जाति का उन्मूलन: कल, आज और कल<http://www.junputh.com/2014/02/blog-post_14.html>
<https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg0IZ0R5UlQfdf83L4dmmhyiLlZ4t4tOIeswjclud-sPuI8m12Sd6n3eqg3qv3r1elJNSUpljnm_6oZ_OXx84UOg7Sdxt1XPvBtdXtv0oyJVc6WQcb8eEiiR6tulQkh7FV3R2sx2MXrwxKp/s1600/Anand-Teltumbde.jpg>*आनंद
तेलतुम्बड़े *
*आनंद तेलतुम्बड़े हमारे समय के सबसे महत्वपूर्ण चिंतकों में एक हैं। पिछले
दिनों उनके कहे-लिखे पर काफी विवाद खड़ा किया गया है। प्रस्तुत लेख उन्होंने
''समयांतर'' के लिए लिखा था जिसका अनुवाद अभिषेक श्रीवास्तव ने किया है। यह
समयांतर के फरवरी अंक में प्रक
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