के स्थानांतरण की प्रक्रिया शुरू होगी।
दूरसंचार विभाग (डॉट) ने सितंबर, 2012 में आवेदन आमंत्रित करने के नोटिस में यूनिफाइड लाइसेंस के व्यापक दिशानिर्देश जारी किए थे।



No comments:

Post a Comment