मछलीभेड़ी में तब्दील समूचा बंगाल
पलाश विश्वास
बंगाल में आज पिछले दस सालों में सबसे सर्द दिन रहा। पर अब पूरा बंगाल चूंकि मछलीभेड़ी में तब्दील है और भेड़ी दखल की खूनी लड़ाई न सिरफ राजनीति बल्कि बंगसंस्कृति बन गयी है। इसलिए राजनीतिक तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है और उमस में झुलसने लगा है जनमानस, जो पक्ष विपक्ष में विभाजित लहूलुहान है।पश्चिम बंगाल के 24 परगना के जिले में राज्य की सत्तारूढ पार्टी तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता और मुख्य विपक्षी पार्टी भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के कार्यकर्ता आपस में भिड़ गए। जिससे पश्चिम बंगाल में कानून और व्यवस्था बिगड़ गई है। इससे पहले बंगाल विधानसभा में उस समय अराजक माहौल पैदा हो गया, जब वाम मोर्चा और सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों के बीच शुरू हुई हाथापाई ने हिंसक रूप ले लिया। मारपीट में तीन विधायक घायल हो गए, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अन्य तीन विधायकों को सदन से निलम्बित कर दिया गया है।
मछली भेड़ी के नियंत्रक बाहुबली अब बंगाल के राजनीतिक भविष्य तय करने लगे हैं। जनांदोलन के जरिये बंगाल में माकपाई पार्टीबद्ध गेस्टापो और हर्मादवाहिनी को खदेड़कर नरसंहार संस्कृति के सफाये के वायदे के साथ में आयी अग्निकन्या को अपने बाहुबली सिपाहसलार के बचाव के लिए अस्वस्थता के बावजूद राइटर्स में आकर मंत्रियों की बैठक में रणनीति तैयार करनी पड़ रही। हैवीवेट मंत्रियों को माकपा विधायक रेज्जाक अली मोल्ला पर हमले के बाद युद्धस्थल में तब्दील भांगड़ के वामनघाटा में भेजना पड़ा, जहां परिवहन मंत्री धमकी देते हैं कि मारपा के सफाये के लिए पांच मिनट नहीं लगेंगे।मदन मित्र ने चेतावनी दी है कि अगर वामनघाटा में हिंसा हुई तो इसके लिए माकपा जिम्मेवार होगी। सरकारकी कोई जिम्मेवार नहीं होगी।उन्होंने यह भी कहा कि युवाशक्ति के लिए अराबुल जलती हुई मशाल है । ऐसे नेता पर अगर हमला हुआ तो क्या हम लोग रसगुल्ला खाते रहेंगे?मालूम हो कि ज्योति प्रिय मल्लिक, पार्थ चटर्जी, शिशिर अधिकारी और फिरहाद हकीम जैसे मंत्री और नेता अपने कार्यकर्ताओं से माकपाइयों से निपटने का आह्वान करते रहे हैं। रही सही कसर आज मदन मित्र ने पूरी कर दी है। इससे पहले मछली भेड़ी से मंत्री बने दूसरे तृणमूल नेता ने सड़क पर माकपाइयों को धुन डालने की धमकी देते हैं।बुजुर्ग सांसद और उनके मंत्री विधायक सार्वजनिक तौर पर वामविरोधी युद्धघोषणा करते हैं। पंचायत चुनाव में वामपंथियों को एक इंच जगह न देने की जिद की वजह से दीदी बाहुबलियों की इतनी तरजीह दे रहे हैं।यह जिद इतनी प्रबल है कि अगले हफ्ते बेंगल लीड के जरिये बदहाल राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए निवेश जुटाने की प्रथमिकता भी दीदी भूल गयी हैं। दीदी की भूमि अधिग्रहण नीति से उद्योग जगत राज्य में पहले से ही निवेश के लिए तैयार नहीं है, विदेशी पूंजी निवेश के मामले में देश भर में सबस पीछे है बंगाल। अब दीदी की खुली शह पर अराबुल जैसे भेड़ी तत्वों की अगुवाई में रोज जो आग लग रही है, उसके धुंए में ही निवेश की संभावनाए गायब हो जाने की आशंका है। पर दीदी को इसकी परवाह नहीं है। तृकां का विरोध प्रदर्शन ऐसे मौके पर हो रहा है, जब 15-17 जनवरी के बीच उद्योगपतियों के साथ सरकार की बैठक प्रस्तावित है। राज्य सरकार की प्रतिक्रिया से गुस्साए विपक्ष के नेता सूर्यकांत मिश्र ने इस मामले में राज्यपाल से हस्तक्षेप किए जाने की मांग की है।
विख्यात कवि शंख घोष ने राजनीति के अपराधीकरण के खिलाफ ममता दीदी को चेतावनी देते हुए कहा कि इसे अभी रोकना जरुरी है।उन्होंने अराबुल जैसे तत्वों पर तुरंत अंकुश लगाने के लिए मुख्यमंत्री से अपील की है। जिस पर मुख्यमंत्री ने जाहिर है कि कोई ध्यान नहीं दिया।अराबुल की अगुवाई में हुए हमले में जख्मी रेज्जाक मोल्ला को उनकी रीढ़ की हड्डी में चोट होने के बावजूद अस्पताल से जबरन रिहा कराने की भी कोशिश हुई।सीपीएम का आरोप है कि मोल्लाह पर अरबुल इस्लाम और उनके समर्थकों द्वारा हमला उस समय किया गया जब पार्टी ऑफिस जा रहे थे। यह भी कहा गया कि उनके चेहरे पर गंभीर चोटें आईं।दोनों पार्टियों के बीच तनाव तब हुआ जब कल दक्षिण 24 परगना जिले के कांटाताल में मोल्लाह पर हुए हमले का आरोप टीएमसी समर्थकों पर लगा।
पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने वरिष्ठ माकपा नेता अब्दुर रज्जाक मुल्ला पर हमले की निंदा करते हुए आज कहा कि हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है और अमन-शांति बनाए रखी जानी चाहिए।चटर्जी ने यहां एक निजी अस्पताल में मुल्ला से मुलाकात के बाद कहा, ''इस तरह की घटनाएं चिंताजनक हैं। हम शांति चाहते हैं। हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है।'' मुल्ला पश्चिम बंगाल में दक्षिण 24 परगणा के कांटाटोला में हिंसा में घायल हो गए। माकपा इस हिंसा के लिए तृणमूल कांग्रेस को जिम्मेदार बता रही है जबकि तृणमूल इससे इनकार कर रही है।
माकपा के जमाने में भी मछली भेड़ी पर नियंत्रण रखने वाले मजीद मास्टर नब्वे के दशक में उत्तर २४ परगना के शासन इलाके को मुक्तांचल बना रखा था। पूरे राज्य में ज्योति बसु का राज चलता था, लोकिन शासन में मजीद मास्टार का ही शासन था। तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री पुलिसिया मदद के बावजूद शासन में घुस नहीं पाये थे। पर मजीद मास्टर शासन तक ही सीमित थे। लेकिन इसके उलट एक के बाद एक अपराधिक मामलों में उलझने वाले अराबुल को दीदी की पार्टी और सरकार युवाशक्ति का प्रतीक बनाये हुए हैं।
तृणमूल कांग्रेस और वाममोर्चा जहां सड़क पर निपटने की कवायद में लगे हैं, वहीं भाजपा ने राज्यपाल से मिलकर भांगड़ को उपद्रवग्रस्त इलाका घोषित करके वहां सेना भेजने की मांग की है। कांग्रेस जो कल तक दीदी के साथ सत्ता में साझेदार थी, ने केंद्र से पर्यवेक्षक दल बुलाने की मांग की है। केंद्र की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ दीदी का एफडीआई जिहाद हाशिये पर चला गया है। वाममोर्चा भी खोयी हुई जमीन वापस पाने पर ध्यान केंद्रित किये हुए हैं। हमला, जवाबी हमला, जुलूस जवाबी जुलूस की दिनचर्या शुरु हो गया है और राजनीतिक संघर्ष जो विधानसभा चुनावों के बाद शुरु हो गया था, शक्ति परीक्षण और जनाधार छीनने का खेल बन गया है। जनसरोकार हैं ही नहीं। आज ही रेलवे किराये में वृद्धि की घोषणा हुई, पर किसी पक्ष ने इसके खिलाफ किसी कार्यक्रम की घोषणा नहीं की है।रेल किरायों पर होहल्ला करने वाली तृणमूल कांग्रेस ने केंद्र में सत्तारूढ़ संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) से नाता तोड़ा और सरकार को रेल किराये बढ़ाने का मौका मिल गया। तकरीबन एक दशक बाद आज सरकार ने सभी श्रेणियों के रेल किराये बढ़ाने का ऐलान कर दिया। रेल बजट आने से पहले ही किराये में इजाफे के इस कदम से सरकार को आगे काफी आसानी होगी। बढ़े किराये 21 जनवरी से लागू होंगे। रेलवे इससे पहले वातानुकूलित श्रेणी में चेयर कार, फस्र्ट और सेकंड टियर के किराये में इसी वित्त वर्ष के दौरान बढ़ोतरी कर चुका है। लेकिन अन्य श्रेणियों के यात्री किरायों में इस साल पहली बढ़ोतरी है।गौरतलब है कि रेल भाड़ा बढ़ाने के खिलाफ अपनी ही पार्टी के तत्कालीन रेलमंत्री दिनेश त्रिवेदी को हटा दिया था दीदी ने। जिसे लेकर बहुचर्चित कार्टून प्रकरण अभी तल ही रहा है।
केंद्रीय रेल मंत्री पवन बंसल ने रेल बजट से पहले ही रेल किराए में बढ़ोत्तरी का ऐलान कर दिया। रेल किराए में 2 पैसे प्रति किमी से 10 पैसे प्रति किमी तक की बढ़ोत्तरी की है। नए रेल किराए की दरें 21 जनवरी से लागू हो जाएंगी। ऐसे में लोगों को दिल्ली से मुंबई जाना या फिर किसा और जगह जाना काफी महंगा पड़ेगा।ऐसे में अगर आपने स्लीपर क्लास का टिकट लिया है तो पहले आपको इसके लिए 378 रुपए देने पड़ते थे। लेकिन अब ये 465 रुपए का पड़ेगा। यानि तकरीबन 87 रुपए महंगा। अगर आपने दिल्ली से मुंबई के लिए एसी थ्री का टिकट लिया तो पहले ये आपको 1247 रुपए का पड़ता था। लेकिन अब ये 1450 रुपए का पड़ेगा। यानि 203 रुपए की भारी भरकम बढ़ोतरी।इस पर तुर्रा यह कि रेल मंत्री पवन बंसल का कहना है कि जनता इस बढ़े हुए किराए का बुरा नहीं मानेगी। बढ़े किराए के जरिए जनता को अच्छी सर्विस दी जाएगी। और जनता उनकी अच्छी सर्विस देखकर उन्हें ही वोट देगी।
रेल किराए में हुई वृद्धि पर पूर्व रेल मंत्री व तृणमूल कांग्रेस के नेता मुकुल रॉय ने कहा, 'रेलवे के राजस्व को बढ़ाने के अन्य तरीके भी हैं, लेकिन उपायों पर न जाकर सरकार ने कोष बढ़ाने का आसान तरीका अपनाया. इससे आम जन पर बोझ बढ़ेगा।
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सरकार की नीयत पर सवाल खड़े करते हुए रॉय ने कहा, 'वे जानते हैं कि संसद में उनके पास संख्या नहीं है, इसलिए संसद को नजरअंदाज कर बजट से पहले उन्होंने रेल किराए में बढ़ोत्तरी की। यह आम लोगों के हितों के खिलाफ है. रेलवे आम आदमी के लिए परिवहन का सबसे लोकप्रिय माध्यम है।'
