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Monday 13 February 2012

तेल के बाजार में जारी अनिश्चितता प्रमुख चुनौती! टाटा मोटर्स ने नैनो कार और आरिया को छोड़कर अन्य वाहनों के दामों में इजाफा किया


तेल के बाजार में जारी अनिश्चितता प्रमुख चुनौती! टाटा मोटर्स ने नैनो कार और आरिया को छोड़कर अन्य वाहनों के दामों में इजाफा किया

डीजल की गाडि़यों पर 80,000 रुपये अतिरिक्त उत्पाद शुल्क लगाने की सिफारिश

मुंबई से एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

तेल के बाजार में जारी अनिश्चितता प्रमुख चुनौती! टाटा मोटर्स ने नैनो कार और आरिया को छोड़कर अन्य वाहनों के दामों में इजाफा किया डीजल की गाडि़यों पर 80,000 रुपये अतिरिक्त उत्पाद शुल्क लगाने की सिफारिश मुंबई से एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास तेल के बाजार में जारी अनिश्चितता प्रमुख चुनौती है।ऑटो क्षेत्र की दिग्गज कंपनी टाटा मोटर्स ने नैनो कार और आरिया को छोड़कर अन्य वाहनों के दामों में इजाफा किया है।टाटा मोटर्स ने बढती लागत से निपटने के लिए शुक्रवार को कहा कि उसने नैनो और प्रीमियम कार आरिया को छोड़कर अन्य सभी मॉडलों की कीमतें 12000 रुपये तक बढ़ा दी हैं। संबंधित तिमाही में मटीरियल लागत में बढ़ोतरी की वजह से आटो क्षेत्र पर खासा दबाव रहा और यह अब भी चुनौती बना हुआ है।हालांकि कार बनाने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया की कारों की बिक्री एक करोड़ इकाई को पार कर गयी,पर आटो उद्योग की मुश्किलें आसान नहीं हुई है!पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री एस. जयपाल रेड्डी ने वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी से आगामी बजट में डीजल की गाडि़यों पर 80,000 रुपये अतिरिक्त उत्पाद शुल्क लगाने की सिफारिश की है। डीजल कारों पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क से प्राप्त राजस्व को तेल कंपनियों की इधन सब्सिडी की भरपाई में इस्तेमाल किया जा सकता है। तेल मंत्रालय ने तरल प्राकृतिक गैस (एलएनजी) के आयात पर पांच प्रतिशत आयात शुल्क समाप्त करने की भी मांग की है ताकि उर्वरक और बिजली जैसे बुनियादी जरुरत वाले क्षेत्रों में इधन लागत कम की जा सके। पेटोलियम मंत्री ने कच्चे तेल और पेटोलियम पदार्थों को भी प्रस्तावित वस्तु एवं सेवाकर :जीएसटी: कानून के दायरे में रखने पर जोर दिया। फिलहाल कच्चा तेल, पेटोल, डीजल और एटीएफ को जीएसटी दायरे से बाहर रखने का प्रस्ताव है। इससे इन पदार्थों पर केन्द्र और राज्यों के कर मौजूदा दर पर लगते रहेंगे। मंत्रालय ने अपनी बहुत पुरानी मांग को भी इस बार दोहराया है। टाटा मोटर्स ने अपने वाहनों के कीमतें करीब 7,000 रुपये से लेकर 12,000 रुपये तक बढ़ायी है। कंपनी ने बढ़ती उत्पादन लागत बढ़ने का हवाला देते हुए ये बढ़ोतरी की है। यह बढ़ोतरी 9 फरवरी 2012 से प्रभावी हो गयी है। टाटा मोटर्स अपनी सपनो की कार नैनो की सेल बढ़ाने के लिए नई रणनीतियों पर ध्‍यान देगी। ऑटो सेक्‍टर में टाटा नैनो की बिक्री को लेकर कई तरह की चर्चा होने लगीं है जिससे कंपनी कुछ नई योजनएं तैयार करने पर विचार कर रहीं है। कंपनी के अध्‍यक्ष रतन टाटा ने नैनो की ब्रिक्री और मार्केटिंग में कुछ खमियों को स्‍वीकारा है।