रेटिंग कटौती के पीछे बाहरी दबाव का खतरनाक खेल,
मुंबई से एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
वाशिंगटन से प्रणव मुखर्जी और कौशिक बसु की शास्त्रीय युगलबंदी से आर्थिक सुधारों के लिए जो बाहरी दबाव बना, वह रेटिंग में कटोती से और ज्यादा मारक बनने लगा है। रेटिंग कटौती को प्रणव मुखर्जी ज्यादा तुल नहीं दे रहे हैं, तो भाजपा ने अपनी राजनीति को फंदे से निकालने के लिए रेटिंग में कटौती की जिम्मेवारी सरकार पर डाल दी और कह दिया कि यह कुप्रबंधन का नतीजा है। गौर करें कि वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने एसऐंडपी की रेटिंग को समय पर दी गई चेतावनी बताया है और कहा है कि देश में आर्थिक सुधार लागू किए जाएंगे। उन्होंने राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 5.1 प्रतिशत पर लाने का भी वादा किया। उधर औद्योगिक संगठनों ने सरकार से कहा है कि राजनीतिक मतभेद भुला कर आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाया जाना चाहिए। सीआईआई ने सरकार से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, जीएसटी और प्रत्यक्ष कर संहिता के क्षेत्र में सुधार की मांग की। अब देखना है कि संसद में इस बाहरी दबाव का क्या असर होता है और आर्थिक सुधारों और लंबित वित्तीय विधेयकों का क्या होता है। सरकार ने 2012-13 की बजटीय प्रक्रिया 8 मई तक पूरा करने के उद्देश्य से तृणमूल कांग्रेस के अलावा विपक्षी दलों को साथ लेकर चलने की योजना बनाई है। हालांकि भाजपा सहित विपक्षी दल भ्रष्टाचार, वामपंथी उग्रवादियों के बढ़े हमलों, जम्मू-कश्मीर के हालात और महंगाई जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारी में हैं। पर बाजार का तो बाजा बजने लगा है! रेटिंग कम होने से भारतीय कंपनियों के लिये विदेशों से वाणिज्यिक ऋण जुटाना अधिक खर्चीला हो जायेगा। वैश्विक साख निर्धारण एजेंसी स्टैण्डर्ड एण्ड पूअर्स :एस एण्ड पी: ने आज भारत की रेटिंग घटाकर नकारात्मक कर दी और अगले दो साल में राजकोषीय स्थिति तथा राजनीतिक परिदृश्य में सुधार नहीं हुआ तो इसे और कम करने की चेतावनी दी है। एसएंडपी का कहना भारत में निवेश और विकास की रफ्तार सुस्त पड़ रही है। सरकार को आर्थिक सुधारों पर फैसला लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। एसएंडपी के मुताबिक व्यापार घाटा बढ़ने, विकास की रफ्तार सुस्त पड़ने या आर्थिक सुधारों की ओर कदम न उठाए जाने पर भारत को डाउनग्रेड किया जा सकता है।
रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पूअर्स (एसएंडपी) द्वारा भारत की वित्तीय साख की रेटिंग घटाकर नकारात्मक किए जाने के बाद शेयर बाजार में बिकवाली दबाव बढ़ गई, जिससे बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स 56 अंक टूट गया। अंतर्राष्ट्रीय बाजारों से मजबूती के संकेत मिलने के बावजूद घरेलू बाजारों ने सुस्ती के साथ शुरुआत की। दोपहर तक बाजार सीमित दायरे में घूमते नजर आए। ऐसे में भारत में आर्थिक सुधारों में आने वाले समय में और सुस्ती आने की आशंका है। वहीं देश में निवेश और विकास की रफ्तार भी धीमी पड़ने की भी बात कही जा रही है।
केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने बुधवार को कहा कि स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (एसएंडपी) द्वारा भारत के भविष्य की रेटिंग घटाने के प्रति सरकार चिंतित है लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है। अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी एसएंडपी द्वारा भारत की साख रेटिंग के भविष्य में संशोधन पर टिप्पणी करते हुए मुखर्जी ने कहा , ‘ मैं चिंतित हूं , लेकिन मैं घबराहट महसूस नहीं कर रहा हूं क्योंकि मुझे विश्वास है कि हमारी आर्थिक विकास दर लगभग 7 फीसदी रहेगी भले ही इससे अधिक न हो। हम राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 5.1 प्रतिशत के दायरे में रखने में कामयाब होंगे। ‘ दूसरी ओर,अंतर्राष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (एसएंडपी) द्वारा भारत के आर्थिक परिदृश्य की रेटिंग को स्थिर से घटाकर नकारात्मक किए जाने पर देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने देश की खराब आर्थिक स्थिति के लिए सरकार के कुप्रबंधन को जिम्मेदार बताया। भाजपा के महासचिव और राष्ट्रीय प्रवक्ता रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि भारत की आर्थिक पहचान को गहरा धक्का लगा है, ऐसी उम्मीद नहीं थी।
हालांकि, वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा ‘‘इसमें घबराने की कोई बात नहीं, हमें पूरा विश्वास है कि इन समस्याओं से पार पा लेंगे।’’ उन्होंने कहा कि बजट में अनुमानित आर्थिक वृद्धि को हासिल कर लिया जायेगा।