दक्षिण 24 परगना जिले में मंगलवार को माकपा व सत्तारूढ तृणमूल कांग्रेस समर्थकों के बीच हुई हिंसक झड़प पुलिस ने करीब 90 लोगों को गिरफ्तार किया। पुलिस ने हथियार व बम भी जब्त किए हैं। जिला पुलिस अधीक्षक प्रवीण त्रिपाठी ने बताया कि 16 लोगों को मंगलवार को ही गिरफ्तार किया गया था।
रविवार को भांगड़ में माकपा विधायक अब्दुर्रज्जाक मोल्ला पर हुए हमले के 48 घंटा के भीतर ही मंगलवार दोपहर बामनघाटा में वाममोर्चा के जुलूस पर बमबाजी व गोली दागने का मामला प्रकाश में आया था। इसके बाद पुलिस ने किरकिरी से बचने के लिए मंगलवार की रात भांगड़-कैनिंग, कोलकाता लेदर कॉम्पलैक्स इलाके में अभियान तलाशी अभियान चलाया। इसमें 41 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इसके अलावा सतर्कता के मद्देनजर करीब 50 और लोगों की गिरफ्तारी की सूचना है। 22 के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है। तलाशी अभियान के दौरान छह बंदूकें, ढेर सारे कारतूस व दस बम बरामद किया गया है। पुलिस की कार्रवाई को लेकर कई सवाल उठाए जा रहे हैं। माकपा का आरोप है कि पुलिस तृणमूल समर्थकों को नहीं माकपा कार्यकर्ता और समर्थकों को परेशान कर रही है।
दक्षिणी 24 परगना जिले के बामनघाटा में तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने वाम कार्यकर्ताओं पर हमला किया और कई वाहनों को आग लगा दी। राजनीतिक टकराव में माकपा के 3 कार्यकर्ता गोलियों से घायल हो गए हैं, जबकि कई अन्य कार्यकर्ता भी घायल हुए हैं। सीपीएम के सैकड़ों कार्यकर्ता अपने सीनियर नेता और राज्य के पूर्व मंत्री अब्दुल रज्जाक मौल्लाह पर हुए हमले में टीएमसी नेता अराबुल इस्लाम के कथित रूप से शामिल होने का आरोप के चलते गिरफ्तारी की मांग को लेकर रैली कर रहे थे।जब रैली दक्षिण 24 परगना जिले के बामनघाटा से गुजर रही थी तब हथियार बंद लोगों का एक ग्रुप ने प्रदर्शनकारियों पर हमला कर दिया और कई राउंड गोली फायरिंग की। जिसमें सीपीएम के कई कार्यकर्ता घायल हो गए।
प्रदर्शन से लेफ्ट कार्यकर्ताओं को दूर रखने के लिए हमलावरों ने कई पब्लिक ट्रांसपोर्ट, बस और सरकारी संपत्ति में आग लगा दी। सीपीएम ने आरोपी को गिरफ्तार करने की डेडलाइन खत्म होने के आज विशाल रैली का आयोजन किया था। लेफ्ट नेताओं ने पहले ही पश्चिम बंगाल में टीएमसी के हिंसा के खिलाफ सभी लोकतांत्रिक नेताओं से विरोध करने की अपील की थी।
माकपा नेता एवं पूर्व मंत्री कांति गांगुली ने बताया कि यह हमला उस समय हुआ जब वाम कार्यकर्ता मार्क्सवादी नेता अब्दुर रजाक मुल्ला पर हमले के विरोध में आयोजित रैली में शामिल होने जा रहे थे। गांगुली ने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने वाम समर्थकों पर हमला किया और उनके आठ वाहनों को आग लगा दी। वाम सूत्रों ने यह भी दावा किया कि तीन लोगों को गोली लगी और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
माकपा ने आरोप लगाया कि रविवार को मुल्ला पर हमला करने वालों का नेतृत्व तृणमूल कांग्रेस नेता अराबुल इस्लाम कर रहे थे। उधर, इस्लाम ने आरोप लगाया कि मार्क्सवादी कार्यकर्ताओं ने उनकी कार पर कथित तौर पर गोलीबारी की और तृणमूल कार्यकर्ताओं ने उन्हें बचाया। पुलिस अधीक्षक प्रवीण त्रिपाठी ने स्वीकार किया कि कुछ घटनाएं हुई हैं, लेकिन तत्काल ब्योरा नहीं दे सके।हालांकि, टीएमसी नेता अरबुल इस्लाम ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा, उसकी कार में सीपीएम कार्यकर्ताओं ने आग लगा दी। वे लोग मेरी हत्या करना चाहते थे उसने मुझे गिरा दिया। उस दरम्यान मेरी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने मुझे बचाया।पुलिस अधीक्षक प्रवीण त्रिपाठी से जब घटना के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि छिटपुट घटनाएं हुईं हैं। लेकिन उन्होंने ज्यादा कुछ नहीं बताया।
यह घटना तब हुई, जब कथित रूप से तृकां कार्यकर्ताओं ने वाम समर्थकों को ले जा रहे वाहन को रोक लिया। माकपा नेता रज्जाक मुल्ला पर पर हुए कथित हमले के विरोध में यह रैली आयोजित की गई थी। आरोप है कि तृकां विधायक अरबुल इस्लाम ने पूर्व राज्यमंत्री पर हमला किया था। विपक्षी दल ने आरोप लगाए हैं कि 24 परगना के बामनघाटा के नजदीक आज हुई हिंसा में भी इस्लाम का हाथ है और उनके नेतृत्त्व में माकपा समर्थकों पर गोलीबारी की गई।
