पहचान का अभूतपूर्व संकट असुरक्षित भारतवासियों के लिए!
पलाश विश्वास
आधारकार्ड योजना जनसंख्या के रक्तहीन सफाये के लिए परमाणु विस्फोट बतौर काम रही है।यह जनसंख्या के सपाये के लिए बापाल गैस त्रासदी से ज्यादा कारगर होगी। नकद सब्सिडी योजना के साथ सात भविष्य निधि और वेतन से भी इसे गैरकानूनी ढंग से जोड़ा जा रहा है। अब रेलवे आरक्षण को भी आधार कार्ड से जोड़ा जार रहा है।इसीलिए आधार कार्ड को लेकर मची मारामारी! किसी कारपोरेट योजना के कार्यान्वयन के लिए नागरिकता निलंबित हो रही है, और खामोश है राजनीति, अराजनीति और सिविल सोसाइटी, इससे बड़ी विडंबना क्या हो सकती है? इससे व्यापक मानवाधिकार हनन का क्या मामला बनता है? अब दिल्ली में कहा जा रहा है कि बाहर से आने वाली महिलाएं अपने साथ पहचानपत्र जरुर रखे। यह उनकी सुरक्षा निश्चित करेगी। क्या पहचान पत्र से सुरक्षा निश्चित हो जायेगी? क्या जिनकी कोई पहचान नहीं है, उनको कोई सुरक्षा नहीं दी जायेगी?अब ऑनलाइन आधार कार्ड बनाने की व्यवस्था भी शुरू हो गई है। नई व्यवस्था के तहत परिवार के मुखिया के साथ ही परिवार के सदस्यों के भी आधार कार्ड बनाए जा सकेंगे।भले ही सरकार ने विशिष्ट पहचानपत्र बनाने और उसके जरिये से सब्सिडी देने का एलान कर रखा है, मगर तमाम प्रयासों के बावजूद लोगों को आधार बनवाने के लिए काफी मशक्कत करना पड़ रहा है। जब वे फार्म के लिए जाते है, तो उन्हे फार्म नहीं दिए जाते। फार्म लेने के लिए उनको चक्कर काटने पड़ते है।आधार कार्ड पर स्थिति स्पष्ट नहीं है। लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।इस बीच मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने गुड़गाँव के मानेसर में आधार कार्ड के डाटा बेस सेंटर की नींव रखी….। पूरे देश के आधार कार्ड होल्डर का डाटा यहां सुरक्षित रखा जाएगा। पांच एकड़ में बनने वाला डाटा सेंटर जून 2014 तक तैयार हो जाएगा।
विशिष्ट पहचान का आधार प्रोजेक्ट दुनिया की सबसे बड़ी परियोजना है।केंद्र सरकार ने वर्ष, 2009 में भारतीय राष्ट्रीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण की स्थापना की थी। इसकी कमान मशहूर आईटी कंपनी इंफोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलेकणि को सौंपी गई। इससे जुड़े विधेयक पर स्थाई समिति की रिपोर्ट आने से पहले ही देश के कई हिस्सों में विशिष्ट पहचान पत्र (आधार कार्ड) बनाने का काम भी शुरू हो चुका था।सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह सभी को विश्वास है कि आधार कार्ड से गरीबों को उनका हक मिलेगा। भारत में राजकाज की नंबर एक समस्या भ्रष्टाचार है। मतलब गरीबों तक जनकल्याणकारी योजनाओं का पैसा नहीं पहुंचना है। भारत में गरीबों के नाम पर बिचौलियों की हेराफेरी नंबर एक समस्या है। मतलब योजनाओं का लाभ जरूरतमंदों को नहीं पहुंचता है।2014 तक भारत के साठ करोड़ नागरिकों की पहचान कंप्यूटरों में होगी। इससे बैंकों में खाता खोलने, राशन, मनरेगा, पेंशन आदि के तमाम काम और भुगतान गारंटीशुदा हो सकेंगे। आधार कार्ड की विशिष्ट पहचान से पारदर्शिता बनेगी। उसी के बूते योजनाओं के लाभार्थी अपना हक सप्रमाण मांग सकेंगे, इसलिए भारत राष्ट्र-राज्य के लिए यह महत्व का काम है।लेकिन इससे संबंधित विधेयक पर वित्त संबंधी स्थायी संसदीय समिति की राय सामने आने के बाद इस योजना के औचित्य और इसके व्यावहारिक पहलुओं पर सवाल खड़े हो गए हैं। आमतौर पर स्थायी समिति प्रस्तावित विधेयक में कुछ संशोधनों की ही सिफारिश करती है। लेकिन इस मामले में समिति ने विधेयक को ही खारिज कर दिया है और सरकार को इसकी जगह दूसरा मसविदा तैयार करने की सलाह दी है। सरकार ने यूआईडी यानी विशिष्ट पहचान पत्र की योजना आगे बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय पहचान प्राधिकरण का गठन किया था, जिसके अध्यक्ष सूचना प्रौद्योगिकी के पुरोधा नंदन नीलेकणी बनाए गए। इस संस्था को संवैधानिक दर्जा देने के मकसद से उसने राष्ट्रीय पहचान प्राधिक रण विधेयक पेश किया। लेकिन संसदीय समिति ने पाया कि यह विधेयक तमाम बिंदुओं पर खरा नहीं उतरता।
भारत के महानगरों और बड़े शहरों में रहने वाले मुक्त अर्थ व्यवस्था के समर्थक नवधनाढ्य वर्ग ने कारपोरेट कंपनियों को अपनी उंगलियों की छाप सौंपकर अपनी नागरिकता निश्चित कर ली है। पर इसमें राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर बनाने वालों ने नया फच्चर फंसा दिया है। घर घर जाकर आधार कार्ड बनाने वाले सरकारी कर्मचारी कह रहे हैं कि कारपोरेट कार्ड की मान्यता नहीं है और ऐसे कार्ड धारक को नया प्रमामिक कार्ड बनाना होगा। बंगाल जैसे सीमावर्ती राज्य के ज्यादातर जिलों में कार्ड बनाने का काम शुरु ही नहीं हुआ है। सरकारी कर्मचारी सभी घरों में जा भी नहीं रहे हैं। कोलकाता में कारपोरेट महिमा से बहुत प्राणी भारतीय नागरिक बतौल निश्चिंत थे। डिजिटल बायोमेट्रिक नागरिकता की महिमा से वे इतने गदगद है कि इसे एटीएम कार्ड मानकर चल रहे हैं। अब वे बुरे फंसे कि कार्ड दुबारा बनाना पड़ रहा है। लेकिन इस कतरे से वे अभी तक बड़ी मासूमियत से बेखबर हैं कि कारपोरेट हाथों में उनकी उंगलियों की छाप क्या गुल खिला सकती है। नाटो की ोर से नागरिकों की खुफिया निगराऩी के लिए तैयार इस योजना पर किसी सभ्य देश ने अभी तक अमल नहीं किया है, जबकि देश की बहुसंख्सीयक जनता के खिलाफ कारपोरेट हित में बेदखली युद्ध चलाने वाले भारत के धर्मोन्मादी राष्ट्रवादी सत्ताधीश आईए, पेंटागन और मोसाद पर आंतरिक सुरक्षा का इंतजाम सौंपकर आधार कार्ड को सुरक्षा का अचूक ङथियार मान रहा है। बंगाल से बाहर और बंगाल में आज भी विभाजनपीड़ित हिंदू नागरिकों की नागरिकता संदिग्ध है, उनके खिलाफ देशनिकाला अभियान बतौर पहले प्रणव मुखर्जी और लालकृष्म आडवाणी के संयुक्त पौराहित्य में २००३ और २००५ में नागरिकता कानून में संसोधन किया गया और फिर कारपोरेट दिग्गज नंदन निलकणि का अवतार हुआ। लेकिन अब जो हालात हैं, उससे साफ जाहिर है कि आधार कार्ड योजना और नागरिकता संशोधन कानून देश की सुरक्षा के लिए नहीं बल्कि एकाधिकारवादी कारपोरेट वर्चस्व के लिए दखल ्भियान का प्रमुख हथियार है। जनविरोधी जनसंहारसंस्कृति के अश्वमेध यज्ञ में भी यह सबसे मारक हथियार है।कोलकाता का ही उदाहरण लें। महानगर और उससे संलग्न उपनगरों में कल परसो भारत आये विदेशी घुसपैठिया सार दस्तावेज हासिल करके सबसे मंहगी संपत्त्तियां अर्जित कर रहे हैं और उन पर कोई अंकुश नहीं है। कारपोरेट कृपा से उन्हें तुरत फुरत सबसे पहले आधार कार्ड मिल गया। पर पीढियों से भारत में रह रहे भारतवंशी विभाजनपीड़ितों को संदिग्ध नागरिक बताकर हर जिले के जेल में बिना मुकदमा सड़ाया जा रहा है। शरणार्थी तो पंजाब, कश्मीर और सिंध से बी आये हैं। वे प्रधानमंत्री और उपप्रधानमंत्री तक बन रहे हैं और उनकी नागरिकता पर कोई सवाल नहीं उठता।बंगाली शरणार्थियों की नागरिकता और बंगाल से बाहर पश्चिमबंग वासियों की नागरिकता पर ही सवाल क्यों खड़े होते हैं,यह कोई अबूझ पहेली नहीं है। बंगाल की ब्राह्मणवादी व्यवस्था चूंकि इन लोगों के खिलाफ है, इसलिए ऐसा हो रहा है। जबकि सचमुच विदेशी इसी व्यवस्था के संरक्षण में फल फूल ही नहीं रहे, बल्कि गुंडा, प्रोमोटर , कारपोरेट राज कायम किये हुए हैं। सुरक्षा का तर्क स्वतः खारिज है। बल्कि कारपोरेट के जरिये आधार हासिल करने के प्रयास में कारपोरेट हाथों में अपनी उंगलियों की छाप छोड़कर भारी संकट में फंस रहे हैं लोग। उंगलियों की यह छाप आपको माओवादी से लेकर राष्ट्रविरोधी आतंकवादी तक बना सकती है। देश में फिर भारत पाक तनाव का माहौल बन रहा है।बाजार और राजनीति के मसीहा बनकर दिनोंदिन मजबूत हो रहे हैं गुजरात नरसंहार के महानायक नरेंद्र मोदी। दूसरे चरण के आर्थिक सुधारों को सुनिश्चित करने के लिए सत्तावर्ग सिविल सोसाइटी के प्रायोजित आंदोलन पर ही निर्भर नही ंहै, जो संसद और संविधान को ताक पर रखकर कारपोरेट नीति निर्धारण और कालाधन की अर्थ व्यवस्था के लिए सबसे मजबूत छाता बतौर, सवर्ण आरक्षण विरोधी आंदोलन बतौर , धर्मोन्मादी बर्बर राष्ट्रवाद के आवाहन के तहत शास्त्रसम्मत मनुस्मृति व्यवस्था के मुताबिक संविधान और दंडसंहिता के निर्माण आंदोलन के जरिये देश के लोकतांत्रिक ढांचे और धर्मनिरपेक्ष बहुसंस्कृति स्वरुप को पलीता लगाने के काम लाया जाता रहा है। अन्ना ब्रिगेड, केजरीवाल , बाबा रामदेव के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से लेकर आरक्षण बिल खटाई में डालने वाले बलात्कारियों को मृत्युदंड और उन्हें रासायनिक तौर पर नपुंसक बनाने के आंदोलन से एक के बाद एक सुधार के फैसले, एक के बाद एक कानून लागू करने और कड़ी से कड़ी दवा देने में स्ताव्रग को सबसे ज्यादा सहूलियत हुई। बलात्कारविरोधी आंदोलन के अवसान होते न होते पुरुषसत्ता केहिमायती हिंदुत्ववादियों के सुभाषित लगातार आ रहे हैं। पर देश अब आपरेशन टेबिल पर है। रेटिंग एजंसियां बजट में सुधारों के लिए दबाव बना रही है। गैरसंवैधानिक कारपोरेट तत्व नीति निर्दारण से लेकर दिन प्रतिदिन का शासन चला रहे हैं, ऐसे में दूसरे चरण के सुधारों के लिए एक कारगिल बेहद जरूरी है। जो बजट सत्र को धर्मोन्मादी राष्ट्रवाद में निष्मात कर दें। ऐसे खतरनाक माहौल में किसी को भी राष्ट्रद्रोही का तमगा मिल सकता है। फर्जी मुठभेड़ और फर्जी मामलों के देश में आधार कार्ड क्या गुल खिलायेगा यह देखना बाकी है।
