महजबीं उर्फ मेघा की दर्दनाक दास्तां, धर्म परिवर्तन का दंश और मानवाधिकार जन निगरानी समिति की लड़ाई
मानवाधिकार जन निगरानी समिति के मुताबिक महजबीं उर्फ मेघा नागर उम्र 18 वर्ष] पिता क नाम अभय राम नागर, सुदामापुर, बज़रडीहा, वाराणासी की रहने वाली है। उसके पिता स्टेट बैंक आफ इंडिया मे असिस्टेंट मैनेजर हैं। जब वह लगभग पांच-छः वर्ष की ही थी, तब उसकी मां की मृत्यु हो गयी। घर मे कोई भाई बहन नही था। वह अप्ने माता-पिता की इकलौती संतान है। तब से आज तक की उसकी जिन्दगी अकेलेपन और दुःखो के बीच बीतती रही। घर मुस्लिम बहुल इलाके मे था और उसके पिता घोर मुस्लिम विरोधी। लिहाजा पास पड़ोस से बातचीत और किसी तरह के संबंध की कोई गुंजाइश नही थी। बहुत बन्धन मे रहना पडता था। जैसे–जैसे वह बडी होती गयी, पिता का व्यवहार उसके प्रति और भी कठोर होता गया। उसके पिता बहुत ही गुस्से वाले आदमी! छोटी-छोटी बातों को लेकर गाली गलौज, मार-पीट शुरू कर देते। उनकी उससे बातचीत बहुत ही कम होती थी। उनके इस व्यवहार से उसके मन मे भी धीरे-धीरे उनके लिये एक कठोरता आती गयी और उसने तय कर लिया कि वह अपनी जिन्दगी इनकी मर्जी से नहीं जियेगी। 2010 में उसने इंटर पास किया। इसी बीच अपने मुस्लिम दोस्तों से मुस्लिम धर्म के बारे मे जानने को मिला। फैजुर्रहमान उर्फ राजू पुत्र लियाकत गनी अंसारी, जिसका घर उसके घर के सामने ही है, उसके परिवार के साथ उसकी अच्छी बनने लगी थी। जाहिर है कि उसके पिता को यह बिल्कुल पसन्द नहीं था। लेकिन मेघा ने उनकी
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