माकपा नेता मोहम्मद सलीम ने कहा, 'गोलियों से घायल तीन लोगों की स्थिति नाजुक है। इसके अलावा कई अन्य लोग घायल हुए हैं और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। प्रशासन या तृकां की ओर से इस घटना के विरोध में एक भी शब्द नहीं कहा गया है। यह दिखाता है कि उन्हें ऊपर से समर्थन मिला हुआ है।' इस टकराव में करीब 10 वाहन भी जला दिए गए हैं।
अरबुल इस्लाम भी हिंसा के बाद अस्पताल में भर्ती हैं। बहरहाल उन्होंने आरोपों का खंडन किया है। उनके पुत्र हकीबुल इस्लाम ने दावा किया कि माकपा ने अरबुल इस्लाम पर हमला किया है।
इस हिंसा के बाद बुखार से जूझ रही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राइटर्स बिल्डिंग में आपात बैठक बुलाई, जिसमें कैबिनेट मंत्री, सचिव, राज्य केडीजीपी और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी शामिल हुए।
बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में पश्चिम बंगाल के उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी ने भी हिंसा के लिए विपक्ष को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, 'माकपा राज्य में कानून व्यवस्था के संकट पैदा करना चाहती है। मीडिया से जुड़ा एक वर्ग भी इसमें शामिल है। इसके विरोध में हम 10-18 जनवरी तक विरोध प्रदर्शन करेंगे। आज कुछ हथियारबंद माकपा कार्यकर्ताओं ने अरबुल इस्लाम पर हमला किया। उनके साथ हमारे 10 कार्यकर्ता अस्पताल में भर्ती हैं।'
पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने राज्य में होने जा रहे पंचायत चुनाव से पहले आज माकपा कार्यकर्ताओं से नंदीग्राम सहित अन्य स्थानों पर हमलों के आगे समर्पण नहीं करने को कहा। उन्होंने दावा किया कि ममता बनर्जी की सरकार 'नाकाम' हो गई है।
माकपा नेता ने नंदीग्राम के पास एक कृषक सभा में कहा, 'तृणमूल कांग्रेस नंदीग्राम सहित विभिन्न स्थानों पर हमारे कार्यकर्ताओं पर हमले कर रही है। हमारी पार्टी के कार्यालय पर हमले किये जा रहे हैं और कब्जा किया जा रहा है। पंचायत कोष के धन का गबन हो रहा है। क्या हम इसे स्वीकार करें? हम इसे खत्म होते देखना चाहते हैं।'
उन्होंने आगे की डगर कठिन होने की बात स्वीकार करते हुए कहा, 'तृणमूल कांग्रेस सरकार पिछले 19 महीने में अपने कार्य का प्रदर्शन करने में नाकाम रही है और झूठे वादे कर रही है। हमें हर तबके तक पहुंचना होगा।' पूर्व मुख्यमंत्री ने गुजरे हुए समय को याद करते हुए कहा कि राज्य की वाम मोर्चा सरकार नंदीग्राम में एक और हल्दिया बनाना चाहती थी लेकिन लोगों के विरोध के चलते वह इस पर आगे नहीं बढ़ सकी।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी यह कहते नहीं थकती हैं कि हमारी पार्टी गरीबों की आवाज है। उन्होंने केंद्र की यूपीए सरकार से समर्थन भी इसी का हवाला देकर लिया था। दूसरी तरफ तृणमूल कांग्रेस के नेता पार्टी के स्थापना दिवस पर छोटे कपड़ों में नाच रहीं डांसरों पर नोट बरसाते नजर आए। कोलकाता के पास दक्षिण 24 परगना जिले में तृणमूल कांग्रेस के स्थापना दिवस समारोह में पार्टी नेताओं ने अश्लील डांस का आयोजन करवाया था।
तृणमूल कांग्रेस के स्थानीय नेता और जिला परिषद मेंबर मीर तहर अली ने डांसरों पर जमकर पैसे लुटाए। सिर्फ तहर अली ही नहीं इस प्रोग्राम में पार्टी के कई और स्थानीय नेता भी मौजूद थे। एक जनवरी को तृणमूल कांग्रेस का स्थापना दिवस समारोह आयोजित किया जाता है। कोलकाता के पास 24 परगना जिले के बांगर में भी मंगलवार रात स्थापना दिवस समारोह का आयोजन किया गया था। नेताओं पर डांस का नशा इस कदर हावी हुआ कि डांसरों पर नोटों की बारिश कर दी। तृणमूल कांग्रेस का यह आयोजन पुलिस थाने के सामने किया गया था।
टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि पार्टी के 16वें स्थापना दिवस पर प्रदेश भर में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए थे। इस मौके पर भांगड़ में अश्लील डांस और नोट लुटाने की खबर है। यदि इसमें पार्टी कार्यकर्ताओं के शामिल होने की बात सही है तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। ब्रायन ने कहा कि हमारी पार्टी लिंग भेद को बर्दाश्त नहीं करती है। इस घटना के बाद उन लोगों की पहचान कर रहे हैं जो इसमें शामिल थे। इस घटना से पार्टी के बारे में मीडिया कोई भी राय बनाने की जल्दीबाजी न करे। राष्ट्रीय महिला आयोग की चेयरपर्सन ममता शर्मा ने इस घटना को बेहद शर्मनाक करार दिया है।
