कोलकाता में विज्ञान कांग्रेस राजनीतिक अखाड़े में तब्दील!
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
कोलकाता में विज्ञान कांग्रेस राजनीतिक अखाड़े में तब्दील!हालांकिप्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गुरुवार को भारत की नयी विज्ञान नीति का लोकार्पण किया, जिसमें नवाचार, अनुसंधान संस्थान स्थापित करने और महिला वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करने पर ध्यान देने के प्रस्ताव हैं। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि भारत 2020 तक दुनिया की शीर्ष पांच वैज्ञानिक महाशक्तियों में शुमार हो।पहली बार प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गुरुवार को विज्ञान कांग्रेस में 'भारत के भविष्य का निर्माण करने में विज्ञान' विषय पर एक सत्र की अध्यक्षता की। विज्ञान कांग्रेस का यह सौवां आयोजन है।भारत को सुपरपावर बनाना वैश्वीकरण के बाद सत्तावर्ग के एकमेव लक्ष्य रहा है। पर पांच पांच नोबेल पुरस्कार विजेताओं की उपस्थिति में इस अवसर पर जो राजनीति का खेल हुआ, वह इडेन गार्डेन में इसीदिन हुए क्रिकेट मैच से कम सनसनीखेज नहीं रहा। सारा देश जानता है कि वाममोर्चा सरकार ने भारत अमेरिका परमाणु संधि के विरोध के बावजूद बंगाल के मेदिनीपुर के हरिपुर परमाणु संयंत्र की तैयारी की हुई थी। पर नंदी ग्राम और सिंगुर किसान आंदोलनों के जरिये सत्ता में पहुंची ममता बनर्जी इसका शुरु से विरोध करती रही हैं। प्रधानमंत्री ने अपने बगल में बैठी ममता की उपस्थिति में ही इस विवादास्पद परमाणु परियोजना के कार्यान्वयन पर जोर दिया।स्वाभाविक तौर पर वैज्ञानिकों ने भी प्रधानमंत्री का साथ दिया।पर मंच पर साथ बैठने से ही प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की राजनीतिक दूरी खत्म नहीं हो गयी, यह साबित करते हुए इसी मंच पर मुख्यमंत्री ने राज्य के लिे केंद्रीय मदद की गुहार लगाई। गौरतलब है कि दीदी के मुख्यमंत्री बनते ही प्रधानमंत्री ने उन्हें पत्र लिखकर हरिपुर परमाणु ऊर्जा परियोजना के कार्यान्वयन के लिए पत्र लिखा था और जवाब में दीदी ने साफ साफ बता दिया कि वे संयंत्र के विरोधियों के साथ हैं। मामला यही तक सीमित रहता तो गनीमत थी, कल तक सत्ता में साझेदार कांग्रेस ने इसी मौके पर प्रधानमंत्री से मां माटी मानु, की शिकायत कर दी।राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने विज्ञान, प्रौद्योगिकी और इन्नोवेशन नीति जारी की, जिसमें भारत को 2020 तक दुनिया की पांच सबसे बड़ी वैज्ञानिक शक्तियों में शामिल करने का लक्ष्य रखा गया है।
मुख्यमंत्री मंच पर प्रधानमंत्री के बिल्कुल पास वाली सीट पर बैठी थीं और दोनों ने कुछ देर के लिए बातचीत भी की और संबोधनों के दौरान मुस्कराए भी।पिछले साल सितंबर में तृणमूल कांग्रेस ने बहुब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के फैसले पर संप्रग सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। उसके बाद से दोनों की यह पहली मुलाकात है।मंच पर राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी भी आसीन थे जिन्होंने पांच दिवसीय सम्मेलन का उदघाटन किया।पांच दिवसीय समारोह में छह नोबेल पुरस्कार विजेता, विदेश से 60 वैज्ञानिक, 15 हजार प्रतिभागी तथा छात्र हिस्सा लेंगे।
