प्लानिंग प्रक्रिया का उसकी सम्पूर्णता के परिपेक्ष में देखा जाना ज़रूरी है
addressed toसदस्य, म्यर उत्तराखंड, धुमाकोट/नैनीडांडा तथा इंटरनेट पर
उपलब्धदूसरे उत्तराखंडी ग्रुप कोचियार लाइब्रेरी की शुरुआत किसी प्लानिंग
प्रक्रिया से नहीं हुई. अपने आप शरू होती गई. विद्वान इस से जुड़ते गए.
राजनेता इस से जुड़ते गए. नए नए आयाम आते रहे. आज यह अकेली संस्था है जो ई
बिजनेस और आइ बिजनेस की बात कर रही है. कभी इस में धुमाकोट संगलिया
इंटरनेशनल ग्रुप सक्रिय था. आज फेस बुक सक्रिय है. अशोक शर्मा धुमाकोट
संगलिया इंटरनेशनल ग्रुप में सक्रिय थे. आज फेस बुक में भी सक्रिय हैं.
मेल: Date: Monday, 21 January, 2013बधाई हो नॉलेज कमीशन के पुत्रवान होने
की के सन्दर्भ में Ashok Sharma ने 'संघ परिवार' या 'शकुनि परिवार'. ग्रुप
में कहा Greetings, Congratulations and My Sincere Thanks to all members
who worked tirelessly all these years and wished to see this day. My
Special Regards & Profound thanks to Dr Ram Prasad ji who has kept
the Vision Clear and unavering in spite of many impassable hurdles and
unbridgeable gaps pushed it ahead through and through more particularly,
past 8 years!Warm RegardsAshok Sharma इसी मेल पर धरम जी ने जो
प्रतिक्रया भेजी थी उसकी चर्चा अगली मेल Tue, 22 Jan 2013 10:56:15 लगता
है कि नॉलेज कमीशन ज्ञान के ज्ञान के चक्कर में फंस गया है में की जा
चुकी है. धुमाकोट संगलिया इंटरनेशनल ग्रुप चर्चा में आ चुका है तो उन
लोगों की बात भी होनी चाहिए जिन्होंने कोचियार लाइब्रेरी की नींव रखी.
अशोक जी तो अपनी टिप्पणी द्वारा उपस्थित हो ही गए है. उस ग्रुप के सक्रिय
लोगों में शादी कटियाल है. हिंदी में अपने आप को व्यक्त नहीं कर पा रहे
हैं. मधु रयाला फेस बुक पर है. अरविन्द अमीन भी हिंदी नहीं जानते. अब
उतने सक्रिय भी नहीं हैं. पर गोपियो से संपर्क हो जाने के बाद धुमाकोट
संगलिया ग्रुप की भूमिका भी कम हो गई है. धुमा कोट संगलिया इंटर नेशनल
ग्रुप में डाक्टर तडियाल, डाक्टर रूप भाकुनी और डाक्टर कैलाश जोशी की
भूमिका भी रही है. अब UANAगतिशील नहीं है जितना कभी था. मधु रयाला जी से
उनकी टक्कर भी हुई. रयाला जी उनसे उत्तराखंड के विकास में अधिक रुचि
चाहते थे. पर आज UANA फेस बुक पर है. खाड़ी के क्षेत्र में Uttrakhand
Welfare Association – uae फेस बुक पर है. यह असोसिएशन 2001 से काम कर
रहा है. फेस बुक पर प्रवासी ग्रुप Welfare Association of Uttarakhand
है. कल की मेल Date: Wednesday, 23 January,2013, 10:27 AM प्लान का
प्लान और गुठली के दाम के सन्दर्भ मेंNarendra Singh Kharayat ने Welfare
Association of Uttarakhandग्रुप में जिस अंश को चिन्हित किया वह हैहम
