http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2012/01/120120_rushdie_visit_fma.shtml
जान को ख़तरा बताते हुए रुश्दी ने जयपुर दौरा रद्द किया
शुक्रवार, 20 जनवरी, 2012 को 16:12 IST तक के समाचार
मशहूर लेखक सलमान रुश्दी ने जयपुर साहित्य समारोह में आने से ये कहते हुए मना कर दिया है कि उनकी जान को ख़तरा है.
सलमान रुश्दी के भारत आने पर चर्चित मुस्लिम मदरसे दारूल उलूम देवबंद के कुलपति मौलाना अब्दुल क़ासिम नोमानी ने भारत सरकार से मांग की थी कि सलमान रुश्दी जब तक अपनी किताब 'सैटेनिक वर्सेज़' में लिखी ईशनिंदा संबंधी बातों के लिए माफ़ी नहीं मांग लेते, उन्हें भारत न आने दिया जाए.
जयपुर में एक प्रेस कांफ्रेस बुलाकर साहित्य समारोह के आयोजक संजोय रॉय ने चर्चित लेखक का भेजा गया एक ई-मेल पढ़कर सुनाया.
'इन परिस्थितियों में जाना सही नहीं'
जयपुर से बीबीसी संवाददाता अमरेश द्विवेदी का कहना है कि सलमान रुश्दी ने अपने ई-मेल में कहा - "मुझे निजी और सरकारी सूत्रों से ख़बर मिली है कि मुंबई से कुछ हथियारबंद लोग मेरी उनकी हत्या के इरादे से निकले हैं. हालाँकि मुझे इस जानकारी के सटीक होने के बारे में कुछ शक़ है लेकिन यदि मैं इस साहित्य समारोह में जाता हूँ तो इन परिस्थितियों में मेरे परिवार, समारोह में गए लोगों और लेखकों के प्रति ये ग़ैर-ज़िम्मेदार होगा."
"मुझे निजी और सरकारी सूत्रों से ख़बर मिली है कि मुंबई से कुछ हथियारबंद लोग मेरी उनकी हत्या के इरादे से निकले हैं. हालाँकि मुझे इस जानकारी के सटीक होने के बारे में कुछ शक़ है लेकिन यदि मैं इस साहित्य समारोह में जाता हूँ तो इन परिस्थितियों में मेरे परिवार, समारोह में गए लोगों और लेखकों के प्रति ये ग़ैर-ज़िम्मेदार होगा"
सलमान रुश्दी का संदेश
ई-मेल में आगे कहा गया है कि इसलिए वे पूर्व निर्धारित कार्यक्रम में फेरबदल करते हुए जयपुर नहीं जा रहे हैं.
समारोह शुरू होने के एक दिन पहले यानी गुरूवार को हुए प्रेस कांफ्रेस में आयोजकों ने सलमान रुश्दी के दौरे पर किसी तरह के सवालों के जवाब देने से साफ़ मना कर दिया था.
विवाद
दो दशक के अधिक समय पहले छपी सलमान रुश्दी की किताब 'सैटेनिक वर्सेज़' में मुसलमानों के पैगंबर मोहम्मद, उनकी पत्नी और इस्लाम से जुड़े कुछ लोगों का विवरण जिस तरह से किया था उसे लेकर भारी विवाद हुआ था.
इस बार भी जब उनके दौरे की बात आम हुई तो दारूल उलूम ने इसपर आपत्ति जताई.
हालांकि इसका लेखकों, बुद्दिजीवियों और कुछ दूसरे मुस्लिम धार्मिक गुरूओं ने भी विरोध किया था लेकिन इसके बाद मामले ने तूल पकड़ लिया था.
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