कृपाशंकर की छुट्टी
कृपाशंकर सिंह पर अपनी बेटी, बेटा, दामाद और पत्नी के नाम पर बेनामी 300 करोड़ की संपत्ति अर्जित करने का आरोप है। मुंबई के हीरानंदानी में फ्लैट, बांद्रा में प्लैट, पाली हिल में बंगला, रायगढ़ में कई एकड़ जमीन, विले पार्ले में तीन फ्लैट, सांताक्रूज की बैंक में कई करोड़ रुपये के ट्रांजेक्शन उनके गले की फांस बन गए हैं।झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के साथ संबंध होने का दावा भी किया था। यही नहीं सिंह के खाते से हुए पैसे के लेनदेन पर भी सवाल खड़े किए गए थे। शुरुआत में इस मामले की जांच करते हुए आयकर, एसीबी व डीआरआई ने सिंह को प्रारंभिक जांच में क्लीनचिट दे दी थी। इसके साथ ही यह स्पष्ट किया था कि उनके पास सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं। पर हाईकोर्ट ने इस मामले से जुड़ी जांच एजेंसियों को शीघ्र ही फाइनल रिपोर्ट पेश करने को कहा था। याचिका के मुताबिक सिंह 1970 में उत्तर प्रदेश से मुंबई आए थे। जहां उन्होंने पहले फेरीवाले के रूप में आलू-प्याज बेचने का काम किया। इस बीच वे विधान परिषद सदस्य चुने गए। सिंह ने गृह राज्य मंत्री के रूप में भी कार्य किया। वर्तमान में एक विधायक का मासिक वेतन 45 हजार रुपए प्रति माह है।
मालूम हो कि बृहन्नमुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के चुनाव में कांग्रेस को इसके मुंबई अध्यक्ष कृपाशंकर सिंह की जिद, छवि और कार्यप्रणाली ले डूबी। ये वही कृपाशंकर सिंह हैं कभी जिनके कार्यालय का उद्घाटन करने से मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने मना कर दिया था, लेकिन कृपाशंकर सिंह के तिलिस्म का ही असर है कि चव्हाण पार्टी के सारे दिग्गज नेताओं को किनारे कर बीएमसी के चुनावों के दौरान सिर्फ उन्हीं के इशारों पर डोलते रहे।
कृपाशंकर सिंह की मुंबई कांग्रेस में तूती सिर्फ इसलिए बोलती रही है क्योंकि उनके ऊपर पार्टी के कुछ ऐसे नेताओं का हाथ है जिन्हें पार्टी आलाकमान भी नाराज नहीं करना चाहता। नहीं तो कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर बीएमसी का चुनाव लडऩे का सबसे पहला विरोध मुंबई के ही नेताओं ने किया था। मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके गुरूदास कामत ने सबसे पहले इस गठबंधन का विरोध किया लेकिन सिंह गुट ने इसे कामत को पिछले केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार में तवज्जो न मिलने की खीझ बताकर खारिज कर दिया।
याचिकाकर्ता के मुताबिक इसका कुल योग 24 लाख रुपए के करीब बैठता है। इसमें हैरत की बात यह है कि उन्होंने 14 लाख रुपए विमान यात्रा के किराए पर खर्च किए हैं। एक लोक सेवक के रूप में उन्होंने करोड़ों रुपए की संपत्ति कैसे अर्जित की इसका कोई दस्तावेजी सबूत मौजूद नहीं है। यही स्थिति सिंह के बेटे व पत्नी की संपत्ति को लेकर भी है।
आरटीआई एक्टीविस्ट संजय तिवारी ने दो साल पहले कृपाशंकर सिंह की मुंबई की तमाम संपत्तियों और बैंक अकाउंट्स की जांच करवाने और आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज करने की मांग की थी। हाईकोर्ट ने याचिका मंजूर करते हुए एंटी करप्शन ब्यूरो को कृपा की संपत्ति की जांच करने का आदेश दिया था।
