अमरकांत जी के अवसान के बहाने बची हुई पृथ्वी की शोकगाथा
पलाश विश्वास
<https://www.facebook.com/alokputul>
पृथ्वी अगर मुक्त बाजार संस्कृति से कहीं बची है तो इलाहाबाद में।पिछले दिनों
हमारे फिल्मकार मित्र राजीव कुमार ने ऐसा कहा था। दूसरे फिल्मकार मित्र और
उससे ज्यादा हमारे भाई संजय जोशी से जब उनकी पुश्तैनी सोमेश्वर घाटी पर फिल्म
बनाने की बात कही हमने तो दिल्ली में बस गये संजू ने
No comments:
Post a Comment