पलाश विश्वास
बंगाल में आज पिछले दस सालों में सबसे सर्द दिन रहा। पर अब पूरा बंगाल चूंकि मछलीभेड़ी में तब्दील है और भेड़ी दखल की खूनी लड़ाई न सिरफ राजनीति बल्कि बंगसंस्कृति बन गयी है। इसलिए राजनीतिक तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है और उमस में झुलसने लगा है जनमानस, जो पक्ष विपक्ष में विभाजित लहूलुहान है।पश्चिम बंगाल के 24 परगना के जिले में राज्य की सत्तारूढ पार्टी तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता और मुख्य विपक्षी पार्टी भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के कार्यकर्ता आपस में भिड़ गए। जिससे पश्चिम बंगाल में कानून और व्यवस्था बिगड़ गई है। इससे पहले बंगाल विधानसभा में उस समय अराजक माहौल पैदा हो गया, जब वाम मोर्चा और सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों के बीच शुरू हुई हाथापाई ने हिंसक रूप ले लिया। मारपीट में तीन विधायक घायल हो गए, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अन्य तीन विधायकों को सदन से निलम्बित कर दिया गया है।
मछली भेड़ी के नियंत्रक बाहुबली अब बंगाल के राजनीतिक भविष्य तय करने लगे हैं। जनांदोलन के जरिये बंगाल में माकपाई पार्टीबद्ध गेस्टापो और हर्मादवाहिनी को खदेड़कर नरसंहार संस्कृति के सफाये के वायदे के साथ में आयी अग्निकन्या को अपने बाहुबली सिपाहसलार के बचाव के लिए अस्वस्थता के बावजूद राइटर्स में आकर मंत्रियों की बैठक में रणनीति तैयार करनी पड़ रही। हैवीवेट मंत्रियों को माकपा विधायक रेज्जाक अली मोल्ला पर हमले के बाद युद्धस्थल में तब्दील भांगड़ के वामनघाटा में भेजना पड़ा, जहां परिवहन मंत्री धमकी देते हैं कि मारपा के सफाये के लिए पांच मिनट नहीं लगेंगे।मदन मित्र ने चेतावनी दी है कि अगर वामनघाटा में हिंसा हुई तो इसके लिए माकपा जिम्मेवार होगी। सरकारकी कोई जिम्मेवार नहीं होगी।उन्होंने यह भी कहा कि युवाशक्ति के लिए अराबुल जलती हुई मशाल है । ऐसे नेता पर अगर हमला हुआ तो क्या हम लोग रसगुल्ला खाते रहेंगे?मालूम हो कि ज्योति प्रिय मल्लिक, पार्थ चटर्जी, शिशिर अधिकारी और फिरहाद हकीम जैसे मंत्री और नेता अपने कार्यकर्ताओं से माकपाइयों से निपटने का आह्वान करते रहे हैं। रही सही कसर आज मदन मित्र ने पूरी कर दी है। इससे पहले मछली भेड़ी से मंत्री बने दूसरे तृणमूल नेता ने सड़क पर माकपाइयों को धुन डालने की धमकी देते हैं।बुजुर्ग सांसद और उनके मंत्री विधायक सार्वजनिक तौर पर वामविरोधी युद्धघोषणा करते हैं। पंचायत चुनाव में वामपंथियों को एक इंच जगह न देने की जिद की वजह से दीदी बाहुबलियों की इतनी तरजीह दे रहे हैं।यह जिद इतनी प्रबल है कि अगले हफ्ते बेंगल लीड के जरिये बदहाल राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए निवेश जुटाने की प्रथमिकता भी दीदी भूल गयी हैं। दीदी की भूमि अधिग्रहण नीति से उद्योग जगत राज्य में पहले से ही निवेश के लिए तैयार नहीं है, विदेशी पूंजी निवेश के मामले में देश भर में सबस पीछे है बंगाल। अब दीदी की खुली शह पर अराबुल जैसे भेड़ी तत्वों की अगुवाई में रोज जो आग लग रही है, उसके धुंए में ही निवेश की संभावनाए गायब हो जाने की आशंका है। पर दीदी को इसकी परवाह नहीं है। तृकां का विरोध प्रदर्शन ऐसे मौके पर हो रहा है, जब 15-17 जनवरी के बीच उद्योगपतियों के साथ सरकार की बैठक प्रस्तावित है। राज्य सरकार की प्रतिक्रिया से गुस्साए विपक्ष के नेता सूर्यकांत मिश्र ने इस मामले में राज्यपाल से हस्तक्षेप किए जाने की मांग की है।
विख्यात कवि शंख घोष ने राजनीति के अपराधीकरण के खिलाफ ममता दीदी को चेतावनी देते हुए कहा कि इसे अभी रोकना जरुरी है।उन्होंने अराबुल जैसे तत्वों पर तुरंत अंकुश लगाने के लिए मुख्यमंत्री से अपील की है। जिस पर मुख्यमंत्री ने जाहिर है कि कोई ध्यान नहीं दिया।अराबुल की अगुवाई में हुए हमले में जख्मी रेज्जाक मोल्ला को उनकी रीढ़ की हड्डी में चोट होने के बावजूद अस्पताल से जबरन रिहा कराने की भी कोशिश हुई।सीपीएम का आरोप है कि मोल्लाह पर अरबुल इस्लाम और उनके समर्थकों द्वारा हमला उस समय किया गया जब पार्टी ऑफिस जा रहे थे। यह भी कहा गया कि उनके चेहरे पर गंभीर चोटें आईं।दोनों पार्टियों के बीच तनाव तब हुआ जब कल दक्षिण 24 परगना जिले के कांटाताल में मोल्लाह पर हुए हमले का आरोप टीएमसी समर्थकों पर लगा।
पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने वरिष्ठ माकपा नेता अब्दुर रज्जाक मुल्ला पर हमले की निंदा करते हुए आज कहा कि हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है और अमन-शांति बनाए रखी जानी चाहिए।चटर्जी ने यहां एक निजी अस्पताल में मुल्ला से मुलाकात के बाद कहा, ''इस तरह की घटनाएं चिंताजनक हैं। हम शांति चाहते हैं। हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है।'' मुल्ला पश्चिम बंगाल में दक्षिण 24 परगणा के कांटाटोला में हिंसा में घायल हो गए। माकपा इस हिंसा के लिए तृणमूल कांग्रेस को जिम्मेदार बता रही है जबकि तृणमूल इससे इनकार कर रही है।
माकपा के जमाने में भी मछली भेड़ी पर नियंत्रण रखने वाले मजीद मास्टर नब्वे के दशक में उत्तर २४ परगना के शासन इलाके को मुक्तांचल बना रखा था। पूरे राज्य में ज्योति बसु का राज चलता था, लोकिन शासन में मजीद मास्टार का ही शासन था। तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री पुलिसिया मदद के बावजूद शासन में घुस नहीं पाये थे। पर मजीद मास्टर शासन तक ही सीमित थे। लेकिन इसके उलट एक के बाद एक अपराधिक मामलों में उलझने वाले अराबुल को दीदी की पार्टी और सरकार युवाशक्ति का प्रतीक बनाये हुए हैं।
तृणमूल कांग्रेस और वाममोर्चा जहां सड़क पर निपटने की कवायद में लगे हैं, वहीं भाजपा ने राज्यपाल से मिलकर भांगड़ को उपद्रवग्रस्त इलाका घोषित करके वहां सेना भेजने की मांग की है। कांग्रेस जो कल तक दीदी के साथ सत्ता में साझेदार थी, ने केंद्र से पर्यवेक्षक दल बुलाने की मांग की है। केंद्र की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ दीदी का एफडीआई जिहाद हाशिये पर चला गया है। वाममोर्चा भी खोयी हुई जमीन वापस पाने पर ध्यान केंद्रित किये हुए हैं। हमला, जवाबी हमला, जुलूस जवाबी जुलूस की दिनचर्या शुरु हो गया है और राजनीतिक संघर्ष जो विधानसभा चुनावों के बाद शुरु हो गया था, शक्ति परीक्षण और जनाधार छीनने का खेल बन गया है। जनसरोकार हैं ही नहीं। आज ही रेलवे किराये में वृद्धि की घोषणा हुई, पर किसी पक्ष ने इसके खिलाफ किसी कार्यक्रम की घोषणा नहीं की है।रेल किरायों पर होहल्ला करने वाली तृणमूल कांग्रेस ने केंद्र में सत्तारूढ़ संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) से नाता तोड़ा और सरकार को रेल किराये बढ़ाने का मौका मिल गया। तकरीबन एक दशक बाद आज सरकार ने सभी श्रेणियों के रेल किराये बढ़ाने का ऐलान कर दिया। रेल बजट आने से पहले ही किराये में इजाफे के इस कदम से सरकार को आगे काफी आसानी होगी। बढ़े किराये 21 जनवरी से लागू होंगे। रेलवे इससे पहले वातानुकूलित श्रेणी में चेयर कार, फस्र्ट और सेकंड टियर के किराये में इसी वित्त वर्ष के दौरान बढ़ोतरी कर चुका है। लेकिन अन्य श्रेणियों के यात्री किरायों में इस साल पहली बढ़ोतरी है।गौरतलब है कि रेल भाड़ा बढ़ाने के खिलाफ अपनी ही पार्टी के तत्कालीन रेलमंत्री दिनेश त्रिवेदी को हटा दिया था दीदी ने। जिसे लेकर बहुचर्चित कार्टून प्रकरण अभी तल ही रहा है।
केंद्रीय रेल मंत्री पवन बंसल ने रेल बजट से पहले ही रेल किराए में बढ़ोत्तरी का ऐलान कर दिया। रेल किराए में 2 पैसे प्रति किमी से 10 पैसे प्रति किमी तक की बढ़ोत्तरी की है। नए रेल किराए की दरें 21 जनवरी से लागू हो जाएंगी। ऐसे में लोगों को दिल्ली से मुंबई जाना या फिर किसा और जगह जाना काफी महंगा पड़ेगा।ऐसे में अगर आपने स्लीपर क्लास का टिकट लिया है तो पहले आपको इसके लिए 378 रुपए देने पड़ते थे। लेकिन अब ये 465 रुपए का पड़ेगा। यानि तकरीबन 87 रुपए महंगा। अगर आपने दिल्ली से मुंबई के लिए एसी थ्री का टिकट लिया तो पहले ये आपको 1247 रुपए का पड़ता था। लेकिन अब ये 1450 रुपए का पड़ेगा। यानि 203 रुपए की भारी भरकम बढ़ोतरी।इस पर तुर्रा यह कि रेल मंत्री पवन बंसल का कहना है कि जनता इस बढ़े हुए किराए का बुरा नहीं मानेगी। बढ़े किराए के जरिए जनता को अच्छी सर्विस दी जाएगी। और जनता उनकी अच्छी सर्विस देखकर उन्हें ही वोट देगी।
रेल किराए में हुई वृद्धि पर पूर्व रेल मंत्री व तृणमूल कांग्रेस के नेता मुकुल रॉय ने कहा, 'रेलवे के राजस्व को बढ़ाने के अन्य तरीके भी हैं, लेकिन उपायों पर न जाकर सरकार ने कोष बढ़ाने का आसान तरीका अपनाया. इससे आम जन पर बोझ बढ़ेगा।
'।
सरकार की नीयत पर सवाल खड़े करते हुए रॉय ने कहा, 'वे जानते हैं कि संसद में उनके पास संख्या नहीं है, इसलिए संसद को नजरअंदाज कर बजट से पहले उन्होंने रेल किराए में बढ़ोत्तरी की। यह आम लोगों के हितों के खिलाफ है. रेलवे आम आदमी के लिए परिवहन का सबसे लोकप्रिय माध्यम है।'