सब्सिडी और जनवितरणप्रमाली खत्म करने के लिए तो असंवैधानिक, मानवाधिकारविरोधी, गैरकानूनी आधारकार्ड का खूब इस्तेमाल हो रहा है नकद सब्सिडी के बहाने। सब्सिडी खत्म की जा रही है। तो नकद सब्सिडी किस बात की? केलकर कमेटी की सिफ़ारिशों पर खूबी से अमल कर रही है सरकार।बुधवार को रेल किराए में बढ़ोत्तरी के ऐलान के बाद अब डीजल और रसोई गैस की कीमतों में भी इजाफा हो सकता है !किश्तों में बकरा हलाल हो रहा है और बकरे को गरदन नपने की नियति के बारे में कोई चिंता है ही नहीं। इस मामले में सरकार को अभी आखिरी निर्णय लेना है। केलकर कमेटी साल 2014 तक डीजल से पूरी तरह नियंत्रण हटाने पर विचार कर रही है।सरकार के फिस्कल कॉन्सॉलिडेशन पर केलकर कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में सभी तरह की सब्सिडी तुरंत खत्म करने की सिफारिश की है।कमेटी ने कहा है कि सरकार ने जल्द एक्शन नहीं लिया तो वित्त वर्ष 2013 में वित्तीय घाटा 6.1 फीसदी तक पहुंचने की आशंका है। कमेटी के मुताबिक एलपीजी के दाम 50 रुपये प्रति सिलिंडर तुरंत बढाए जाए। साथ ही, केरोसीन के दाम भी 2 रुपये प्रति लीटर बढ़ाने जाने की कमेटी ने वकालत की है।केलकर कमेटी ने कहा यूरिया के दाम भी तुरंत बढ़ाने की जरूरत है। इसके अलावा वित्त वर्ष 2014 तक डीजल पर सब्सिडी खत्म होनी चाहिए। वित्त वर्ष 2015 तक उसने एलपीजी सब्सिडी भी खत्म करने की सिफारिश की है।इसके आलावा कमेटी ने केरोसीन पर दी जाने वाली सब्सिडी भी एक तिहाई तक घटाए जाने की सिफारिश की है। विनिवेश को लेकर केलकर कमेटी का एसयूयूटीआई, बाल्को, हिंदुस्तान जिंक में हिस्सा बेचने का भी सुझाव है।
लोगों को नाराज किए बगैर सब्सिडी में कटौती करने के लिए सरकार अब खास पहचान पत्र आधार नंबर के इस्तेमाल को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा देगी।आम लोगों तक सस्ते में अनाज देना। रसोई गैस आधी कीमत पर पहुंचाना। पढ़ने के लिए स्कॉलरशिप और बुढ़ापे में पेंशन के जरिये मदद करना। गरीबों के लिए सरकार ये सारी स्कीमें तो जारी रखेगी। लेकिन सब्सिडी होने वाला भारी भरकम खर्च अब बर्दाश्त नहीं करना चाहती है।ऐसे में सरकार के लिए आधार कार्ड का इस्तेमाल ही एकमात्र रास्ता नजर आ रहा है। क्योंकि अगर सिर्फ राशन की मिसाल लें तो आधार नंबर के इस्तेमाल से सब्सिडी में 15 फीसदी की कमी देखी गई है। इसलिए इसे बढ़ावा देने की हर कोशिश में सरकार जुट गई है।
फिलहाल राशन की दुकानों, नरेगा, स्कॉलरशिप और पेंशन में आधार इस्तेमाल के लिए शुरू किया गया पायलट प्रोजेक्ट सफल हो गया है। यहां लोगों को सीधे नकद सब्सिडी भी मिलने लगी है। फिलहाल करीब 20 जिले के 90 फीसदी हिस्से में ये सफलतापूर्वक काम कर रहा है। अब अगले 3 महीनों में इसे 50 जिलों तक फैलाया जाएगा। अगले साल जून तक मध्यप्रदेश में और नवंबर तक कर्नाटक में इसे पूरी तरह लागू होने की संभावना है।
गौरतलब है कि गृहमंत्री पी चिदंबरम ने सुरक्षा कारणों से आधार-कार्ड मुहैया कराने की प्रक्रिया पर आपत्ति जताई थी। उनकी आलोचना का एक खास बिंदु यह था कि दस्तावेजों का बगैर सत्यापन किए आधार-कार्ड बनाए जा रहे हैं। लेकिन उनका एतराज सिरे से दरकिनार कर दिया गया। एक अहम सवाल यह भी उठता रहा है कि एक ही तरह के आंकड़े दो एजेंसियों के जरिए क्यों जुटाए जा रहे हैं? दोनों में फर्क होने की स्थिति में किसे प्रामाणिक माना जाएगा? गौरतलब है कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर बनाने के मकसद से भी देश के सभी लोगों के बायोमीट्रिक आंकड़े इकट्ठा किए जा रहे हैं, जिसकी जिम्मेदारी राष्ट्रीय महा पंजीयक को दी गई है, और यह काम गृह मंत्रालय के तहत आता है। यही कारण है कि राष्ट्रीय पहचान प्राधिकरण का गठन संसदीय समिति को एक अंतर्विरोधी निर्णय लगा है। अच्छा होता कि सरकार विधेयक संसद से पारित हो जाने के बाद ही प्राधिकरण के गठन का फैसला करती। मगर प्रधानमंत्री ने अति उत्साह में न सिर्फ प्राधिकरण कागठन कर दिया, बल्कि आधार-योजना की खातिर भारी-भरकम राशि की मंजूरी भी दे दी। इस योजना पर सत्रह हजार करोड़ से अधिक का खर्च आने का अनुमान है। गृह मंत्रालय की ओर से तैयार किए जा रहे राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर पर भी तेरह हजार करोड़ से ज्यादा का खर्च बैठेगा। यों आधार-योजना को लेकर निजता भंग होने का सवाल भी उठता रहा है। मगर इसे सुरक्षा संबंधी तकाजों का हवाला देकर अनसुना कर दिया गया। लेकिन जब खुद गृह मंत्रालय की यह राय थी कि सुरक्षा के लिहाज से यह योजना उपयोगी साबित नहीं हो पाएगी तो उस पर विचार क्यों नहीं किया गया?
वित्त मंत्रालय ने सभी राज्यों से आधार को लागू करने की प्रक्रिया में तेजी लाने को कहा है। ताकि इसे जल्द से जल्द पूरी तरह लागू किया जा सके।सरकार जनवरी 2013 से देश के 51 जिलो में आधार कार्ड के जरिये डायरेक्ट कैश ट्रांसफर की सुविधा शुरू कर देगी। सरकार की योजना अप्रैल 2014 तक डायरेक्ट कैश ट्रांसफर की सुविधा को पूरे देश भर में लागू करने की है। फिलहाल केवल 21 करोड़ लोगों के पास आधार कार्ड है।कैश सब्सिडी का ये तरीका अप्रैल 2014 तक पूरे देश में लागू हो जाएगा। और आधे देश में तो ये 1 साल के अंदर ही लागू हो जाएगा। इसलिए वक्त कम है जितनी जल्द आधार कार्ड बनवा लें बेहतर रहेगा।
जबकि हालत यह है कि आधार कार्ड केवल देश के 13 राज्यों में बन रहा है। बाकी राज्यों में नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर लोगों की पहचान के आकड़े लेगा। आधार कार्ड जिन राज्यों में बन रहा है ये हैं हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश और झारखंड। यानि अगर आप उत्तर प्रदेश या तमिलनाडु में रहते हैं तो आपको नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर की घोषणा का इंतजार करना होगा। आधार कार्ड बनवाने के लिए आपको अपने आस पास के इनरोलमेंट केंद्र का पता करना होगा। इसके लिए आप यूआईडीएआई की वेबसाइट पर जा सकते हैं।इनरोलमेंट सेंटर में ही आपकी फोटो, आंख, और उंगलियों के छाप लिए जाएंगे। इनरोलमेंट के बाद आपको एक पावती मिलेगी। इसे संभाल कर रखिएगा क्योंकि अपने कार्ड की स्टेटस जानने के लिए ये पावती ही काम आएगी। एक बार आधार कार्ड बन गया तो डायरेक्ट कैश सब्सिडी आसानी से दी जा सकेगी। क्योंकि जिन लोगों के पास बैंक खाता नहीं होगा आधार कार्ड के साथ उनका बैंक खाता भी खोला जाएगा। और फिर उसी खाते में सीधे कैश सब्सिडी पहुंच जाएगी।
वित्त मामलों की संसद की स्थाई समिति की ओर से भारतीय राष्ट्रीय पहचान प्राधिकरण विधेयक-2010 पर पुनर्विचार की सिफारिश किए जाने के बाद देश के कुछ स्वयंसेवी संगठनों ने आईटी क्षेत्र के बड़े नाम नंदन नीलेकणि के नेतृत्व वाली विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (आधार) योजना को रद्द करने की मांग की है। भाजपा नेता यशवंत सिन्हा की अध्यक्षता वाली स्थाई समिति ने विधेयक पर कई आपत्तियां जताते हुए इस पर फिर से विचार किए जाने की सिफारिश की थी। समिति की सिफारिश से सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना अधर में पड़ती नजर आ रही है। समिति ने राष्ट्रीय जनसंख्या पंजीकरण (एनपीआर) पर भी कड़ी आपत्ति जताई है। दिल्ली के प्रेस क्लब में स्वयंसेवी संगठन 'इंसाफ' के तत्वावधान में कई गैर सरकारी संगठनों ने एक साथ आवाज उठाई। इसमें 'पीस' 'सिटिजन फोरम फॉर सिविल लिबर्टी' और 'सफाई कर्मचारी आंदोलन' जैसे संगठनों के प्रतिनिधियों के अलावा कुछ विशेषज्ञ एवं शिक्षाविद भी मौजूद थे।
इस मौके पर मशूहर कानूनविद ऊषा रामनाथन ने कहा, 'हम विशिष्ट पहचान प्राधिकरण योजना और एनपीआर को लेकर जो आपत्तियां जता रहे थे, उसे स्थाई समिति ने भी उठाया है। स्थाई समिति की रिपोर्ट से हम पूरा इत्तेफाक रखते हैं। हमारी मांग है कि सरकार इस योजना को रद्द करे।'
ऊषा ने कहा, 'यह विधेयक पूरी तरह से दिशाहीन और निरर्थक है। अगर इसे आगे जारी रखा गया तो आम लोगों को भयंकर परेशानियों का सामना करना होगा। बायोमैट्रिक डाटा के आधार पर कोई भी योजना कारगर और सुरक्षित नहीं हो सकती क्योंकि इसकी विश्वसनीयता पर हमेशा सवाल खड़े होते हैं।'
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के 'सेंटर फॉर सोशल मेडीसिन एंड कम्यूनिटी हेल्थ' के प्रोफेसर मोहन राव ने इस योजना को लोगों की निजता में दखल देने वाली करार दिया। उन्होंने कहा, 'बायोमैट्रिक डाटा की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े होते रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यह कि जो जानकारियां ली जा रही है, क्या वे गोपनीय रह पाएंगी? जब निजी क्षेत्र के लोगों को इसमें शामिल किया गया है तो कैसे मान लिया जाएगा कि लोगों की निजता सुरक्षित रहेगी। यह आम आदमी की निजता में दखल देने वाली योजना है।'
दिल्ली सरकार की सेवाएं पाने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य
विवाह का पंजीकरण, संपत्ति की रजिस्ट्री और आवासीय प्रमाण पत्र जैसी दिल्ली सरकार की सेवाओं को पाने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य होगा.
एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, ''सरकारी सेवाओं को पाने के लिए 2 जनवरी से आधार कार्ड को अनिवार्य कर दिया गया है।''राजस्व विभाग ने कल इसे सभी नागरिकों के लिए सरकारी सेवाएं पाने के लिए अनिवार्य करने की अधिसूचना जारी की।अधिकारी ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) में दर्ज है तो वह एनपीआर का ब्यौरा देने के बाद सेवाएं पा सकता/सकती है।
फरवरी का वेतन आधार कार्ड से
जयपुर, 21 दिसम्बर। राज्य कर्मचारियों को अगले साल फरवरी से वेतन का भुगतान आधार कार्ड होने पर ही किया जाएगा। मुख्य सचिव सीके मैथ्यू ने हाल ही आदेश जारी कर सभी विभागाध्यक्षों को नियत तिथि से पहले कार्मिकों के आधार कार्ड बनवाने के निर्देश दिए हैं। आदेश में कहा गया है कि सार्वजनिक उपक्रम, बोर्ड, संस्थाएं, स्वायत्तशासी निकायों सहित अन्य राज्य कर्मचारियों को 1 फरवरी 2013 से पगार पाने के लिए आधार संख्या अथवा आधार नामांकन संख्या अनिवार्य होगी।
कर्मचारियों को आधार व नामांकन संख्या उपलब्ध कराने के लिए जिला एवं तहसील मुख्यालय पर आधार नामांकन केंद्र स्थापित किए जाएंगे। गौरतलब है कि राज्य में वर्तमान में विभिन्न सेवावर्गों के करीब 6 लाख राज्य कर्मचारी कार्यरत हैं। इसके साथ ही वित्त सचिव ने भी एक आदेश जारी कर जिला कलक्टरों से आवश्यकता के अनुसार आधार कार्ड रजिस्टे्रशन केन्द्र खोलने को कहा है।
दस सेवाएं होंगी शामिल: इस बीच, राज्य सरकार ने दस अन्य सेवाओं को भी आधार कार्ड से जोडऩे के निर्देश दिए हैं। इस बारे में सभी विभागों को जरूरी निर्देश जारी कर दिए गए हैं। निर्देशों में कहा है कि नई दस सेवाओं व योजनाओं का लाभ लेने के लिए अब आवेदकों को आधार संख्या या आधार नामांकन संख्या का विवरण देना होगा। राज्य में अभी करीब 91 लाख आधार नामांकन कर लिए गए हैं।
मार्च 2013 तक 2.5 करोड़ निवासियों का नामांकन करते हुए 17 महीने में राज्य के सभी लोगों का आधार नामांकन करने का लक्ष्य रखा गया है।
फिर राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर क्यों?
पहचान डेटाबेस सृजन का उद्देश्य सरकारी योजनाओं के लाभों और सेवाओं की बेहतर उपयोगिता और कार्यान्वयन में सहायता देना, देश में योजना और सुरक्षा में सुधार लाना है।
भारत सरकार ने अप्रैल 2010 से सितम्बर 2010 के दौरान जनगणना 2011 के घरेलू सूचीकरण और घरेलू जनगणना चरण के दौरान देश में सभी सामान्य निवासियों की विशिष्ट सूचना के संग्रह द्वारा इस डेटाबेस के सृजन की शुरूआत की है। यह योजना बनाई गई है कि सामान्य निवास (5 वर्ष और उससे अधिक आयु) की सूचना का संग्रह 17 राज्यों और 2 संघ राज्य क्षेत्रों (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) में अब डिजिटल रूप में परिवर्तित किया जाएगा और अगले समेकन के लिए इन निवासियों से बायोमेट्रिक डेटा प्राप्त किए जाएंगे।
भारतीय नागरिक राष्ट्रीय रजिस्टर (एनआरआईसी)
भारतीय नागरिक राष्ट्रीय रजिस्टर (एनआरआईसी) देश के नागरिकों का रजिस्टर होगा। इसे एनपीआर में विवरणों के सत्यापन के बाद स्थानीय (ग्राम स्तर), उप जिला (तहसील / तालुक स्तर), जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर विवरणों के सत्यापन और प्रत्येक व्यक्ति की नागरिकता सिद्ध होने के बाद तैयार किया जाएगा। अत: एनआरआईसी एनपीआर का एक उप समूह होगा।
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर प्रक्रिया
एनपीआर परियोजना के तहत अनेक बड़ी गतिविधियां निष्पादित की गई हैं। इनमें गणनाकारों द्वारा घरों की सूची बनाना, एनपीआर अनुसूचियों की स्कैनिंग, डेटा डिजिटाइजेशन, बायोमेट्रिक नामांकन और समेकन, एलआर यूआर सुधार तथा सत्यापन, यूआईडीएआई (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) डुप्लीकेशन और आधार संख्या जारी करना तथा ओआरजीआई के त्रुटि रहित डेटा का समेकन शामिल है। एनपीआर में 18 वर्ष और इससे अधिक के सभी सामान्य निवासियों को निवासी पहचान कार्ड जारी करने का प्रस्ताव भी सरकार के पास विचाराधीन है। यह प्रस्तावित पहचान कार्ड एक स्मार्ट कार्ड होगा और इस पर आधार संख्या होगी।
इस राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) का सृजन करने के लिए कई सरकारी एजेंसियां कार्यरत हैं। इनमें शामिल हैं भारतीय महापंजीयक (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं), इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग (डीआईईटीवाय) (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं), डीओईएसीसी संस्था (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं), सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विसेज इंडिया लि. और मैनेज्ड सर्विस प्रोवाइडर्स (एमएसपी)।
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के लिए पंजीकरण कैसे करें?
जनगणना 2011 के पहले चरण के दौरान गणनाकारों ने प्रत्येक घर का दौरा किया और कागज के प्रारूप में (588 KB) (पीडीएफ फाइल जो नई विंडों में खुलती हैं) एनपीआर के लिए आवश्यक विवरण जमा किए। ये प्रारूप स्कैन किए गए और इन्हें दो भाषाओं - राज्य भाषा और अंग्रेजी में इलेक्ट्रॉनिक डेटाबेस में डाला गया है। बायोमेट्रिक विशेषताओं - तस्वीरें, दस अंगुलियां और आइरिस की दो तस्वीरें, इन्हें प्रत्येक स्थानीय क्षेत्र में नामांकन शिविरों (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) के आयोजन द्वारा एनपीआर डेटाबेस में जोड़ा जा रहा है। नामांकन इस प्रयोजन के लिए नियुक्त सरकारी सेवकों की उपस्थिति में किया जाएगा। सभी सामान्य निवासी जिनकी आयु 5 वर्ष से अधिक है, उन्हें नामांकन शिविरों में आना चाहिए, चाहे उनके बायोमेट्रिक्स आधार (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) के तहत पहले लिए गए हैं। जिन व्यक्तियों का नामांकन आधार, यूआईडीएआई के तहत नहीं किया जाता है उनके नाम भी नामांकन शिविरों में दर्ज कराए जा सकते हैं।
क्षेत्र के नामांकन शिविरों की अवधि और स्थान के प्रचार के लिए स्थानीय प्राधिकरणों द्वारा अनिवार्य कदम उठाए जाएंगे। सूचना पर्ची (केवायआर+प्रपत्र) (840 KB) (पीडीएफ फाइल जो नई विंडों में खुलती हैं) यह शिविर आरंभ होने से पहले हर घर में बांटी जाएगी। कृपया एनपीआर गतिविधियों पर जानकारी पाने के लिए बार बार पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू) (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) देखें। आप अपने आस पास शिविर के विवरण और प्राधिकारियों के संपर्क नंबर (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) भी देख सकते हैं।
आवश्यक दस्तावेज
एनीपीआर में पंजीकरण के लिए किसी विशिष्ट दस्तावेज की आवश्यकता नहीं है। एनपीआर के विवरण पहले ही घरेलू स्तर पर गणनाकार के आने के दौरान प्राप्त किए गए हैं। उन्हें एक पावती पर्ची भी दी गई है। यह पर्ची नामांकन शिविर में लेकर आना चाहिए। जबकि बायोमेट्रिक नामांकन प्रक्रिया के भाग के रूप में, ईपीआईसी संख्या, पासपोर्ट संख्या, राशन कार्ड संख्या आदि को प्रत्येक घर से जमा किया जा रहा है। सूचना पर्ची (केवायआर+प्रपत्र) (840 KB) (पीडीएफ फाइल जो नई विंडों में खुलती हैं) को इन अतिरिक्त डेटा फील्ड के लिए भरा जाए और शिविर में साथ लेकर जाएं।
यदि जनगणना में शामिल नहीं हैं
यदि घरों को जनगणना 2011 (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) में शामिल नहीं किया गया या व्यक्ति ने जनगणना के बाद अपना निवास बदल लिया है तो शिविर में उन्हें एक नया एनपीआर प्रपत्र (588 KB) (पीडीएफ फाइल जो नई विंडों में खुलती हैं) दिया जाएगा और इसे भर कर देना होगा। ये भरे गए प्रपत्र शिविर में मौजूद सरकारी अधिकारियों के पास जमा किए जाएंगे। इन प्रपत्रों का सत्यापन प्राधिकारियों द्वारा किया जाएगा और व्यक्तियों के बायोमेट्रिक विवरण बायोमेट्रिक शिविरों के अगले दौर में प्राप्त किए जाएंगे।
नामांकन शिविर में नहीं जा सकना
प्रत्येक स्थानीय क्षेत्र में दो शिविरों का आयोजन किया जाएगा। यदि कोई व्यक्ति पहले शिविर में नहीं जा पाता है तो उसे दूसरे शिविर में आने की सूचना दी जाएगी। यदि दूसरे शिविर में भी नहीं जा सकते हैं तो उन्हें ऐसे शिविरों में नामांकन के लिए आने का अवसर दिया जाएगा जो निर्दिष्ट तिथि तक उप जिला स्तरीय रूप से आयोजित किए जाएंगे। निर्दिष्ट तिथि के बाद व्यक्ति का नाम एनपीआर से हटा दिया जाएगा।
अभिप्रमाणन और सुधार
निवास स्थान से डेटा संग्रह करना और शिविर में बायोमेट्रिक सूचना प्राप्त करना :
तस्वीर और आधार संख्या के साथ बायोमेट्रिक डेटा स्थानीय क्षेत्रों में दावे तथा आपत्तियां आमंत्रित करने के लिए प्रदर्शित किए जाएंगे।
स्थानीय अधिकारियों द्वारा सूचियों की संवीक्षा की जाएगी।
ये सूचियां ग्राम सभाओं और वार्ड समितियों में भी रखी जाएंगी। सामाजिक लेखा परीक्षण की यह प्रक्रिया पारदर्शिता और समानता लाएगी।
नागरिक स्वयं पहचान के अनिवार्य दस्तावेज देते समय आवश्यक परिवर्तनों पर ध्यान आकर्षित कर सकेंगे।
विभिन्न भाषाओं में एनपीआर विज्ञापन (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं)
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर और आधार के बीच संबंध
एनपीआर में प्राप्त डेटा डी डुप्लीकेशन तथा आधार सं. जारी करने के लिए यूआईडीएआई में भेजा जाएगा। इस प्रकार रजिस्टर में डेटा के तीन तत्व होंगे -
जनसंख्या संबंधी डेटा
बायोमेट्रिक डेटा और
आधार (यूआईडी संख्या)
जो व्यक्ति यूआईडीएआई (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) में पहले से पंजीकृत है उसे एनपीआर के तहत भी पंजीकरण कराना है। एनपीआर में कुछ प्रक्रियाएं जैसे अधिकृत व्यक्तियों द्वारा व्यक्ति के निवास पर आकार डेटा का संग्रह करना, विशिष्ट प्रक्रिया के बाद बायोमेट्रिक का संग्रह, सामाजिक लेखा परीक्षण के माध्यम से अभिप्रमाणन, प्राधिकारियों द्वारा सत्यापन आदि अनिवार्य है।
जवाब यहां देखेः
http://ditnpr.nic.in/HindiWebsite/FAQs.aspx
आधार कार्ड बनवाने की प्रक्रिया क्या है ?
