There is a movie starring Sean Connery as a thief - I do
not remember the name of the movie. In the movie he asks another thief -
the heroine - what she can do with 5 million that she cannot do with 2
million. Similarly I do not understand what people like Mukesh Ambani
can do with 100 billion that they cannot do with one billion or 500
million or ...
---------- Forwarded message ----------
From: GOATHOMSON <goathomson@gmail.com>
Date: 2013/1/29
Subject: Arvind Kejriwal's letter to Mukesh Ambani
To: undisclosed-recipients
Arvind Kejriwal has written an email to Sh Mukesh Ambani.
---------- Forwarded message ----------
From: GOATHOMSON <goathomson@gmail.com>
Date: 2013/1/29
Subject: Arvind Kejriwal's letter to Mukesh Ambani
To: undisclosed-recipients
Arvind Kejriwal's letter to Mukesh Ambani
Dear friend,
Arvind Kejriwal has written an email to Sh Mukesh Ambani.
The mail, written in Hindi, & English Translation is given below.
And below the Hindi version is the English translation.
Kindly forward this mail as widely as possible.
Regards
Aam Aadmi Party Team
Regards
Aam Aadmi Party Team
---------------------------------------------------------------------------Letter
in
Hindi--------------------------------------------------------------------------
श्री मुकेश अंबानी
रिलायंस इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड
मेकर्स चैम्बर्स - IV
नरीमन पाइंट,
मुंबई - 400021
श्री मुकेश अंबानी जी,
अभी हाल ही में आपने देश के सभी टी.वी. चैनलों को मानहानि का नोटिस भेजा है। इनका जुर्म यह है कि इन्होंने 31 अक्टूबर, 2012 और 9 नवम्बर, 2012 को मेरी और प्रशांत भूषण की प्रेस कांफ्रेंस का सीधा प्रसारण किया था। हमने अपनी प्रेस कांफ्रेंस में देश के लोगों को बताया था कि किस तरह से आपने गैरकानूनी तरीके से सरकार पर दबाव डालकर गैस के दाम बढ़वाए। हमने लोगों को यह भी बताया कि आपके, आपके साथियों के और आपकी कंपनियों के स्विस बैंक में खाते हैं जिनमें कालाधन जमा किया गया था। हमारे इस खुलासे का कई टी.वी. चैनलों ने सीध प्रसारण किया। आपने इन सभी टी.वी. चैनलों को मानहानि का नोटिस भेजा है।
मेरी समझ में नहीं आ रहा है कि मेरी और प्रशांत भूषण की कही गई बातों से यदि आपकी मानहानि हुई है तो इसके सबसे बड़े दोषी तो मैं और प्रशांत भूषण हैं। नोटिस भेजना ही था तो आपको हमें भेजना चाहिए था। टी.वी. चैनलों ने तो केवल उसका प्रसारण ही किया था। फिर भी आपने हमें नोटिस न भेजकर टी.वी. चैनलों को नोटिस भेजा है। इससे जाहिर है कि आपका मकसद केवल टी.वी. चैनलों पर दबाव बनाने का है।
देश की जनता आपसे कुछ सीधे सवाल पूछना चाहती है। भारत सरकार को स्विस बैंको में खातेदारों की जो लिस्ट मिली है, क्या ये सच नहीं है कि आपका, आपके रिश्तेदारों का, आपके दोस्तों का और आपकी कंपनियों का उनमें नाम है? क्या यह सच नहीं है कि इस लिस्ट में आपके नाम पर सौ करोड़ रुपये जमा दिखाए गए हैं? क्या ये सच नहीं है कि आपने इस पैसे पर टैक्स जमा कर दिया है? इससे यह साबित होता है कि आपने अपना जुर्म कबूल कर लिया है। कानून के मुताबिक अब आप पर मुकदमा चलना चाहिए और यदि टैक्स की चोरी साबित होती है तो आपको जेल होनी चाहिए।