दक्षिण 24 परगना जिले में मंगलवार को माकपा व सत्तारूढ तृणमूल कांग्रेस समर्थकों के बीच हुई हिंसक झड़प पुलिस ने करीब 90 लोगों को गिरफ्तार किया। पुलिस ने हथियार व बम भी जब्त किए हैं। जिला पुलिस अधीक्षक प्रवीण त्रिपाठी ने बताया कि 16 लोगों को मंगलवार को ही गिरफ्तार किया गया था।
रविवार को भांगड़ में माकपा विधायक अब्दुर्रज्जाक मोल्ला पर हुए हमले के 48 घंटा के भीतर ही मंगलवार दोपहर बामनघाटा में वाममोर्चा के जुलूस पर बमबाजी व गोली दागने का मामला प्रकाश में आया था। इसके बाद पुलिस ने किरकिरी से बचने के लिए मंगलवार की रात भांगड़-कैनिंग, कोलकाता लेदर कॉम्पलैक्स इलाके में अभियान तलाशी अभियान चलाया। इसमें 41 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इसके अलावा सतर्कता के मद्देनजर करीब 50 और लोगों की गिरफ्तारी की सूचना है। 22 के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है। तलाशी अभियान के दौरान छह बंदूकें, ढेर सारे कारतूस व दस बम बरामद किया गया है। पुलिस की कार्रवाई को लेकर कई सवाल उठाए जा रहे हैं। माकपा का आरोप है कि पुलिस तृणमूल समर्थकों को नहीं माकपा कार्यकर्ता और समर्थकों को परेशान कर रही है।
दक्षिणी 24 परगना जिले के बामनघाटा में तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने वाम कार्यकर्ताओं पर हमला किया और कई वाहनों को आग लगा दी। राजनीतिक टकराव में माकपा के 3 कार्यकर्ता गोलियों से घायल हो गए हैं, जबकि कई अन्य कार्यकर्ता भी घायल हुए हैं। सीपीएम के सैकड़ों कार्यकर्ता अपने सीनियर नेता और राज्य के पूर्व मंत्री अब्दुल रज्जाक मौल्लाह पर हुए हमले में टीएमसी नेता अराबुल इस्लाम के कथित रूप से शामिल होने का आरोप के चलते गिरफ्तारी की मांग को लेकर रैली कर रहे थे।जब रैली दक्षिण 24 परगना जिले के बामनघाटा से गुजर रही थी तब हथियार बंद लोगों का एक ग्रुप ने प्रदर्शनकारियों पर हमला कर दिया और कई राउंड गोली फायरिंग की। जिसमें सीपीएम के कई कार्यकर्ता घायल हो गए।
प्रदर्शन से लेफ्ट कार्यकर्ताओं को दूर रखने के लिए हमलावरों ने कई पब्लिक ट्रांसपोर्ट, बस और सरकारी संपत्ति में आग लगा दी। सीपीएम ने आरोपी को गिरफ्तार करने की डेडलाइन खत्म होने के आज विशाल रैली का आयोजन किया था। लेफ्ट नेताओं ने पहले ही पश्चिम बंगाल में टीएमसी के हिंसा के खिलाफ सभी लोकतांत्रिक नेताओं से विरोध करने की अपील की थी।
माकपा नेता एवं पूर्व मंत्री कांति गांगुली ने बताया कि यह हमला उस समय हुआ जब वाम कार्यकर्ता मार्क्सवादी नेता अब्दुर रजाक मुल्ला पर हमले के विरोध में आयोजित रैली में शामिल होने जा रहे थे। गांगुली ने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने वाम समर्थकों पर हमला किया और उनके आठ वाहनों को आग लगा दी। वाम सूत्रों ने यह भी दावा किया कि तीन लोगों को गोली लगी और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
माकपा ने आरोप लगाया कि रविवार को मुल्ला पर हमला करने वालों का नेतृत्व तृणमूल कांग्रेस नेता अराबुल इस्लाम कर रहे थे। उधर, इस्लाम ने आरोप लगाया कि मार्क्सवादी कार्यकर्ताओं ने उनकी कार पर कथित तौर पर गोलीबारी की और तृणमूल कार्यकर्ताओं ने उन्हें बचाया। पुलिस अधीक्षक प्रवीण त्रिपाठी ने स्वीकार किया कि कुछ घटनाएं हुई हैं, लेकिन तत्काल ब्योरा नहीं दे सके।हालांकि, टीएमसी नेता अरबुल इस्लाम ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा, उसकी कार में सीपीएम कार्यकर्ताओं ने आग लगा दी। वे लोग मेरी हत्या करना चाहते थे उसने मुझे गिरा दिया। उस दरम्यान मेरी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने मुझे बचाया।पुलिस अधीक्षक प्रवीण त्रिपाठी से जब घटना के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि छिटपुट घटनाएं हुईं हैं। लेकिन उन्होंने ज्यादा कुछ नहीं बताया।
यह घटना तब हुई, जब कथित रूप से तृकां कार्यकर्ताओं ने वाम समर्थकों को ले जा रहे वाहन को रोक लिया। माकपा नेता रज्जाक मुल्ला पर पर हुए कथित हमले के विरोध में यह रैली आयोजित की गई थी। आरोप है कि तृकां विधायक अरबुल इस्लाम ने पूर्व राज्यमंत्री पर हमला किया था। विपक्षी दल ने आरोप लगाए हैं कि 24 परगना के बामनघाटा के नजदीक आज हुई हिंसा में भी इस्लाम का हाथ है और उनके नेतृत्त्व में माकपा समर्थकों पर गोलीबारी की गई।