भारतीय मेहनत करना ही नहीं चाहते? मेरे ख्याल से तो ऐसा ही है। ,BSRawat
आगे की बहस जारी रखने से पहले इसी मेल पर आई डाक्टर बलबीर सिंह रावत की
नीचे दी जा रही पोस्टिंग का चर्चा में शामिल कर लेना ज़रूरी है: प्लान में
प्लान, सेज , संगलिया मेलें, खंड्युडी जी, तिवारी जी ,डा पन्त, पोलिटिकल
साइंस, सोशल पालिसी ,BRGF,इत्यादि इत्यादि और अंत में केवल लेंस नर्सरी
से ही निर्वान की प्राप्ति। एक आम में कितनी गुठलियाँ, कितने बीज और इन
में से कितने जम पाने की शक्ति रखते हैं, कोइ कह नहीं सकता। क्या हमारे
पास इतना समय है की एक एक करके परखेंगे की जो जैम गया है उस पर इच्छित फल
भी लगेगे, पूरी मात्र में और पूरे स्वाद के लगेनेगे या सालो प्रयोग के बाद,
फिर से से जीरो ग्राउंड पर वापस?प्लान बनाने में, प्रोजेक्ट बनाने में एक
मह्त्व पूर्ण आयाम होता है simulation technique जिसे वे ही इस्तेमाल कर
सकते हैं जिन्होंने पर्याप्त व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त किया हुआ हुआ है। हम
किस उद्देश्य/उद्देह्स्यों के लिए प्लान बना रहे है? केवल जीडीपी बढाने के
लिए? ( बिना संतुलित आय विस्तरंन व्यवस्था के एह आंकड़े आखों में धुल
झोंकने के अलावा और कुछ नहीं करते). केवल किसी की संतुष्टि के लिए ? काफी
हद तक यह भी सही है। जनता की आय, सुविधा , सुरक्षा, आर्थिक और आध्यात्मिक
विकास के लिए? होना तो यह ही चाहिए और हर प्लान का लिखित उद्द्येश्य यही
है। संबिधान में भी यही है।तो फिर कमी कहाँ है? जी हाँ , कमी है सही
सिमुलेशन में। कमी है सटीक सर्वेक्षण न होने में। कमी है निष्पक्ष हो कर
प्रार्थामिक्ताये निर्धारित करने में . कमी है समय पर सभी साधन प्रसाधन
जुटा कर सही संख्या में सही विशेषताओं और कार्य्कुय्शाल्ताओं के मानव
संसाधन को जिम्मेदारियां दने में। और कमी है लग्न, जुझारूपन और समाज के
भलके की भावनायों में। यानी प्लानिंग में ही कमी है , तो फिर गुठली से
कैसे ब्रिक्ष बनेगें और उन पर कैसे फल लगेनेगे, अनुमान लह्लागाने के लिए
कोइ सिमुलेशन तकनीक नहीं चाहिए, यह साफ़ साफ़ दिखता जा रहा है, के असरों से।
इस मामले में मेरा एक ही मानदंड है की पलायन कितना रुका ?BSR पलायन तो
तभी रुकता जब कि उत्तराखंड के पहाड़ी हिस्से में औद्योगिकीकरण की प्रक्रिया
शुरू हो जाती. प्रयास किये जाते रहे हैं पर फलीभूत नहीं हो रहे है. तिनके
एकत्रित करने से चटाई नहीं बन सकती. चटाई तो बुनी जाती है . रेशों की
बटाई होती है. फिर चटाई का ताना बना बुना जाता है . इसके लिए तिनके या
रेशे तो होने ही चाहिए .प्रयासों में कुछ कमी रह जाती है. जो कमी रह जाती
है या आती रहती है उसे लगातार दूर किया जाना या दूर किया जाने रहना
जरूरी है. इसका मतलब यह है कि आधी अधूरी प्लानिंग किसी काम की नहीं होती.
