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Thursday 22 March 2012

तेल देखो, तेल की धार देखो​



तेल देखो, तेल की धार देखो​
​​
​पलाश विश्वास

अमेरिका ने ईरान से तेल खरीद कम कर देने वाले देशों की सूची जारी की है जिसमें भारत का नाम शामिल नहीं है। इस सूची में शामिल अधिकतर यूरोपीय देशों पर फिलहाल अमेरिकी प्रतिबंध का खतरा समाप्त हो गया है।राजकोषीय घाटा पाटने में या फिर राजनीतिक बाध्यताओं से निजात पाकर वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी भारतीय सेनसेक्स अर्थ व्यवस्था को​ ​ क्या दिशा देंगे, यह तो कोई नहीं कह सकता। पर अमेरिका ने अपने नये तेलयुद्ध में आतंक के विरुद्ध अमेरिका और इजराइल के ​​पारमाणविक पार्टनर को जिसतरह घेरना शुरू किया है और भारतीय राजनय के मुकाबले जिस फुर्ती से पाकिस्तानी राजनयिक अमेरिका के​ ​ साथ भारत की तरह परमाणु संधि करने की पेशकश के साथ मैदान में उतर आये है, उससे लगता है कि कोई राजनीतिक समीकरण,​​आंकड़ेबाजी या बाजीगरी भारतीय अर्थव्यवस्था को ईंधन संकट के यक्ष प्रश्न से बचाने वाला नहीं। श्रीलंका और चीन के साथ संबंध मधुर नहीं है। चीन ौर पाकिस्तान दोनों के मुकाबले में भारत सैन्यीकरण की होड़ में है। रक्षा बजट में राजस्व और संसाधन की किल्लत के बावजूद प्रणव ने सत्रह प्रतिशत इजाफा किया है। म्यांमार से संबंध सुधरे नहीं है।अफगानिस्तान से संबंध चाहे जैसे हो, ईरान या मध्य पूर्व के दूसरे देशं की तरह इस मामले में भी भारतीय राजनय को अमेरिका की मिजाज के मुताबिक चलना होता है। बांग्लादेश से भी रिश्ते अब कई मुद्दों पर कड़वे होने लगे हैं। तेल संकट से निपटने के बजाय जल संकट भारत के लिए अहम बनता जा रहा है। ङालात यह है कि भारतीय राजनय के लिए तेल और जल एकाकार हो गये हैं।वित्‍त मंत्री प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एक बार फिर पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी के संकेत दे दिए हैं। वित्‍त मंत्री ने इशारा किया है कि बजट सत्र खत्‍म होने (31 मार्च) के बाद पेट्रोल-डीजल के साथ ही एलपीजी के दामों में भी बढ़ोत्तरी हो सकती है।हाल के दिनों में वैश्विक स्‍तर पर तेल की कीमतों में बढ़ोतरी देखी गई है। यूएस क्रूड के मुताबिक कच्‍चे तेल की कीमतें 107 डॉलर प्रति बैरल तो ब्रेंट क्रूड के मुताबिक यह 125 डॉलर प्रति बैरल को छू गई है। अमेरिका में गैसोलिन की कीमत 4 डॉलर प्रति गैलन तक पहुंच गई है। इसका नतीजा बाकी चीजों पर उपभोक्‍ताओं के खर्च में कमी के रूप में सामने आ रहा है।विश्व बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी को देखते हुए चीन तेल की कीमतें बढ़ाने जा रहा है और ये वृद्धि पिछले तीन वर्षों में सबसे ऊँची होगी,हालत कितनी पतली होने जा रही है, इससे जाहिर है। पर भारत सरकार के पास तेल की कीमतों में वृद्धि के अलावा अमेरिकी चुनौती से निपटने का कोई दुसरा विकल्प नहीं है।

