Monday, 01 April 2013 13:18 |
नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने ग्लीवेक पर पेटेंट के अधिकार का दावा तथा भारतीय कंपनियों को इसके सामान्य संस्करण के विनिर्माण और कारोबार से रोकने की अपील वाली नोवार्तिस की याचिका आज खारिज कर दी। इस मामले पर दुनिया भर की फार्मा कंपनियों की निगाह लगी हुई थी।स्विट्जरलैंड की दवा कंपनी नोवार्तिस रक्त कैंसर की दवा ग्लीवेक को भारत में पेटेंट कराने की कानूनी लड़ाई हार गई है। कंपनी सात साल से ग्लीवेक को भारत में पेटेंट कराने की कानूनी लड़ाई लड़ रही थी। न्यायमूर्ति आफताब आलम तथा न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की पीठ ने इस औषधि के कारोबार पर स्विट्जरलैंड की कंपनी के विशिष्ट अधिकार के दावे को खारिज कर दिया है। कंपनी ने याचिका में कहा था कि इस दवा में उसने एक नए पदार्थ का इस्तेमाल किया है लिहाजा उसे इसका पेटेंट मिलना चाहिए। आज के निर्णय से भारत में कैंसर के मरीजों के लिए ग्लीवेक के जेनेरिक :सामान्य: संस्करणों के विनिर्माण का रास्ता खुल जाएगा। जेनेरिक दवाएं पेंटेटशुदा दवाओं से दाम में कम पर काम में वैसी ही होती हैं। नोवार्तिस की ग्लीवेक की दवा की एक महीने की खुराक लगभग 1.2 लाख रुपये बैठती है। वहीं भारतीय कंपनियों द्वारा इसके सामान्य संस्करण पर खर्च 8,000 रुपये में पड़ेगा। |
Monday 1 April 2013
उच्चतम न्यायालय में कैंसर की दवा के पेटेंट की लड़ाई हारी नोवार्तिस
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment