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Saturday 12 January 2013

उलटबांसी दीदी की जुबान, अब मनीषियों के लिए जबरन भी होगा भूमि अधिग्रहण!


उलटबांसी दीदी की जुबान, अब मनीषियों के लिए जबरन भी होगा भूमि अधिग्रहण!

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

परिवर्तन के बाद मां माटी मानुष सरकार पर वाम शासन की तर्ज पर पार्टी वर्चस्व के हावी होने से घिर गयी हैं दीदी बुरीतरह। राज्य की आर्थिक हालत दिवालिया है। पर पार्टीबद्ध राजनीति के कंद्र बने क्लबों को १८२ करोड़ कीखैरात बांटनी पड़ रही है। वेतन बांटने के लिए बाजार से कर्ज लेने के सिवाय कोई चारा नहीं है, पर सत्ता में बने रहने के लिए सरकारी कर्मचारियों को हर कीमत पर खुश रखने की मजबूरी है। वोट बैंक के अलग अलग तबके के​ ​ लिए अनुदान दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। इसी अल्पावधि में राज्यपाल से भी टकराव के हालात हैं। राज्यपाल ने राजनीतिक संघर्ष पर केंद्र को अपनी रपट भी  भेज दी है। मंत्री सुब्रत को लाल कार्ड दिखाकर रोज्यपाल को उनकी ओर से दिखाये गये पीले कार्ड को तो निरस्त कर दिया दीदी ने , पर वाम जमाने के गेस्टापों पर जिस तरह कोई नियंत्रण नहीं था सरकार का, ठीक उसातरह राजनीति क अराकता और हिंसा भड़काने वाली तृणमूल वाहिनी पर ​​दीदी का कोई नियंत्रण नहीं है। वाम जमाने में बंद पचपन हजार औद्योगिक इकाइयों और दर्जनों चायबागानों में था स्थिति है, पर दीदी करोड़ों युवाओं को रोजगार और नौकरी देने का सपना बांट रही है।स्वामी  विवेकानंद की डेढ़ सौंवीं जयंती पर युवा महोत्सव मनाने की धूम है। पर बेरोजगारी और अराजकता के इस हंसक माहौल में कब प्रति क्रांति शुरु हो जायेगी , कोई कह नहीं सकता। सिंगुर से टाटा की वापसी के बाद राज्य सरकार अभी उद्योगजगत का भरोसा जीतने में नाकाम है। बेंगल लीड्स हल्दिया में शुरु हने वाले हैं और राजनीति संघर्ष दिनोंदिन तेज हो रहा है।इस अराजक भूल भूलैय्या से निकलने के लिए राज्य में विकास और निवेश का वातावरण बनाने के सिवाय अब कोई चारा नहीं है। पिछले बारह साल में विदेशी पूंजी निवेश के मामले में देशभर में सबसे पीछे है बंगाल, जबकि गुजरात में नरेंद्र मोदी की चमत्कार की छोढ़िये, पड़ोसी झारखंड में राजनीतिक अस्थिरता की निरंतरता के बावजूद निवेश की बेहतर हालत है। हाईकोर्ट ने ते कह ही दिया कि बंगाल की सड़कों से बेहतर है भिहार की सड़कें। राज्य में रेल हो या सड़के, जमीन अधिग्रहण की पेंच में पंसी हैं सारी योजनाएं परियोजनाएं। दीदी ने राज्यपाल से टकराव की स्थिति को टालने के लिए सुर नरम किया है तो अब हल्दिया वेंगल लीड्स से पहले यह कहकर कि कवि गुरु रवीन्द्रनाथ टैगोर और स्वामी विवेकानंद जैसे मनी,ियों की स्मडते में हने वाल काम जैसे बड़े काम के लिए जरुरी हुआ तो जोर जबरदसती भूमि अधिग्रहण किया जायेगा, अपनी जिद्दी भूमि नीति बदलने के संकेत दे दिये हैं। घौरतलब है कि वे अपनी एफडीआई जिहाद भी रोके हुए हैं और बंगाल में रोजगार और निवेश के लिए एढ़ी चोटी का जोर लगा रही हैं। पानी जाहिर है, सर से ऊपर बहने लगा है।