अगर इजरायल ईरान पर हमला करता है,तो मजबूरन अमेरिका को भी इसमें शामिल होना पड़ सकता है।ऐसे में भारत क्या करेगा? परमाणविक समस्या को लेकर कृत्रिम रूप से तनाव नहीं बढ़ाया जाए।बुधवार को राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद में बोलते हुए उन्होंने कहा -- हम ईरान की परमाणु समस्या को लेकर  उपजे अविश्वास की बहाली  की समस्या से इंकार नहीं करते, लेकिन हम इस सवाल पर ज़बरदस्ती तनाव बढ़ाने के भी विरुद्ध हैं।विताली चूरकिन ने विश्व समुदाय से अनुरोध किया कि वह इस सवाल पर निष्पक्ष रूप से विचार करे और सिर्फ़ विश्वस्त सूचनाओं पर ही विश्वास करे। एक रिपोर्ट में आकलन किया गया है कि देखते-देखते इजरायल ईरान युद्ध एक व्यापक क्षेत्रीय युद्ध का रूप ले लेगा। इस युद्ध में अमेरिका के भी सैकड़ों सैनिक मारे जा सकते हैं। वहीं एक अखबार में छपा है कि अमेरिकी अधिकारियों को उम्मीद है कि इजरायल अगले साल ईरान पर हमला कर सकता है। इसी खतरे को भांपते हुए अमेरिका ने हमले के परिणाम और अपनी सैन्य तैयारियों का आकलन किया। रिपोर्ट के अनुसार,'क्लासिफाइड वार सिम्यूलेशन' नाम से इस माह यह आकलन किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक,आकलन में यह देखा गया है कि ईरान के मिसाइलों ने फारस की खाड़ी में नौसेना के एक युद्धपोत पर हमला कर दिया है, जिसमें 200 अमेरिकी सैनिक मारे गए हैं। इसके बाद अमेरिका ने भी जवाबी कार्रवाई में ईरानी परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया। इस आकलन के बाद अमेरिकी रणनीतिकारों को यह भय सता रहा है कि ईरान पर हमले की सूरत में अमेरिका को भी युद्ध में उतरना पड़ सकता है।


अमेरिका ने भारत और 11 अन्य देशों को अल्टीमेटम देते हुए ईरान से कच्चे तेल के आयात में 28 जून तक कटौती करने को कहा है। अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने मंगलवार को एक ऐसी सूची जारी की, जिसमें शामिल देशों पर ईरान के साथ तेल व्यापार करने पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा।अमेरिका की विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने कहा मुझे यह घोषणा करने में बहुत खुशी हो रही है कि 11 देशों के इस समूह ने ईरान से तेल खरीद को काफी हद तक कम कर लिया है1 मैं कांग्रेस को सूचित करूंगी कि 2012 के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा प्राधिकार अधिनियम के तहत फिलहाल इन देशों में काम करने वाले आर्थिक संस्थानों पर प्रतिबंध नहीं लगाय जाएं।इस सूची में भारत सहित चीन और दक्षिण कोरिया जैसे बडे देशों का नाम शामिल नहीं है। एक वरिष्ठ विभागीय अधिकारी ने बताया कि इस मामले में इन देशों के साथ बात की जायेगी।

इस बीच चीन ने ईरान से तेल आयात के मुद्दे पर भारत के साथ खुद को प्रतिबंधित सूची से छूट नहीं देने के अमेरिकी कदम पर तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उसका कहना है कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा अधिकृत किए बिना वह ऐसी किसी भी एकपक्षीय कार्रवाई का विरोध करता है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता होंग ली ने कहा कि चीन द्वारा ईरान से तेल आयात करने से संयुक्त राष्ट्र के किसी प्रस्ताव का उल्लंघन नहीं होता है।

