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फायनली चुनाव में कूदेगी टीम अन्ना
अंबरीश कुमार
लखनऊ ,९ मई । अन्ना हजारे और उनकी टीम के बीच राजनैतिक दखल को लेकर फिर मतभेद उभर आए है । अन्ना हजारे महाराष्ट्र में अपना अभियान छेड़ चुके है पर उनकी टीम हिमाचल में चुनावी हस्तक्षेप का जायजा ले रही है । भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन छेडने वाली इस जमात की राजनैतिक महत्वकांक्षा की एक वजह यह भी है कि वे मानने लगे है कि बिना राजनैतिक ताकत के जन लोकपाल या दूसरे महत्वपूर्ण कदम उठाना संभव नही है । इसलिए टीम का एक बड़ा खेमा विधान सभा चुनाव में जोर आजमाइश के मूड में है । टीम के एक सदस्य के मुताबिक इसके लिए हिमाचल पर नजर है और इस सिलसिले में वह जमीनी काम शुरू किया जा रहा है । पर यह फैसला टीम अन्ना के लिए काफी जोखम भरा भी साबित हो सकता है । यदि अपेक्षित कामयाबी नही मिली तो भ्रष्टाचार के खिलाफ उनके आंदोलन की धार और कुंद हो जाएगी । महाराष्ट्र का धरना उदाहरण सामने है । हालाँकि चुनावी दखल कि यह तैयारी सार्वजनिक नहीं है पर देर सबेर इसे सार्वजनिक करना इनकी मजबूरी होगी । गौरतलब है कि एक तरफ अन्ना हजारे तो दूसरी तरफ बाबा रामदेव भर्ष्टाचार के खिलाफ अलग अलग रास्तों से अपना अभियान शुरू कर चुके है । बाबा रामदेव ने आन्दोलनकारी समूहों कि एक बैठक १३ मई को दिल्ली में बुलाई है जो जून के कार्यक्रम की तयारी के सिलसिले में है । इससे पहले उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के जन संगठनों के तपे तपाए नेताओं की कई बैठक वे हरिद्वार के अपने आश्रम में कर चुके है । जून में वे पहली बार अपनी राजनैतिक ताकत दिखाने के बाद आंदोलन के दूसरे चरण की तैयारी में जुटेंगे । इस बार बाबा रामदेव अपने भक्तों और मरीजों की बजाए आन्दोलनकारी जमात के बूते मैदान में उतर रहे है इसलिए इसे राजनैतिक रूप से काफी गंभीर माना जा रहा है । जबकि टीम अन्ना की राजनैतिक तैयारी बिना संगठन के है जिसे लेकर आपस में टकराव है । इससे पहले टीम हिसार में अप्रत्यक्ष दखल दे चुकी है जिसे लेकर टीम अन्ना विवादों में फंसी थी क्योकि वह कांग्रेस को हराने का नारा दिया गया था । इसके बाद टीम अन्ना को उत्तर प्रदेश में दखल देना था जिसकी कई बार घोषणा की गई पर अन्ना हजारे एक बार भी नही आए । टीम के सदस्यों ने भी फैजाबाद में रस्म अदायगी की रस्म अदा की थी । राजनैतिक टीकाकार सीएम शुक्ल ने कहा -टीम अन्ना के लिए उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव में चुनाव सुधार के कुछ घोषित कार्यक्रमों को अमल में लाने का बड़ा मौका था । अगर वे पांच बाहुबलियों और भ्रष्ट उम्मीदवारों के खिलाफ उनके विधान सभा क्षेत्र में जम जाते तो उसका उन्हें ज्यादा फायदा मिलता और जिस तरह ज्यादातर बाहुबली इस चुनाव में हारे उससे इसका श्रेय भी उन्हें मिलता । पर टीम ने यह नहीं किया और वे उत्तर प्रदेश में हाशिए पर चले गए । अब बिना संगठन के चुनाव में जाने का भी कोई ज्यादा फायदा नही होने वाला । जानकारी के मुताबिक अन्ना हजारे और किरण बेदी भी विधान सभा चुनाव में सीधे दखल के पक्ष में अभी नही है । अन्ना का मानना है कि बिना संगठन के यह आत्मघाती कदम होगा और जबतक इस मुद्दे पर सर्वसम्मति नही बन जाती वे इस पहल में शामिल नही होंगे । हजारे अब महाराष्ट्र के अभियान में जुट चुके है और फिलहाल चुनावी हस्तक्षेप के पक्ष में नहीं है । खास बात यह है कि जिन राज्यों में भाजपा और कांग्रेस हो वहाँ टीम अन्ना की छवि भाजपा को जितने वाली बन जाती है जैसा उत्तराखंड में हुआ और यही कही हिमाचल में न दोहरा दिया जाए इससे राजनैतिक फायदा कम और नुकसान ज्यादा होगा । jansatta
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