यह कार्ड मुफ्त में बनता है।
आधार कार्ड बनाने के सेंटर पर पहचान और पते के सबूत के तौर पर पैन कार्ड , राशन कार्ड , बिजली बिल , वाटर कार्ड आदि में से किसी एक की कॉपी जमा करने पर कार्ड बनने की प्रक्रिया शुरू होती है।
पहचान का कोई डॉक्युमेंट न हो तो ?
गैजटेट ऑफिसर , एमएलए , एमपी , मेयर से आवेदन प्रमाणित कराया जा सकता है।
जरूरी दस्तावेज बनने के बाद की प्रक्रिया क्या है ?
दिए गए फॉर्म में आपसे जुड़ी हर सूचना इसमें भरी जाएगी। फोटो देना होगा। आपके अंगूठे का निशान लिया जाएगा। फॉर्म भरने के बाद उसे प्रिव्यू भी कर सकत हैं और जरूरत पड़ने पर उसे ठीक भी कर सकते हैं। आखिर में आपको इनरॉलमेंट नंबर दिया जाएगा।
हमेशा कार्ड बनता है क्या ?
कभी भी इसके लिए आवेदन कर सकते हैं।
कितना वक्त लगता कार्ड मिलने में ?
सामान्य प्रक्रिया के तहत इनरॉलमेंट होने के 60 से 90 दिनों में कार्ड मिल जाना चाहिए। कार्ड भेजने की जिम्मेदारी पोस्टल डिपार्टमेंट की होती है।
कहां बनता है आधार कार्ड ?
वेबसाइट पर इसकी जानकारी http://uidai.gov.in/where-to-enrol-for-aadhaar.html ले सकते हैं।
कार्ड का स्टेटस कैसे पता लगा सकते हैं ?
इनरॉलमेंट कराने के बाद आपको एक 28 डिजिट का नंबर दिया जएगा।
इसमें कब , कितने बजे और कहां फार्म को जमा किया , इससे जुड़ा नंबर होता है। वेबसाइट के जरिए नजदीकी आधार केंद पर आप स्टेटस का पता लगा सकते हैं।
जानकारी लेनी है , सुझाव देना है , शिकायत करनी है तो हेल्पलाइन नंबर हैं :1800-180-1947, मेल : help@uidai.gov.in
लिखें : पोस्ट बॉक्स -1947, जीपीओ , बेंगलुरु -560001
क्या है विवाद
आधार कार्ड और एनपीआर को लेकर विवाद भी इन दिनों खूब हुए हैं। सरकार के भीतर इस मुद्दे पर दो अलग - अलग सोच उभर कर सामने आई। विवाद और दोनों प्रोजेक्ट पर उठ रहे सवालों पर एक नजर :
1. लगभग एक जैसे लक्ष्य के लिए दो अलग - अलग तरह के कार्ड क्यों ? इससे श्रम और पैसे की बर्बादी होगी।
2. आम लोगों की निजता को इन कार्ड से खतरा होने का अंदेशा।
3. होम मिनिस्ट्री ने खुद माना कि गलत सूचना के आधार पर कई आधार कार्ड बन रहे हैं।
4. इन मामलों पर बनी संसदीय समिति ने तो आधार के वजूद पर ही सवाल उठाते हुए उसके सारे रेकार्ड नैशनल पॉपुुलेशन रजिस्टर को ट्रांसफर कर देने की सिफारिश की थी।
5. सिविल सोसाइटी का एक वर्ग राइट टु प्राइवेसी के तहत दोनों कार्ड में इकट्ठी की जाने वाली तमाम सूचना का विरोध कर रहे हैं। वे तर्क दे रहे हैं कि दुनिया के किसी भी देश में इतनी निजी सूचना नहीं ली जा रही है , जितना ऐसे कार्ड को बनाने के दौरान लिया जा रहा है।
6. आधार कार्ड बनाने की प्रक्रिया में एक प्राइवेट एजेंसी की मदद ली जा रही है। इससे लोगों की डेटा कितना सुरक्षित रहेगा , इस पर भी सवाल उठे।
नैशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR)
क्या है एनपीआर ?
नैशनल पॉपुलेशन रजिस्टर में देश के हर नागरिक की जानकारी दर्ज होती है।
इसमें इंट्री पंचायत , जिला , राज्य या राष्ट्रीय स्तर पर की जाती है।
इसमें रजिस्टर करने के बाद 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को स्मार्ट नैशनल आइडेंटिटी दिए जाने का प्रस्ताव है।
क्या इसमें नाम रजिस्टर करना जरूरी है ?
हां। सिटीजनशिप एक्ट 1955 की धारा 14 ए के तहत इसमें नाम दर्ज करना जरूरी है। वैध नागरिक बनने के लिए इसमें नाम दर्ज करना जरूरी है।
एनपीआर का क्या महत्व है ?
यह एक ऐसा डेटा बेस होगा , जिसमें देश में सभी लोगों के बारे में जानकारी होगी। इसी डेटा बेस के आधार पर सरकार को आम लोगों से जुड़ी योजना बनाने में मदद मिलेगी।
गलत पहचान के नाम पर होने वाले फ्रॉड को भी इससे रोका जा सकेगा।
एनपीआर में अपना नाम रजिस्टर्ड कराने के लिए क्या प्रक्रिया अपनानी पड़ती है ?
2011 के दौरान घर - घर जाकर डेटा लिए गए थे। उन नामों को एनपीआर में डाला जाएगा।
बायोमैट्रिक सिस्टम के तहत अंगूठे का निशान लिया जाएगा।
इसमें हर किसी का नाम , स्थायी और अस्थायी पता , पेशा , शिक्षा , लिंग , जन्म तिथि , जन्म स्थान , परिजनों के नाम , दसों अंगुलियों के निशान और फोटा शामिल होगा।
जनगणना के दौरान सभी को एक स्लिप दिया गया। उस स्लिप के आधार सभी इलाकों में एनपीआर में नाम दर्ज कराने के लिए कैंप लगेंगे , जिसमें लोग अपना नाम दर्ज करा सकते हैं। अगर कोई कैंप में नहीं जाता है , तो उसके लिए दूसरा कैंप भी लगाया जाएगा। दोनों कैंप में नहीं जा सकने वाने जनगणना कार्यालय में जाकर संपर्क कर सकते हैं।
एनपीआर और आधार में क्या फर्क है ?
नागरिकों का आधिकारिक डेटा बेस एनपीआर होगा।
एनपीआर में दर्ज नाम भी आधार को भेजे जाएंगे और वहां नामों का मिलान होगा।
एनपीआर में लोगों की डेमोग्राफिक डेटा , बायोमेट्रिक डेटा और आधार नंबर - तीनों शामिल होगा।
क्या आधार में जिसका नाम दर्ज है उसे भी एनपीआर में नाम दर्ज कराना होगा ?
हां। इसमें नाम दर्ज कराना जरूरी है। आधार के डेटा के आधार पर उसका इस्तेमाल इसमें नहीं होगा।
हेल्पलाइन क्या है ?