16 महीने की जांच के बाद एसीबी ने जो रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंपी उसके बाद बुधवार को हाईकोर्ट की डबल बैंच ने मुंबई पुलिस कमिश्नर अरूप पटनायक को कृपा के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कर कृपा की सभी अचल संपत्तियों को जब्त कर उसके खिलाफ जांच करने का आदेश दिया है।
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Palash Biswas
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मुंबई से एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
आज ही बांबे हाईकोर्ट ने मुंबई पुलिस कमिश्नर को उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत मामला दर्ज करने और उनकी अचल संपत्ति को जब्त करने का आदेश दिया था। वैसे बीएमसी चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद भी उनपर अपने पद से इस्तीफा देने का दबाव था। आखिरकार कांग्रेस की मुंबई इकाई के अध्यक्ष कृपाशंकर सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपना इस्तीफा बांबे हाई कोर्ट के उस आदेश के बाद दिया जिसमें कोर्ट ने भ्रष्टाचार के एक मामले में मुंबई पुलिस को उनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। हाल ही में मुंबई महानगरपालिका [मनपा] चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद सिंह के लिए यह दूसरा बड़ा झटका है।टिकट बंटवारे में खुला हाथ मिलने के बाद कृपाशंकर सिंह ने जातिगत समीकरणों, भाषाई संतुलन और स्थानीय सियासत सबको दरकिनार कर दिया। पार्टी नेता और राज्य सरकार में कद्दावर मंत्री नारायण राणे खुलकर कह रहे हैं कि पार्टी को विरोधियों ने नहीं पार्टी के भीतर के लोगों ने ही हराया।
उधर बाल ठाकरे से भी कृपाशंकर की ठनी हुई है। अब कृपा की छुट्टी हो जाने पर ठाकरे कांग्रेसी नेताओं के प्रति क्या नजरिया अपनाते हैं, यह देखना बाकी है। पर कृपाशंकर से जैसे कांग्रेस ने तुरत फुरत पीछा छुड़ा लिया, उसे देखते हुए लगता है कि अंदरुनी खेल और ही रहा होगा, जिसका खुलासा होना बाकी है। िस प्रकरण का उत्तर भारतीयों की राजनीति पर होना तो तय है। कृपा अपने बचाव में क्या क्या कर दिखाते हैं, इस पर भी निगाह रहेगी। अगर ठाकरे उनके प्रति नरमी बरतें, तो शायद कृपा की राह थोड़ी आसान हो सकती है।
बीएमसी चुनाव में पार्टी की हुई दुर्गति और आय से अधिक संपत्ति के मामले में बुरी तरह फंसे कृपाशंकर सिंह का जाना पहले से तय था, जिस पर बुधवार को मुहर लग गई। पार्टी ने उनका इस्तीफा भी स्वीकार कर लिया है। हाई कोर्ट में आदेश के बाद उनकी मुश्किलें और बढ़ गई हैं।हाल ही में कृपा के बेटे नरेंद्र मोहन सिंह पर आरोप लगे हैं कि 2-जी स्पेक्ट्रम घोटाले में फंसे शाहिद बलवा के बिज़नेस पार्टनर और डायनामिक्स कंपनी के मालिक विनोद गोयनका ने 4 करोड़ रुपये उनके बैंक अकाउंट में जमा किए थे।ऐसे में अब चारों तरफ़ कृपाशंकर घिरते दिख रहे हैं।