प्लान के सफल न होने को असफलता तभी माना जा सकता है जब कि असफलताओं को भी
संसाधन नहीं नहीं माना जाता. असफलताएं तो सही दिशा का मार्ग दर्शन करती
है. इसीलिए आजकल टोटल प्लानिंग पर जोर दिया जा रहा है. इस चर्चा को
नीचे दिए जा रही जानकारी का अवलोकन कर फ़िलहाल स्थगित करना सही रहेगा ताकि
प्लान के अंदर के प्लान पर चर्चा जारी राखी जा सके. उद्धहरण है five
parameters as the basic implementation standards:Development
PhilosophyTo be based on the Sustainable Development philosophy and the
Total Planning and Development Doctrine.Development StrategyDefine
development activity for all three islands which are development island,
resort island and marine park / protected island.Carrying CapacityA
development level that is allowed to ensure the environmental quality is
not threatened.Infrastructure FacilitiesPrimary basic facilities should
be provided, such as road system, transportation facility and drainage
system.Peace and Comfort of ResidentsProvision of prayer facilities,
public facilities, work facilities, commercial facilities, recreation
facilities and a clean environment.Planning Standards इस
भूमिका को सामने रख कर अब हम फिर से कल की मेल Date: Wednesday, 23
January, 2013, 10:27 AM प्लान का प्लान और गुठली के दाम पर वापस आ सकते
है. उस मेल का अंतिम पैराग्राफ थाइस प्रकार कोचियार लाइब्रेरी सीखती जाती
रही है. उसका एक मात्र मुद्दा है लेन्स नर्सरी प्रोजेक्ट का राज्य के
प्लान में रखा जाना. आम की गुठली खाई नहीं जाती. अगर उसके दाम भी मिल
जाते हैं तो इस से अच्छी बात क्या हो सकती है. आम का बीज तो गुठली है. उसी
से आम का वंश चलता है. आम वंश तो आज कल कलमों से भी चल रहा है. इस काम को
आदमी करता है प्रकृति तो गुठली से ही चलती आ रही थी. आदमी पहले प्लान
बनाता है और फिर उस पर काम करता है. धर्म जी प्लान के अंदर प्लान का मुद्दा
चर्चा में ले आये है. बहस आगे चलती रहेगी जैसे कोचियार लाइब्रेरी में होता
आया है धर्म जी तो कोचियार लाइब्रेरी की हर मेल को पढते हैं. अब तक की
अंतिम मेल पर भी उन के कमेन्ट आये हैं. पिछली मेल में मेल Date: Monday,
14 January, 2013, 9:17 AM आदिवासी बहक ही तो उत्तराखंड के पहाड़ी
हिस्से के औद्योगिकीकरण में बाधक है उन्होंने पहले भी मेल पर भी कमेन्ट
किया होगा. इस लिए अगली मेल भी चर्चा में हुई होगे. पर आज उस मेल को
दुबारा इस लिए देखा जा रहा है कि वहाँ हमें वह अंश मिलता है जिसका
सम्बन्ध अब तक की अंतिम मेल पर धरमजी द्वारा की गई पोस्टिंग से है. इस
लिए उनकी अंतिम पोस्टिंग पर चर्चा करने से पहले उस अंश को चर्चा में लाना
ज़रूरी है. वह अंश है: यहाँ पर कौन बनेगा करोडपति के ताजे एपिसोड पर नज़र
डाली जा सकती है. इस में बिहार की आदिम जाति मुसआहार को गरीबी का प्रतीक के
रूप में पेश किया गया. इंटरनेट कहता हैIt is learnt that Bachchan was
surprised and moved to hear about the plight of Musahar community in
Bihar, so named as they traditionally used to catch and eat rats. Both
Bachchan and Bajpayee were quite appreciative of the project launched by
SSS to provide quality education to the children of Musahar community
to empower them to compete with the best.The SSS was founded by JK
Sinha, an IPS officer who retired as special secretary in Research and
Analysis Wing (RAW). The organization had acquired two acres of land and
plans to construct a building to accommodate 500Musahar students
initially and up to 1,000 by 2020. It will have all the facilities
mandated by the Central Board of Secondary Education (CBSE), including
science and computer laboratories, libraries etc."You will be happy to
know that Amitabh Bachchan's KBC has done an episode for SSS. A student
of our school, Manoj Kumar, shared the hot seat with Manoj Bajpayee. Big
B was moved and was highly appreciative of the project. मूषाहार
प्रतिनिधि का “कौन बनेगा करोड़पति” के मंच पर आना और इस कम्यूनिटी का
बारहवी पञ्चबर्षीय योजना में शामिल किया जाना उस दबाव का आभास देता है जो
इस दिशा में किया गया. इंटरनेट बताता है Musahar Group in 12th Five-Year
Plan - An Initiative by Caritas IndiaWith the Indian economy growing at
around 9% per annum - it is unfortunately all too easy to forget that
the biggest and most intractable challenge faced by the country is
widespread poverty. And there are social group exist in India, who are
still extremely marginalized and vulnerable in many ways. Musahar is
such social group in the state of Bihar and Uttar Pradesh in India, who
is extremely isolated, both politically and socially, and even in terms
of habitation, being relegated to the outskirts of villages. In colonial
days, Musahars were tagged as a criminal community and ever since they
have been vulnerable targets as far as the police is concerned. They are
routinely rounded up whenever the police have to 'show' arrests.