पश्चिम बंगाल के लिए केंद्र से बार बार विशेष पैकेज मांगने वाली राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भारतीय विज्ञान कांग्रेस के शताब्दी अधिवेशन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की मौजूदगी में अपनी मांग दोहराई।ममता ने कहा कि कृपया बंगाल की ओर ध्यान दीजिए। अगर बंगाल का विकास होगा तो भारत का विकास होगा। उन्होंने कहा कि बंगाल ने रवींद्रनाथ टैगोर, सी वी रमन, अमर्त्य सेन और मदर टेरेसा जैसे अनेक नोबेल पुरस्कार विजेता दिये हैं। बंगाल दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों का गेटवे भी है और भारत की सांस्कृतिक राजधानी है।मुख्यमंत्री ने कहा कि आचार्य प्रफुल्ल चंद्र रे, जगदीश चंद्र बोस, मेघनाद साहा और एस एन बोस जैसे लोग बंगाल की इस जमीन से जुड़े थे। ममता ने कहा कि खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे बुनियादी मामलों की समस्याओं को सुलझाने के लिए विज्ञान एक उपयोगी साधन है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गुरुवार को कहा कि वह पश्चिम बंगाल के बारे में सभी बातें जानते और केंद्र की ओर से यहां के लोगों को वंचित नहीं रखा जाएगा।
पश्चिम बंगाल कांग्रेस ने गुरुवार को कहा कि राज्य में तृणमूल कांग्रेस की सरकार को केंद्र सरकार से हर सम्भव और हर मोर्चे पर मदद मिलेगी। पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष प्रदीप भट्टाचार्य ने यहां भारतीय विज्ञान सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात के बाद कहा, "प्रधानमंत्री ने हमें आश्वस्त किया है कि केंद्र राज्य सरकार को हर मोर्चे पर समर्थन देगा।"भट्टाचार्य ने मनमोहन सिंह को उद्धृत करते हुए कहा, "हम राज्य की स्थिति को बदतर नहीं होने दे सकते।" भट्टाचार्य ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री को केंद्र से विभिन्न विकासात्मक योजनाओं के तहत मिली राज्य सरकार द्वारा नहीं खर्च किए जाने के बारे में भी अवगत कराया।
प्रदेश कांग्रेस समिति के शिष्टमंडल में शामिल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मानस भूइयां ने कहा, 'प्रधानमंत्री ने हमें बताया कि वे बंगाल के बारे में पूरी जानकारी रखते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र की ओर से पश्चिम बंगाल को हर संभव मदद दी जाएगी। हम पश्चिम बंगाल और यहां के लोगों को वंचित नहीं रखेंगे।'
विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार :एसटीआई: नीति, 2013 में बौद्धिक संपदा व्यवस्था में भी संशोधन का प्रस्ताव है, ताकि सार्वजनिक निजी साझेदारी में विकसित पेटेंट पर सह साझेदारी हो।एसटीआई नीति को जारी करते हुए प्रधानमंत्री सिंह ने कहा कि इसमें भारत को 2020 तक दुनिया की पांच वैश्विक महाशक्तियों में शामिल करने की आकांक्षा व्यक्त की गयी है। उन्होंने कहा कि यह महत्वाकांक्षी लक्ष्य है। सिंह ने यह भी कहा कि नीति का उददेश्य विज्ञान में प्रतिभाओं को बढ़ाना, विश्वविद्यालयों में अनुसंधान को प्रोत्साहित करना और विज्ञान के क्षेत्र में युवा नेताओं को बढ़ावा देना भी है।उन्होंने कहा कि इसमें अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में निजी क्षेत्र की महती सहभागिता और राष्ट्रीय एजेंडा को पूरा करने के लिहाज से अंतरराष्ट्रीय गठबंधनों तथा साक्षेदारियों के लिए माहौल बनाने का भी सुझाव है। नीति में अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में व्यय को सकल घरेलू उत्पाद के मौजूदा एक प्रतिशत से दो प्रतिशत किये जाने की भी बात है।उन्होंने एक शताब्दी पहले के वैज्ञानिकों का जिक्र करते हुए कहा कि वे साधारण भाषा में व्याख्यान दिया करते थे, जिससे एक पूरी पीढ़ी में वैज्ञानिक लगाव पैदा हुआ।
इसी मौके पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने वैज्ञानिक समुदाय से कहा कि वे आधुनिक साधनों के माध्यम से संवाद स्थापित करें ताकि आम लोग इसे समझ सकें और देश में वैज्ञानिक संस्कृति का निर्माण हो सके।भारतीय विज्ञान कांग्रेस के शताब्दी समारोह का यहां उद्घाटन करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, ''विज्ञान के प्रति आम और राजनीतिक समझ होना जरूरी है। इसलिए मैं आप सभी से अनुरोध करता हूं कि आधुनिक प्रचलित साधनों का उपयोग संवाद स्थापित करने में करें, ताकि इसे आम आदमी समझ सके।''