कोलकाता महानगर में स्थित बागबाजार में भगिनी निवेदिता के जिस मकान का सरकार ने अधिग्रहण किया, उसे किरायेदारों से जबरन खाली कराने के लिए दीदी ने पहले ही हरी झंडी दे दी है।शुक्रवार शाम को १०५, विवेकानंद रोड स्थित स्वामी विवेकनंद के पैतृक गृहस्थल से संलग्न एक निर्माणादीन मकान समेत पांच कट्ठा जमीन जमीन रामकृष्ण णिसन को हस्तांतरित करके दीदी ने अपनी उदार भूमि अधिग्रहण नीति को अंजाम देना शुरु कर दिया है। अब देखना है कि उद्योग जगत इसे किस रुप में लेता है।ममता की भूमि और सेज नीति के कारण बड़े उद्योगपतियों ने राज्य में उतनी दिलचस्पी नहीं दिखाई जितनी राज्य में राजनीतिक परिवर्तन के बाद उम्मीद की जा रही थी। ममता की नीति है कि उद्योग लगाने के लिए उनकी सरकार किसानों से जमीन का जबरन अधिग्रहण नहीं करेगी। उद्योग लगाने के इच्छुक लोगों को जमीन के मालिकों से सीधे जमीन खरीदनी होगी। उनकी इस नीति में उद्योगपति परिवर्तन चाहते हैं। वैसे राज्य के उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी का कहना है कि राज्य में एक लाख हजार करोड़ से अधिक के निवेश प्रस्ताव मिले हैं।

15 जनवरी से हल्दिया में बंगाल लीड्स सम्मेलन का आयोजन किया जायेगा, जिसका उद्घाटन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी करेंगी। यह तीन दिन तक चलेगा। यह जानकारी सोमवार को राज्य सचिवालय राइटर्स में उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी ने दी। उन्होंने कहा कि इस औद्योगिक सेमिनार में टाटा की तीन कंपनियों को भी आमंत्रित किया गया है, जिनके नाम हैं टाटा रायसन, टाटा सिरामिक और टीसीएस। राज्य में पूंजी निवेश को लेकर गंभीर मंथन हो चुका है। तय किया गया कि राज्य में अगर कोई भी पूंजीपति निवेश करता है, तो राज्य सरकार उसे पूरा सहयोग करेगी, लेकिन सरकार खुद किसानों की भूमि लेकर उद्योग लगाने के लिए नहीं देगी। बंगाल लीड्स में टाटा समूह की कंपनियों को आमंत्रित कर सरकार ने संदेश दे दिया है कि उसे टाटा के निवेश से परहेज नहीं है। हाल ही में दिल्ली से लौटने के बाद उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा भी था कि सत्ता परिवर्तन के बाद भी टाटा समूह के उच्च स्तर के पदाधिकारी राज्य सचिवालय में आकर मिल चुके हैं। इस तरह का आयोजन हाल ही में मिलन मेला मैदान में भी किया गया था जिसमें अधिकतर औद्योगिक घरानों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था। इसके बाद मुख्यमंत्री दिल्ली में हुए औद्योगिक सम्मेलन में हिस्सा लेने गयीं थी, जिसके बाद अब यह सम्मेलन हल्दिया में किया जा रहा है। इसमें सिंगापुर आदि के चेंबर भी हिस्सा लेंगे। इसमें इंडोनेशिया के मंत्री ने भी हिस्सा लेने की हामी भरी है।  

पश्चिम बंगाल में निवेशकों को लुभाने के लिए राज्य सरकार की नयी औद्योगिक नीति की तैयारी अंतिम चरण में है। बुधवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में राज्य के नौ चैंबर ऑफ कॉमर्स के प्रतिनिधियों व उद्योगपतियों के साथ बैठक हुई। बैठक में उद्योग जगत के 36 प्रतिनिधि मौजूद थे। इनमें उद्योगपति हर्ष नेवटिया, संजीव गोयनका व अन्य शामिल थे। बैठक में राज्य के उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी, शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम, वित्त मंत्री अमित मित्र व अन्य वरिष्ठ मंत्री उपस्थित थे। दीदी बनर्जी ने कहा कि राज्य में उद्योग लगाने में जमीन की कमी नहीं होगी। सरकार की ओर से हर संभव सुविधाएं उपलब्ध करायी जायेंगी। बैठक में उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी द्वारा प्रस्तावित उद्योग नीति का प्रारूप पेश किया गया। 15 से 17 जनवरी को हल्दिया में होनेवाले बंगाल लीड्स (दो) में नयी उद्योग नीति की घोषणा हो सकती है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा कि लैंड बैंक में लगभग 21 हजार एकड़ जमीन है। किस जिले में कौन से उद्योग लगाये जा सकते हैं व संभावनाओं के बारे में विस्तार से चर्चा की गयी।दीदी को कोर कमेटी गठित करने का सुझाव दिया, ताकि उद्योग से जुड़ीं समस्याओं का समाधान हो सके। बैठक पर उद्योग जगत ने खुशी जतायी। बंगाल लीड्स (दो) को सफल बनाने का भी आश्वासन दिया। उद्योगपतियों ने स्पष्ट कर दिया कि राज्य में निवेश आमंत्रित करने के लिए वे हरसंभव मदद करेंगे।