कृपाशंकर सिंह पर अपनी बेटी, बेटा, दामाद और पत्नी के नाम पर बेनामी 300 करोड़ की संपत्ति अर्जित करने का आरोप है। मुंबई के हीरानंदानी में फ्लैट, बांद्रा में प्लैट, पाली हिल में बंगला, रायगढ़ में कई एकड़ जमीन, विले पार्ले में तीन फ्लैट, सांताक्रूज की बैंक में कई करोड़ रुपये के ट्रांजेक्शन उनके गले की फांस बन गए हैं।झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के साथ संबंध होने का दावा भी किया था। यही नहीं सिंह के खाते से हुए पैसे के लेनदेन पर भी सवाल खड़े किए गए थे। शुरुआत में इस मामले की जांच करते हुए आयकर, एसीबी व डीआरआई ने सिंह को प्रारंभिक जांच में क्लीनचिट दे दी थी। इसके साथ ही यह स्पष्ट किया था कि उनके पास सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं। पर हाईकोर्ट ने इस मामले से जुड़ी जांच एजेंसियों को शीघ्र ही फाइनल रिपोर्ट पेश करने को कहा था। याचिका के मुताबिक सिंह 1970 में उत्तर प्रदेश से मुंबई आए थे। जहां उन्होंने पहले फेरीवाले के रूप में आलू-प्याज बेचने का काम किया। इस बीच वे विधान परिषद सदस्य चुने गए। सिंह ने गृह राज्य मंत्री के रूप में भी कार्य किया। वर्तमान में एक विधायक का मासिक वेतन 45 हजार रुपए प्रति माह है।
मालूम हो कि बृहन्नमुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के चुनाव में कांग्रेस को इसके मुंबई अध्यक्ष कृपाशंकर सिंह की जिद, छवि और कार्यप्रणाली ले डूबी। ये वही कृपाशंकर सिंह हैं कभी जिनके कार्यालय का उद्घाटन करने से मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने मना कर दिया था, लेकिन कृपाशंकर सिंह के तिलिस्म का ही असर है कि चव्हाण पार्टी के सारे दिग्गज नेताओं को किनारे कर बीएमसी के चुनावों के दौरान सिर्फ उन्हीं के इशारों पर डोलते रहे।
कृपाशंकर सिंह की मुंबई कांग्रेस में तूती सिर्फ इसलिए बोलती रही है क्योंकि उनके ऊपर पार्टी के कुछ ऐसे नेताओं का हाथ है जिन्हें पार्टी आलाकमान भी नाराज नहीं करना चाहता। नहीं तो कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर बीएमसी का चुनाव लडऩे का सबसे पहला विरोध मुंबई के ही नेताओं ने किया था। मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके गुरूदास कामत ने सबसे पहले इस गठबंधन का विरोध किया लेकिन सिंह गुट ने इसे कामत को पिछले केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार में तवज्जो न मिलने की खीझ बताकर खारिज कर दिया।
याचिकाकर्ता के मुताबिक इसका कुल योग 24 लाख रुपए के करीब बैठता है। इसमें हैरत की बात यह है कि उन्होंने 14 लाख रुपए विमान यात्रा के किराए पर खर्च किए हैं। एक लोक सेवक के रूप में उन्होंने करोड़ों रुपए की संपत्ति कैसे अर्जित की इसका कोई दस्तावेजी सबूत मौजूद नहीं है। यही स्थिति सिंह के बेटे व पत्नी की संपत्ति को लेकर भी है।
आरटीआई एक्टीविस्ट संजय तिवारी ने दो साल पहले कृपाशंकर सिंह की मुंबई की तमाम संपत्तियों और बैंक अकाउंट्स की जांच करवाने और आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज करने की मांग की थी। हाईकोर्ट ने याचिका मंजूर करते हुए एंटी करप्शन ब्यूरो को कृपा की संपत्ति की जांच करने का आदेश दिया था।
16 महीने की जांच के बाद एसीबी ने जो रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंपी उसके बाद बुधवार को हाईकोर्ट की डबल बैंच ने मुंबई पुलिस कमिश्नर अरूप पटनायक को कृपा के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कर कृपा की सभी अचल संपत्तियों को जब्त कर उसके खिलाफ जांच करने का आदेश दिया है।