Consequently, they have a fear of authority of any kind. They are listed
as a scheduled caste in Uttar Pradesh and Bihar, but socially are
relegated to the lowest rung among Dalits. Their representation in local
panchayats as well as in the Dalit movement is almost non-existent and
non-functional. Though eligible for several government welfare schemes,
the Musahars are either unaware of them or too timid to avail of them.
Consequently on all social parameters -- health, education, habitation,
employment, and food security -- they are among the most deprived.
Ninety per cent of children below the age of six suffered malnutrition.
Tuberculosis, rheumatic fever and encephalitis were common. धर्म जी
मूशाहार ग्रुप पर हुई बहस को चर्चा में लाए इस लिए तो कल की मेल के शीर्षक
में आम और उसकी गुठली चर्चा में आ गये. प्लान के अंदर प्लान तो इसलिए
प्लानिंग कमीशन की चर्चा में आया कि चर्चा विषय था कि मूषाहारों को
अतिरिक्त सुविधाएं कैसे दी जाएँThere is a gap in the on going development
and its impact in the lives of the Musahar group. At present Musahar
group comes under Schedule CasteCategory. Caritas India through its
intervention is making efforts in bridgingthis gap. Caritas India has
organized a consultation on 14th and15th October 2011 at Gorakhpur and
Patna respectively.The purpose of theconsultation was to come out with a
policy agenda and charter of demand for creating space for Musahar
group in 12th. Five Year Plan.Mr. Girish State Officer, Bihar Caritas
India welcomed the participants andbriefly introduced the purpose of the
consultation meeting. Jeetan RamManjhi, Minister SC & ST – Welfare,
Government of Bihar issued letter for theconsultation meeting, which
clearly indicative of the fact that there is an urgentneed to have an
inclusive growth plan for the Musahar. Mr. Prabhat Kumar,Director, SC/ST
Welfare and Mr. Indrajit Kumar, Asstt. Director, SC/STWelfare,
Government of Bihar also participated in the consultation and
sharedtheir viewpoints with state perspective.Mr. P.U. Francis Zonal
Manager (North), Caritas India, stated during hisopening remarks that
Musahar group being most excluded, is the first andforemost stakeholder
in our Endeavour in the state of Uttar Pradesh and Bihar and present
initiative is an attempt for creating space for Musahar group in the
12th Five Year Plan.Mr. Ashok Kumar Sinha, Development Consultant,
Caritas India explained thesocial exclusion issues in the recent
development context and clarified theneed for inclusive growth plan of
the Musahar Caste in the 12th Five Year Plan. Mr. Ashok shared about
Draft Paper – “Faster, Sustainable and More Inclusive Growth - An
Approach to the 12th Five Year Plan”. आदिवासी इलाकों में ईसाई मिशनरियां
सक्रिय है. काम करती है. वह काम उन्हें ताकत देता है कि वैसा कर पायें
जैसा कि मूषाहार कम्युनिटी के लिए किया जा रहा है. ऐसा ही काम लेंस
नर्सरी के मध्यम से उत्तराखंड के पहाड़ी हिस्से के औद्योगिकीकरण की दिशा
में किया जा रहा . रुकावट तो उत्तराखंड के स्तर पर हो रही है. दबाव लेंस
नर्सरी के स्टेट प्लान में रखे जाने के लिए किया जाना है. प्लानिंग कमीशन
के स्तर पर तो काम कब का हो चुका है राम प्रसाद
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