टोल फ्री नंबर 1800-110-111
वेबसाइट http"//www.censusindia.gov.in/AboutUs/contactus/Contactus.html
फोन : 011-2307-0629, 2338-1623
पलाश विश्वास
आधारकार्ड योजना जनसंख्या के रक्तहीन सफाये के लिए परमाणु विस्फोट बतौर काम रही है।यह जनसंख्या के सपाये के लिए बापाल गैस त्रासदी से ज्यादा कारगर होगी। नकद सब्सिडी योजना के साथ सात भविष्य निधि और वेतन से भी इसे गैरकानूनी ढंग से जोड़ा जा रहा है। अब रेलवे आरक्षण को भी आधार कार्ड से जोड़ा जार रहा है।इसीलिए आधार कार्ड को लेकर मची मारामारी! किसी कारपोरेट योजना के कार्यान्वयन के लिए नागरिकता निलंबित हो रही है, और खामोश है राजनीति, अराजनीति और सिविल सोसाइटी, इससे बड़ी विडंबना क्या हो सकती है? इससे व्यापक मानवाधिकार हनन का क्या मामला बनता है? अब दिल्ली में कहा जा रहा है कि बाहर से आने वाली महिलाएं अपने साथ पहचानपत्र जरुर रखे। यह उनकी सुरक्षा निश्चित करेगी। क्या पहचान पत्र से सुरक्षा निश्चित हो जायेगी? क्या जिनकी कोई पहचान नहीं है, उनको कोई सुरक्षा नहीं दी जायेगी?अब ऑनलाइन आधार कार्ड बनाने की व्यवस्था भी शुरू हो गई है। नई व्यवस्था के तहत परिवार के मुखिया के साथ ही परिवार के सदस्यों के भी आधार कार्ड बनाए जा सकेंगे।भले ही सरकार ने विशिष्ट पहचानपत्र बनाने और उसके जरिये से सब्सिडी देने का एलान कर रखा है, मगर तमाम प्रयासों के बावजूद लोगों को आधार बनवाने के लिए काफी मशक्कत करना पड़ रहा है। जब वे फार्म के लिए जाते है, तो उन्हे फार्म नहीं दिए जाते। फार्म लेने के लिए उनको चक्कर काटने पड़ते है।आधार कार्ड पर स्थिति स्पष्ट नहीं है। लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।इस बीच मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने गुड़गाँव के मानेसर में आधार कार्ड के डाटा बेस सेंटर की नींव रखी….। पूरे देश के आधार कार्ड होल्डर का डाटा यहां सुरक्षित रखा जाएगा। पांच एकड़ में बनने वाला डाटा सेंटर जून 2014 तक तैयार हो जाएगा।
विशिष्ट पहचान का आधार प्रोजेक्ट दुनिया की सबसे बड़ी परियोजना है।केंद्र सरकार ने वर्ष, 2009 में भारतीय राष्ट्रीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण की स्थापना की थी। इसकी कमान मशहूर आईटी कंपनी इंफोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलेकणि को सौंपी गई। इससे जुड़े विधेयक पर स्थाई समिति की रिपोर्ट आने से पहले ही देश के कई हिस्सों में विशिष्ट पहचान पत्र (आधार कार्ड) बनाने का काम भी शुरू हो चुका था।सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह सभी को विश्वास है कि आधार कार्ड से गरीबों को उनका हक मिलेगा। भारत में राजकाज की नंबर एक समस्या भ्रष्टाचार है। मतलब गरीबों तक जनकल्याणकारी योजनाओं का पैसा नहीं पहुंचना है। भारत में गरीबों के नाम पर बिचौलियों की हेराफेरी नंबर एक समस्या है। मतलब योजनाओं का लाभ जरूरतमंदों को नहीं पहुंचता है।2014 तक भारत के साठ करोड़ नागरिकों की पहचान कंप्यूटरों में होगी। इससे बैंकों में खाता खोलने, राशन, मनरेगा, पेंशन आदि के तमाम काम और भुगतान गारंटीशुदा हो सकेंगे। आधार कार्ड की विशिष्ट पहचान से पारदर्शिता बनेगी। उसी के बूते योजनाओं के लाभार्थी अपना हक सप्रमाण मांग सकेंगे, इसलिए भारत राष्ट्र-राज्य के लिए यह महत्व का काम है।लेकिन इससे संबंधित विधेयक पर वित्त संबंधी स्थायी संसदीय समिति की राय सामने आने के बाद इस योजना के औचित्य और इसके व्यावहारिक पहलुओं पर सवाल खड़े हो गए हैं। आमतौर पर स्थायी समिति प्रस्तावित विधेयक में कुछ संशोधनों की ही सिफारिश करती है। लेकिन इस मामले में समिति ने विधेयक को ही खारिज कर दिया है और सरकार को इसकी जगह दूसरा मसविदा तैयार करने की सलाह दी है। सरकार ने यूआईडी यानी विशिष्ट पहचान पत्र की योजना आगे बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय पहचान प्राधिकरण का गठन किया था, जिसके अध्यक्ष सूचना प्रौद्योगिकी के पुरोधा नंदन नीलेकणी बनाए गए। इस संस्था को संवैधानिक दर्जा देने के मकसद से उसने राष्ट्रीय पहचान प्राधिक रण विधेयक पेश किया। लेकिन संसदीय समिति ने पाया कि यह विधेयक तमाम बिंदुओं पर खरा नहीं उतरता।
भारत के महानगरों और बड़े शहरों में रहने वाले मुक्त अर्थ व्यवस्था के समर्थक नवधनाढ्य वर्ग ने कारपोरेट कंपनियों को अपनी उंगलियों की छाप सौंपकर अपनी नागरिकता निश्चित कर ली है। पर इसमें राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर बनाने वालों ने नया फच्चर फंसा दिया है। घर घर जाकर आधार कार्ड बनाने वाले सरकारी कर्मचारी कह रहे हैं कि कारपोरेट कार्ड की मान्यता नहीं है और ऐसे कार्ड धारक को नया प्रमामिक कार्ड बनाना होगा। बंगाल जैसे सीमावर्ती राज्य के ज्यादातर जिलों में कार्ड बनाने का काम शुरु ही नहीं हुआ है। सरकारी कर्मचारी सभी घरों में जा भी नहीं रहे हैं। कोलकाता में कारपोरेट महिमा से बहुत प्राणी भारतीय नागरिक बतौल निश्चिंत थे। डिजिटल बायोमेट्रिक नागरिकता की महिमा से वे इतने गदगद है कि इसे एटीएम कार्ड मानकर चल रहे हैं। अब वे बुरे फंसे कि कार्ड दुबारा बनाना पड़ रहा है। लेकिन इस कतरे से वे अभी तक बड़ी मासूमियत से बेखबर हैं कि कारपोरेट हाथों में उनकी उंगलियों की छाप क्या गुल खिला सकती है। नाटो की ोर से नागरिकों की खुफिया निगराऩी के लिए तैयार इस योजना पर किसी सभ्य देश ने अभी तक अमल नहीं किया है, जबकि देश की बहुसंख्सीयक जनता के खिलाफ कारपोरेट हित में बेदखली युद्ध चलाने वाले भारत के धर्मोन्मादी राष्ट्रवादी सत्ताधीश आईए, पेंटागन और मोसाद पर आंतरिक सुरक्षा का इंतजाम सौंपकर आधार कार्ड को सुरक्षा का अचूक ङथियार मान रहा है। बंगाल से बाहर और बंगाल में आज भी विभाजनपीड़ित हिंदू नागरिकों की नागरिकता संदिग्ध है, उनके खिलाफ देशनिकाला अभियान बतौर पहले प्रणव मुखर्जी और लालकृष्म आडवाणी के संयुक्त पौराहित्य में २००३ और २००५ में नागरिकता कानून में संसोधन किया गया और फिर कारपोरेट दिग्गज नंदन निलकणि का अवतार हुआ। लेकिन अब जो हालात हैं, उससे साफ जाहिर है कि आधार कार्ड योजना और नागरिकता संशोधन कानून देश की सुरक्षा के लिए नहीं बल्कि एकाधिकारवादी कारपोरेट वर्चस्व के लिए दखल ्भियान का प्रमुख हथियार है। जनविरोधी जनसंहारसंस्कृति के अश्वमेध यज्ञ में भी यह सबसे मारक हथियार है।कोलकाता का ही उदाहरण लें। महानगर और उससे संलग्न उपनगरों में कल परसो भारत आये विदेशी घुसपैठिया सार दस्तावेज हासिल करके सबसे मंहगी संपत्त्तियां अर्जित कर रहे हैं और उन पर कोई अंकुश नहीं है। कारपोरेट कृपा से उन्हें तुरत फुरत सबसे पहले आधार कार्ड मिल गया। पर पीढियों से भारत में रह रहे भारतवंशी विभाजनपीड़ितों को संदिग्ध नागरिक बताकर हर जिले के जेल में बिना मुकदमा सड़ाया जा रहा है। शरणार्थी तो पंजाब, कश्मीर और सिंध से बी आये हैं। वे प्रधानमंत्री और उपप्रधानमंत्री तक बन रहे हैं और उनकी नागरिकता पर कोई सवाल नहीं उठता।बंगाली शरणार्थियों की नागरिकता और बंगाल से बाहर पश्चिमबंग वासियों की नागरिकता पर ही सवाल क्यों खड़े होते हैं,यह कोई अबूझ पहेली नहीं है। बंगाल की ब्राह्मणवादी व्यवस्था चूंकि इन लोगों के खिलाफ है, इसलिए ऐसा हो रहा है। जबकि सचमुच विदेशी इसी व्यवस्था के संरक्षण में फल फूल ही नहीं रहे, बल्कि गुंडा, प्रोमोटर , कारपोरेट राज कायम किये हुए हैं। सुरक्षा का तर्क स्वतः खारिज है। बल्कि कारपोरेट के जरिये आधार हासिल करने के प्रयास में कारपोरेट हाथों में अपनी उंगलियों की छाप छोड़कर भारी संकट में फंस रहे हैं लोग। उंगलियों की यह छाप आपको माओवादी से लेकर राष्ट्रविरोधी आतंकवादी तक बना सकती है। देश में फिर भारत पाक तनाव का माहौल बन रहा है।बाजार और राजनीति के मसीहा बनकर दिनोंदिन मजबूत हो रहे हैं गुजरात नरसंहार के महानायक नरेंद्र मोदी। दूसरे चरण के आर्थिक सुधारों को सुनिश्चित करने के लिए सत्तावर्ग सिविल सोसाइटी के प्रायोजित आंदोलन पर ही निर्भर नही ंहै, जो संसद और संविधान को ताक पर रखकर कारपोरेट नीति निर्धारण और कालाधन की अर्थ व्यवस्था के लिए सबसे मजबूत छाता बतौर, सवर्ण आरक्षण विरोधी आंदोलन बतौर , धर्मोन्मादी बर्बर राष्ट्रवाद के आवाहन के तहत शास्त्रसम्मत मनुस्मृति व्यवस्था के मुताबिक संविधान और दंडसंहिता के निर्माण आंदोलन के जरिये देश के लोकतांत्रिक ढांचे और धर्मनिरपेक्ष बहुसंस्कृति स्वरुप को पलीता लगाने के काम लाया जाता रहा है। अन्ना ब्रिगेड, केजरीवाल , बाबा रामदेव के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से लेकर आरक्षण बिल खटाई में डालने वाले बलात्कारियों को मृत्युदंड और उन्हें रासायनिक तौर पर नपुंसक बनाने के आंदोलन से एक के बाद एक सुधार के फैसले, एक के बाद एक कानून लागू करने और कड़ी से कड़ी दवा देने में स्ताव्रग को सबसे ज्यादा सहूलियत हुई। बलात्कारविरोधी आंदोलन के अवसान होते न होते पुरुषसत्ता केहिमायती हिंदुत्ववादियों के सुभाषित लगातार आ रहे हैं। पर देश अब आपरेशन टेबिल पर है। रेटिंग एजंसियां बजट में सुधारों के लिए दबाव बना रही है। गैरसंवैधानिक कारपोरेट तत्व नीति निर्दारण से लेकर दिन प्रतिदिन का शासन चला रहे हैं, ऐसे में दूसरे चरण के सुधारों के लिए एक कारगिल बेहद जरूरी है। जो बजट सत्र को धर्मोन्मादी राष्ट्रवाद में निष्मात कर दें। ऐसे खतरनाक माहौल में किसी को भी राष्ट्रद्रोही का तमगा मिल सकता है। फर्जी मुठभेड़ और फर्जी मामलों के देश में आधार कार्ड क्या गुल खिलायेगा यह देखना बाकी है।
सब्सिडी और जनवितरणप्रमाली खत्म करने के लिए तो असंवैधानिक, मानवाधिकारविरोधी, गैरकानूनी आधारकार्ड का खूब इस्तेमाल हो रहा है नकद सब्सिडी के बहाने। सब्सिडी खत्म की जा रही है। तो नकद सब्सिडी किस बात की? केलकर कमेटी की सिफ़ारिशों पर खूबी से अमल कर रही है सरकार।बुधवार को रेल किराए में बढ़ोत्तरी के ऐलान के बाद अब डीजल और रसोई गैस की कीमतों में भी इजाफा हो सकता है !किश्तों में बकरा हलाल हो रहा है और बकरे को गरदन नपने की नियति के बारे में कोई चिंता है ही नहीं। इस मामले में सरकार को अभी आखिरी निर्णय लेना है। केलकर कमेटी साल 2014 तक डीजल से पूरी तरह नियंत्रण हटाने पर विचार कर रही है।सरकार के फिस्कल कॉन्सॉलिडेशन पर केलकर कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में सभी तरह की सब्सिडी तुरंत खत्म करने की सिफारिश की है।कमेटी ने कहा है कि सरकार ने जल्द एक्शन नहीं लिया तो वित्त वर्ष 2013 में वित्तीय घाटा 6.1 फीसदी तक पहुंचने की आशंका है। कमेटी के मुताबिक एलपीजी के दाम 50 रुपये प्रति सिलिंडर तुरंत बढाए जाए। साथ ही, केरोसीन के दाम भी 2 रुपये प्रति लीटर बढ़ाने जाने की कमेटी ने वकालत की है।केलकर कमेटी ने कहा यूरिया के दाम भी तुरंत बढ़ाने की जरूरत है। इसके अलावा वित्त वर्ष 2014 तक डीजल पर सब्सिडी खत्म होनी चाहिए। वित्त वर्ष 2015 तक उसने एलपीजी सब्सिडी भी खत्म करने की सिफारिश की है।इसके आलावा कमेटी ने केरोसीन पर दी जाने वाली सब्सिडी भी एक तिहाई तक घटाए जाने की सिफारिश की है। विनिवेश को लेकर केलकर कमेटी का एसयूयूटीआई, बाल्को, हिंदुस्तान जिंक में हिस्सा बेचने का भी सुझाव है।