लेकिन ऐसा नहीं होगा। क्यों? क्योंकि सरकार आपसे डरती है। आपने खुद ही कहा है कि कांग्रेस पार्टी तो आपकी दुकान है। आपने सच ही कहा था। मीडिया में छपी कुछ खबरों के मुताबिक सोनिया गाँधी जी आपके निजी हवाई जहाज से यात्रा करती हैं। लोगों का मानना है कि श्री जयपाल रेडडी का मंत्रालय भी आप ही के दबाव में बदला गया था।
केवल कांग्रेस ही क्यों? भाजपा और अन्य पार्टियां भी आपकी दुकान हैं। पहले तो आडवाणी जी स्विस बैंकों के खातों के बारे में खूब आवाज़ उठाते थे लेकिन जब से आपके खाते निकलकर सामने आए तो सारी भाजपा बिल्कुल चुप हो गई। आपके खातों के बारे में भाजपा ने संसद में एक शब्द भी नहीं बोला।
ऐसा लगता है कि सभी पार्टियां आपसे डरती हैं। सभी नेता आपसे डरते हैं। लेकिन इस देश की जनता आपसे नहीं डरती। सारी पार्टियां आपकी दुकान हो सकती हैं। लेकिन भारत आपकी दुकान नहीं है। भारत हमारा है, इस देश के लोगों का है। आप अपने पैसे से पार्टियों को खरीद सकते हैं, नेताओं को खरीद सकते हैं लेकिन भारत को हम बिकने नहीं देंगे।
आपका कहना है कि हमारे द्वारा कही गई बातों का सीधा प्रसारण करने से टी.वी. चैनलों ने आपकी मानहानि की। आप सोचकर देखिए कि आपकी मानहानि मैंने, प्रशांत भूषण और टी.वी. चैनलों ने की है या आपने अपनी मानहानि खुद अपने कर्मों से की है?
1. 2002 में आपने सरकार से ''फुल मोबिलिटी लेने के लिए प्रमोद महाजन को रिश्वत दी। 55 रुपये प्रति शेयर के भाव वाले एक करोड़ शेयर आपने प्रमोद महाजन को 1 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से दे दिए। ये तो सीधी रिश्वत थी। जब आप पकड़े गए तो आपने शेयर वापस ले लिए। मामला अभी कोर्ट में है। क्या ऐसा करने से आपकी मानहानि नहीं हुई?
2. आपने अपना बहुमंजिला मकान 'वक्फ' के ज़मीन पर बनाया है। इस ज़मीन पर अनाथालय बनना था। गरीब और अनाथ मुस्लिम बच्चों के हक को छीना है आपने। क्या ऐसा करने से आपकी मानहानि नहीं हुई?
3. सन 2000 में आपको देश के गैस के कुछ कुएं दिए गए। आपकी जिम्मेदारी थी कि आप इसमें से गैस निकाल कर भारत सरकार को दें। गैस हमारी थी, इस देश के लोगों की। हम उस गैस के मालिक हैं। आपकी हैसियत केवल एक ठेकेदार की थी। आपको गैस के कुएं केवल गैस निकालने के लिए दिए गए थे। लेकिन आप चतुराई से मालिक बन बैठें। सरकार को आपने गैस 'बेचनी' चालू कर दी। सरकार पर दबाव डालकर आपने गैस के दाम बढ़ाने चालू कर दिए। चूंकि कांग्रेस आपकी दुकान है तो कांग्रेस पार्टी हमेशा आपकी दादागिरी के सामने झुकती नज़र आई। अकसर आपके दबाव में कांग्रेस गैस के दाम बढ़ाती गई और देश के लोग हाहाकार करते रहे। आपकी वजह से बिजली, खाद और रसोईगैस महंगी होती गई। लेकिन जब पानी सर से ऊपर हो गया तो श्री जयपाल रेडडी जी ने आपका विरोध् किया। उस समय श्री जयपाल रेडडी देश के तेल मंत्री थे। उन्होंने आपके दबाव में न आकर गैस के दाम और बढ़ाने से मना कर दिया। आपने श्री जयपाल रेडडी जी का ही तबादला करा दिया। आपकी हरकतों की वजह से देश में कई वस्तुएं महंगी हो रही हैं और जनता कराह रही है। क्या यह सब हरकतें आपको शोभा देती हैं? क्या इन हरकतों से आपकी मानहानि नहीं होती?
