जलपरी बुला अब पानी में नहीं उतर सकतीं कभी, गलत इंजेक्शन की वजह से!
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
सातों समुंदर तैर कर आयी भारत की विश्वविख्यात जलपरी बुला चौधरी अब अपने घर के तालाब में भी तैर नहीं सकती। गलत इंजेक्शन से उनकी जान तो बच गयी, पर पानी में उतरने की मनाही है। इससे उसके प्राण संशय का खतरा है।पूर्व विधायक अंतरराष्ट्रीय तैराक बुला चौधरी के साथ हुए हादसे से साफ जाहिर है कि इस देश में चिकित्सा के नाम पर क्या कुछ हो जाता है और लोग कैसे गलत इलाज से बेबस हो जाते हैं।पानी में उतरते ही उनकी धड़कनें धीमी हो जाती हैं।दुनियाभर के खेल प्रेमी इस बहादुर तैराक के करतब से परिचित हैं। लेकिन हालत यह है कि चिकित्सकों के मुताबिक गलत इंजेक्शन की प्रतिक्रिया से उनका उबरना मुश्किल है और पानी में उतरने पर उनकी जान भी जा सकती है।
कोलकाता के औद्योगिक उपनगर हिंदमोटर के देबीपुकुर में अपने घर में दोसाल पहले हुए हादसे की सजा काट रही हैं बुला।चेहरे के दाग हटाने के लिए इंजेक्शन से उनकी पूरी देह निष्क्रिय हो गयी थी और वे बेहोशी में चली गयी थी। तुरत फुरत बगल के नर्सिंग होम से दौड़े चले आये डा. सुब्रत मैत्र की कोशिशों से वे बच तो गयीं, पर अपनी असल जिंदगी से हमेशा के लिए निर्वासित हो गयी। वे डाक्टर के प्रति शुक्रगुजार हैं।नये खिलाड़ियों को तैराकी सिकाने के लिए अकादमी खोलने के अपने सपने के बारे में बताती है बुला, जो अब मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है।वे पद्मश्री हैं। अर्जुन हैं।तीन तीन बार राष्ट्रपति भवन में सम्मानित हुईवे। पर अपने पति संजीव चक्रवर्ती के साथ अफसोस उन्हें यह है कि राजनीति ने उन्हें दूदमें से मक्खी की तरह इस्तेमाल के बाद निकाल बाहर कर दिया और इस बंगाल में खिलाड़ी के उनके वैश्विक परिचय पर राजनीतिक पहचान हावी हो गयी है।
बुला चौधरी माकपा की विधायक थीं। अब परिवर्तन राज है। खिलाड़ियों और कलाकारों के कल्याण में जुटी है मां माटी मानुष की सरकार । पर जिस माकपा से घृणा ही अह सत्ता राजनीति की संस्कृति हो,वहां अब किसी से कोई मदद की क्या उम्मीद हो सकती है। आशंका है कि देश ने हमेसा के लिए अपनी बेहतरीन तैराक को फिर पानी में उतरने से देखने का मौका खो दिया है।खेल अब वाणिज्य है है। खेल अब कारपोरेट है। खेल अब सट्टेबाजी और मुनाफे का खेल है। अरबों फूंकने वाले जश्न और विज्ञापनों की दुनिया है खेल, जहां चलती का नाम गाड़ी है। मैदान से बाहर हुए खिलाड़ियों का कोई भगवान नहीं होता। कम से कम जलपरी बुला चौधरी इसकी जीती जागती सबूत हैं।
सांसद चुनाव हारकर अब बुला की तरह दूसरी अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी ज्योतिर्मयी सिकदर भी राजनीति और बाजार के लिए अप्रासंगिक हो गयी हैं। वे भी माकपा सांसद थीं। गनीमत हैं कि वे सकुशल हैं। स्वस्थ हैं।
मालूम हो कि २००८ में ममता बनर्जी ने न बुला को पद्मश्री दिए जाने की आलोचना करते हुए कहा था कि उनकी तृणमूल कांग्रेस इस अनुभवी तैराक को सिर्फ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की विधायक के तौर पर देखती है। बुला ने कहा कि मुझे माकपा की विधायक होने के नाते यह सम्मान नहीं दिया गया है।बुला चौधरी ने इस बात पर हैरानी जताई कि तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने उन्हें पद्मश्री के लिए चुने जाने की आलोचना की।. बुला ने कहा कि मैंने इस बारे में समाचार सुना है। मैं हैरान हूं कि कोई इस तरह की प्रतिक्रिया कैसे जाहिर कर सकता है।तो ैसे में राज्यसरकार से बुला को क्या सहानुभूति मिल सकती है, समझने वाली बात है।तब पश्चिम बंगाल में पश्चिमी मिदनापुर जिले के नंदनपुर से विधायक बुला ने कहा था कि राज्य सरकार का इस पुरस्कार से कुछ लेना देना नहीं है। मैं यह सम्मान पाकर खुद को गौरवान्वित महसूस कर रही हूं।