लोगों को नाराज किए बगैर सब्सिडी में कटौती करने के लिए सरकार अब खास पहचान पत्र आधार नंबर के इस्तेमाल को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा देगी।आम लोगों तक सस्ते में अनाज देना। रसोई गैस आधी कीमत पर पहुंचाना। पढ़ने के लिए स्कॉलरशिप और बुढ़ापे में पेंशन के जरिये मदद करना। गरीबों के लिए सरकार ये सारी स्कीमें तो जारी रखेगी। लेकिन सब्सिडी होने वाला भारी भरकम खर्च अब बर्दाश्त नहीं करना चाहती है।ऐसे में सरकार के लिए आधार कार्ड का इस्तेमाल ही एकमात्र रास्ता नजर आ रहा है। क्योंकि अगर सिर्फ राशन की मिसाल लें तो आधार नंबर के इस्तेमाल से सब्सिडी में 15 फीसदी की कमी देखी गई है। इसलिए इसे बढ़ावा देने की हर कोशिश में सरकार जुट गई है।
फिलहाल राशन की दुकानों, नरेगा, स्कॉलरशिप और पेंशन में आधार इस्तेमाल के लिए शुरू किया गया पायलट प्रोजेक्ट सफल हो गया है। यहां लोगों को सीधे नकद सब्सिडी भी मिलने लगी है। फिलहाल करीब 20 जिले के 90 फीसदी हिस्से में ये सफलतापूर्वक काम कर रहा है। अब अगले 3 महीनों में इसे 50 जिलों तक फैलाया जाएगा। अगले साल जून तक मध्यप्रदेश में और नवंबर तक कर्नाटक में इसे पूरी तरह लागू होने की संभावना है।
गौरतलब है कि गृहमंत्री पी चिदंबरम ने सुरक्षा कारणों से आधार-कार्ड मुहैया कराने की प्रक्रिया पर आपत्ति जताई थी। उनकी आलोचना का एक खास बिंदु यह था कि दस्तावेजों का बगैर सत्यापन किए आधार-कार्ड बनाए जा रहे हैं। लेकिन उनका एतराज सिरे से दरकिनार कर दिया गया। एक अहम सवाल यह भी उठता रहा है कि एक ही तरह के आंकड़े दो एजेंसियों के जरिए क्यों जुटाए जा रहे हैं? दोनों में फर्क होने की स्थिति में किसे प्रामाणिक माना जाएगा? गौरतलब है कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर बनाने के मकसद से भी देश के सभी लोगों के बायोमीट्रिक आंकड़े इकट्ठा किए जा रहे हैं, जिसकी जिम्मेदारी राष्ट्रीय महा पंजीयक को दी गई है, और यह काम गृह मंत्रालय के तहत आता है। यही कारण है कि राष्ट्रीय पहचान प्राधिकरण का गठन संसदीय समिति को एक अंतर्विरोधी निर्णय लगा है। अच्छा होता कि सरकार विधेयक संसद से पारित हो जाने के बाद ही प्राधिकरण के गठन का फैसला करती। मगर प्रधानमंत्री ने अति उत्साह में न सिर्फ प्राधिकरण कागठन कर दिया, बल्कि आधार-योजना की खातिर भारी-भरकम राशि की मंजूरी भी दे दी। इस योजना पर सत्रह हजार करोड़ से अधिक का खर्च आने का अनुमान है। गृह मंत्रालय की ओर से तैयार किए जा रहे राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर पर भी तेरह हजार करोड़ से ज्यादा का खर्च बैठेगा। यों आधार-योजना को लेकर निजता भंग होने का सवाल भी उठता रहा है। मगर इसे सुरक्षा संबंधी तकाजों का हवाला देकर अनसुना कर दिया गया। लेकिन जब खुद गृह मंत्रालय की यह राय थी कि सुरक्षा के लिहाज से यह योजना उपयोगी साबित नहीं हो पाएगी तो उस पर विचार क्यों नहीं किया गया?
वित्त मंत्रालय ने सभी राज्यों से आधार को लागू करने की प्रक्रिया में तेजी लाने को कहा है। ताकि इसे जल्द से जल्द पूरी तरह लागू किया जा सके।सरकार जनवरी 2013 से देश के 51 जिलो में आधार कार्ड के जरिये डायरेक्ट कैश ट्रांसफर की सुविधा शुरू कर देगी। सरकार की योजना अप्रैल 2014 तक डायरेक्ट कैश ट्रांसफर की सुविधा को पूरे देश भर में लागू करने की है। फिलहाल केवल 21 करोड़ लोगों के पास आधार कार्ड है।कैश सब्सिडी का ये तरीका अप्रैल 2014 तक पूरे देश में लागू हो जाएगा। और आधे देश में तो ये 1 साल के अंदर ही लागू हो जाएगा। इसलिए वक्त कम है जितनी जल्द आधार कार्ड बनवा लें बेहतर रहेगा।
जबकि हालत यह है कि आधार कार्ड केवल देश के 13 राज्यों में बन रहा है। बाकी राज्यों में नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर लोगों की पहचान के आकड़े लेगा। आधार कार्ड जिन राज्यों में बन रहा है ये हैं हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश और झारखंड। यानि अगर आप उत्तर प्रदेश या तमिलनाडु में रहते हैं तो आपको नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर की घोषणा का इंतजार करना होगा। आधार कार्ड बनवाने के लिए आपको अपने आस पास के इनरोलमेंट केंद्र का पता करना होगा। इसके लिए आप यूआईडीएआई की वेबसाइट पर जा सकते हैं।इनरोलमेंट सेंटर में ही आपकी फोटो, आंख, और उंगलियों के छाप लिए जाएंगे। इनरोलमेंट के बाद आपको एक पावती मिलेगी। इसे संभाल कर रखिएगा क्योंकि अपने कार्ड की स्टेटस जानने के लिए ये पावती ही काम आएगी। एक बार आधार कार्ड बन गया तो डायरेक्ट कैश सब्सिडी आसानी से दी जा सकेगी। क्योंकि जिन लोगों के पास बैंक खाता नहीं होगा आधार कार्ड के साथ उनका बैंक खाता भी खोला जाएगा। और फिर उसी खाते में सीधे कैश सब्सिडी पहुंच जाएगी।
वित्त मामलों की संसद की स्थाई समिति की ओर से भारतीय राष्ट्रीय पहचान प्राधिकरण विधेयक-2010 पर पुनर्विचार की सिफारिश किए जाने के बाद देश के कुछ स्वयंसेवी संगठनों ने आईटी क्षेत्र के बड़े नाम नंदन नीलेकणि के नेतृत्व वाली विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (आधार) योजना को रद्द करने की मांग की है। भाजपा नेता यशवंत सिन्हा की अध्यक्षता वाली स्थाई समिति ने विधेयक पर कई आपत्तियां जताते हुए इस पर फिर से विचार किए जाने की सिफारिश की थी। समिति की सिफारिश से सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना अधर में पड़ती नजर आ रही है। समिति ने राष्ट्रीय जनसंख्या पंजीकरण (एनपीआर) पर भी कड़ी आपत्ति जताई है। दिल्ली के प्रेस क्लब में स्वयंसेवी संगठन 'इंसाफ' के तत्वावधान में कई गैर सरकारी संगठनों ने एक साथ आवाज उठाई। इसमें 'पीस' 'सिटिजन फोरम फॉर सिविल लिबर्टी' और 'सफाई कर्मचारी आंदोलन' जैसे संगठनों के प्रतिनिधियों के अलावा कुछ विशेषज्ञ एवं शिक्षाविद भी मौजूद थे।
इस मौके पर मशूहर कानूनविद ऊषा रामनाथन ने कहा, 'हम विशिष्ट पहचान प्राधिकरण योजना और एनपीआर को लेकर जो आपत्तियां जता रहे थे, उसे स्थाई समिति ने भी उठाया है। स्थाई समिति की रिपोर्ट से हम पूरा इत्तेफाक रखते हैं। हमारी मांग है कि सरकार इस योजना को रद्द करे।'
ऊषा ने कहा, 'यह विधेयक पूरी तरह से दिशाहीन और निरर्थक है। अगर इसे आगे जारी रखा गया तो आम लोगों को भयंकर परेशानियों का सामना करना होगा। बायोमैट्रिक डाटा के आधार पर कोई भी योजना कारगर और सुरक्षित नहीं हो सकती क्योंकि इसकी विश्वसनीयता पर हमेशा सवाल खड़े होते हैं।'
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के 'सेंटर फॉर सोशल मेडीसिन एंड कम्यूनिटी हेल्थ' के प्रोफेसर मोहन राव ने इस योजना को लोगों की निजता में दखल देने वाली करार दिया। उन्होंने कहा, 'बायोमैट्रिक डाटा की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े होते रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यह कि जो जानकारियां ली जा रही है, क्या वे गोपनीय रह पाएंगी? जब निजी क्षेत्र के लोगों को इसमें शामिल किया गया है तो कैसे मान लिया जाएगा कि लोगों की निजता सुरक्षित रहेगी। यह आम आदमी की निजता में दखल देने वाली योजना है।'
दिल्ली सरकार की सेवाएं पाने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य
विवाह का पंजीकरण, संपत्ति की रजिस्ट्री और आवासीय प्रमाण पत्र जैसी दिल्ली सरकार की सेवाओं को पाने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य होगा.
एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, ''सरकारी सेवाओं को पाने के लिए 2 जनवरी से आधार कार्ड को अनिवार्य कर दिया गया है।''राजस्व विभाग ने कल इसे सभी नागरिकों के लिए सरकारी सेवाएं पाने के लिए अनिवार्य करने की अधिसूचना जारी की।अधिकारी ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) में दर्ज है तो वह एनपीआर का ब्यौरा देने के बाद सेवाएं पा सकता/सकती है।
फरवरी का वेतन आधार कार्ड से
जयपुर, 21 दिसम्बर। राज्य कर्मचारियों को अगले साल फरवरी से वेतन का भुगतान आधार कार्ड होने पर ही किया जाएगा। मुख्य सचिव सीके मैथ्यू ने हाल ही आदेश जारी कर सभी विभागाध्यक्षों को नियत तिथि से पहले कार्मिकों के आधार कार्ड बनवाने के निर्देश दिए हैं। आदेश में कहा गया है कि सार्वजनिक उपक्रम, बोर्ड, संस्थाएं, स्वायत्तशासी निकायों सहित अन्य राज्य कर्मचारियों को 1 फरवरी 2013 से पगार पाने के लिए आधार संख्या अथवा आधार नामांकन संख्या अनिवार्य होगी।
कर्मचारियों को आधार व नामांकन संख्या उपलब्ध कराने के लिए जिला एवं तहसील मुख्यालय पर आधार नामांकन केंद्र स्थापित किए जाएंगे। गौरतलब है कि राज्य में वर्तमान में विभिन्न सेवावर्गों के करीब 6 लाख राज्य कर्मचारी कार्यरत हैं। इसके साथ ही वित्त सचिव ने भी एक आदेश जारी कर जिला कलक्टरों से आवश्यकता के अनुसार आधार कार्ड रजिस्टे्रशन केन्द्र खोलने को कहा है।
दस सेवाएं होंगी शामिल: इस बीच, राज्य सरकार ने दस अन्य सेवाओं को भी आधार कार्ड से जोडऩे के निर्देश दिए हैं। इस बारे में सभी विभागों को जरूरी निर्देश जारी कर दिए गए हैं। निर्देशों में कहा है कि नई दस सेवाओं व योजनाओं का लाभ लेने के लिए अब आवेदकों को आधार संख्या या आधार नामांकन संख्या का विवरण देना होगा। राज्य में अभी करीब 91 लाख आधार नामांकन कर लिए गए हैं।
मार्च 2013 तक 2.5 करोड़ निवासियों का नामांकन करते हुए 17 महीने में राज्य के सभी लोगों का आधार नामांकन करने का लक्ष्य रखा गया है।
फिर राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर क्यों?