मुंबई से एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
वाशिंगटन से प्रणव मुखर्जी और कौशिक बसु की शास्त्रीय युगलबंदी से आर्थिक सुधारों के लिए जो बाहरी दबाव बना, वह रेटिंग में कटोती से और ज्यादा मारक बनने लगा है। रेटिंग कटौती को प्रणव मुखर्जी ज्यादा तुल नहीं दे रहे हैं, तो भाजपा ने अपनी राजनीति को फंदे से निकालने के लिए रेटिंग में कटौती की जिम्मेवारी सरकार पर डाल दी और कह दिया कि यह कुप्रबंधन का नतीजा है। गौर करें कि वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने एसऐंडपी की रेटिंग को समय पर दी गई चेतावनी बताया है और कहा है कि देश में आर्थिक सुधार लागू किए जाएंगे। उन्होंने राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 5.1 प्रतिशत पर लाने का भी वादा किया। उधर औद्योगिक संगठनों ने सरकार से कहा है कि राजनीतिक मतभेद भुला कर आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाया जाना चाहिए। सीआईआई ने सरकार से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, जीएसटी और प्रत्यक्ष कर संहिता के क्षेत्र में सुधार की मांग की। अब देखना है कि संसद में इस बाहरी दबाव का क्या असर होता है और आर्थिक सुधारों और लंबित वित्तीय विधेयकों का क्या होता है। सरकार ने 2012-13 की बजटीय प्रक्रिया 8 मई तक पूरा करने के उद्देश्य से तृणमूल कांग्रेस के अलावा विपक्षी दलों को साथ लेकर चलने की योजना बनाई है। हालांकि भाजपा सहित विपक्षी दल भ्रष्टाचार, वामपंथी उग्रवादियों के बढ़े हमलों, जम्मू-कश्मीर के हालात और महंगाई जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारी में हैं। पर बाजार का तो बाजा बजने लगा है! रेटिंग कम होने से भारतीय कंपनियों के लिये विदेशों से वाणिज्यिक ऋण जुटाना अधिक खर्चीला हो जायेगा। वैश्विक साख निर्धारण एजेंसी स्टैण्डर्ड एण्ड पूअर्स :एस एण्ड पी: ने आज भारत की रेटिंग घटाकर नकारात्मक कर दी और अगले दो साल में राजकोषीय स्थिति तथा राजनीतिक परिदृश्य में सुधार नहीं हुआ तो इसे और कम करने की चेतावनी दी है। एसएंडपी का कहना भारत में निवेश और विकास की रफ्तार सुस्त पड़ रही है। सरकार को आर्थिक सुधारों पर फैसला लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। एसएंडपी के मुताबिक व्यापार घाटा बढ़ने, विकास की रफ्तार सुस्त पड़ने या आर्थिक सुधारों की ओर कदम न उठाए जाने पर भारत को डाउनग्रेड किया जा सकता है।
रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पूअर्स (एसएंडपी) द्वारा भारत की वित्तीय साख की रेटिंग घटाकर नकारात्मक किए जाने के बाद शेयर बाजार में बिकवाली दबाव बढ़ गई, जिससे बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स 56 अंक टूट गया। अंतर्राष्ट्रीय बाजारों से मजबूती के संकेत मिलने के बावजूद घरेलू बाजारों ने सुस्ती के साथ शुरुआत की। दोपहर तक बाजार सीमित दायरे में घूमते नजर आए। ऐसे में भारत में आर्थिक सुधारों में आने वाले समय में और सुस्ती आने की आशंका है। वहीं देश में निवेश और विकास की रफ्तार भी धीमी पड़ने की भी बात कही जा रही है।
केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने बुधवार को कहा कि स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (एसएंडपी) द्वारा भारत के भविष्य की रेटिंग घटाने के प्रति सरकार चिंतित है लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है। अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी एसएंडपी द्वारा भारत की साख रेटिंग के भविष्य में संशोधन पर टिप्पणी करते हुए मुखर्जी ने कहा , ‘ मैं चिंतित हूं , लेकिन मैं घबराहट महसूस नहीं कर रहा हूं क्योंकि मुझे विश्वास है कि हमारी आर्थिक विकास दर लगभग 7 फीसदी रहेगी भले ही इससे अधिक न हो। हम राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 5.1 प्रतिशत के दायरे में रखने में कामयाब होंगे। ‘ दूसरी ओर,अंतर्राष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (एसएंडपी) द्वारा भारत के आर्थिक परिदृश्य की रेटिंग को स्थिर से घटाकर नकारात्मक किए जाने पर देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने देश की खराब आर्थिक स्थिति के लिए सरकार के कुप्रबंधन को जिम्मेदार बताया। भाजपा के महासचिव और राष्ट्रीय प्रवक्ता रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि भारत की आर्थिक पहचान को गहरा धक्का लगा है, ऐसी उम्मीद नहीं थी।
हालांकि, वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा ‘‘इसमें घबराने की कोई बात नहीं, हमें पूरा विश्वास है कि इन समस्याओं से पार पा लेंगे।’’ उन्होंने कहा कि बजट में अनुमानित आर्थिक वृद्धि को हासिल कर लिया जायेगा।
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