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
सातों समुंदर तैर कर आयी भारत की विश्वविख्यात जलपरी बुला चौधरी अब अपने घर के तालाब में भी तैर नहीं सकती। गलत इंजेक्शन से उनकी जान तो बच गयी, पर पानी में उतरने की मनाही है। इससे उसके प्राण संशय का खतरा है।पूर्व विधायक अंतरराष्ट्रीय तैराक बुला चौधरी के साथ हुए हादसे से साफ जाहिर है कि इस देश में चिकित्सा के नाम पर क्या कुछ हो जाता है और लोग कैसे गलत इलाज से बेबस हो जाते हैं।पानी में उतरते ही उनकी धड़कनें धीमी हो जाती हैं।दुनियाभर के खेल प्रेमी इस बहादुर तैराक के करतब से परिचित हैं। लेकिन हालत यह है कि चिकित्सकों के मुताबिक गलत इंजेक्शन की प्रतिक्रिया से उनका उबरना मुश्किल है और पानी में उतरने पर उनकी जान भी जा सकती है।
कोलकाता के औद्योगिक उपनगर हिंदमोटर के देबीपुकुर में अपने घर में दोसाल पहले हुए हादसे की सजा काट रही हैं बुला।चेहरे के दाग हटाने के लिए इंजेक्शन से उनकी पूरी देह निष्क्रिय हो गयी थी और वे बेहोशी में चली गयी थी। तुरत फुरत बगल के नर्सिंग होम से दौड़े चले आये डा. सुब्रत मैत्र की कोशिशों से वे बच तो गयीं, पर अपनी असल जिंदगी से हमेशा के लिए निर्वासित हो गयी। वे डाक्टर के प्रति शुक्रगुजार हैं।नये खिलाड़ियों को तैराकी सिकाने के लिए अकादमी खोलने के अपने सपने के बारे में बताती है बुला, जो अब मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है।वे पद्मश्री हैं। अर्जुन हैं।तीन तीन बार राष्ट्रपति भवन में सम्मानित हुईवे। पर अपने पति संजीव चक्रवर्ती के साथ अफसोस उन्हें यह है कि राजनीति ने उन्हें दूदमें से मक्खी की तरह इस्तेमाल के बाद निकाल बाहर कर दिया और इस बंगाल में खिलाड़ी के उनके वैश्विक परिचय पर राजनीतिक पहचान हावी हो गयी है।
बुला चौधरी माकपा की विधायक थीं। अब परिवर्तन राज है। खिलाड़ियों और कलाकारों के कल्याण में जुटी है मां माटी मानुष की सरकार । पर जिस माकपा से घृणा ही अह सत्ता राजनीति की संस्कृति हो,वहां अब किसी से कोई मदद की क्या उम्मीद हो सकती है। आशंका है कि देश ने हमेसा के लिए अपनी बेहतरीन तैराक को फिर पानी में उतरने से देखने का मौका खो दिया है।खेल अब वाणिज्य है है। खेल अब कारपोरेट है। खेल अब सट्टेबाजी और मुनाफे का खेल है। अरबों फूंकने वाले जश्न और विज्ञापनों की दुनिया है खेल, जहां चलती का नाम गाड़ी है। मैदान से बाहर हुए खिलाड़ियों का कोई भगवान नहीं होता। कम से कम जलपरी बुला चौधरी इसकी जीती जागती सबूत हैं।
सांसद चुनाव हारकर अब बुला की तरह दूसरी अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी ज्योतिर्मयी सिकदर भी राजनीति और बाजार के लिए अप्रासंगिक हो गयी हैं। वे भी माकपा सांसद थीं। गनीमत हैं कि वे सकुशल हैं। स्वस्थ हैं।