गाड़ी की बिक्री बढ़ाने के लिए डीलरशिप नेटवर्क का विस्तार, विभिन्न आय वर्ग के ग्राहकों तक पहुंच बढ़ाने तथा गाड़ी के लिए खरीदारों को कर्ज उपलब्ध कराने की व्यवस्था पुख्ता करने जैसे उपाय किए जा रहे हैं। नई रणनीति के तहत कंपनी हर तीसरे और चौथे दर्जे के शहरों में नए शौरूम बनाएगी। हम आपको बता दे 2009 में लांच होने के बाद से ही टाटा नैनो का प्रदर्शन उम्मीदों के मुताबिक नहीं रहा है। पहले जहां हर महीने करीब 25 हजार नैनो बिकती हैं वहीं नवंबर 2010 में यह संख्या घट कर मात्र 509 हो गई थी दिसंबर में कंपनी ने 7466 नैनो बेची हैं। पिछले साल दिसंबर के मुकाबले यह 29 प्रतिशत अधिक थी। शेयर बाजार में टाटा मोटर्स के शेयर भाव में हल्की कमजोरी रही। बीएसई में शुक्रवार के कारोबार में कंपनी का शेयर 0.02% की मामूली गिरावट के साथ 257.10 रुपये पर बंद हुआ।सुबह 9:45 बजे सेंसेक्स (Sensex) 38 अंक की बढ़त के साथ 17,869 पर है। निफ्टी (Nifty) 11 अंक की मजबूती के साथ 5,423 पर है। एनएसई के मँझोले सूचकांक सीएनएक्स मिडकैप में 1.09% की तेजी है। बीएसई स्मॉलकैप में 0.69% और बीएसई मिडकैप में 0.92% की मजबूती है।क्षेत्रों के लिहाज से बीएसई के रियल्टी और आईटी सूचकांक को छोड़कर अन्य सभी सूचकांकों में बढ़त का रुख है। सबसे ज्यादा मजबूती ऑटो सूचकांक (Auto Index) में दिख रही है। यह सूचकांक 0.89% ऊपर है। सेंसेक्स के 19 शेयरों में बढ़त है, जबकि 11 शेयरों में गिरावट है। सबसे ज्यादा मजबूती टाटा स्टील में है। इसका शेयर 2.97% ऊपर है। गौरतलब है कि पिछले महीने ही मारुति और जनरल मोटर्स ने अपनी गाड़ियों के दाम 17,000 रुपये तक बढ़ाए हैं। मारुति ने भी डिजायर को छोड़कर सभी कारों के दाम 3.5 फीसदी तक बढ़ाए थे। जनवरी में ही महिंद्रा एंड महिंद्रा, ह्युंदई और टोयोटा किर्लोस्कर भी अपनी कारों के दाम बढ़ा चुकी हैं। इस बीच महिंद्रा एम्ड महिंद्रा ने शुद्ध मुनाफे में गिरावट दर्ज की है। वित्त साल 2011-12 की दिसंबर तिमाही में कंपनी का नेट प्रॉफिट 9.8 फीसदी गिरकर 662.15 करोड़ रुपए रहा। बीते वित्त वर्ष की समान अवधि में कंपनी का नेट प्रॉफिट 734.68 करोड़ रुपए रहा था। महिंद्रा का कहना है कि कंपनी ने पिछले कारोबारी साल की तीसरी तिमाही में ओवेन कॉर्निंग इंडिया लिमिटेड में होल्डिंग्स बेची थी और वजह से इसे इस दौरान 117.5 करोड़ की राशि लाभ में जुड़ गई थी। दिसंबर तिमाही में कंपनी की कुल बिक्री 8,327 करोड़ रुपए रही, जबकि पिछले साल की संबंधित अवधि में यह 6,074 करोड़ रुपए रही थी। डीजल कारों पर कर कर बढ़ाने के सुझावों को उल्टा कदम बताते हुए महिंद्रा ऐंड महिंद्रा समूह ने गुरुवार को कहा कि ऐसी पहल से देश में वाहन उद्योग की वृद्धि प्रभावित होगी। रिजर्व बैंक चाहता है कि सरकार डीजल डीकंट्रोल करे ताकि उसको वित्तीय घाटा कम करने में मदद मिले। लेकिन बढ़ते वित्तीय घाटे के बावजूद सरकार इस पर कोई फैसला लेने से हिचकिचा रही है। खुद पेट्रोलियम मंत्री जयपाल रेड्डी ने कहा है कि रिजर्व बैंक की ये सलाह सुनने में तो अच्छी लगती है और वो इससे सैद्धांतिक रूप से सहमत भी हैं लेकिन राजनीतिक वजहों से फैसला लेना मुश्किल है। पेट्रोलियम मंत्री जयपाल रेड्डी के मुताबिक डीजल डीकंट्रोल पर महंगाई को नजर में रखते हुए फैसला हो पाएगा। साथ ही उन्होंने कहा कि डीजल डीकंट्रोल का फैसला पेट्रोलियम मंत्रालय अकेले नहीं कर सकता, इसके लिए सरकार की मंजूरी भी जरूरी है। महिंद्रा ऐंड महिंद्रा समूह के अध्यक्ष (ऑटोमोटिव ऐंड कृषि उपकरण क्षेत्र) पवन गोयनका ने कहा, 'मेरे ख्याल से डीजल वाहनों पर अतिरिक्त कर का विचार करना एक उल्टी सोच है।' महंगी डीजल कार में सब्सिडी पर डीजल के उपयोग को देखते हुए डीजल कारों पर 80,000 रुपये तक