माकपा नेता मोहम्मद सलीम ने कहा, 'गोलियों से घायल तीन लोगों की स्थिति नाजुक है। इसके अलावा कई अन्य लोग घायल हुए हैं और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। प्रशासन या तृकां की ओर से इस घटना के विरोध में एक भी शब्द नहीं कहा गया है। यह दिखाता है कि उन्हें ऊपर से समर्थन मिला हुआ है।' इस टकराव में करीब 10 वाहन भी जला दिए गए हैं।
अरबुल इस्लाम भी हिंसा के बाद अस्पताल में भर्ती हैं। बहरहाल उन्होंने आरोपों का खंडन किया है। उनके पुत्र हकीबुल इस्लाम ने दावा किया कि माकपा ने अरबुल इस्लाम पर हमला किया है।
इस हिंसा के बाद बुखार से जूझ रही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राइटर्स बिल्डिंग में आपात बैठक बुलाई, जिसमें कैबिनेट मंत्री, सचिव, राज्य केडीजीपी और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी शामिल हुए।
बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में पश्चिम बंगाल के उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी ने भी हिंसा के लिए विपक्ष को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, 'माकपा राज्य में कानून व्यवस्था के संकट पैदा करना चाहती है। मीडिया से जुड़ा एक वर्ग भी इसमें शामिल है। इसके विरोध में हम 10-18 जनवरी तक विरोध प्रदर्शन करेंगे। आज कुछ हथियारबंद माकपा कार्यकर्ताओं ने अरबुल इस्लाम पर हमला किया। उनके साथ हमारे 10 कार्यकर्ता अस्पताल में भर्ती हैं।'
पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने राज्य में होने जा रहे पंचायत चुनाव से पहले आज माकपा कार्यकर्ताओं से नंदीग्राम सहित अन्य स्थानों पर हमलों के आगे समर्पण नहीं करने को कहा। उन्होंने दावा किया कि ममता बनर्जी की सरकार 'नाकाम' हो गई है।
माकपा नेता ने नंदीग्राम के पास एक कृषक सभा में कहा, 'तृणमूल कांग्रेस नंदीग्राम सहित विभिन्न स्थानों पर हमारे कार्यकर्ताओं पर हमले कर रही है। हमारी पार्टी के कार्यालय पर हमले किये जा रहे हैं और कब्जा किया जा रहा है। पंचायत कोष के धन का गबन हो रहा है। क्या हम इसे स्वीकार करें? हम इसे खत्म होते देखना चाहते हैं।'
उन्होंने आगे की डगर कठिन होने की बात स्वीकार करते हुए कहा, 'तृणमूल कांग्रेस सरकार पिछले 19 महीने में अपने कार्य का प्रदर्शन करने में नाकाम रही है और झूठे वादे कर रही है। हमें हर तबके तक पहुंचना होगा।' पूर्व मुख्यमंत्री ने गुजरे हुए समय को याद करते हुए कहा कि राज्य की वाम मोर्चा सरकार नंदीग्राम में एक और हल्दिया बनाना चाहती थी लेकिन लोगों के विरोध के चलते वह इस पर आगे नहीं बढ़ सकी।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी यह कहते नहीं थकती हैं कि हमारी पार्टी गरीबों की आवाज है। उन्होंने केंद्र की यूपीए सरकार से समर्थन भी इसी का हवाला देकर लिया था। दूसरी तरफ तृणमूल कांग्रेस के नेता पार्टी के स्थापना दिवस पर छोटे कपड़ों में नाच रहीं डांसरों पर नोट बरसाते नजर आए। कोलकाता के पास दक्षिण 24 परगना जिले में तृणमूल कांग्रेस के स्थापना दिवस समारोह में पार्टी नेताओं ने अश्लील डांस का आयोजन करवाया था।
तृणमूल कांग्रेस के स्थानीय नेता और जिला परिषद मेंबर मीर तहर अली ने डांसरों पर जमकर पैसे लुटाए। सिर्फ तहर अली ही नहीं इस प्रोग्राम में पार्टी के कई और स्थानीय नेता भी मौजूद थे। एक जनवरी को तृणमूल कांग्रेस का स्थापना दिवस समारोह आयोजित किया जाता है। कोलकाता के पास 24 परगना जिले के बांगर में भी मंगलवार रात स्थापना दिवस समारोह का आयोजन किया गया था। नेताओं पर डांस का नशा इस कदर हावी हुआ कि डांसरों पर नोटों की बारिश कर दी। तृणमूल कांग्रेस का यह आयोजन पुलिस थाने के सामने किया गया था।
टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि पार्टी के 16वें स्थापना दिवस पर प्रदेश भर में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए थे। इस मौके पर भांगड़ में अश्लील डांस और नोट लुटाने की खबर है। यदि इसमें पार्टी कार्यकर्ताओं के शामिल होने की बात सही है तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। ब्रायन ने कहा कि हमारी पार्टी लिंग भेद को बर्दाश्त नहीं करती है। इस घटना के बाद उन लोगों की पहचान कर रहे हैं जो इसमें शामिल थे। इस घटना से पार्टी के बारे में मीडिया कोई भी राय बनाने की जल्दीबाजी न करे। राष्ट्रीय महिला आयोग की चेयरपर्सन ममता शर्मा ने इस घटना को बेहद शर्मनाक करार दिया है।
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