इस किस्म के आपके बेइमानी के कामों की लिस्ट बहुत लंबी है।
इस देश के अधिकतर व्यवसायी, कारोबारी, उद्योगपति ईमानदारी से काम करना चाहते हैं। लेकिन आज की व्यवस्था उन्हें बेइमानी करने पर मजबूर करती है। पर आपके जैसे उद्योगपति जब खुलेआम व्यवस्था का दुरुपयोग अपने फायदे के लिए करते हैं तो इससे सारे उद्योग और व्यवसाय पर काला धब्बा लगता है।
एक तरफ आप हैं, आपके पास पैसा है। दूसरी तरफ इस देश की जनता है। जनता अब जाग गई है। जनता के अंदर जुनून है। इतिहास गवाह है कि जब-जब पैसे और जुनून के बीच लड़ाई हुई है तो हमेशा जुनून जीता है।
मेरा आपसे निवेदन है कि देश के मीडिया को धमकाने की कोशिश न करें। मीडिया में चंद लोग ऐसे हो सकते हैं जिन्होंने खुद गलत काम किए हों। ऐसे मीडियाकर्मी शायद आपके दबाव में आ जाएं। लेकिन आज भी अधिकांश पत्रकार देश के लिए काम करते हैं। वो आपके दबाव में नहीं आने वाले। इतिहास गवाह है कि जब-जब देश की न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका चरमराती नज़र आई तो, ऐसे ही पत्रकारों ने लोकतंत्र को जिंदा रखा। कुछ ऐसे मीडिया घराने हैं जिनमें सीधे या परोक्ष रूप से आपका पैसा लगा है। हो सकता है ऐसे घराने आपके दबाव में आ जाएं, पर इन घरानों में काम करने वाले पत्रकार आपके दबाव में नहीं आने वाले।
आपका क्या सपना है? क्या आप बेइमानी से दुनिया के सबसे धनवान व्यक्ति बनना चाहते हैं? मान लीजिए आप इस देश की सारी दौलत के मालिक बन जाए। क्या इससे आपको खुशी मिलेगी? खुशी अधिक से अधिक धन अर्जित करने से नहीं मिलती। बल्कि त्याग करने से मिलती है। आज आप एक ऐसे मुकाम पर खड़े हैं कि यदि आप बेइमानी से व्यवसाय करना छोड़ दें और अपनी सारी दौलत देश के लोगों के विकास में लगा दें तो यह देश आपको कभी नहीं भूलेगा।
(अरविंद केजरीवाल)
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(Please find below English Translation of the letter. The letter was originally written in Hindi.)
Dear Mr Mukesh Ambani,
You have recently sent a defamation notice to a
number of TV channels. Their “crime” is that they aired the press
conference held on the 31st October 2012 and 9th November
2012, by Prashant Bhushan and me, live. In our press conference, we
presented before the country how you had illegally pressurized the
government into increasing gas prices. We also told the country that
your associates and your companies have accounts in Swiss banks where
black money had been stashed away. Many TV channels aired our expose
live. All these TV channels have now received defamation notices from
you.
I find it quite perplexing. If you felt that you
have been defamed by what Prashant Bhushan and I said, then we are the
real culprits and, if you had to send a defamation notice, it should
have been to us. The TV channels merely broadcast what we said. Despite
this, instead of sending us the defamation notice, you have sent it to
the TV channels. It is evident that your sole purpose of sending this
notice was to steamroll the TV channels into subservience.
The people of India want to ask you some straight questions:
· Is it not true that the list of those who
have accounts in Swiss Banks, as received by the Government of India,
includes your name and the names of your relatives, your friends and
your companies?
· Is it not true that a balance of Rs. 100 crores is shown against your name in this list?
· Is it not true that you have paid the tax on this amount after this list was received by the Government?