अतिरिक्त कर लगाने के सुझाव दिए जा रहे हैं। इस बारे में महिंद्रा का कहना है कि व्यक्तिगत काम के लिए डीजल का उपयोग 0.2 फीसदी से भी कम है। गोयनका ने कहा कि किरीट पारिख की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञ समिति ने भी अपने आंकड़ों में सुधार किया है जिसने पहले कहा था कि 15 फीसद डीजल ईंधन का उपयोग व्यक्तिगत डीजल वाहनों के लिए होता है। उन्होंने कहा, 'आगामी आम बजट में वाहन क्षेत्र के लिए यह सबसे महत्त्वपूर्ण मुद्दा होगा क्योंकि इससे आगामी वित्त वर्ष में उद्योग की वृद्धि पर बड़ा असर हो सकता है।' वर्ष 2011 उद्योग के लिए अच्छा नहीं रहा है। निर्माताओं के संघ सियाम के ताजा आंकड़ों के मुताबिक घरेलू बाजारों में कारों की बिक्री 2011 में 4.24 फीसदी बढ़कर 19,46,373 हो गई जो 2010 में 18,67,246 थी। वित्त वर्ष 2010-11 में कुल 21,60,153 कारों की बिक्री हुई थी जिनमें 28.42 फीसदी कारें डीजल थीं और पेट्रोल कारों की संख्या 71.58 फीसदी थी। जबकि मारुति सुजुकी इंडिया के तीसरी तिमाही नतीजे उम्मीद से काफी ज्यादा खराब रहे। अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के दौरान कंपनी का मुनाफा 63.6 फीसदी घटकर 205.6 करोड़ रुपए पर सिमट गया। कंपनी का मुनाफा घटने का प्रमुख कारण बढ़ती ब्याज दरें और महंगा होता ईंधन रहा। इन वजहों से एशिया की तीसरी सबसे बड़ी इकॉनमी भारत में मांग प्रभावित हुई। दिसंबर तिमाही के दौरान मारुति की मांग 28 फीसदी गिरी। कंपनी ने जानकारी दी कि आलोच्य अवधि में कंपनी का मुनाफा 205.06 करोड़ रुपए पर सिमट गया, जबकि बिक्री घटकर 7,663 करोड़ रुपए रही। बीते कारोबारी साल की इसी तिमाही में कंपनी को 565.17 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ हुआ था। इस दौरान डॉलर के मुकाबले रुपए की कमजोरी भी कंपनी के कारोबार पर असर डालने वाले कारकों में शामिल रही। दोपहर 2 बजकर 21 मिनट पर बीएसई पर मारुति सुजुकी का शेयर 1.61 फीसदी की बढ़त के साथ 1116.75 रुपए के स्तर पर कारोबार करता देखा गया। दूसरी ओर सेंटर फॉर साइंस ऐंड इन्वाइरनमेंट ने डीजल गाड़ियों पर अडिशनल टैक्स लगाने की मांग की है। संस्था का कहना है कि यह फ्यूल सरकारी खजाने को भी नुकसान पहुंचा रहा है। इस मांग से कार कंपनियां खफा हैं। दिल्ली के एनजीओ ने छोटी डीजल गाड़ियों पर 81,000 रुपए और डीजल से चलने वाले मल्टी-यूटिलिटी वीकल और स्पोर्ट्स यूटिलिटी वीकल पर इससे दोगुना टैक्स लगाने की मांग उठाई है। सरकारी तेल कंपनियां डीजल पर 14.57 रुपए प्रति लीटर की सब्सिडी देती हैं। इसके एक हिस्से की भरपाई सरकार करती है। पेट्रोल महंगा होने से डीजल गाड़ियों की बिक्री काफी ज्‍यादा बढ़ गयी है। 4 लाख रुपए से ज्यादा में आने वाली 60 फीसदी से ज्‍यादा गाड़ियां डीजल से चलती हैं। मारुति स्विफ्ट और ह्यूंदै वरना के डीजल मॉडल की डीमांड इतनी है कि बुकिंग के बाद ग्राहकों को इंतजार करना पड़ रहा है। सोसाइटी ऑफ ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) के डायरेक्टर सुगातो सेन ने कहा कि इंडस्ट्री परफॉर्मेंस, इमिशन और सेफ्टी के सभी मानकों को पूरा कर रही है, इसलिए डीजल को बदनाम नहीं किया जाना चाहिए। और वहीं ऑटो कंपनियों का कहना है कि इस बारे में जल्दबाजी में किया गया फैसला इंडस्ट्री को नुकसान पहुंचाएगा।


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Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/


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