उद्योग जगत को और राहत की उम्मीद है और इसके लिए माहौल बनाने का काम चालू!
वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी ने गार के दांत तो तोड़ दिये, जो दिखाने के लिए थे। काला धन और भ्रष्टाचार के खिलाफ सिविल सोसाइटी के हो हल्ले से निजात पाने के लिए ऐसा किया गाया था। पर अन्ना ब्रिगेड की हवा निकल जाने से इसकी जरुरत भी नहीं है अब। उद्योग जगत को और राहत की उम्मीद है और इसके लिए माहौल बनाने का काम चालू है। रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में कटौती की संभावना से इंकार करते हुए मंदी का जोखिम जारी रहने की बात भी कर दी है। जाहिर है कि विकास दर कायम रखने के लिए बाजार की सेहत के लिए प्रणव दादा को अभी और कुछ कर गुजरना होगा। क्योंकि जीएएआर से राहत तो मिली लेकिन एफआईआई की बिकवाली जारी है और बाजार का सेंटीमेंट इसी के चलते कमजोर है।सरकार जल्द पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ाने पर फैसला ले सकती है। बजट पास हो गया है और अब उसे सिर्फ राष्ट्रपति की मंजूरी का इंतजार है। वित्त सचिव आर एस गुजराल की मानें तो बजट को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही सरकार एलपीजी, डीजल और पेट्रोल के दामों पर फैसला ले सकती है। आज सेंसेक्स और निफ्टी करीब 0.5 फीसदी गिर गए। बाजार के लिए बुरी बात ये भी थी कि आज गिरने वाले शेयर दोगुने से ज्यादा रहे।आज के कारोबार में रियल्टी, मेटल, बैंकिंग, पावर, पीएसयू, ऑयल एंड गैस और ऑटो कंपनियों के शेयरों में बिकवाली हावी रही। लेकिन एफएमसीजी, हेल्थकेयर और आईटी कंपनियों के शेयरों ने बाजार की गिरावट को थामने की कोशिश की। बीएसई के एफएमसीजी इंडेक्स में 2.5 फीसदी से ज्यादा की मजबूती देखने को मिली है। सरकार ने आज कहा कि काले धन पर श्वेत पत्र तैयार करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है और संसद के मौजूदा सत्र में ही इसे 22 मई के पहले सदन के पटल पर रख दिया जाएगा। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने वित्त विधेयक 2012 पर हुई बहस में तेल घाटे पर चिंता व्यक्त की और कहा कि सरकार अब सबसिडी देने की स्थिति में नहीं है।
रस्सी जल गयी है पर ऐंठन नहीं गयी। वोडाफोन टैक्स मामले पर वित्त मंत्री के कड़े रुख के बाद अब वित्त सचिव आर एस गुजराल ने भी साफ कर दिया है कि वोडाफोन को टैक्स में किसी तरह की छूट नहीं मिलेगी। वित्त सचिव के मुताबिक बजट के तहत कंपनी को कानूनी तौर पर पूरा टैक्स भरना होगा। साथ ही वोडाफोन जैसे दूसरे मामलों पर भी टैक्स छूट नहीं मिलेगी। वोडाफोन पर 20,000 करोड़ रुपये का टैक्स बकाया है। बयान बाजी चाहे जो हो विदेशी निवेशकों की आस्था लौटाने के लिए देर सवेर सरकार को वोडापोन मामले में कुछ करना ही पड़ेगा। टूजी स्पेक्ट्रम मामले में राहत के लिए राष्ट्रपति पद के गैर वाजिब इस्तेमाल की खूब आलोचना हो रही थी, इसलिए सुप्रीम कोर्ट से व्याख्या मांगने का मामला ही खत्म कर दिया। जैसे पुणे में अवसर बिताने के लिए सेना की जमीन के इस्तेमाल का फैसला वापस हो गया। पर फिर वही बात, सरकारी दांत दिखाने के और , और खाने के और। निजी बिजली कंपनियों को कोयला आपूर्ति सुनिश्चत करने के लिए जारी राष्ट्रपति की डिक्री अभी वापस नहीं हुई है। बहरहाल सरकार ने नई टेलिकॉम नीति की रुपरेखा तय कर दी है। नई टेलिकॉम नीति के मुताबिक न सिर्फ ग्राहकों को बेहतर और सस्ती सुविधाओं का प्रस्ताव है बल्कि टेलिकॉम कंपनियों और टेलिकॉम उपकरण बनाने वाली कपनियों के भी फायदे की काफी बाते हैं।
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