मालूम हो किछठे वाइब्रेंट गुजरात समिट के प्रथम दिन कंपनियों ने राज्य में 28,000 करोड़ रुपये का निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई. इनमें एस्सार, एबीजी शिपयार्ड, जुबिलेंट लाइफसाइंसेज और अडाणी सरीखे उद्योग घराने शामिल हैं।पिछले सम्मेलन के मुकाबले, इस बार 15 हजार प्रतिनिधि अधिक आए हैं। पिछले सम्मेलन में 52 हजार प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था। वर्ष 2001 में हुए पिछले सम्मेलन में 20.83 लाख करोड़ रुपए निवेश की प्रतिबद्धता जताई गई थी और करीब 8 हजार सहमति पत्रों पर दस्तखत किए गए थे।गुजरात में अभी तक 88 हजार करोड़ रुपये का निवेश कर चुका एस्सार समूह राज्य के बंदरगाह क्षेत्र और जलापूर्ति परियोजनाओं में 14 हजार करोड़ रुपये का नया निवेश करेगा। कंपनी के चेयरमैन शशि रुइया ने यह घोषणा की।वहीं, अडाणी समूह ने परिचालन के मौजूदा क्षेत्रों में 5 हजार करोड़ रुपये निवेश की प्रतिबद्धता जताई है। निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी जहाजरानी विनिर्माण कंपनी एबीजी शिपयार्ड ने गुजरात में नया कारखाना लगाने और मौजूदा इकाइयों का विस्तार करने पर 7 हजार करोड़ रुपये का निवेश करने की योजना बनाई है।मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय पेट्रोलियम विश्वविद्यालय में 500 करोड़ रुपए निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई।वहीं फार्मा कंपनी जुबिलेंट लाइफसाइंसेज 1,300 से 1,500 करोड़ रुपये के बीच निवेश करेगी. कंपनी 2,000 करोड़ रुपये का निवेश पहले ही गुजरात में कर चुकी है।

इस बीच राज्यपाल से संबंध सुधारने की गरज से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने निर्देश जारी किया है कि राज्य सरकार के मंत्री पार्थ चटर्जी और फिरहाद हाकिम सरकार के प्रवक्ता होंगे। इसे राज्यपाल एमके नारायणन के खिलाफ प्रदेश सरकार के मंत्री सुब्रत मुखर्जी के बयान को नामंजूरी के तौर पर देखा जा रहा है।लोक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग, पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री मुखर्जी ने राज्यपाल के बयान पर टिप्पणी की थी. राज्यपाल ने कहा था कि प्रदेश में गुंडागर्दी फैली हुई है।राज्य सचिवालय के सूत्रों ने बताया कि उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी और शहरी विकास मंत्री हाकिम सरकार से जुड़े मामलों में प्रवक्ता होंगे।इसके विपरीत आसनसोल में राज्यपाल एमके नारायणन द्वारा दिए गए इस बयान पर कि ममता बनर्जी सरकार में गुंडागर्दी चल रही है, पर दीदी ने कहा कि लोग न तो झूठी अफवाहें फैलायें और न ही उन पर ध्यान दें। अपना सिर उंचा कर चलें। भांगड़ कांड को लेकर राज्यपाल एमके नारायणन द्वारा सार्वजनिक तौर पर प्रतिक्रिया दिए जाने के बाद राज्य सरकार काफी असहज है। राज्यपाल ने बुधंवार को कहा था कि राज्य में एक तरह की गुंडागर्दी हो रही है और तृणमूल काग्रेस-वाम मोर्चा के बीच झड़पों से प्रदेश दहल गया है। ऐसे हालात में पुलिस को निष्पक्ष होकर काम करना चाहिए।नारायणन के इस वक्तव्य को लेकर राज्य के पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। मुखर्जी ने कहा कि संवैधानिक प्रधान होने के बावजूद राज्यपाल राजनीतिक व्यक्ति जैसी बातें बोल रहे हैं। उस पर हमलोग नजर रख रहे हैं। राज्यपाल ने बुधवार को विक्टोरिया मेमोरियल के एक कार्यक्रम के इतर मीडिया द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में कहा कि  इसका राजनीतिक संस्कृति से कोई लेना-देना नहीं है। मुझे लगता है कि यहा किसी तरह की गुंडागीरी हो रही है।राज्यपाल के इस बयान के 24 घंटे के भीतर ही राइटर्स में राज्य के पंचायत मंत्री ने कहा कि राज्यपाल के बयानों पर नजर रखी जा रही है। मैं इस पर बाद में विस्तार से बोलूंगा। उन्होंने ऐसा बयान देकर विवाद क्यों पैदा किया है यह नहीं जानता। अभी पीला कार्ड दिखाया हूं, बाद में लाल कार्ड की बारी भी आ सकती है। रज्जाक के मुकाबले के लिए यही स्वभाविक है। उन्होंने(राज्यपाल) क्या रज्जाक के बारे में खबर ली है? सभी क्रिया की विपरीत प्रतिक्रिया होती है। सब कुछ जानने के बाद किसी प्रकार की कोई प्रतिक्रिया दी जानी चाहिए। राज्यपाल के इस बयान से लोगों में गलतफहमी पैदा होगी। सरकार से सब कुछ जानने के बाद भी वह बयान दे सकते थे। सुब्रत ने कहा कि एक अवांछित घटना को लेकर राज्यपाल को इस तरह की बयानबाजी नहीं करनी चाहिए। इस तरह यदि चलेगा तो लोग समझेंगे कि कांग्रेस ने मनोनीत किया है इसीलिए वह ऐसा बोल रहे हैं। राज्यपाल की बातें भड़काऊ हैं।जब राइटर्स में सुब्रत राज्यपाल के खिलाफ बयान दे रहे थे करीब उसी समय मंत्रिमंडल में उनके सहयोगी पार्थ चटर्जी राज्यपाल को बंगाल लीड्स के लिए न्योता देने राजभवन गए थे। बाद में पार्थ ने कहा कि वे 15 जनवरी से शुरू होने वाले बंगाल लीड्स के लिए उन्हें आमंत्रित करने गए थे। उन्होंने कहा कि मेरी उनसे कई मुद्दों पर बात हुई है। परंतु, वह बातें मीडिया को नहीं बता सकता।