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कोलकाता में विज्ञान कांग्रेस राजनीतिक अखाड़े में तब्दील!हालांकिप्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गुरुवार को भारत की नयी विज्ञान नीति का लोकार्पण किया, जिसमें नवाचार, अनुसंधान संस्थान स्थापित करने और महिला वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करने पर ध्यान देने के प्रस्ताव हैं। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि भारत 2020 तक दुनिया की शीर्ष पांच वैज्ञानिक महाशक्तियों में शुमार हो।पहली बार प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गुरुवार को विज्ञान कांग्रेस में 'भारत के भविष्य का निर्माण करने में विज्ञान' विषय पर एक सत्र की अध्यक्षता की। विज्ञान कांग्रेस का यह सौवां आयोजन है।भारत को सुपरपावर बनाना वैश्वीकरण के बाद सत्तावर्ग के एकमेव लक्ष्य रहा है। पर पांच पांच नोबेल पुरस्कार विजेताओं की उपस्थिति में इस अवसर पर जो राजनीति का खेल हुआ, वह इडेन गार्डेन में इसीदिन हुए क्रिकेट मैच से कम सनसनीखेज नहीं रहा। सारा देश जानता है कि वाममोर्चा सरकार ने भारत अमेरिका परमाणु संधि के विरोध के बावजूद बंगाल के मेदिनीपुर के हरिपुर परमाणु संयंत्र की तैयारी की हुई थी। पर नंदी ग्राम और सिंगुर किसान आंदोलनों के जरिये सत्ता में पहुंची ममता बनर्जी इसका शुरु से विरोध करती रही हैं। प्रधानमंत्री ने अपने बगल में बैठी ममता की उपस्थिति में ही इस विवादास्पद परमाणु परियोजना के कार्यान्वयन पर जोर दिया।स्वाभाविक तौर पर वैज्ञानिकों ने भी प्रधानमंत्री का साथ दिया।पर मंच पर साथ बैठने से ही प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की राजनीतिक दूरी खत्म नहीं हो गयी, यह साबित करते हुए इसी मंच पर मुख्यमंत्री ने राज्य के लिे केंद्रीय मदद की गुहार लगाई। गौरतलब है कि दीदी के मुख्यमंत्री बनते ही प्रधानमंत्री ने उन्हें पत्र लिखकर हरिपुर परमाणु ऊर्जा परियोजना के कार्यान्वयन के लिए पत्र लिखा था और जवाब में दीदी ने साफ साफ बता दिया कि वे संयंत्र के विरोधियों के साथ हैं। मामला यही तक सीमित रहता तो गनीमत थी, कल तक सत्ता में साझेदार कांग्रेस ने इसी मौके पर प्रधानमंत्री से मां माटी मानु, की शिकायत कर दी।राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने विज्ञान, प्रौद्योगिकी और इन्नोवेशन नीति जारी की, जिसमें भारत को 2020 तक दुनिया की पांच सबसे बड़ी वैज्ञानिक शक्तियों में शामिल करने का लक्ष्य रखा गया है।
मुख्यमंत्री मंच पर प्रधानमंत्री के बिल्कुल पास वाली सीट पर बैठी थीं और दोनों ने कुछ देर के लिए बातचीत भी की और संबोधनों के दौरान मुस्कराए भी।पिछले साल सितंबर में तृणमूल कांग्रेस ने बहुब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के फैसले पर संप्रग सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। उसके बाद से दोनों की यह पहली मुलाकात है।मंच पर राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी भी आसीन थे जिन्होंने पांच दिवसीय सम्मेलन का उदघाटन किया।पांच दिवसीय समारोह में छह नोबेल पुरस्कार विजेता, विदेश से 60 वैज्ञानिक, 15 हजार प्रतिभागी तथा छात्र हिस्सा लेंगे।
पश्चिम बंगाल के लिए केंद्र से बार बार विशेष पैकेज मांगने वाली राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भारतीय विज्ञान कांग्रेस के शताब्दी अधिवेशन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की मौजूदगी में अपनी मांग दोहराई।ममता ने कहा कि कृपया बंगाल की ओर ध्यान दीजिए। अगर बंगाल का विकास होगा तो भारत का विकास होगा। उन्होंने कहा कि बंगाल ने रवींद्रनाथ टैगोर, सी वी रमन, अमर्त्य सेन और मदर टेरेसा जैसे अनेक नोबेल पुरस्कार विजेता दिये हैं। बंगाल दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों का गेटवे भी है और भारत की सांस्कृतिक राजधानी है।