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मोदी के पक्ष में है देश का मूड
By 21 hours 49 minutes ago
मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन यानी यूपीए सरकार निश्चित तौर पर अपनी ज़मीन खोती जा रही है. यूपीए के सत्ता में तीन साल तक बने रहने के मौके पर एबीपी न्यूज़-नीलसन के सर्वे तो यही चुग़ली कर रही है. देश के 28 शहरों में 9000 लोगों पर किये गये एक सर्वे के आधार पर एबीपी-निल्सन का कहना है कि देश राहुल गांधी की बजाय नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री के बतौर देखना चाहता है और अबकी चुनाव में यूपीए की पराजय तय है.
सर्वे का कहना है कि अगर लोकसभा के चुनाव अभी कराए जाएं तो देश की 28 फीसदी जनता बीजेपी की झोली में अपना मत डाल देंगे, जबकि कांग्रेस महज़ 21 फीसदी वोट ही हासिल कर पाने में कामयाब रह पाएगी. यानी यूपीए के तीन साल के सफर में मतदाताओं का रुझान जहां कांग्रेस से खिसक रहा है, वहीं बीजेपी देश की सबसे पसंदीदा पार्टी के तौर पर सामने आती दिख रही है.
सर्वे ने दिलचस्प रहस्योद्धाटन यह भी किया है कि साल 2009 के लोकसभा चुनाव में जिन मतदाताओं ने कांग्रेस में विश्वास जाहिर किया था उनमें से 69 फीसदी ही ऐसे हैं जो अब भी कांग्रेस के साथ खड़े हैं यानी अगर आज चुनाव हुए तो कांग्रेस का हाथ थमाने वालों में 31 फीसदी की गिरावट आ जाएगी.
कांग्रेस के लिए परेशानी की बात यह है कि उनके जो 31 फीसदी वोटर नाराज़ हैं, उनमें से 12 फीसदी बीजेपी के कमल को खिलाने का मन बना चुके हैं. जबकि साल 2009 में जिन मतदाताओं ने कमल पर अपना बटन दबाया था उनमें 84 फीसदी आज भी कमल के साथ खड़े हैं. जो 16 फीसदी बीजेपी के दूर हो रहे हैं उनमें सिर्फ दो फीसदी कांग्रेस का हाथ थामना चाहते हैं.
एबीपी न्यूज़- नीलसन के इस ताज़ा सर्वे में जो मतदाता शामिल हुए हैं, साल 2009 में उनके 28 फीसदी ने कांग्रेस के पक्ष में वोट दिया था, जबकि 27 फीसदी ने बीजेपी का साथ दिया था. यानी ताज़ा सर्वे में कांग्रेस को आठ फीसदी का नुकसान हो रहा है, लेकिन बीजेपी को महज़ एक फीसदा का फायदा हो रहा है. यानी कांग्रेस से खिसकने वाला सात फीसदी वोट स्थानीय पार्टियों की झोली में जाता दिख रहा है. साल 2009 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने 207 सीटों पर अपना क़ब्ज़ा जमाया था, जबकि बीजेपी के खाते में 116 सीटें गई थीं.
सर्वे ने दिलचस्प रहस्योद्धाटन यह भी किया है कि साल 2009 के लोकसभा चुनाव में जिन मतदाताओं ने कांग्रेस में विश्वास जाहिर किया था उनमें से 69 फीसदी ही ऐसे हैं जो अब भी कांग्रेस के साथ खड़े हैं यानी अगर आज चुनाव हुए तो कांग्रेस का हाथ थमाने वालों में 31 फीसदी की गिरावट आ जाएगी.
कांग्रेस के लिए परेशानी की बात यह है कि उनके जो 31 फीसदी वोटर नाराज़ हैं, उनमें से 12 फीसदी बीजेपी के कमल को खिलाने का मन बना चुके हैं. जबकि साल 2009 में जिन मतदाताओं ने कमल पर अपना बटन दबाया था उनमें 84 फीसदी आज भी कमल के साथ खड़े हैं. जो 16 फीसदी बीजेपी के दूर हो रहे हैं उनमें सिर्फ दो फीसदी कांग्रेस का हाथ थामना चाहते हैं.
एबीपी न्यूज़- नीलसन के इस ताज़ा सर्वे में जो मतदाता शामिल हुए हैं, साल 2009 में उनके 28 फीसदी ने कांग्रेस के पक्ष में वोट दिया था, जबकि 27 फीसदी ने बीजेपी का साथ दिया था. यानी ताज़ा सर्वे में कांग्रेस को आठ फीसदी का नुकसान हो रहा है, लेकिन बीजेपी को महज़ एक फीसदा का फायदा हो रहा है. यानी कांग्रेस से खिसकने वाला सात फीसदी वोट स्थानीय पार्टियों की झोली में जाता दिख रहा है. साल 2009 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने 207 सीटों पर अपना क़ब्ज़ा जमाया था, जबकि बीजेपी के खाते में 116 सीटें गई थीं.
दूसरी ओर कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पीछे छोड़ते हुए गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद के लिए देश की जनता की 'पहली पंसद' बन गए हैं. एबीपी न्यूज़ -नीसलन सर्वे के मुताबिक प्रधानमंत्री पद के लिए मोदी 17 फीसदी जनता के पंसदीदा हैं तो मनमोहन सिंह को 16 फीसदी लोग पसंद कर रहे हैं, वहीं राहुल गांधी को बतौर प्रधानमंत्री 13 फीसदी जनता अपना समर्थन दे रही है.
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