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Wednesday 9 January 2013

दीदी की जिद्दी जमीन अधिग्रहण नीति की वजह से अब ईस्ट वेस्ट मेट्रोरेल खतरे में!

दीदी की जिद्दी जमीन अधिग्रहण नीति की वजह से अब ईस्ट वेस्ट मेट्रोरेल खतरे में!


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

दीदी की जिद्दी जमीन अधिग्रहण नीति की वजह से अब ईस्ट वेस्ट मे मेट्रोरेल खतरे में है।इस परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण के खिलाफ बहुबाजार के व्यवसाइयों की ओर से हाईकोर्ट की खंडपीठ  में चल रहे मुकदमे में राज्य सरकार ने अपना दावा छोड़ दिया है और राज्य सरकार की ओर से दाखिल अपील वापस ले लीगयी है। जिससे भूमि अधिग्रहण  के खिलाफ फैसले का रास्ता साफ हो गया है।आशंका है कि भूमि अधिग्रहण संबंधी दूसरे मामलों में भी इसका असर होगा और दीदी जिस तेजी से विकास परियोजनाओं का रोजाना शिलान्यास कर रहीं हैं, कम से कम उसी गति से उनका कार्यान्वन हो पाना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है।राज्य सरकार के इस कदम से मुश्कल में है ईस्ट वेस्ट मेट्रो परियोजना के कार्यान्वयन करने वाली मेट्रोरेल की निर्माण संस्था कोलकाता मेट्रो रेलवे ​​कारपोरेशन। करीब छह हजार करोड़ की इस पब्लिक प्राइवेट प्रोजेक्ट में राज्यसरकार की हिस्सेदारी सबसे अधिक है। मेट्रो के लिए जमीन अधिग्रहण टेढ़ी खीर है, राज्य सरकार के रवैये से मेट्रो के विस्तार की संभावना बाधित हो रही है और यह सब राजनीति के कारण हो रहा है। जनहित के बदले दीदी को अपने वोट बैंक की ज्यादा परवाह होने लगी है।वैसे दीदी की घोषित नीति है कि जबरन भूमि अधिग्रहण के खिलाफ है मां माटी की सरकार। इसलिए राज्य सरकार के इस कदम को अप्रत्याशित भी नहीं कहा जा सकता।

ईस्ट-वेस्ट मेट्रो के लिए पूर्व रेलवे ने जरूरी जमीन खाली कर दी है। इसके लिए हावड़ा रेलवे डिवीजन की तरफ से चिन्हित जगह से कार पार्किग, बेस किचेन, पार्सल गेट के समीप के विभिन्न घरों को तोड़कर हटा दिया गया है। वहां मौजूद दफ्तरों का निर्माण अन्य जगह पर हो रहा है। इस जमीन को ईस्ट वेस्ट मेट्रो रेल कारपोरेशन को हस्तांतरित कर दिया गया है। ईस्ट वेस्ट मेट्रो रेल लाइन का निर्माण कोलकाता से गंगा नदी के नीचे से हावड़ा स्टेशन होते हुए हावड़ा मैदान तक जाएगी।

रेलराज्यमंत्री अधीर चौधरी ने राज्य सरकार के इस कदम की कड़ी आलोचना करते हुए राज्य की रेल परियोजनाओं के कार्यान्वयन में राज्य सरकार पर असहोग का आरोप लगाया है।उन्होंने बताया कि राज्य सरकार भले ही पीछे हट गयी हो, लेकिन रेलवे कि ओर से यह मुकदमा लड़ा जायेगा।

दूसरी ओर राज्य सरकार के फैसले से स्थानीय व्यसायी प्रसन्न है। पहले ही हाईकोर्ट के एकल बेंच में मुकदमे का फैसला उनके पक्ष में रहा है। अब राज्य सरकार की अपील वापस लेने पर वे अपनी जीत पक्की मान रहे हैं।गौरतलब है कि न्यू टाउन से सियालदह होकर सेंट्रल तक आनी थी ईस्ट वेस्ट मेट्रोरेल। इस खंड के बहुबाजार इलाके में जमीन अधिग्रहण का​​ इलाके के व्यवसायी विरोध कर रहे हैं।परिवहन मंत्री मदन मित्र से लेकर तृणमूल नेता मुकुल राय कतक इस मामले में खामोशी अख्तियार किये हुए हैं।प्रस्तावित ईस्ट-वेस्ट मेट्रो रेल के पथ-निर्माण में दत्तावाद एवं सुभाष सरोवर की समस्या का समाधान तो निकला लेकिन बहूबाजार को लेकर बाधा अब भी जारी है। बहूबाजार की ओर जाने वाली मेट्रो लाइन के लिए जिन लोगों को हटाने की बात थी, वे पहले तो राजी थे लेकिन अब हटने को तैयार नहीं हैं। इस बीच परियोजना का कार्य केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय से रेल मंत्रालय के हाथों में जाने के साथ-साथ मेट्रो के नये मैनेजिंग डायरेक्टर (एमडी) सुब्रत गुप्ता को हटाकर राज्य के परिवहन सचिव बीपी गोपालिका को यह पद देने का निर्णय लिया गया है। साल्टलेक के सेक्टर फाइव से लेकर हावड़ा स्टेशन तक नये मेट्रो का निर्माण कार्य वर्ष 2016 तक पूरा होने की बात है, जिसके लिए बंगाल केमिकल के पास दत्तावाद, कादापाड़ा के पास सुभाष सरोवर एवं मध्य कोलकाता के बहूबाजार के निकट कई परिवार एवं दुकानों को हटाकर पुनर्वासन पर वर्षो से बाधा जारी थी।

