http://mohallalive.com/2012/04/20/sanjay-jha-mastan-react-on-seller-of-gandhi-memorial/
सिर्फ 8 लाख में बेच दी 64 सालों से संजोयी गांधी स्मृति!
20 APRIL 2012
♦ संजय झा मस्तान
1948में
जिस जगह महात्मा गांधी की हत्या हुई थी, वहां की खून से सनी घास और मिट्टी
आठ लाख रुपये में नीलाम की गयी। मुझे ये सुनकर बहुत आश्चर्य हुआ है और दुख
भरा क्रोध भी! इतने वर्षों से किसी ने खून से सना हुआ घास का वो तिनका
सहेज के रखा और उसे लंदन पहुंचा दिया बेचने के लिए?
चूंकि हत्या दिल्ली में हुई थी तो घास दिल्ली की ही होगी… खरीद से पहले बापू के खून की साक्ष्य जांच भी हुई होगी!
सोचता हूं चौसठ
साल बाद खून मिला है, क्या पता किसी के पास उनका कभी का वीर्य लगा धोती हो
या उनकी बकरी की खाल … कल किसी देश में वो भी बेची जाए… हम बेचने और
खरीदने वाले का क्या उखाड़ लेंगे?
उस वक्त न
तो सोशल मीडिया का फैशन था न टेलीविजन न कैमरा वाला मोबाइल… चारों तरफ
सिर्फ बापू थे! उनकी हत्या के दिन घटना स्थल पर से खून से सनी मिट्टी और
घास उठा के रखने वाले ने क्या सोचा होगा? उसने इतने सालों तक मरा हुआ खून
और घास क्यों सहेज के रखा? आठ लाख में उसे क्या खरीदना था, जो उसने अपनी
चौंसठ साल की तपस्या को भंग कर दिया?
आज लाखों
करोड़ों अरबों के घोटाले के बीच भी हमारे गरीब देश में आठ लाख बहुत सारा
रुपया होता है … आठ लाख में क्या पता किसी को अपने बेटे की पढ़ाई करवानी हो
या बेटी की शादी या इसे बेच के उस दूरदर्शी ने लंदन में बहुप्रचलित
‘बॉलीवुड’ की किसी फिल्म की हीरोइन का ब्रा और चड्डी खरीद लिया हो?
इन्वेस्टमेंट का दौर है और कौन क्या बेच, खरीद और जमा कर रहा है … क्या
पता?
(संजय झा मस्तान।
फिल्मकार। स्ट्रिंग्स, प्राण जाए पर शान न जाए और मुंबई चकाचक का
निर्देशन। इन दिनों दशरथ मांझी के जीवन पर आधारित एक फिल्म बनाने में जुटे
हैं। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से रंग-अध्ययन किया। उनसे directorji@gmail.com पर संपर्क करें।)
No comments:
Post a Comment