दूसरी ओर पाकिस्तान ने अमेरिका के साथ संबंधों के भविष्य को लेकर कई सख्त शर्तें सामने रखी हैं। पाकिस्तान की एक संसदीय समिति ने मंगलवार को ड्रोन हमलों के खात्मे और भारत-अमेरिका करार जैसे असैन्य परमाणु समझौते की मांग की है। इसके अलावा पाकि स्तान की ओर से 38 अन्य मांगें रखी गईं हैं। राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की ओर से बुलाए गए सीनेट व नेशनल असेंबली के संयुक्त सत्र में राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित संसदीय समिति की इन 40 सिफारिशों पर चर्चा की जाएगी। समिति ने सिफारिश की है कि पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम और परमाणु संपत्तियों को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। समिति ने कहा, 'भारत और अमेरिका के बीच असैन्य परमाणु करार से इस क्षेत्र में सामरिक संतुलन की स्थिति बदल गई है। ऐसे में पाकिस्तान को कुछ इसी तरह की व्यवस्था में अमेरिका का साथ तलाशना चाहिए।' बीते साल नाटो के 26 नवंबर को पाकिस्तानी सैन्य कैंप पर हमले और अन्य कई घटनाओं की वजह से दोनों देशों के बीच संबंध अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए हैं। प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने नवंबर में नाटो के हमले में 24 पाकिस्तानी सैनिकों के मारे जाने के बाद द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा के आदेश दिए थे। राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों की संसदीय समिति की सिफारिशों का उल्लेख बुधवार को संसद के संयुक्त सत्र में किया गया। समिति के प्रमुख रजा रब्बानी ने कहा कि अमेरिका को पाकिस्तान के भीतर कदमों और उनके असर की समीक्षा करनी चाहिए। रब्बानी ने कहा, 'समिति का मानना है कि पाकिस्तान की सीमा में ड्रोन हमलों का अंत, पाकिस्तानी सीमा में नहीं घुसना, निजी सुरक्षा कंपनियों की गतिविधियों का पारदर्शी होना और इनका पाकिस्तान के कानून के दायरे में आना आवश्यक है।' इसमें नाटो हमले के लिए जिम्मेदार लोगों को इंसाफ की जद में लाने की बात भी की गई है। समिति ने कहा कि पाकिस्तान सरकार को नाटो हमले के लिए अमेरिका से बिना शर्त माफी की मांग करनी चाहिए। संयुक्त सत्र में समिति की सिफारिशों पर चर्चा की जा रही है।

जानकारों के मुताबिक, अमेरिका द्वारा जारी सूची में जिन देशों का नाम नहीं है, उन्हें आने वाले समय में अमेरिका से आर्थिक कारोबार में नुकसान भी सहना पड़ सकता है। हालांकि इस बारे में अमेरिका ने कोई सीधी चेतावनी जारी नहीं की है।ईरान से कच्चे तेल के आयात पर अमेरिकी विदेशमंत्री हिलेरी क्लिंटन के बयान पर असहमति जताते हुए भारत ने कहा है कि वह ईरान से आवश्यकतानुसार तेल का आयात जारी रहेगा। दूसरी तरफ भारत ईरान के खिलाफ अमेरिकी की मुहिम को नजरअंदाज करते हुए ईरान के बंदरअल्यास बंदरगाह से मध्य एशिया तक सड़क और रेल संपर्क योजना को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए सक्रिय प्रयास कर रहा है। उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि मध्य एशिया के लिए उतरी-दक्षिणी गलियारे की महत्वाकांक्षी परियोजना को अमल में लाने के लिए भारत, ईरान और रूस के अधिकारियों की पिछले महीने बैठक हुई। इस परियोजना को अगले वर्ष के अंत तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।उत्तरी-दक्षिणी गलियारा परियोजना में अनेक देश शामिल हैं, लेकिन कूटनीतिक कारणों से यह परियोजना लंबे समय तक उपेक्षित रही। हाल में भारत ने इस परियोजना पर अमल करने के लिए पहल की तथा ईरान एवं रूस के अधिकारियों से वार्ता की। इस परियोजना के पूरा होने पर भारत जलयानों के जरिए अपना माल ईरान के बंदरअल्यास बंदरगाह भेज सकेगा जिसे रेल, सड़क के माध्यम से कौस्पियन सागर तक पहुंचाया जाएगा।सूत्रों के अनुसार बंदरअल्यास से कौस्पियन सागर तक सड़क संपर्क तो है लेकिन रेल संपर्क पूरा नहीं है। भारत ने ईरान से आग्रह किया है कि वह रेल मार्ग को पूरा करने के लिए कदम उठाए। उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने ईरान को कूटनीतिक रूप से अलग-थलग करने की मुहिम चला रखी है। इस संदर्भ में भारत की उत्तरी-दक्षिणी गलियारा परियोजना के बारे में हाल ही की पहल एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक कदम है।