इसी सिलसिले में आसनसोल में  तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता ने कहा कि मेरी आखिरी सांस तक मेरी ओर से आपको कोई नुकासान नहीं होगा। उन्होंने कहा कि हम किसी भी तरह की अशांति या कोलाहल बर्दाश्त नहीं करेंगे।ममता ने कहा कि मेरा परिवार नहीं है। लोग ही मेरा परिवार हैं। मैं जब तक जिंदा हूं तब तक गरीब लोगों की सेवा करती रहूंगी। ममता ने कहा कि लोगों को अफवाहों पर विश्वास नहीं करना चाहिए। उन्होंने बताया कि पुलिस आयुक्त आसनसोल को उन्होंने हथियार जब्त करने का निर्देश दिया है क्योंकि कुछ लोग हिंसा फैलाने का प्रयास कर रहे हैं।इससे पहले बंगाल के जंगलमहल इलाके में शांति की फिर से हुई बहाली को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने देशभर के लिए शांति का मॉडल करार दिया है। जंगलमहल इलाके में शनिवार दो माओवादियों ने मुख्यमंत्री के सामने आत्मसमर्पण किया। पश्चिमी मेदिनीपुर जिले में एक रैली को संबोधित करते हुए बनर्जी ने कहा कि जंगलमहल में शांति बहाली की कामयाबी की दास्तां पूरे देश के सामने एक मॉडल बन गई है। उन्होंने कहा कि इससे पहले लोग, खासकर महिलाएं माओवादियों और 'हरमर्द' (माकपा के लठैतों) के डर से अपने घरों से बाहर निकलने की हिम्मत नहीं करते। अब वे बिना किसी डर के कहीं भी आ और जा सकते हैं। अब बंदूक की आवाजें सुनाई नहीं देंगी।

वाम मोर्चा के समय में बंद और अवरोधों के चलते वर्ष 2012-13 के सितम्बर माह तक पांच हजार दो सौ कार्य दिवस नष्ट हुए थे। ममता बनर्जी इस बात से खुश हैं कि उनके डेढ़ साल के शासनकाल में राज्य में कार्य संस्कृति बेहतर हुई है। अपनी खुशी का इजहार उन्होंने फेसबुक पर किया है। लेकिन वह इस बात का जिक्र करना नहीं भुलीं कि वाम मोर्चा जमाने के भारी कर्ज में दबे प. बंगाल को उबारने के लिए केंद्र से राज्य को कोई आर्थिक राहत नहीं मिली। उन्होंने लिखा है कि डेढ़ साल के उनके कार्यकाल में कार्य संस्कृति को सुधारने में उल्लेखनीय सफलता मिली है। उन्होंने कहा है कि वाम मोर्चा के शासन काल के दौरान वर्ष 2009-10 में साठ लाख कार्य दिवस नष्ट हुए जबकि वर्ष 2010-11 में पैंसठ लाख अस्सी हजार कार्य दिवस नष्ट हुए। ममता ने लिखा है कार्य संस्कृति में आए इस परिवर्तन के बारे में आम जनता खुद निर्णय ले।












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