गूगल, फेसबुक पर कानूनी कार्रवाई के पक्ष में काटजू
काटजू ने कहा कि मुबई में फैशन वीक के कार्यक्रम के कवरेज में लगभग पूरा मीडिया लगा हुआ था, जबकि उससे कुछ सौ किलोमीटर ही दूर उस समय किसान लगातार आत्महत्या कर रहे थे। मगर मीडिया ने किसानों की सुध नहीं ली।
उन्होंने कहा कि वे मीडिया की आजादी पर नियंत्रण के पक्ष में नहीं हैं, लेकिन कोई भी आजादी अपने आप में सम्पूर्ण नहीं होती है। आजादी के साथ जिम्मेदारी का अहसास भी जरुरी है।
मीडिया के संबंध में उनके बयान को लेकर पूछे गये प्रश्न के उत्तर में काटजू ने कहा कि वह हिटलर नहीं हैं और उन्हें विश्वास है कि एक दिन वे काउंसिल के अन्य सदस्यों को अपने विचारों से सहमत करा लेंगे।
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में काटजू ने कहा कि यदि अन्य सदस्य उनके विचारों से सहमत नहीं होते हैं तो वह लोकतांत्रिक तरीके से बहुमत के फैसले से सहमत होंगे
भोपाल, 18 जनवरी (एजेंसी) प्रेस काउंसिल आफ इंडिया के अध्यक्ष तथा उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू ने कहा है कि गूगल और फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स यदि आपत्तिजनक चित्रों एवं टिप्पणियों को नहीं हटाती हैं तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिये।
माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय की बैठक में भाग लेने आये काटजू ने कल रात दिल्ली रवाना होने से पहले संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने खुद इन साइटों पर इन चित्रों एवं टिप्पणियों को देखा है, जो अत्यंत आपत्तिजनक है। उन्होंने कहा कि इनमें कुछ चित्र और टिप्पणियां ऐसी हैं, जिनसे राष्ट्रीय हितों को ठेस पहुंचती है।
काटजू ने इस संबंध में केन््रदीय संचार एवं मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल के बयान का पूरी तरह समर्थन किया कि सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर नियंत्रण होना चाहिये।
प्रेस काउंसिल के अध्यक्ष ने सोशल नेटवर्किंग साइट्स के इन तथ्यों से इंकार किया कि चूंकि करोडों की संख्या में टिप्पणियां और चित्र डाले जाते हैं। इसलिये उन्हें प्रतिदिन हटाना संभव नहीं है।
काटजू ने प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया के गैर जिम्मेदाराना रवैये पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि एक और देश भूख और गरीबी के मुहाने पर बैठा है और हजारों किसान आत्महत्या कर रहे हैं। वहीं, मीडिया क्रिकेट और फिल्मी सितारों के आपस में प्रेम के किस्से छाप और दिखा रहा है।
उन्होंने इसे एक गहरी साजिश बताते हुए कहा कि यह नीरो के उस कथन जैसा है, ‘यदि आप जनता को रोटी नहीं दे सकते हैं तो उन्हें सर्कस दिखाओ।’ काटजू ने इस संबंध में केन््रदीय संचार एवं मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल के बयान का पूरी तरह समर्थन किया कि सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर नियंत्रण होना चाहिये।
प्रेस काउंसिल के अध्यक्ष ने सोशल नेटवर्किंग साइट्स के इन तथ्यों से इंकार किया कि चूंकि करोडों की संख्या में टिप्पणियां और चित्र डाले जाते हैं। इसलिये उन्हें प्रतिदिन हटाना संभव नहीं है।
काटजू ने प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया के गैर जिम्मेदाराना रवैये पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि एक और देश भूख और गरीबी के मुहाने पर बैठा है और हजारों किसान आत्महत्या कर रहे हैं। वहीं, मीडिया क्रिकेट और फिल्मी सितारों के आपस में प्रेम के किस्से छाप और दिखा रहा है।
काटजू ने कहा कि मुबई में फैशन वीक के कार्यक्रम के कवरेज में लगभग पूरा मीडिया लगा हुआ था, जबकि उससे कुछ सौ किलोमीटर ही दूर उस समय किसान लगातार आत्महत्या कर रहे थे। मगर मीडिया ने किसानों की सुध नहीं ली।
उन्होंने कहा कि वे मीडिया की आजादी पर नियंत्रण के पक्ष में नहीं हैं, लेकिन कोई भी आजादी अपने आप में सम्पूर्ण नहीं होती है। आजादी के साथ जिम्मेदारी का अहसास भी जरुरी है।
मीडिया के संबंध में उनके बयान को लेकर पूछे गये प्रश्न के उत्तर में काटजू ने कहा कि वह हिटलर नहीं हैं और उन्हें विश्वास है कि एक दिन वे काउंसिल के अन्य सदस्यों को अपने विचारों से सहमत करा लेंगे।
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में काटजू ने कहा कि यदि अन्य सदस्य उनके विचारों से सहमत नहीं होते हैं तो वह लोकतांत्रिक तरीके से बहुमत के फैसले से सहमत होंगे
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