क्लिंटन ने कहा कि चेक गणराज्य, फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड, पोलैंड, जर्मनी, यूनान, इटली, जापान, यूनाइटेड, किंगडम और स्पेन ने ईरान से तेल खरीद के लिए नये समझौतों पर 23 जनवरी से रोक लगाने का फैसला किया है। वहीं वर्तमान समझौतों को 1 जुलाई तक समाप्त कर देने के फैसला करके ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर विश्व समुदाय द्वारा जतायी जा रही चिंता के साथ एक जुटता दिखायी है।


गोल्‍डमैच सैच का कहना है कि तेल की कीमतों में 10 फीसदी का इजाफा होने से देश की विकास दर पर करीब चौथाई फीसदी का नकारात्‍मक असर पड़ता है। जब लोगों का पेट्रोल पर खर्च बढ़ेगा तो बाकी जरूरी चीजों पर खर्च में कटौती होना भी स्‍वाभाविक है। यदि लोग कार चलाने के लिए ज्‍यादा खर्च करने लगेंगे तो उनके पास टीवी सेट खरीदने या छुट्टियों में सैर-सपाटे की इच्‍छाओं पर 'ब्रेक' लगाना पड़ेगा। इससे उपभोक्‍ताओं की खर्च करने की सीमा में कटौती होगी और विकास दर में रुकावट पैदा होगी। अमेरिका में ऐसा होने लगा है।

नायमेक्स पर कच्चे तेल में 0.5 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है और ये 108 डॉलर प्रति बैरल के नीचे आ गया है। सऊदी अरब में जनवरी में शिपमेंट्स और लीबिया की ओर से एक्सपोर्ट में बढोतरी से कच्चे तेल का भाव गिरा है। वहीं अमेरिका में भी कच्चे तेल का भंडार बढ़ने का अनुमान है। इन खबरों के चलते घरेलू बाजार में भी कच्चे तेल पर दबाव नजर आ रहा है।

एमसीएक्स पर कच्चा तेल हल्की गिरावट के साथ 5,450 रुपये पर कारोबार कर रहा है। बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2012 में ब्रेंट क्रूड की कीमत 8 डॉलर से बढ़कर 118 डॉलर प्रति बैरल रहने का अनुमान है। इसके अलावा साल 2012 में नायमेक्स पर कच्चे तेल की औसत कीमत 3 डॉलर से बढ़कर 106 डॉलर प्रति बैरल रहने का अनुमान है।

कच्चे तेल समेत नैचुरल गैस में भी गिरावट देखने को मिल रही है। एमसीएक्स पर नैचुरल गैस में करीब 0.5 फीसदी की गिरावट पर आई थी और ये अब 118.70 रुपये पर कारोबार कर रहा है। साल 2012 में अब तक नैचुरल गैस की कीमतो में 28 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। वहीं नायमेक्स पर नैचुरल गैस ने 2.393 डॉलर का स्तर छूआ है। अमेरिकी एनर्जी के आंकड़ों के मुताबिक पिछले हफ्ते गैस स्टॉक में गिरावट दर्ज की गई है जिससे नैचुरल गैस पर दबाव दिख रहा है।

रूस के विदेशमंत्री को आशा है कि ईरान की परमाणविक समस्या के सवाल पर छह मध्यस्थ देशों की मंडली आगामी अप्रैल में ईरान के प्रतिनिधि से मुलाक़ात करेगी। इन छह मध्यस्थ देशों में राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद के पाँच स्थाई सदस्य देश और जर्मनी शामिल हैं।

सेर्गेय लवरोव ने 'कमेरसांत एफ़०एम०' रेडियो स्टेशन को इंटरव्यू देते हुए ईरान की परमाणविक समस्या पर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर बातचीत करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया और कहा - हालाँकि ईरानियों ने इस सिलसिले में उस जोशो-ख़रोश के साथ सहयोग नहीं किया है, जैसा सब चाहते थे, लेकिन अन्तर्राष्ट्रीय परमाणविक ऊर्जा एजेंसी के पास ईरान के बारे में जो सवाल थे, उनमें से ज़्यादातर हल किए जा चुके हैं।