पहचान डेटाबेस सृजन का उद्देश्य सरकारी योजनाओं के लाभों और सेवाओं की बेहतर उपयोगिता और कार्यान्वयन में सहायता देना, देश में योजना और सुरक्षा में सुधार लाना है।
भारत सरकार ने अप्रैल 2010 से सितम्बर 2010 के दौरान जनगणना 2011 के घरेलू सूचीकरण और घरेलू जनगणना चरण के दौरान देश में सभी सामान्य निवासियों की विशिष्ट सूचना के संग्रह द्वारा इस डेटाबेस के सृजन की शुरूआत की है। यह योजना बनाई गई है कि सामान्य निवास (5 वर्ष और उससे अधिक आयु) की सूचना का संग्रह 17 राज्यों और 2 संघ राज्य क्षेत्रों (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) में अब डिजिटल रूप में परिवर्तित किया जाएगा और अगले समेकन के लिए इन निवासियों से बायोमेट्रिक डेटा प्राप्त किए जाएंगे।
भारतीय नागरिक राष्ट्रीय रजिस्टर (एनआरआईसी)
भारतीय नागरिक राष्ट्रीय रजिस्टर (एनआरआईसी) देश के नागरिकों का रजिस्टर होगा। इसे एनपीआर में विवरणों के सत्यापन के बाद स्थानीय (ग्राम स्तर), उप जिला (तहसील / तालुक स्तर), जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर विवरणों के सत्यापन और प्रत्येक व्यक्ति की नागरिकता सिद्ध होने के बाद तैयार किया जाएगा। अत: एनआरआईसी एनपीआर का एक उप समूह होगा।
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर प्रक्रिया
एनपीआर परियोजना के तहत अनेक बड़ी गतिविधियां निष्पादित की गई हैं। इनमें गणनाकारों द्वारा घरों की सूची बनाना, एनपीआर अनुसूचियों की स्कैनिंग, डेटा डिजिटाइजेशन, बायोमेट्रिक नामांकन और समेकन, एलआर यूआर सुधार तथा सत्यापन, यूआईडीएआई (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) डुप्लीकेशन और आधार संख्या जारी करना तथा ओआरजीआई के त्रुटि रहित डेटा का समेकन शामिल है। एनपीआर में 18 वर्ष और इससे अधिक के सभी सामान्य निवासियों को निवासी पहचान कार्ड जारी करने का प्रस्ताव भी सरकार के पास विचाराधीन है। यह प्रस्तावित पहचान कार्ड एक स्मार्ट कार्ड होगा और इस पर आधार संख्या होगी।
इस राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) का सृजन करने के लिए कई सरकारी एजेंसियां कार्यरत हैं। इनमें शामिल हैं भारतीय महापंजीयक (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं), इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग (डीआईईटीवाय) (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं), डीओईएसीसी संस्था (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं), सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विसेज इंडिया लि. और मैनेज्ड सर्विस प्रोवाइडर्स (एमएसपी)।
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के लिए पंजीकरण कैसे करें?
जनगणना 2011 के पहले चरण के दौरान गणनाकारों ने प्रत्येक घर का दौरा किया और कागज के प्रारूप में (588 KB) (पीडीएफ फाइल जो नई विंडों में खुलती हैं) एनपीआर के लिए आवश्यक विवरण जमा किए। ये प्रारूप स्कैन किए गए और इन्हें दो भाषाओं - राज्य भाषा और अंग्रेजी में इलेक्ट्रॉनिक डेटाबेस में डाला गया है। बायोमेट्रिक विशेषताओं - तस्वीरें, दस अंगुलियां और आइरिस की दो तस्वीरें, इन्हें प्रत्येक स्थानीय क्षेत्र में नामांकन शिविरों (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) के आयोजन द्वारा एनपीआर डेटाबेस में जोड़ा जा रहा है। नामांकन इस प्रयोजन के लिए नियुक्त सरकारी सेवकों की उपस्थिति में किया जाएगा। सभी सामान्य निवासी जिनकी आयु 5 वर्ष से अधिक है, उन्हें नामांकन शिविरों में आना चाहिए, चाहे उनके बायोमेट्रिक्स आधार (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) के तहत पहले लिए गए हैं। जिन व्यक्तियों का नामांकन आधार, यूआईडीएआई के तहत नहीं किया जाता है उनके नाम भी नामांकन शिविरों में दर्ज कराए जा सकते हैं।
क्षेत्र के नामांकन शिविरों की अवधि और स्थान के प्रचार के लिए स्थानीय प्राधिकरणों द्वारा अनिवार्य कदम उठाए जाएंगे। सूचना पर्ची (केवायआर+प्रपत्र) (840 KB) (पीडीएफ फाइल जो नई विंडों में खुलती हैं) यह शिविर आरंभ होने से पहले हर घर में बांटी जाएगी। कृपया एनपीआर गतिविधियों पर जानकारी पाने के लिए बार बार पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू) (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) देखें। आप अपने आस पास शिविर के विवरण और प्राधिकारियों के संपर्क नंबर (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) भी देख सकते हैं।
आवश्यक दस्तावेज
एनीपीआर में पंजीकरण के लिए किसी विशिष्ट दस्तावेज की आवश्यकता नहीं है। एनपीआर के विवरण पहले ही घरेलू स्तर पर गणनाकार के आने के दौरान प्राप्त किए गए हैं। उन्हें एक पावती पर्ची भी दी गई है। यह पर्ची नामांकन शिविर में लेकर आना चाहिए। जबकि बायोमेट्रिक नामांकन प्रक्रिया के भाग के रूप में, ईपीआईसी संख्या, पासपोर्ट संख्या, राशन कार्ड संख्या आदि को प्रत्येक घर से जमा किया जा रहा है। सूचना पर्ची (केवायआर+प्रपत्र) (840 KB) (पीडीएफ फाइल जो नई विंडों में खुलती हैं) को इन अतिरिक्त डेटा फील्ड के लिए भरा जाए और शिविर में साथ लेकर जाएं।
यदि जनगणना में शामिल नहीं हैं
यदि घरों को जनगणना 2011 (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) में शामिल नहीं किया गया या व्यक्ति ने जनगणना के बाद अपना निवास बदल लिया है तो शिविर में उन्हें एक नया एनपीआर प्रपत्र (588 KB) (पीडीएफ फाइल जो नई विंडों में खुलती हैं) दिया जाएगा और इसे भर कर देना होगा। ये भरे गए प्रपत्र शिविर में मौजूद सरकारी अधिकारियों के पास जमा किए जाएंगे। इन प्रपत्रों का सत्यापन प्राधिकारियों द्वारा किया जाएगा और व्यक्तियों के बायोमेट्रिक विवरण बायोमेट्रिक शिविरों के अगले दौर में प्राप्त किए जाएंगे।
नामांकन शिविर में नहीं जा सकना
प्रत्येक स्थानीय क्षेत्र में दो शिविरों का आयोजन किया जाएगा। यदि कोई व्यक्ति पहले शिविर में नहीं जा पाता है तो उसे दूसरे शिविर में आने की सूचना दी जाएगी। यदि दूसरे शिविर में भी नहीं जा सकते हैं तो उन्हें ऐसे शिविरों में नामांकन के लिए आने का अवसर दिया जाएगा जो निर्दिष्ट तिथि तक उप जिला स्तरीय रूप से आयोजित किए जाएंगे। निर्दिष्ट तिथि के बाद व्यक्ति का नाम एनपीआर से हटा दिया जाएगा।
अभिप्रमाणन और सुधार
निवास स्थान से डेटा संग्रह करना और शिविर में बायोमेट्रिक सूचना प्राप्त करना :
तस्वीर और आधार संख्या के साथ बायोमेट्रिक डेटा स्थानीय क्षेत्रों में दावे तथा आपत्तियां आमंत्रित करने के लिए प्रदर्शित किए जाएंगे।
स्थानीय अधिकारियों द्वारा सूचियों की संवीक्षा की जाएगी।
ये सूचियां ग्राम सभाओं और वार्ड समितियों में भी रखी जाएंगी। सामाजिक लेखा परीक्षण की यह प्रक्रिया पारदर्शिता और समानता लाएगी।
नागरिक स्वयं पहचान के अनिवार्य दस्तावेज देते समय आवश्यक परिवर्तनों पर ध्यान आकर्षित कर सकेंगे।
विभिन्न भाषाओं में एनपीआर विज्ञापन (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं)
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर और आधार के बीच संबंध
एनपीआर में प्राप्त डेटा डी डुप्लीकेशन तथा आधार सं. जारी करने के लिए यूआईडीएआई में भेजा जाएगा। इस प्रकार रजिस्टर में डेटा के तीन तत्व होंगे -
जनसंख्या संबंधी डेटा
बायोमेट्रिक डेटा और
आधार (यूआईडी संख्या)
जो व्यक्ति यूआईडीएआई (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) में पहले से पंजीकृत है उसे एनपीआर के तहत भी पंजीकरण कराना है। एनपीआर में कुछ प्रक्रियाएं जैसे अधिकृत व्यक्तियों द्वारा व्यक्ति के निवास पर आकार डेटा का संग्रह करना, विशिष्ट प्रक्रिया के बाद बायोमेट्रिक का संग्रह, सामाजिक लेखा परीक्षण के माध्यम से अभिप्रमाणन, प्राधिकारियों द्वारा सत्यापन आदि अनिवार्य है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न |
1. राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) क्या है? राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) देश के सामान्य निवासियों का एक रजिस्टर है. यह नागरिकता अधिनियम १९५५ और नागरिकता अधिनियम २००३ (नागरिक और राष्ट्रीय पहचान पत्र के मुद्दे का पंजीकरण) नियम के प्रावधानों के तहत स्थानीय (ग्राम स्तर), उप (तहसील / तालुका स्तर) जिला, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जा रहा है. 2. भारतीय नागरिकों का राष्ट्रीय रजिस्टर (एनआरआई सी) क्या है? भारतीय नागरिकों का राष्ट्रीय रजिस्टर (NRIC) देश के नागरिकों का एक रजिस्टर होगा. यह स्थानीय (ग्राम स्तर), उप जिला (तहसील / तालुका स्तर), जिला, राज्य और एनपीआर में विवरण की पुष्टि करने के बाद और प्रत्येक व्यक्ति की नागरिकता की स्थापना के बाद राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जायेगा; इसप्रकार NRIC, एनपीआर का एक उप सेट होगा. 3. क्या एनपीआर के लिए पंजीकृत करवाना आवश्यक है? 4. एक सामान्य निवासी कौन है? 5. वे लोग जो भारत के नागरिक नहीं हैं; क्या वे NPR में शामिल हैं? 6.अप्रवासी भारतीय (एनआरआई) एनपीआर का हिस्सा होगा? 7. NPR विवरण में क्या शामिल होंगे? 8. कैसे एक व्यक्ति एनपीआर के लिए रजिस्टर होगा ? 9. पब्लिक को एनपीआर के बॉयोमीट्रिक शिविरों के बारे में कैसे पता चलेगा? 10. किस प्रकार का डाटा [Record/Data] NPR में लिए रजिस्टर होने के लिए आवश्यक हो जाएगा? 11. क्या नामांकन के लिए किसी राशी का भुगतान करना है? 12. अगर पावती पर्ची खो गयी है, तो क्या किया जा सकता है? 13. अगर जनगणना के दौरान किसी घर को शामिल नहीं किया गया है या अगर व्यक्ति का जनगणना के बाद निवास बदल गया है तो क्या किया जा रहा है? 14. यदि किसी व्यक्ति का शिविर छूट जाता है, तो क्या किया जाना चाहिए|? 15. यदि एक व्यक्ति का नाम NPR से हटा दिया गया है तो वह NPR में अपना नाम फिर से कैसे दर्ज करा सकता है ? 16. NPR के लिए एकत्रित डेटा कैसे प्रमाणीकृत किया जाएगा? 17.NPR और आधार (यूआईडी संख्या ) के बीच क्या संबंध है? 18. क्या एक व्यक्ति जो पहले से ही UIDAl के कुछ अन्य रजिस्ट्रार के साथ पंजीकृत हो गया है,तो उसे अभी भी NPR में रजिस्टर होना चाहिए है? 19. NPR बनाने की जरूरत क्या है? 20. इस योजना की पृष्ठभूमि क्या है? 21. NPR को जिस कानूनी प्रावधानों के तहत बनाया जा रहा है वो क्या हैं? 22. NPR बनाने के लिए किन प्रक्रियाओं को ध्यान में रखा गया हैं? 23. क्या नागरिकता अधिनियम 1955 सामान्य निवासियों के पंजीकरण को शामिल करता हैं या यह केवल व्यक्तिगत नागरिकों के पंजीकरण करने के लिए रखा गया हैं ? 24.एनपीआर के निर्माण में केन्द्र, राज्य / केन्द्र शासित प्रदेशों की सरकारों के क्या उत्तरदायित्व हैं? 25. परियोजना की वर्तमान स्थिति क्या है? 26. डेटा प्रविष्टि और बॉयोमीट्रिक नामांकन का कार्य कब तक पूरा होने की संभावना है? 27.क्या एनपीआर के तहत पहचान पत्र भी जारी किया जाएगा? NPR डेटाबेस को कैसे अपडेट किया जाएगा? इस योजना के तहत सहायता राज्यों / संघ राज्य क्षेत्रों के लिए को क्या वित्तीय सहायता प्रदान की जा रहा है? 30. राज्य / संघ शाषित राज्यों को अन्य क्या लाभ प्राप्त होगा? 31.जान - बूझकर या अन्य कारण से गलत जानकारी प्रदान करने के लिए क्या दंड है? 32.शिकायत के निवारण के लिए या स्पष्टीकरण प्राप्त करने के लिए किन अधिकारियों से संपर्क किया जा सकता है? एनपीआर के तहत एक उचित प्रशासनिक पदानुक्रम की व्यवस्था की गयी गई है ग्रामीण स्तर पर स्थानीय ग्रामीण अधिकारी, तहसील / तालुका स्तर पर तहसीलदार / मामलतआदर / उपजिलाधिकारी और जिला स्तर पर जिला मजिस्ट्रेट / कलेक्टर / उपायुक्त है प्रत्येक राज्य / केन्द्र शासित प्रदेशों में एनपीआर के निर्माण से संबंधित सभी मामलों की देखरेख निदेशक जनगणना संचालन करेंगे |
जवाब यहां देखेः
http://ditnpr.nic.in/HindiWebsite/FAQs.aspx
आधार कार्ड बनवाने की प्रक्रिया क्या है ?
यह कार्ड मुफ्त में बनता है।
आधार कार्ड बनाने के सेंटर पर पहचान और पते के सबूत के तौर पर पैन कार्ड , राशन कार्ड , बिजली बिल , वाटर कार्ड आदि में से किसी एक की कॉपी जमा करने पर कार्ड बनने की प्रक्रिया शुरू होती है।
पहचान का कोई डॉक्युमेंट न हो तो ?
गैजटेट ऑफिसर , एमएलए , एमपी , मेयर से आवेदन प्रमाणित कराया जा सकता है।
जरूरी दस्तावेज बनने के बाद की प्रक्रिया क्या है ?
दिए गए फॉर्म में आपसे जुड़ी हर सूचना इसमें भरी जाएगी। फोटो देना होगा। आपके अंगूठे का निशान लिया जाएगा। फॉर्म भरने के बाद उसे प्रिव्यू भी कर सकत हैं और जरूरत पड़ने पर उसे ठीक भी कर सकते हैं। आखिर में आपको इनरॉलमेंट नंबर दिया जाएगा।
हमेशा कार्ड बनता है क्या ?
कभी भी इसके लिए आवेदन कर सकते हैं।
कितना वक्त लगता कार्ड मिलने में ?
सामान्य प्रक्रिया के तहत इनरॉलमेंट होने के 60 से 90 दिनों में कार्ड मिल जाना चाहिए। कार्ड भेजने की जिम्मेदारी पोस्टल डिपार्टमेंट की होती है।
कहां बनता है आधार कार्ड ?
वेबसाइट पर इसकी जानकारी http://uidai.gov.in/where-to-enrol-for-aadhaar.html ले सकते हैं।
कार्ड का स्टेटस कैसे पता लगा सकते हैं ?
इनरॉलमेंट कराने के बाद आपको एक 28 डिजिट का नंबर दिया जएगा।
इसमें कब , कितने बजे और कहां फार्म को जमा किया , इससे जुड़ा नंबर होता है। वेबसाइट के जरिए नजदीकी आधार केंद पर आप स्टेटस का पता लगा सकते हैं।
जानकारी लेनी है , सुझाव देना है , शिकायत करनी है तो हेल्पलाइन नंबर हैं :1800-180-1947, मेल : help@uidai.gov.in
लिखें : पोस्ट बॉक्स -1947, जीपीओ , बेंगलुरु -560001
क्या है विवाद
आधार कार्ड और एनपीआर को लेकर विवाद भी इन दिनों खूब हुए हैं। सरकार के भीतर इस मुद्दे पर दो अलग - अलग सोच उभर कर सामने आई। विवाद और दोनों प्रोजेक्ट पर उठ रहे सवालों पर एक नजर :
1. लगभग एक जैसे लक्ष्य के लिए दो अलग - अलग तरह के कार्ड क्यों ? इससे श्रम और पैसे की बर्बादी होगी।
2. आम लोगों की निजता को इन कार्ड से खतरा होने का अंदेशा।
3. होम मिनिस्ट्री ने खुद माना कि गलत सूचना के आधार पर कई आधार कार्ड बन रहे हैं।
4. इन मामलों पर बनी संसदीय समिति ने तो आधार के वजूद पर ही सवाल उठाते हुए उसके सारे रेकार्ड नैशनल पॉपुुलेशन रजिस्टर को ट्रांसफर कर देने की सिफारिश की थी।
5. सिविल सोसाइटी का एक वर्ग राइट टु प्राइवेसी के तहत दोनों कार्ड में इकट्ठी की जाने वाली तमाम सूचना का विरोध कर रहे हैं। वे तर्क दे रहे हैं कि दुनिया के किसी भी देश में इतनी निजी सूचना नहीं ली जा रही है , जितना ऐसे कार्ड को बनाने के दौरान लिया जा रहा है।
6. आधार कार्ड बनाने की प्रक्रिया में एक प्राइवेट एजेंसी की मदद ली जा रही है। इससे लोगों की डेटा कितना सुरक्षित रहेगा , इस पर भी सवाल उठे।
नैशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR)
क्या है एनपीआर ?
नैशनल पॉपुलेशन रजिस्टर में देश के हर नागरिक की जानकारी दर्ज होती है।
इसमें इंट्री पंचायत , जिला , राज्य या राष्ट्रीय स्तर पर की जाती है।
इसमें रजिस्टर करने के बाद 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को स्मार्ट नैशनल आइडेंटिटी दिए जाने का प्रस्ताव है।
क्या इसमें नाम रजिस्टर करना जरूरी है ?
हां। सिटीजनशिप एक्ट 1955 की धारा 14 ए के तहत इसमें नाम दर्ज करना जरूरी है। वैध नागरिक बनने के लिए इसमें नाम दर्ज करना जरूरी है।
एनपीआर का क्या महत्व है ?
यह एक ऐसा डेटा बेस होगा , जिसमें देश में सभी लोगों के बारे में जानकारी होगी। इसी डेटा बेस के आधार पर सरकार को आम लोगों से जुड़ी योजना बनाने में मदद मिलेगी।
गलत पहचान के नाम पर होने वाले फ्रॉड को भी इससे रोका जा सकेगा।
एनपीआर में अपना नाम रजिस्टर्ड कराने के लिए क्या प्रक्रिया अपनानी पड़ती है ?
2011 के दौरान घर - घर जाकर डेटा लिए गए थे। उन नामों को एनपीआर में डाला जाएगा।
बायोमैट्रिक सिस्टम के तहत अंगूठे का निशान लिया जाएगा।
इसमें हर किसी का नाम , स्थायी और अस्थायी पता , पेशा , शिक्षा , लिंग , जन्म तिथि , जन्म स्थान , परिजनों के नाम , दसों अंगुलियों के निशान और फोटा शामिल होगा।
जनगणना के दौरान सभी को एक स्लिप दिया गया। उस स्लिप के आधार सभी इलाकों में एनपीआर में नाम दर्ज कराने के लिए कैंप लगेंगे , जिसमें लोग अपना नाम दर्ज करा सकते हैं। अगर कोई कैंप में नहीं जाता है , तो उसके लिए दूसरा कैंप भी लगाया जाएगा। दोनों कैंप में नहीं जा सकने वाने जनगणना कार्यालय में जाकर संपर्क कर सकते हैं।
एनपीआर और आधार में क्या फर्क है ?
नागरिकों का आधिकारिक डेटा बेस एनपीआर होगा।
एनपीआर में दर्ज नाम भी आधार को भेजे जाएंगे और वहां नामों का मिलान होगा।
एनपीआर में लोगों की डेमोग्राफिक डेटा , बायोमेट्रिक डेटा और आधार नंबर - तीनों शामिल होगा।
क्या आधार में जिसका नाम दर्ज है उसे भी एनपीआर में नाम दर्ज कराना होगा ?
हां। इसमें नाम दर्ज कराना जरूरी है। आधार के डेटा के आधार पर उसका इस्तेमाल इसमें नहीं होगा।
हेल्पलाइन क्या है ?
टोल फ्री नंबर 1800-110-111
वेबसाइट http"//www.censusindia.gov.in/AboutUs/contactus/Contactus.html
फोन : 011-2307-0629, 2338-1623
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