Sunday, 20 May 2012 16:07 |
पश्चिम बंगाल का बुद्धिजीवी वर्ग कभी ममता बनर्जी का समर्थक था। लेकिन अब जब राज्य में तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष के शासन के एक साल पूरे हो चुके हैं तो बुद्धिजीवियों की राय ममता के बारे में अलग अलग है। आठवीं कक्षा तक के छात्रों को अपराध करने पर हिरासत में न लेने के मंत्रिमंडल के फैसले को लेकन व्यथित हो कर सुनन्दा सान्याल ने पिछले साल राज्य स्कूल पाठ्यक्रम समिति और उच्च शिक्षा समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था।कुछ को जहां लगता है कि ममता 'निरंकुश' हैं और उन्हें अपनी 'आलोचना बर्दाश्त नहीं होती।' वहीं ज्यादातर की राय है कि तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष को और समय चाहिए। शिक्षाविद सुनंदा सान्याल, साहित्यकार महाश्वेता देवी, अभिनेता कौशिक सेन, लेखक नाबरूण भट्टाचार्य, बांग्ला कवि संखा घोष ने पिछले कुछ माह के दौरान कई मुद्दों को लेकर मुख्यमंत्री की खूब आलोचना की है। इस आलोचना का कारण पार्क स्ट्रीट बलात्कार मामले से निपटने का तरीका, सरकारी ग्रंथालयों में चुनिंदा अखबार भेजा जाना, ममता विरोधी कार्टून को लेकर उठा विवाद और दो प्रोफेसरों की गिरफ्तारी जैसे मुद्दे थे। पिछले माह, ममता का उपहास करने वाले कार्टून को ईमेल से अग्रसारित करने के लिए जादवपुर विश्वविद्यालय के प्रो अंबिकेश महापात्र की गिरफ्तारी सहित कई मुद्दों के विरोध में बुद्धिजीवियों ने मौन जुलूस निकाला था। सुनन्दा सान्याल ने प्रेस ट्रस्ट से कहा ''उनके कुछ गुण मुझे निरंकुश जैसे लगते हैं। न तो प्रोफेसरों को गिरफ्तार किया जाना चाहिए और न ही राज्य के ग्रंथालयों में अखबारों पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। वह पूर्ववर्ती वाम मोर्चा सरकार के नक्शेकदम पर ही चल रही हैं। निश्चित रूप से यह बदलाव अच्छाई के लिए नहीं है।'' मैगसायसाय पुरस्कार से सम्मानित लेखिका महाश्वेता देवी ने रैली निकाले जाने तथा भूख हड़ताल की अनुमति के लिए 'एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन आॅफ डेमोक्रेटिक राइट्स' :एपीडीआर: को पुलिस के इंकार के कारण तृणमूल सरकार को 'फासीवादी' करार दिया है। तृणमूल कांग्रेस के बागी सांसद, गायक और संगीतकार कबीर सुमन ने कहा ''कभी मैं उनकी अच्छाइयों की तारीफ करते हुए गाने लिखता था। अब मैं और ऐसा नहीं कर सकता। विपक्ष की नेता के तौर पर उनका कद उच्च्ंचा था लेकिन सत्तारूढ़ दल की नेता के तौर पर ऐसा नहीं है।'' ममता के प्रति राय बदलने का कारण बताते हुए सुमन ने कहा ''मामूली सी भी आलोचना से उनके मन में बैर भाव आ जाता है। मैं सोच विचार करने वाला व्यक्ति हूं लेकिन वह अपने आसपास ऐसे लोग चाहती हैं जो केवल उनकी हां में हां मिलाते रहें।'' बहरहाल, प्रख्यात चित्रकार शुवप्रसन्ना ने कहा ''मैं किसी दल से नहीं जुड़ा हूं। लेकिन मैं उनका समर्थन करता हूं क्योंकि उन्होंने राज्य में हर ओर विकास किया है।'' उन्होंने कहा ''सांस्कृतिक और रचनात्मक मोर्चे पर लोग इसलिए उत्साहित हैं क्योंकि उन्होंने हमारे लिए कई कदम उठाए हैं।'' |
Sunday 20 May 2012
बुद्धिजीवियों की राय में ‘निरंकुश’ हैं ममता
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