उन्होंने बताया कि इस बारे में रूस की धारणा यह है कि आपसी सहयोग किया जाए और धीरे-धीरे आगे बढ़ा जाए। ईरान को अंधेरी सुरंग से बाहर निकलने का कोई रास्ता भी तो दिखाई देना चाहिए। रूस का मानना है कि जब अन्तर्राष्ट्रीय परमाणविक ऊर्जा एजेंसी के सभी सवालों का जवाब मिल जाएगा और ईरान के परमाणविक कार्यक्रम के बारे में भी यह विश्वास हो जाएगा कि वह असैन्य कार्यक्रम है  तो ईरान पर लगाए गए सभी प्रतिबन्ध हटा लिए जाएँगे।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि हरदीप सिंह पुरी ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कहा कि युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में अबतक काफी प्रगति हुई है, लेकिन उस देश में अभी और अधिक किए जाने की जरूरत है।समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, पुरी ने यह बयान अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन पर आयोजित एक बहस के दौरान सुरक्षा परिषद को सम्‍बोधित करते हुए दिया।

पुरी ने कहा कि आतंकवाद से लड़ने और विकास, सुरक्षा, व पुनर्निर्माण के लिए प्रोत्साहित करने में अफगानिस्तान की मदद के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की एकजुटता के एक दशक से अधिक समय हो चुका है। पुरी ने कहा, तब से लेकर अबतक हुई प्रगति को कम नहीं कहा जा सकता। लेकिन यह यात्रा अभी समाप्त नहीं हुई है और अभी बहुत कुछ करना बाकी है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा अफगानिस्तान के लिए प्रथम और अंतिम चिंता बनी हुई है।

पुरी ने कहा, पिछले एक दशक के दौरान सुरक्षा के मुद्दे पर हासिल हुई उपलब्धि अभी कमजोर है। आतंकवादी हिंसा में कमी के संकेत नहीं हैं और नागरिकों की हत्या से यह साबित होता है कि सरकार विरोधी तत्व पिछले पांच वर्षों के दौरान लगातार उफान पर हैं और वे 2011 में अपने चरम पर पहुंच गए हैं।

पुरी ने अफगानिस्तान और उस क्षेत्र में आतंकवादी गतिविधियों को अलग-थलग करने के लिए ठोस कार्रवाई का आह्वान किया।
पुरी ने आगे कहा, अफगानिस्तान को आतंकवाद, आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले धार्मिक चरमवाद, और उसे देने वाले नशीले पदार्थों की तस्करी जैसी गम्‍भीर चुनौतियों से निपटने के लिए अपनी क्षमता बढ़ाने में सहायता और मदद की आवश्यकता है। हमें यह हरहाल में सुनिश्चित कराना चाहिए कि अफगानिस्तान की सुरक्षा उसके आंतरिक मामलों में बिना हस्तक्षेप किए सुनिश्चित कराई जाए।

पुरी ने कहा कि भारत, किसी अंतर्राष्ट्रीय नेतृत्व वाली प्रक्रिया के बदले अफगानिस्तान के नेतृत्व वाली सुलह प्रक्रिया का समर्थन करता है। उन्होंने कहा, यह महत्वपूर्ण है कि कोई भी राजनीतिक समाधान पिछले 10 वर्षों के दौरान मुश्किल से हासिल की गई उपलब्धियों पर पानी न फेरने पाए और वह अफगानिस्तान के सभी घटकों को स्वीकार्य हो।



भारत में बीते साल भर में पेट्रोल की कीमत करीब 12 फीसदी बढ़ गई है। एचएसबीसी के इकोनॉमिस्‍ट फ्रेडरिक न्‍यूमैन ने ग्‍लोबल मार्केट में कच्‍चे तेल की कीमतें बढ़ने से भारत सहित एशियाई मुल्‍कों पर पड़ने वाले असर को कुछ इस तरह समझाया है। उनका कहना है कि कीमतें बढ़ने से पश्चिम के देशों को होने वाले निर्यात पर नकारात्‍मक असर पड़ेगा। एशियाई मुल्‍कों से पश्चिम को होने वाला निर्यात कम से कम आज के वक्‍त में बेहद संवेदनशील है। इसके अलावा इससे कुछ दिनों के बाद एशियाई देशों में मुद्रास्‍फीति की मार पड़ेगी।




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