केएमआरसी के निवर्तमान मैनैजिंग डायरेक्टर सुब्रत गुप्ता के मुताबिक, जर्मनी से 2 मॉडर्न ड्रिलिंग मशीन मंगाए गए हैं जिनका उपयोग सुरंग बनाने में किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस प्रॉजेक्ट के दिसंबर 2014 के अंत तक पूरा होने की संभावना है। इसमें दो लाइनें बनाई जा रही हैं जिनकी कुल लंबाई 18 किलोमीटर होगी।

रेलवे ने कोलकाता मेट्रो रेल की ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर परियोजना में निरंतर देरी किए जाने का आरोप पश्चिम बंगाल की सरकार पर लगाया है। रेलवे का कहना है कि जब परियोजना का कार्य सुचारू रूप से चल रहा है तो इसमें मेट्रो लाइन के अलाइनमेंट बदलने आदि को लेकर अडंगे लगाए जा रहे हैं। यदि अब मेट्रो अलाइमेंट को बदला गया तो इसमें दो से ढाई साल का वक्त और लगेगा और रेलवे को रोजाना 40 लाख रुपए का नुकसान उठाना पड़ेगा। रेल राज्यमंत्री अधीर रंजन चौधरी ने पश्चिम बंगाल सरकार पर यह आरोप लगाते हुए कहा कि जब 14 किलोमीटर लंबी ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर की परियोजना बनाई जा रही थी कि तब राज्य सरकार की ओर से किसी तरह की बाधा नहीं आई। इस परियोजना के लिए रेलवे ने अपनी रुचि दिखाई और 4874 करोड़ रुपए की परियोजना में से जापान इंटरनेशनल कारपोरेशन एजेंसी (जायका) ने 2253 करोड़ रुपए देने का ऋण को राजी हुआ है। इस परियोजना के लिए ठेके आदि भी दे दिए गए हैं। अब भूमि अधिग्रहण को लेकर पैदा हुए विवाद में रेलवे उच्च न्यायालय जा रहा है। भूमि अधिग्रहण को लेकर वहां से हटाए गए 157 परिवार के पुनर्वास के लिए रेलवे ने 28 करोड़ रुपए जारी कर दिए हैं और वहां से हटने वाले लोगों के लिए मकान तैयार हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि यदि यह परियोजना केवल 157 परिवार की वजह से रोकी गई तो पांच लाख लोगों को नुकसान होगा, क्योंकि इस कॉरिडोर के बनने के बाद पांच लाख लोग रोजाना सफर कर सकेंगे।

गौरतलब है कि कई माह की देर के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को 4874 करोड़ रुपए की लागत वाली 'ईस्ट-वेस्ट मेट्रो कॉरिडोर' प्रॉजेक्ट का उद्घाटन किया।

यह मेट्रो लाइन साल्ट लेक स्थित आईटी हब सेक्टर पांच को हुगली पार करते हुए हावड़ा से जोड़ेगी। पूर्वी कोलकाता के बेलियाघाट के सुभाष सरोबर में मेट्रो लाइन का उद्घाटन करते हुए ममता ने कहा, 'प्रॉजेक्ट को उसके लक्षित वक्त पर पूरा करने के बजाए लोगों की सुविधाव के लिए उसे समय से पहले पूरा करने पर जोर दिया जाना चाहिए।'

प्रॉजेक्ट को शहर के लिए गर्व की बात बताते हुए ममता ने कहा कि वह सरकार की ओर से भारतीय रेलवे को सहयोग का आश्वासन देती हैं। जापान सरकार के साथ भारतीय रेलवे इस प्रॉजेक्ट को वित्तीय सहायता दे रही है। इस लाइन का निर्माण और रख-रखाव कोलकाता मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन :केएमआरसी: करेगी।

पहले यह केन्द्रीय शहरी विकस मंत्रालय और पश्चिम बंगाल सरकार की जाइंट प्रॉजेक्ट थी जिसे बाद में रेल मंत्रालय ने अपने हाथों में ले लिया। जापान इंटरनैशनल कोऑपरेशन असोसिएशन इस प्रॉजेक्ट को लंबे समय के कर्ज के आधार पर फाइनैंस कर रही है।