मालूम हो कि २००८ में ममता बनर्जी ने न बुला को पद्मश्री दिए जाने की आलोचना करते हुए कहा था कि उनकी तृणमूल कांग्रेस इस अनुभवी तैराक को सिर्फ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की विधायक के तौर पर देखती है। बुला ने कहा कि मुझे माकपा की विधायक होने के नाते यह सम्मान नहीं दिया गया है।बुला चौधरी ने इस बात पर हैरानी जताई कि तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने उन्हें पद्मश्री के लिए चुने जाने की आलोचना की।. बुला ने कहा कि मैंने इस बारे में समाचार सुना है। मैं हैरान हूं कि कोई इस तरह की प्रतिक्रिया कैसे जाहिर कर सकता है।तो ैसे में राज्यसरकार से बुला को क्या सहानुभूति मिल सकती है, समझने वाली बात है।तब पश्चिम बंगाल में पश्चिमी मिदनापुर जिले के नंदनपुर से विधायक बुला ने कहा था कि राज्य सरकार का इस पुरस्कार से कुछ लेना देना नहीं है। मैं यह सम्मान पाकर खुद को गौरवान्वित महसूस कर रही हूं।
Bula Chowdhury Profile
http://www.iloveindia.com/sports/swimming/players/bula-chowdhary.html* |
Achievements
- First woman to swim across seven seas in five continents
- First Asian woman to swim across the English Channel twice
- Won Arjuna Award in 1999
- Won Padma Shri in 2009
Bula
Chowdhury is an outstanding long-distance Indian swimmer, who has made
her mark in competitive swimming. At the tender age of nine, she proved
her swimming skills by winning six gold medals in as many events. In a
career spanning 24 years, Bula has brought laurels to her homeland as
well as gained repute at the international level. In 2004, by crossing
the Palk Straits from Talaimannar in Sri Lanka to Dhanushkodi in Tamil
Nadu in nearly 14 hours, she became the first woman in the world to swim
across seven seas in five continents. Read on to know more about the
profile of Indian swimmer Bula Chowdhury.
Journey Towards Fame
Bula
Chowdhury developed the passion for swimming at a very early age. Her
journey towards fame started at the age of ten. She was spotted by a
local coach, when she was swimming in a small pond nearby her home.
After recognizing her talent, the coach gave her lessons, by making her
swim in the pond and the nearby Hooghly River. After acquiring the
skills, she first dived into the Indian pool and then swam into the
international arena. She went on to participate at some of the
prestigious competitions for swimming, including the SAF Games, the
Asian Games, the Asian Championships, friendship meets and more.
Best Performances
Bula
Chowdhury swam across the English Channel in 1989. She repeated the
scintillating performance in 1999, to become the first Asian woman to
swim the channel twice. In 1990, she was awarded the Arjuna Award. On a
long-distance swimming spree, she swam across the Strait of Gibraltar in
2000. In the following year, she swam across the Tiranian Sea in Italy,
while her target in the following year was the Great Toroneos Gulf in
Greece and Catalina Channel in the U.S. In 2003, she swam across Cooks
Straits in New Zealand. Bula Chowdhary completed the swim through the
Strait of Gibraltar in a world record time at 3 hours and 35 minutes.
Personal Life
Bula
Chowdhury tied the wedding knot with Sanjib Chakraborty (an
accomplished sprinter) in 1993. The couple has a son - Sarabjit. Bula is
now planning to set up a swimming academy in Kolkata, her native place.
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