If the above is true, as we suspect it is, it
proves that you have admitted your guilt. As per the law of the land,
you should be tried and, if the charge of tax evasion is proved, you
should be sent to jail.
However, this would never happen. Why? Because the
Government of India is intimidated by you. You have been reported as
saying that the Congress Party has been bought by you – it is your dukaan,
to be precise. You are right. according to some media reports, Mrs.
Sonia Gandhi sometimes travels by your personal aircraft. People believe
that Mr. Jaipal Reddy’s ministry was also changed because of your
influence.
Why only the Congress? Even BJP and many other
parties are in your pocket. Earlier, Mr. Advani used to make a lot of
noise about Swiss Bank accounts, but since your accounts have been
exposed, BJP has suddenly gone quiet. BJP has not mentioned a single
word in the Parliament about your accounts.
It appears that almost all parties are afraid of
you. Most leaders are scared of you, too. However, the citizens of this
country are not scared of you. All parties could be your dukaan but
India is not up for sale. India is ours, it belongs to the people of
this country. You can purchase political parties and political leaders
with your money but we will not let India be sold.
You say that the TV channels have tainted your
reputation by airing our press conference live. That's wrong. I would
urge you to answer this question honestly - Did Prashant Bhushan, myself
and the TV Channels defame you or did you defame yourself through your
own misdeeds?
1. In 2002, you gave 1 Crore shares with a market
price of Rs. 55 per share to Mr. Pramod Mahajan at just Rs. 1 per share.
This was a straight bribe to get “Full Mobility”. When you were caught,
you took back the shares. Presently, the matter is In court. Didn't you defame yourself by doing this?
2. You have made your multistoreyed residence on
Wakf land. This land had been set aside for an orphanage. You have
stolen the right of poor and orphaned Muslim children. Didn't you defame
yourself by doing this?
3. A few gas wells belonging to the Country were
allotted to you in 2000. You were supposed to extract gas and give it to
the government. The gas belongs to us, the people of India. We are the
owners of this gas. You were only a contractor appointed to extract the
gas. However, cleverly you became the owner of the gas. You started
"selling" the gas to the government.
Because the Congress is in your pocket, it always
bowed before your bullying. The Congress kept increasing the price of
gas under your pressure and the nation kept wailing. Because of you, the
prices of electricity, fertilizer and cooking gas kept rising. When it
crossed all limits, Mr. Jaipal Reddy opposed you. He was the Minister
for Oil and Gas at that time. You got Mr. Jaipal Reddy
transferred. Because of you many things have become increasingly
expensive in India and the people are groaning under the load of these
high prices. Do these shenanigans suit you? Do such acts not defame you?
The list of such illegal acts done by you is quite long.
The majority of the traders, businessmen and
industrialists want to do their work honestly. But the system forces
them into wrongdoings. But when a businessman like you brazenly subverts
the system for his personal benefit, the entire industry and business
world gets a bad name.
You are on one side with immense wealth. On the
other side are the people of this country. The people have now awakened.
Fire is raging in their heart. History is witness that whenever there
has been a clash between money and such rage, the rage has won.
Kindly do not try to intimidate the media of this
country. There may be some mediamen who may have done wrong things
themselves. Such media-persons may succumb to your pressure. However,
the majority of media persons keep the interest of the Country at heart
even today. They are not going to capitulate so easily. History is
witness that whenever the judiciary, bureaucracy and legislature
crumbled, it is the honest fourth pillar, comprising such media-persons
that kept democracy alive.
You have invested in some media houses directly or
indirectly. It is possible that these media houses do your
bidding. However, the journalists working for such media houses will not
barter their integrity so easily.
What is your dream? Do you want to become the
world's richest person through dishonesty? Suppose you became the owner
of all the wealth in this country. Would that make you happy? Happiness
does not increase by accumulating more and more wealth. Happiness comes
with sacrifice. If you stopped doing business dishonestly and
contributed your wealth for the development of the nation, this country
will remember you with pride forever.
With regards,
Arvind Kejriwal
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