नई मेट्रो के लिए कोलकाता का इंतजार हर रोज बढ़ता ही जा रहा है। दरअसल शेयर हस्तांतरण की प्रक्रिया ने ईस्ट-वेस्ट मेट्रो परियोजना को रोक रखा है। इस परियोजना पर काम कर रहे कोलकाता मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (केएमआरसीएल) के एक अधिकारी ने कहा, 'मालिकाना हक में बदलाव पर हो रही बातचीत से परियोजना की प्रगति पिछले 1 साल से रुकी हुई है, क्योंकि यहां कोई प्रबंध निदेशक (एमडी) नहीं है और ठेकेदारों को भुगतान के लिए बिल पर एमडी के अलावा कोई हस्ताक्षर नहीं कर सकता।'

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के अनुरोध के बाद केंद्रीय कैबिनेट ने इसे केंद्रीय रेल मंत्रालय को सौंपने को हरी झंडी दे दी है। ऐसे में राज्य की ओर से नियुक्त प्रबंध निदेशक बीपी गोयनका का गैर वैधानिक अधिकार खत्म हो गया।

अधिकारी ने कहा, 'अब बिल को स्वीकृति के लिए चेयरमैन के पास नई दिल्ली भेजने की जरूरत है। इसके चलते निश्चित रूप से परियोजना में बहुत ज्यादा देरी हो रही है, जिसमें पहले भी करीब 2 साल की देरी हो चुकी है।' केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के सचिव केएमआरसीएल के चेयरमैन हैं।

इसके अलावा शेयरों के हस्तांतरण को कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद केएमआरसीएल को नए सिरे से सहमति-पत्र और हिस्सेदारों के बारे में कागजात तैयार करने को कहा गया है, जो इसके पहले 2008 में हुए समझौते की जगह लेगा। लोक उद्यम चयन बोर्ड (पीईएसबी) अब केएमआरसीएल के नए निदेशकों का चयन करेगा।

केएमआरसीएल मूल रूप से केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय और पश्चिम बंगाल सरकार का संयुक्त उद्यम था। इसे ईस्ट-वेस्ट मेट्रो परियोजना के विकास के लिए बनाया गया था। इस परियोजना का उद्देश्य सॉल्ट लेक को हावड़ा से जोडऩा था। अब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के अनुरोध के बाद राज्य सरकार की हिस्सेदारी का हस्तांतरण केंद्रीय रेल मंत्रालय को किया जाना है, जो कोलकाता में मौजूद मेट्रो सेवा का परिचालन करता है।

कोलकाता मेट्रो रेल

http://hi.wikipedia.org/s/8lh

मुक्त ज्ञानकोष विकिपीडिया से
कोलकाता मेट्रो रेल

जानकारी

क्षेत्र
यातायात प्रकार
लाइनों की संख्या
स्टेशनों की संख्या
२१ (१५ भूमिगत, १ भूमि एवं ५ ऊपर)
प्रतिदिन की सवारियां
२३५६ यात्री (लगभग)
प्रचालन

प्रचालन आरंभ
१९८४
संचालक
*
तकनीकी

प्रणाली की लंबाई
२२.३ कि.मी.
१,६७६ मि.मि. (५ फी. ६ इं.) (ब्रॉड गेज)
[दिखाएँ]रूट का नक्शा


कोलकाता मेट्रो (बांग्ला: কলকাতা মেট্রো) पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में एक भूमिगत रेल प्रणाली है। इसे मंडलीय रेलवे का स्तर प्रदान किया गया है। यह भारतीय रेल द्वारा संचालित है। १९८४ में आरंभ हुई यह भारत की प्रथम भूमिगत एवं मेट्रो प्रणाली थी। इसके बाद दिल्ली मेट्रो २००२ में आरंभ हुई थी।
आरंभ में ५ लाइनों की योजाना थी, किंतु बाद में ३ ही चुनीं गईं:-

[संपादित करें]मुख्य फीचर्स

कुल रूट लंबाई
२२.३ कि.मी.
स्टेशन
२१ (१५ भूमिगत, १ भूमि एवं ५ ऊपर)
गेज
५’६" (१६७६ मि.मि) ब्रॉड गेज
कोच प्रति ट्रेन
अधिकतम अनुमत गति
५५ किमि./घंटा
औसत गति
३० किमि./घंटा
वोल्टेज
वर्तमान कलेक्षन विधि
त्रितीय रेल, ७५० वोल्ट डी.सी
यात्रा समय: दम दम से कबि नजरूल
४१ मिनट (लगभग)
कोच क्षमता
२७८ खड़े, ४८ बैठे यात्री
ट्रेन क्षमता
२५९० यात्री (लगभग)
ट्रेनों के बीच अंतराल
७ मिनट दफतर समय एवं १०-१५ मिनट अन्य समय
परियोजना की कुल अनुमानित लागत
रु.१८२५ करोड़ (लगभग)
पर्यावरण नियंत्रण
धुली एवं प्रशीतित वायु से फोर्स्ड वेन्टीलेशन

[संपादित करें]मार्ग

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