मुख्यमंत्री ने कहा कि आचार्य प्रफुल्ल चंद्र रे, जगदीश चंद्र बोस, मेघनाद साहा और एस एन बोस जैसे लोग बंगाल की इस जमीन से जुड़े थे। ममता ने कहा कि खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे बुनियादी मामलों की समस्याओं को सुलझाने के लिए विज्ञान एक उपयोगी साधन है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गुरुवार को कहा कि वह पश्चिम बंगाल के बारे में सभी बातें जानते और केंद्र की ओर से यहां के लोगों को वंचित नहीं रखा जाएगा।
पश्चिम बंगाल कांग्रेस ने गुरुवार को कहा कि राज्य में तृणमूल कांग्रेस की सरकार को केंद्र सरकार से हर सम्भव और हर मोर्चे पर मदद मिलेगी। पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष प्रदीप भट्टाचार्य ने यहां भारतीय विज्ञान सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात के बाद कहा, "प्रधानमंत्री ने हमें आश्वस्त किया है कि केंद्र राज्य सरकार को हर मोर्चे पर समर्थन देगा।"भट्टाचार्य ने मनमोहन सिंह को उद्धृत करते हुए कहा, "हम राज्य की स्थिति को बदतर नहीं होने दे सकते।" भट्टाचार्य ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री को केंद्र से विभिन्न विकासात्मक योजनाओं के तहत मिली राज्य सरकार द्वारा नहीं खर्च किए जाने के बारे में भी अवगत कराया।
प्रदेश कांग्रेस समिति के शिष्टमंडल में शामिल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मानस भूइयां ने कहा, 'प्रधानमंत्री ने हमें बताया कि वे बंगाल के बारे में पूरी जानकारी रखते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र की ओर से पश्चिम बंगाल को हर संभव मदद दी जाएगी। हम पश्चिम बंगाल और यहां के लोगों को वंचित नहीं रखेंगे।'
विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार :एसटीआई: नीति, 2013 में बौद्धिक संपदा व्यवस्था में भी संशोधन का प्रस्ताव है, ताकि सार्वजनिक निजी साझेदारी में विकसित पेटेंट पर सह साझेदारी हो।एसटीआई नीति को जारी करते हुए प्रधानमंत्री सिंह ने कहा कि इसमें भारत को 2020 तक दुनिया की पांच वैश्विक महाशक्तियों में शामिल करने की आकांक्षा व्यक्त की गयी है। उन्होंने कहा कि यह महत्वाकांक्षी लक्ष्य है। सिंह ने यह भी कहा कि नीति का उददेश्य विज्ञान में प्रतिभाओं को बढ़ाना, विश्वविद्यालयों में अनुसंधान को प्रोत्साहित करना और विज्ञान के क्षेत्र में युवा नेताओं को बढ़ावा देना भी है।उन्होंने कहा कि इसमें अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में निजी क्षेत्र की महती सहभागिता और राष्ट्रीय एजेंडा को पूरा करने के लिहाज से अंतरराष्ट्रीय गठबंधनों तथा साक्षेदारियों के लिए माहौल बनाने का भी सुझाव है। नीति में अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में व्यय को सकल घरेलू उत्पाद के मौजूदा एक प्रतिशत से दो प्रतिशत किये जाने की भी बात है।उन्होंने एक शताब्दी पहले के वैज्ञानिकों का जिक्र करते हुए कहा कि वे साधारण भाषा में व्याख्यान दिया करते थे, जिससे एक पूरी पीढ़ी में वैज्ञानिक लगाव पैदा हुआ।
इसी मौके पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने वैज्ञानिक समुदाय से कहा कि वे आधुनिक साधनों के माध्यम से संवाद स्थापित करें ताकि आम लोग इसे समझ सकें और देश में वैज्ञानिक संस्कृति का निर्माण हो सके।भारतीय विज्ञान कांग्रेस के शताब्दी समारोह का यहां उद्घाटन करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, ''विज्ञान के प्रति आम और राजनीतिक समझ होना जरूरी है। इसलिए मैं आप सभी से अनुरोध करता हूं कि आधुनिक प्रचलित साधनों का उपयोग संवाद स्थापित करने में करें, ताकि इसे आम आदमी समझ सके।''
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