बांबे हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। इस याचिका में सामाजिक कार्यकर्ता संजय तिवारी ने सिंह पर ज्ञात स्त्रोत से अधिक आय अर्जित करने का आरोप लगाया था। मुख्य न्यायाधीश मोहित शाह और जस्टिस रोशन दलवी की पीठ ने मुंबई के पुलिस आयुक्त अरूप पटनायक को निर्देश दिए कि वह सरकार से सिंह के विरुद्ध भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत आपराधिक कदाचार का मामला दर्ज करने की अनुमति प्राप्त करे।
इसके अलावा, पीठ ने सिंह, उनकी पत्नी, पुत्र और पुत्रवधू के नाम दर्ज सभी चल-अचल संपत्तिायों की सूची तैयार कर उसकी जब्ती के निर्देश भी दिए हैं। पीठ ने अपने आदेश में कहा, 'हम सिंह के बैंक खातों के संबंध में कोई निर्देश नहीं दे रहे हैं क्योंकि ऐसा आरोप है कि उसे पहले ही खाली किया जा चुका होगा। उक्त जनहित याचिका को ही प्राथमिकी और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा मार्च, 2011 में बताए गए सिंह के आय-व्यय के ब्योरे को जांच के रूप में माना जाए।' पीठ ने सिंह के वकीलों द्वारा इस आदेश पर स्थगन देने के निवेदन को भी खारिज कर दिया।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि सिंह झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के करीबी थे और उनके कई करोड़ के घोटाले के लेन-देन में शामिल रहे हैं। कृपाशंकर सिंह के बेटे नरेंद्र मोहन की शादी कोड़ा सरकार में मंत्री रहे कमलेश सिंह की बेटी अंकिता से हुई है।
याचिका में कमलेश सिंह के खाते से अंकिता के खाते में 1.75 करोड़ रुपये भेजे जाने की बात भी कही गई है। कोर्ट ने मुंबई के पुलिस आयुक्त को 19 अप्रैल तक इस संबंध में अनुपालन रिपोर्ट पेश करने के निर्देश भी दिए हैं।
युवावस्था से ही मुंबई में सक्रिय कृपाशंकर
-वरिष्ठ कांग्रेस नेता कृपाशकर सिंह युवावस्था से ही मुंबई की राजनीति में सक्रिय हैं। बावजूद इसके उत्तार प्रदेश के जौनपुर जिले से उनका संपर्क भी बना हुआ है। बख्शा थाना क्षेत्र के सहोदरपुर गाव के सामान्य किसान परिवार में जन्मे कृपाशकर ने जयहिंद इंटर कॉलेज, तेजी बाजार से इंटरमीडिएट तथा टीडी कॉलेज, जौनपुर से बीएससी की पढ़ाई की। इसके बाद वह रोजगार की तलाश में मुंबई चले गए।
रोजगार से जुड़ने के बाद उन्होंने न केवल गांव के अपने घर को ठीक कराया बल्कि वहां एक मंदिर भी बनवाया। वाराणसी के काग्रेसजनों के अतिरिक्त बचपन के सहपाठियों से भी उनका लगातार संपर्क बना हुआ है। वह जब भी गांव आते, तब उन लोगों से मिलने की कोशिश करते हैं। मुंबई में काग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता के रूप में उन्होंने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की और इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। जल्द ही उन्होंने महाराष्ट्र काग्रेस में गहरी पैठ बना ली। उनकी नेतृत्व क्षमता को देखते हुए पार्टी संगठन में प्रदेश महासचिव बनाया गया।
तीन बार विधायक चुने जाने के बाद कृपाशंकर सिंह को महाराष्ट्र सरकार में गृह राज्य मंत्री बनाया गया। हालांकि कांग्रेस-राकांपा गठबंधन की मौजूदा सरकार में उनके पास कोई सरकारी पद नहीं था लेकिन उत्तार भारतीयों के बीच उनकी गहरी पैठ को देखते हुए उन्हें मुंबई काग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था।
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